Sansar Daily Current Affairs, 29 September 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Sabarimala temple opens to women of all ages
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक शताब्दियों पुरानी प्रथा को समाप्त करते हुए केरल के सबरीमाला में स्थित भगवान् अय्यप्पा के मंदिर में एक विशेष उम्र-वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है.
ज्ञातव्य है कि केरल के सबरीमाला मंदिर में स्त्रियों का प्रवेश वर्जित है. स्त्रियों के साथ यह भेदभाव उनके शारीरिक कारणों पर आधारित है क्योंकि 10 से 50 वर्ष आयु-वर्ग की महिलाओं को मासिक धर्म से गुजरना पड़ता है.
न्यायालय का मन्तव्य
- न्यायालय का कहना था कि एक ओर हम लोग देवियों की पूजा करते हैं तो दूसरी ओर आयु विशेष की महिलाओं को अशुद्ध माना जाता है. यह दोहरा दृष्टिकोण और कुछ नहीं अपितु पितृसत्तात्मक व्यवहार को दर्शाता है.
- अतः जैविक एवं शारीरिक आधारों पर महिलाओं को मंदिर से रोकना असंवैधानिक है और समानता के अधिकार एवं स्त्री गरिमा के विरुद्ध है.
- इसलिए केरल हिन्दू पूजा स्थल (प्रवेश की अनुमति) अधिनियम, 1965 का नियम 3(b) संविधान का प्रतिकूल है. यह अधिनियम हिन्दू स्त्री को अपने मन के पूजा-स्थल पर पूजा करने के मूल अधिकार का हनन करता है. पूजा करने का अधिकार पुरुष और नारी दोनों को समान रूप से है.
निर्णय का महत्त्व
- सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से सिद्ध होता है कि धर्म के भी मामले में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सिद्धांत सर्वोपरि होता है. भगवान् अय्यप्पा के भक्तगण कोई अलग धर्म के अवलंबी नहीं होते हैं और स्त्रियों को प्रवेश से रोकना हिन्दू धर्म का मूल अंग नहीं है.
- न्यायालय ने अपने आदेश के माध्यम से स्त्रियों के मासिक धर्म होने पर उन्हें अशुद्ध मानने की मध्ययुगीन परम्परा को नकार दिया है.
- न्यायालय का निर्णय यह भी दर्शाता है कि मूल अधिकारों को केंद्र बिंदु बनाकर संविधान के माध्यम से बदलाव किये जा सकते हैं.
निर्णय का मूलतत्त्व
भक्ति को स्त्री-पुरुष में नहीं बाँटा जा सकता. संविधान में अशुद्धि से सम्बंधित पारम्परिक विचारों से जुड़े लांछन का कोई स्थान नहीं है तथा अशुद्धि को आधार बनाकर किसी के साथ भेदभाव करना एक प्रकार की अस्पृश्यता है. विदित हो कि संविधान के अनुच्छेद 17 के द्वारा अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया गया है. यह अनुच्छेद 14, 15 और 21 की भावना के भी प्रतिकूल है. यह अनुच्छेद 25 (1) में वर्णित उपासना के अधिकार का भी उल्लंघन है. सर्वोच्च न्यायालय का यह भी कहना है कि स्त्रियों को मंदिर जाने से रोकना समानता के अधिकार और लैंगिक न्याय के विरुद्ध है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Model Code of Conduct
संदर्भ
हाल ही में निर्वाचन आयोग ने घोषणा की है कि जिन राज्यों की विधान सभाओं को समय से पहले भंग किया जाता है उनपर भी आदर्श आचार संहिता (Model code of conduct) तुरंत लागू हो जाता है.
आयोग का कहना है कि विधान सभा भंग होने के बाद कार्यकारी सरकार और साथ ही केंद्र सरकार राज्य में विधान सभा के भंग होने से लेकर नई विधान सभा गठित होने तक कोई नई योजना की घोषणा नहीं कर सकती.
आदर्श आचार संहिता
आदर्श आचार संहिता (MCC) उन मार्गनिर्देशों को कहते हैं जिन्हें भारतीय चुनाव आयोग द्वारा चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों पर लागू किये जाते हैं. ये मार्गनिर्देश मुख्यतः इन विषयों से सम्बन्धित होते हैं – भाषण, निर्वाचन दिवस, निर्वाचन बूथ, चुनाव घोषणापत्र, जुलूस तथा सामान्य-आचरण.
लक्ष्य : इन मार्गनिर्देशों का उद्देश्य स्वतंत्र एवं न्यायपूर्ण चुनाव कराना है.
कब लागू होती है? अभी तक आदर्श आचार संहिता आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के तुरंत पश्चात् लागू हो जाती है और जब तक चुनावी प्रक्रिया चलती रहती है यह प्रभावी रहती है.
संहिता की वैधानिक स्थिति : आदर्श आचार संहिता का कोई वैधानिक आधार नहीं है. यह चुनावों से जुड़ी हुई नैतिकता के नियम हैं जिनपर मात्र पालन करने का दबाव होता है. परन्तु वैधानिक स्वीकृति नहीं होते हुए भी आयोग इस संहिता को लागू करने से नहीं रुकता.
इतिहास : भारतीय चुनाव आयोग ने सबसे पहले 1971 के पाँचवे चुनाव के समय आदर्श आचार संहिता निर्गत की थी और वह उसे समय-समय पर संशोधित करता रहता है. संहिता राजनैतिक दलों की सहमति से बनी थी और उन दलों ने यह वचन दिया था कि वे इसमें वर्णित सिद्धांतों का पालन करेंगे और इसे अक्षरशः मान्यता देंगे.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Appointment of Lokpal
संदर्भ
हाल ही में भारत सरकार ने लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों के लिए नाम सुझाने हेतु एक आठ सदस्यों वाली समिति का गठन किया है जिसके प्रमुख सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश रंजन प्रकाश देसाई होंगे. ज्ञातव्य है कि लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 में लोकपाल के पदों पर चयन के लिए मार्गनिर्देश दिए गये हैं.
लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के मुख्य तत्त्व
- यह अधिनियम केंद्र में लोकपाल और राज्य में लोक्यायुक्त के गठन का प्रावधान करता है जिसका मूल उद्देश्य भ्रष्टाचार का निवारण है.
- लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य होंगे.
- लोकपाल भ्रष्टाचार के जिन मामलों को देखेगा उसके अन्दर सरकारी प्रधानमन्त्री समेत केंद्र सरकार के सभी सरकारी सेवकों से सम्बंधित होंगे. परन्तु सेना लोकपाल के दायरे में नहीं आयेंगे.
- अधिनियम के अनुसार लोकपाल को यह अधिकार है कि वह भ्रष्ट तरीकों से अर्जित सम्पत्ति को जब्त कर सकता है चाहे सम्बंधित मुकदमा अभी चल ही क्यों नहीं रहा हो.
- अधिनियम के अनुसार इस अधिनियम के प्रभावी होने के एक वर्ष के अन्दर सभी राज्यों को अपना-अपना लोकायुक्त गठित कर लेना होगा.
- लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 में यह सुनिश्चित किया गया है कि जो सरकारी सेवक भ्रष्टाचार की किसी मामले के बारे में पहली सूचना देंगे, उनको सुरक्षा प्रदान की जायेगी.
लोकपाल की शक्तियाँ
- लोकपाल CBI समेत किसी भी छानबीन एजेंसी को कोई मामला जाँच के लिए भेज सकता है और उसका पर्यवेक्षण और निगरानी कर सकता है.
- यदि किसी सरकारी सेवक के विरुद्ध प्रथम दृष्टया मामला बनता है तो लोकपाल छानबीन एजेंसी द्वारा पड़ताल आरम्भ होने के पहले भी उस सेवक को बुला सकता है और पूछताछ कर सकता है.
- यदि लोकपाल ने कोई मामला CBI को जाँच-पड़ताल के लिए दिया है तो उस CBI अधिकारी को बिना लोकपाल की अनुमति के बिना स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है.
- जाँच एजेंसी को जाँच का काम छह महीने में पूरा करना होगा. परन्तु लोकपाल सही और लिखित कारण होने पर छह महीने का विस्तार दे सकता है.
- लोकपाल के द्वारा भेजे गए मामलों पर सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय बनाए जायेंगे.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : #LooReview Campaign
संदर्भ
आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय स्वस्थ भारत मिशन के तहत एक शौचालय समीक्षा अभियान का अनावरण करने जा रहा है जिसमें गूगल की भागीदारी होगी.
शौचालय समीक्षा अभियान क्या है?
- इसका उद्देश्य भारत के स्थानीय गाइडों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना है कि वे गूगल मैप पर सार्वजनिक शौचालयों की समीक्षा करें और उनको रेटिंग दें.
- स्थानीय गाइड से अभिप्राय उन लोगों से है जो गूगल मैप पर समीक्षा, छायाचित्र और जानकारी साझा करते हैं.
- इस अभियान के तहत सभी नागरिकों को गूगल मैप, गूगल सर्च और गूगल असिस्टेंट पर अपने शहरों में स्थित सार्वजनिक शौचालयों का स्थान पता लगाने को कहा जाएगा और वे उनके विषय में फीडबैक भी देंगे.
महत्त्व
शौचालय समीक्षा अभियान 2018 में अक्टूबर से लेकर नवम्बर तक चेलगा. इसका लक्ष्य है भारत-भर में सार्वजनिक शौचालयों के विषय में जानकारी बढ़ाना और उनके स्थान का पता लगाने में सुविधा प्रदान करना है. विदित हो कि गूगल मैप में वर्तमान में भारत के 500 से अधिक शहरों के 30,000 से अधिक शौचालयों की जानकारी “SBM Toilet” के नाम से उपलब्ध है.
इस अभियान के पीछे यह सच्चाई है कि सार्वजनिक स्थानों में साफ़-सुथरे शौचालय को ढूँढने में लोगों, विशेषकर महिलाओं और वृद्धों को, कष्ट होता है. इस अभियान का एक लक्ष्य खुले में शौच से मुक्ति (Open Defecation Free – ODF) का उद्देश्य प्राप्त करना है.
शौचालय समीक्षा अभियान में स्थानीय गाइडों द्वारा दिए गये फीडबैक का एक प्रभाव यह होगा कि शहरी स्थानीय निकाय अपने अपने क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए अपनी ओर से कदम उठाएँगे.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : UN Sustainable Development Framework (UNSDF)
संदर्भ
नीति आयोग एवं संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक नीतिगत रुपरेखा पर हस्ताक्षर किये हैं जिसका नाम है संयुक्त राष्ट्र टिकाऊ विकास रुपरेखा (UN Sustainable Development Framework – UNSDF) 2018-2022.
UNSDF क्या है?
- UNSDF 2018-2022 में भारत सरकार और भारत में स्थित संयुक्त राष्ट्र देशीय दल (United Nations Country Team – UNCT) के बीच में विकास से सम्बंधित सहयोग की रणनीति की रुपरेखा का वर्णन किया गया है जिसका उद्देश्य भारत को अपने मुख्य राष्ट्रीय विकास की योजनाओं को और टिकाऊ विकास के लक्ष्यों (Sustainable Development Goals – SDGs).को पाने में समर्थ बनाना है.
- इस रूप रेखा को तैयार करने के पहले सरकार की विभिन्न इकाइयों, सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों, शिक्षा जगत के लोगों और निजी प्रक्षेत्र के साथ व्यापक परामर्श किया गया था.
- इस रूपरेखा में जिन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है, वे हैं – शहरीकरण और दरिद्रता, स्वास्थ्य, जल एवं स्वच्छता, शिक्षा, जलवायु परिवर्तन, पोषण एवं खाद्य सुरक्षा, साफ़ सुथरी ऊर्जा, आपदा से लड़ने की शक्ति, कौशल विकास, उद्यमिता, रोजगार सृजन, लैंगिक समानता और युवा विकास.
- UNSDF के द्वारा सुझाए गए कार्यक्रम इन विषयों से सम्बंधित हैं – ग़रीबों के लिए सस्ता आवास, गाँवों में साफ़-सुथरी ऊर्जा, बच्चों को टीकाकरण से रोके जाने वाले रोगों से बचाना, सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा देना, युवा लोगों विशेषकर युवा लड़कियों का कौशल वर्धन, शारीरिक विकास को अवरुद्ध होने से बचाना तथा बाल-लिंग अनुपात (child sex ratio) में सुधार लाना.
UNSDF को लागू करने के लिए जो बजट रखा गया है वह लगभग 11,000 करोड़ रु. का है जिसमें 47% भाग सरकार और निजी प्रक्षेत्र आदि कई स्रोतों से जुटाया जाएगा. इस रुपरेखा के अनुसार जिन कम आय वाले सात राज्यों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, वे हैं – बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश. इनके अतिरिक्त पूर्वोत्तर क्षेत्र और नीति आयोग के द्वारा चुने गए आकांक्षी जिलों (aspirational districts) पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा. इस रुपरेखा में वर्णित कार्यक्रमों के कार्यान्वयन से वंचित, गरीब और कमजोर समुदायों, विशेषकर महिलाओं और बच्चियों का जीवन सुधारने में सहायता मिलेगी.
Prelims Vishesh
Fighting fake drugs through blockchain :-
- नीति आयोग ने हाल ही में क्लाउड सर्विस देने वाली संस्था ओरेकल तथा अपोलो हॉस्पिटल एवं दवा निर्माता Strides Pharma Sciences के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं जिसका उद्देश्य ब्लॉकचैन जैसी नई तकनीकों का उपयोग कर नकली दवाओं के वितरण की रोकथाम करना है.
- ज्ञातव्य है कि भारत का दवा उद्योग विश्व का तीसरा बड़ा उद्योग है जो संसार की कुल 10% दवा बनाता है.
- परन्तु विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक नए रिपोर्ट के अनुसार भारत में बिकने वाली 20% दवाएँ नकली होती हैं.
- यह भी कहा जाता है कि विश्व-भर में बिकने वाली नकली दवाओं का 35% भारत से ही आता है.
Parakram Parv :-
भारतीय सेनाओं द्वारा पाकिस्तान के विरुद्ध 2016 में किये गए सर्जिकल स्ट्राइक के दो वर्ष पूरे होने पर 28-30 सितम्बर तक पराक्रम पर्व मनाया गया जिसमें सेनाओं के साहस, वीरता और बलिदान को याद किया गया है.
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