Sansar Daily Current Affairs, 29 November 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Char Dham pilgrimage
संदर्भ
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार से यह पूछा है कि क्यों नहीं सरकार की चारधाम तीर्थयात्रा परियोजना के लिए राजमार्ग के निर्माण पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) द्वारा दी गई अनुमति पर रोक लगा दी जाए.
मामला क्या है?
भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की एक मूर्धन्य परियोजना है उत्तराखंड में स्थित तीर्थस्थानों – गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ – को जोड़ने वाला एक चार मार्गों वाला एक्सप्रेस वे का निर्माण करना.
इस एक्सप्रेस वे की सम्पूर्ण लम्बाई 900 किलोमीटर की होगी. परन्तु कुछ पर्यावरणवादियों ने इस योजना का यह कहते हुए विरोध किया है कि इससे प्रदेश का पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ जायेगा. इसके लिए इन पर्यावरणवादियों ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दे रखी है.
चारधाम परियोजना क्या है?
- इस परियोजना के अंतर्गत 900 किलोमीटर का राजमार्ग बनाया जाएगा जो हिंदू तीर्थ – गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ – को जोड़ेगा. इस पर अनुमानित खर्च 12,000 करोड़ रु. होगा.
- इस राजमार्ग को चारधाम महामार्ग कहा जाएगा और इसके निर्माण की परियोजना का नाम चारधाम महामार्ग विकास परियोजना (Char Dham Highway Development Project) होगा.
- इस परियोजना के अन्दर वर्तमान सड़कों की चौड़ाई को 12 मीटर से बढ़ाकर 24 मीटर किया जाएगा. इसके अतिरिक्त कई स्थानों पर सुरंग, बाइपास, पुल, भूमिगत मार्ग एवं जल-निकास बनाए जाएँगे.
GS Paper 2 Source: Down to Earth
Topic : Central Water Commission
संदर्भ
इंडिया रिवर वीक (IRW)-2018 में विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने यह सुझाव दिया है कि केन्द्रीय जल आयोग (CWC) को समाप्त कर दिया जाए.
CWC को बंद क्यों किया जाए?
विशेषज्ञों का कहना है कि केन्द्रीय जल आयोग पर बहुत-से काम एक साथ करने का भार है जो अनुचित है, अतः इसके स्थान पर एक बेहतर नियामक निकाय की आवश्यकता है. ज्ञातव्य है कि वर्तमान में यह आयोग ढेर सारे काम करता है, जैसे –
- आँकड़ों का संग्रहण
- नीतियों का निर्माण
- विभिन्न परियोजनाओं पर तकनीकी और वित्तीय अनुमोदन देना
- परियोजनाओं का अनुश्रवण करना
गंगा को बचाने के दीर्घकालिक और अल्पकालिक उपाय
- गंगा नदी घाटी में प्रस्तावित सभी परियोजनाओं को रद्द कर दिया जाए.
- गंगा नदी की मुख्य धारा के पास चल रही निर्माण परियोजनाओं को भी रद्द कर दिया जाए.
- पुरानी बाँधों, अंतर्स्थलीय जलमार्गों तथा रिवर फ्रंट के विकास की परियोजनाएँ वापस ले ली जाएँ क्योंकि इनसे गंगा को हानि हो रही है.
- सरकार द्वारा नियंत्रित एक निकाय के स्थान पर गंगा के लिए एक स्वायत्त संस्थान की स्थापना की जाए.
- शहरों में जलसंसाधनों के उपयोग पर नियंत्रण रखने के लिए एक राष्ट्रीय नदी नीति तथा साथ ही राष्ट्रीय शहरी जल के लिए एक अलग नीति तैयार की जानी चाहिए.
- गंगा की तलहटी से बालू और पत्थर निकालने के लिए मशीनों का उपयोग बंद होना चाहिए.
- जलप्रवाह में सुधार लाने के लिए फसल लगाने की पद्धति को सुधारना चाहिए और बेहतर सिंचाई प्रणालियों का उपयोग करना चाहिए.
- गंगा से भूमि जल-निकासी को कम किया जाए.
- वर्षा जल के संग्रहण को बढ़ावा दिया जाए.
- गंगा घाटी में स्थित नाली प्रवाह उपचार संयंत्रों के काम को बेहतर बनाया जाए.
- स्वर्गीय जी.डी. अग्रवाल द्वारा दिए गये प्रारूप के अनुसार गंगा से सम्बंधित एक व्यापक कानून बनाया जाए.
- जैव विविधता के संरक्षण के लिए सब बड़ी नदियों और सहायक नदियों के उद्गम के आसपास सुरक्षित क्षेत्र बनाए जाए.
- देश-भर के अभिज्ञान एवं अभियंत्रण की पढ़ाई में पर्यावरण भी पढ़ाया जाए.
- गंगा पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन किया जाए.
CWC क्या है?
- केन्द्रीय जल आयोग जल संसाधन से सम्बंधित एक मूर्धन्य तकनीकी निकाय है जो जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय के तहत आता है.
- CWC का अध्यक्ष चेयरमैन कहलाता है जो भारत सरकार के पदेन सचिव के स्तर का होता है.
- आयोग का कार्य सम्बंधित राज्य सरकारों के साथ विमर्श कर देश-भर में जल संसाधनों के नियंत्रण, संरक्षण एवं उपयोग के लिए आवश्यक योजनाओं को आरम्भ करना, उनका समन्वयन करना और उन्हें आगे बढ़ाना है जिससे कि बाढ़ का नियंत्रण हो तथा सिंचाई, नौकायन, पेयजल आपूर्ति तथा जलशक्ति विकास के कार्य सम्पन्न हो सकें.
- यदि आवश्यक हो तो यह आयोग ऐसी योजनाओं की छानबीन, निर्माण तथा क्रियान्वयन को भी अपने हाथ में लेता है.
GS Paper 3 Source: Down to Earth
Topic : Water Deficit next year in India
संदर्भ
हाल ही में वैश्विक जल अनुश्रवण एवं पूर्वानुमान निगरानी सूची (Global Water Monitor & Forecast Watch List) का नवीनतम संस्करण अमेरिका में स्थित सीमित दायित्व निगम – IScience द्वारा निर्गत किया गया है.
इस रिपोर्ट के अनुसार 2019 में भारत में पानी की कमी बढ़ जायेगी. इस रिपोर्ट को IScience के जलसुरक्षा संकेतक मॉडल (Water Security Indicator Model – WSIM) के आधार पर तैयार किया गया है. इस मॉडल में वैश्विक जल विसंगतियों का विश्लेषण तापमान और वर्षा को दृष्टि में रखते हुए किया जाता है.
रिपोर्ट के मुख्य तथ्य
- इसमें भविष्यवाणी की गई है कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और मिज़ोरम में पानी का आधिक्य रहेगा.
- बिहार में मध्यम से लेकर भीषण जल का अभाव हो सकता है.
- फरवरी और अप्रैल के बीच में भारत में सब मिलाकर जलाभाव सामान्य रहेगा और देश के पूर्वी भाग में यह सामान्य होगा. परन्तु गुजरात और मध्यप्रदेश और तुंगभद्रा नदी के किनारे-किनारे कर्नाटक तक जल का अत्यंत अभाव रहेगा.
- मई से लेकर जुलाई (2019) में भारत में मुख्य रूप से जलाभाव सामान्य होगा. परन्तु जम्मू कश्मीर और तमिलनाडु के कुछ क्षेत्रों में जलाधिक्य होने का अनुमान है.
- पूर्वानुमान में बताया गया है कि 2019 में महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में पिछले 40 वर्षों का सबसे अधिक जलाभाव होने जा रहा है.
- 2018 में जून से लेकर सितम्बर तक मानसून कुछ फीका रहा जिसके कारण भारत के एक तिहाई जिलों में सूखे की दशा हुई और किसानों को कष्ट हुआ.
- रिपोर्ट में बताया गया है कि केरल और कर्नाटक में बाढ़ के चलते इस बार कहवे के उत्पादन में पिछले पाँच वर्षों की सबसे ज्यादा कमी की सम्भावना है. विदित हो कि भारत अपने कहवे का 3/4 निर्यात कर देता है. इससे किसानों की आय में कमी आएगी.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : HysIS
संदर्भ
भारत HysIS नामक एक उपग्रह प्रक्षेपित करने जा रहा है. यह देश का ऐसा पहला कई स्पेक्ट्रमों वाला उन्नत उपग्रह (hyperspectral imaging satellite) होगा जो पृथ्वी के चित्र लेगा. इसे PSLV राकेट (C-43) से 30 अन्य विदेशी छोटे उपग्रहों के साथ प्रक्षेपित किया जाएगा.
HysIS और इसका महत्त्व
- HysIS का प्राथमिक लक्ष्य पृथ्वी के धरातल का विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम (electromagnetic spectrum) के नियर-इन्फ्रा रेड और शॉट-वेव इन्फ्रा रेड क्षेत्रों में अवलोकन करना है.
- HysIS इस प्रकार की क्षमता वाला ISRO का पहला पूर्णकालिक काम करने वाला उपग्रह होगा.
- अन्तरिक्ष में कई स्पेक्ट्रमों का छायांकन करने वाला कैमरा धरती के सुस्पष्ट चित्र ले सकता है जिनका उपयोग पृथ्वी पर की वस्तुओं का अवलोकन सामान्य रिमोट सेंसिंग कैमरों से अधिक साफ़ ढंगसे हो सकता है.
- इस तकनीक से भारत को यह लाभ होगा कि वह अन्तरिक्ष से प्राप्त चित्रों के आधार पर रक्षा, कृषि, भूमि उपयोग, खनिज आदि के लिए कर सकता है.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : Raksha Mantri Launches ‘Mission Raksha Gyan Shakti’
संदर्भ
हाल ही में रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने “मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति” का औपचारिक अनावरण किया है. इस अवसर पर रक्षा अनुसन्धान एवं विकास संगठन (DRDO), रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (DPSUs) आयुध कारखानों (OFs) द्वारा ऐसे प्रमुख आविष्कारों और नवाचारों का प्रदर्शन किया गया जिनके लिए बौद्धिक सम्पदा अधिकार (Intellectual Property Rights – IPR) के अंतर्गत पेटेंट के लिए सफलतापूर्वक आवेदन डाले जा चुके हैं.
इस कार्यक्रम का समन्वय और कार्यान्वन करने का उत्तरदायित्व गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (Directorate General of Quality Assurance – DGQA) को सौंपा गया है.
उद्देश्य
मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति सरकार के उस अभियान का अंग है जिसमें भारत को रक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की पहल की जा रही है. आशा है कि इस मिशन के माध्यम से स्वदेश निर्मित आयुधों आदि से सम्बन्धित उद्योग प्रगति की राह पर चल निकलेगा.
बौद्धिक संपदा अधिकार क्या हैं?
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अनुसार बौद्धिक सम्पदा अधिकार वह अधिकार है जो किसी व्यक्ति को अपने मस्तिष्क से की गई रचना के लिए दिया जाता है.
- इसके रचयिता को उसकी रचने के उपयोग का एकमात्र अधिकार कुच निश्चित अवधि के लिए दे दिया जाता है.
- बौद्धिक सम्पदा अधिकार एक ऐसी प्रेरणा है जो व्यक्ति को कुछ नया करने के लिए प्रोत्साहित करती है.
बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) निम्नलिखित प्रकार के होते हैं –
- कॉपीराइट
- ट्रेडमार्क
- पेटेंट
- इंडस्ट्रियल डिजाइन
- ट्रेड सिक्रेट
- भौगोलिक संकेतक
बौद्धिक अधिकार सुविधा कोषांग
बौद्धिक अधिकार सुविधा कोषांग (IP Facilitation Cell) की स्थापना अप्रैल 2018 में हुई थी. इसके उद्देश्य हैं –
- आयुध कारखानों तथा रक्षा लोक उपक्रमों के 10,000 कर्मियों को बौद्धिक अधिकार के बारे में प्रशिक्षण देना.
- कम से कम एक हजार नए बौद्धिक संपदा अधिकार आवेदनों को दायर करवाना.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : MoS (Home) Shri Kiren Rijiju inaugurates 14th Formation Day of National Disaster Management Authority (NDMA)
संदर्भ
हाल ही में भारत सरकार के गृह राज्य मंत्री श्री किरण रिजिजू ने राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority – NDMA) के 14वें स्थापना दिवस का उद्घाटन किया. इस दिवस के लिए इस वर्ष की थीम है – आ”पदाओं की शीघ्र चेतवानी” / “Early Warning for Disasters”.
ज्ञातव्य है कि किसी भी आपदा से लड़ने के लिए और उससे होने वाले जोखिमों तथा जन-धन की हानि को कम करने के लिए समय पर उसका पूर्वानुमान करना एक महत्त्वपूर्ण कार्य होता है. समय पर चेतावनी मिल जाने से कई ऐसे काम किये जा सकते हैं जो देश के हित में हों.
समय पर चेतवानी के उपाय
- समय पर चेतावनी की प्रणाली में उन समुदायों को शामिल करना चाहिए जो आपदा से प्रभावित होने वाले हैं.
- जनता-जनार्दन में जागरूकता उत्पन्न करना.
- चेतावनी का प्रसार कारगर ढंग से करना.
- यह सुनिश्चित किया जाए कि आपदा के प्रति निरंतर चौकस तैयारी रहे.
इतिहास
भारत सरकार ने 23 दिसम्बर, 2005 को आपदा प्रबन्धन अधिनियम (Disaster Management Act) पारित किया था.
बाद में इस अधिनियम के अनुसार राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (NDMA) तथा राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (SDMAs) गठित किये गये जिनके अध्यक्ष क्रमशः प्रधानमन्त्री और सम्बंधित राज्य के मुख्यमंत्री होते हैं. इसका प्रशासनिक नियंत्रण भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन होता है.
GS Paper 3 Source: Down to Earth
Topic : Genetic study reveals presence of rare sub-species of hog deer
संदर्भ
भारतीय वैज्ञानिकों ने भारत में हॉग हिरण की एक संकटग्रस्त उपप्रजाति का पता लगाया है जिसके बारे में पहले विश्वास किया जाता था कि वह केवल मध्य थाईलैंड के पूर्वी भाग तक ही सीमित होता है.
मुख्य तथ्य
अनुसन्धानकर्ताओं ने मणिपुर के कैबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान (KLNP) में हॉग हिरण की छोटी आबादी का अस्तित्व प्रतिवेदित किया है. इन हिरणों के जीन Axis porcinus annamiticus अर्थात् हॉग हिरणों से मिलते जुलते हैं. इससे यह सिद्ध होता है कि ऐसे हिरणों की पश्चिमी सीमा मणिपुर है न कि मध्य थाईलैंड जैसा कि अब तक जाना जाता था.
माहात्म्य
अन्य देशों में हॉग हिरणों की बस्तियाँ समाप्त हो रही हैं. इसलिए मणिपुर में इनकी एक उपप्रजाति का पाया जाना उनके संरक्षण की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण सूचना है. विदित हो कि कैबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित जैव-विविधता की दृष्टि से एक बहुत महत्त्वपूर्ण स्थल है.
हॉग हिरण जिसे पाड़ा (Pada) भी कहते हैं IUCN लाल सूची में संकटग्रस्त प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध है तथा भारतीय वन्यजीव (सुरक्षा) अधिनियम, 1972 के अंतर्गत सुरक्षित है. ऐसे हिरण तेजी से अपनी बस्तियाँ खोते जा रहे हैं और जबकि 20वीं शताब्दी के आरम्भ में ये सभी दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में पाए जाते थे. आज कम्बोडिया में मात्र 250 पाड़े रह गये हैं.
हॉग हिरण की दो उप-प्रजातियाँ हैं – पश्चिमी और उपरी. पश्चिमी नस्ल के हॉग हिरण पाकिस्तान से लेकर तराई घास भूमि तक हिमालय के नीचे-नीचे पाए जाते हैं. दूसरी ओर इसकी पूर्वी नस्ल थाईलैंड, इंडोनेशिया, लाओस, कम्बोडिया और विएतनाम में देखने को मिलती हैं.
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