Sansar Daily Current Affairs, 29 October 2018
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : National Consumer Disputes Redressal Commission (NCDRC)
संदर्भ
राज्य आयोगों एवं जिला मंचों की समीक्षा के लिए हाल ही में उपभोक्ता मामलों के विभाग (Department of Consumer Affairs) तथा राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद समाधान आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission – NCDRC) ने संयुक्त रूप से एक सम्मलेन आयोजित किया था.
- इस सम्मलेन में राज्य आयोगों के अध्यक्षों तथा राज्यों/केंद्र शाषित के उपभोक्ता मामलों के प्रभारी सचिवों ने प्रतिभागिता की थी.
महत्त्व
- इस सम्मेलन में उपभोक्ता मंचों की कार्यप्रणाली से जुड़ी समस्याओं, जैसे – लंबित मामले तथा आयोगों में रिक्त अध्यक्ष एवं सदस्यों के पदों में भर्ती, पर चर्चा हुई.
- यह सम्मेलन सही समय पर आयोजित हुआ क्योंकि जैसा कि सर्वविदित है कि सरकार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को समाप्त करने जा रही है और उसने उसके स्थान पर एक नया उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2018 लोकसभा में प्रस्तुत कर दिया है.
NCRDC क्या है?
- राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद समाधान आयोग (NCRDC) एक अर्ध-न्यायिक आयोग है जिसकी स्थापना 1988 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत की गई थी.
- इस आयोग का अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय का कोई कार्यशील अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीश होता है.
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अधिनियम 21 के अनुसार राष्ट्रीय उपभोक्ता उन उभोक्ता मामलों को देखता है जिसमें एक करोड़ रुपये से अधिक की शिकायत हो. इसके अतिरिक्त यह आयोग राज्य आयोगों एवं जिला मंचों के द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध की गई अपील और पुनरीक्षण के मामले पर भी विचार करता है.
- अधिनियम 23 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति NCRDC के आदेश से दु:खी हो तो वह इस आदेश के विरुद्ध 30 दिनों के भीतर सर्वोच्च न्यायालय में अपील क्र सकता है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Defence Acquisition Council (DAC)
संदर्भ
रक्षा अधिग्रहण परिषद् (Defence Acquisition Council – DAC) ने भारतीय तटरक्षक (ICG) के 17 डोर्नियर विमानों (Dornier Aircraft) को उत्क्रमित करने की स्वीकृति दे दी है. इन विमानों की आधी आयु अभी शेष है. इस उत्क्रमण (upgradation) में 950 करोड़ रु. खर्च होने का अनुमान है. उत्क्रमण का यह कार्य भारत की विमान बनाने वाली कम्पनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) करने जा रही है.
भूमिका
ICG समुद्र की निगरानी के लिए भारत की नाभिक एजेंसी है. भारतीय तट रक्षा के पास अनेक डोर्नियर विमान हैं जो समुद्र की निगरानी में एक धुरीण भूमिका निभाते हैं. भारतीय तटरक्षा के जहाजी बेड़े की क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से DAC ने यह स्वीकृति दी है कि इन विमानों का उत्क्रमण करते हुए उनमें ये सुविधाएँ लगाईं जाएँ – आधुनिकितम प्रौद्योगिकी, पुर्जे, विशेष संधारण उपकरण (Special Maintenance Tools – SMT) तथा विशेष परीक्षण उपकरण (Special Test Equipment – STE).
DAC क्या है?
- 2001 में रक्षा अधिग्रहण परिषद् (DAC) की स्थापना सैनिक सामग्रियों के क्रय की गति को बढ़ाने और उसमें भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए भारत सरकार द्वारा की गई थी. इसके अध्यक्ष रक्षा मंत्री होते हैं.
- DAC का उद्देश्य सेना के लिए आवश्यक उपकरणों के क्रय का समयसीमा के अंदर निष्पादन करना है. इसके लिए यह बजट में किये गये आवंटन का आदर्शतम उपयोग करती है. विदित हो कि सरकार सेना की शक्ति को बढ़ाने के लिए समय-समय पर धनराशि की व्यवस्था करती है.
- DAC अधिग्रहण के लिए नीतिगत मार्गनिर्देश देती है. यह अधिग्रहण दीर्घकालिक क्रय योजना पर आधारित होता है. यह सभी प्रकार के अधिग्रहण का काम करती है. ये अधिग्रहण आयातित सामग्रियों एवं स्वदेशी दोनों प्रकार की रक्षा सामग्रियों से सम्बन्धित हो सकते हैं.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Electoral bond scheme
संदर्भ
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने चुनावी बांडों की छठी खेप की बिक्री की अनुमति प्रदान कर दी है. भारतीय स्टेट बैंक इन बांडों को अपनी 29 अधिकृत शाखाओं के माध्यम से नवम्बर 1 से नवम्बर 11 तक निर्गत करेगी और उन्हें भुनाएगी.
चुनावी बांड से सम्बंधित प्रमुख तथ्य
- ये electoral bonds भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से मिलेंगे.
- चुनावी बांड की न्यूनतम कीमत Rs.1000 और अधिकतम एक करोड़ रुपये तक होगी.
- इलेक्टोरल बांड 1,000 रु., 10,000 रु., 1 lakh रु, 10 lakh रु. और 1 crore रु. denomination के होंगे.
- हर महीने 10 दिन बांड की बिक्री होगी.
- परन्तु जिस वर्ष लोक सभा चुनाव होंगे उस वर्ष भारत सरकार द्वारा बांड खरीदने के लिए 30 दिन (extra) और दिए जायेंगे.
- बांड जारी होने के 15 दिनों के भीतर उसका इस्तेमाल चंदा देने के लिए करना होगा.
- चुनाव आयोग में registered party से पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों, उसे ही बांड दिया जा सकेगा.
- Electoral Bond राजनैतिक दल के रजिस्टर्ड खाते में ही जमा होंगे और हर राजनैतिक दल को अपने सालाने प्रतिवेदन में यह बताना होगा कि उसे कितने बांड मिले.
- चुनावी बांड देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
- चुनावी बांड पर कोई भी ब्याज नहीं मिलेगा.
चुनावी बांड को और भी गहराई से पढ़ने के लिए, इस लिंक पर जाएँ > Electoral Bond
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : IMPRESS Scheme
संदर्भ
शैक्षणिक संस्थानों में अनुसंधान का वातावरण सृजित करने के लिए भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने IMPRESS योजना से सम्बंधित एक वेब-पोर्टल का अनावरण किया है.
IMPRESS योजना क्या है?
- IMPRESS का full-form है – “Impactful Policy Research in Social Sciences”.
- इसके अन्दर सामाजिक विज्ञानों से सम्बंधित उन अनुसंधान प्रस्तावों के लिए धनराशि दी जाती है जिनका प्रशासन एवं समाज पर अधिक से अधिक प्रभाव पड़ सकता है.
- यह योजना देश के किसी भी संस्थान के समाज विज्ञान अनुसंधानकर्ताओं को अनुसन्धान करने का अवसर देती है. यह योजना सभी विश्वविद्यालयों (केन्द्रीय अथवा राज्य के) तथा ऐसे कुछ निजी संस्थानों के लिए है जो आवश्यक अर्हता को पूरा करते हैं.
- इस योजना में जिन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाता है वे हैं – राज्य एवं लोकतंत्र, शहरी रूपांतरण, मीडिया, संस्कृति, समाज, रोजगार, कौशल और ग्रामीण रूपांतरण, प्रशासन, नवाचार, लोक नीति, समष्टिगत व्यापार एवं आर्थिक नीति, सोशल मीडिया एवं प्रौद्योगिकी.
- IMPRESS योजना के अन्दर उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों को समाज विज्ञान में शोध करने के लिए 2 साल के लिए 1,500 शोध परियोजनाएँ दी जाएँगी.
- IMPRESS योजना का कार्यान्वयन भारतीय समाज विज्ञान एवं अनुसन्धान परिषद् (Indian Council of Social Science and Research – ICSSR) करती है.
- इस योजना का कार्यान्वयन मार्च 2021 तक चलेगा.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Rashtriya Vayoshri Yojana (RVY)
संदर्भ
हाल ही में राष्ट्रीय वयोश्री योजना के अंतर्गत दिव्यांग जनों और BPL श्रेणी के वरिष्ठ नागरिकों को सहायक उपकरणों एवं जीवनचर्या के लिए आवश्यक उपकरण निःशुल्क बाँटने हेतु एक वितरण शिविर आयोजित किया गया. यह आयोजन सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय के तत्त्वाधान में काम करने वाले लोक सेवा उपक्रम – Artificial Limbs Manufacturing Corporation of India (ALIMCO) द्वारा किया गया.
राष्ट्रीय वयोश्री योजना क्या है?
- राष्ट्रीय वयोश्री योजना के अन्दर गरीबी-रेखा के नीचे उन वयोवृद्धों को सहायक उपकरण दिए जाते हैं जो बुढ़ापे से जुड़ी असमर्थताओं के कारण सामान्य जीवन बिताने में कष्ट अनुभव करते हैं, जैसे – कम दिखाई देना, सुनने में कष्ट होना, दाँत झड़ना और चलने-फिरने में कठिनाई होना आदि.
- यह एक केन्द्रीय योजना है जिसके लिए केंद्र ही शत-प्रतिशत राशि मुहैया करता है. इसमें होने वाला खर्च “वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष / Senior Citizens’ Welfare Fund“ से किया जाता है.
- इस योजना के अन्दर सहायक उपकरण वितरित किये जाते हैं.
- यदि किसी वयोवृद्ध को कोई शारीरिक कष्ट एक साथ हैं तो भी उन्हें प्रत्येक विकलांगता के लिए अलग-अलग उपकरण निःशुल्क दिए जाते हैं.
- इस योजना का लाभ किन्हें मिलेगा इसका निर्धारण राज्य/केंद्र-शासित प्रदेश अलग-अलग जिलों में जिला उपायुक्त/ समाहर्ता की अध्यक्षता में गठित समिति के माध्यम से करते हैं.
- यह यथासंभव चेष्टा की जाति है की लाभार्थियों में से 30% महिलाएँ हों.
पृष्ठभूमि
2011 की जनगणना के आँकड़ों के अनुसार भारत में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या 10.38 करोड़ है. इनमें 70% से अधिक गाँवों में रहते हैं. 5.2% वयोवृद्ध को बुढ़ापे से जुड़ी कोई-न-कोई असमर्थता होती है. अनुमान लगाया गया है की 2026 तक वयोवृद्धों के संख्या बढ़कर 173 मिलियन हो जायेगी.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Dispute Settlement Body (DSB)
संदर्भ
विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) के विवाद निपटारा निकाय (Dispute Settlement Body) ने एक पैनल का गठन किया है. यह पैनल अमेरिका की एक शिकायत की जाँच करेगा. यह शिकायत भारत द्वारा लागू निर्यात-सब्सिडी से सम्बन्धित उपायों के विरुद्ध है. विदित हो कि आपसी परमर्श से इस समस्या के समाधान का प्रयास किया गया था पर यह प्रयास असफल रहा था.
समस्या क्या है?
मार्च में अमेरिका ने भारत के विरुद्ध विश्व व्यापार संगठन के विवाद निपटारा निकाय के पास शिकायत की थी. उसका कहना था कि भारत Merchandise Exports from India Scheme (MEIS) जैसे कार्यक्रमों के तहत निर्यात के लिए जो subsidy दे रहा है, उससे अमेरिकी कम्पनियों को क्षति पहुँच रही है.
विवाद निपटारा निकाय (Dispute Settlement Body)
- विश्व व्यापार संगठन का विवाद निपटारा निकाय उस संगठन के सदस्यों के बीच होने वाले विवादों का निष्पादन करता है.
- यह निकाय विवाद सुलझाने के लिए पैनल गठित करने की शक्ति रखता है. यह चाहे तो मामले को पंचाट के पास भेज सकता है. यह निकाय पंचाट के प्रतिवेदन में वर्णित अनुशंसाओं और आदेशों के कार्यान्वयन की निगरानी करता है तथा उन अनुशंसाओं और आदेशों का अनुपालन नहीं होने पर वह छूट (concessions) को बंद कर सकता है.
MEIS क्या है?
MEIS भारत की विदेश व्यापार नीति/Foreign Trade Policy of India (FTP 2015-20) के अंतर्गत आरम्भ की गई दो योजनाओं में से एक योजना है. इसका उद्देश्य निर्याकों को सब्सिडी देना है. यह सब्सिडी अवसंरचना से सम्बन्धित कमियों और सम्बद्ध लागतों के प्रभाव को दूर करने के लिए दी जाती है. यह सब्सिडी उन वस्तुओं और उत्पादों के निर्यात के लिए दी जाती है जिनका उत्पादन अथवा निर्माण भारत में हुआ हो. यह सब्सिडी उन निर्यातकों को विशेषकर रूप से दी जाती है जिनकी निर्यात की मात्रा बहुत अधिक होती है और जिनमें रोजगार की प्रचुर संभावना होती है. इस प्रकार यह सब्सिडी भारत के निर्यात को प्रतिस्पर्धात्मक के लिए दी जाती है.
Prelims Vishesh
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