Sansar Daily Current Affairs, 29 September 2020
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation. Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.
Topic : Uniform Code of Pharmaceutical Marketing Practices
संदर्भ
हाल ही में, एक प्रश्न के उत्तर में संसद में रसायन और उर्वरक मंत्री सदानदा गौड़ा द्वारा कहा गया कि, समान औषध विपणन पद्धति सहिंता (Uniform Code of Pharmaceutical Marketing Practices– UCPMP) को अनिवार्य बनाने हेतु कोई निर्णय नहीं लिए गया है. इस पर ‘एलायंस ऑफ डॉक्टर्स फॉर एथिकल हेल्थ केयर’ ने निराशा व्यक्त की है.
संबंधित मांग
एलायंस ऑफ डॉक्टर्स फॉर एथिकल हेल्थ केयर’ का कहना है कि, चूंकि फ़ार्मा उद्योग, स्वैच्छिक रूप से संहिता का पालन करने में विफल रहा है, अतः दवाओं के विपणन में निष्पक्षता लाने हेतु UCPMP को अनिवार्य किया जाना चाहिए.
UCPMP संहिता (UCPMP CODE) क्या है?
यह एक स्वैच्छिक संहिता है जो फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने निर्गत किया है. यह संहिता भारत की औषधि कम्पनियों के साथ-साथ चिकित्सा उपकरणों को बनाने वाले उद्योग के द्वारा अपनाई गईं विपणन प्रथाओं से सम्बंधित है. यह संहिता वर्तमान में इन पर लागू है – दवा कम्पनियाँ, चिकित्सा प्रतिनिधि, वितरक, थोक विक्रेता, खुदरा विक्रेता आदि औषधि कम्पनियों के एजेंट तथा औषधि निर्माता संघ.
UCPMP संहिता के मुख्य तत्त्व और प्रावधान
- कोई दवा कम्पनी अथवा उसका एजेंट दवा लिखने या आपूर्ति करने के लिए योग्यता प्राप्त व्यक्तियों को किसी भी प्रकार का उपहार, पैसे का लाभ अथवा अन्य प्रकार के लाभ मुहैया नहीं करेगा.
- जहाँ तक यात्रा सुविधा का प्रश्न है, UCPMP संहिता मना करती है कि देश के अन्दर या बाहर स्वास्थ्य कर्म से जुड़े पेशेवरों और उनके परिजनों को छुट्टी पर या किसी सम्मेलन, सेमिनार, कार्यशाला, CME कार्यक्रम आदि डेलिगेट के रूप में जाने के लिए रेल, विमान, जलयान, क्रूज के टिकट अथवा छुट्टी के लिए अन्य भुगतान नहीं किया जाए. यह संहिता यह भी मना करती है कि किसी ऐसे व्यक्ति को दवाओं के निःशुल्क नमूने नहीं दिए जाएँ जो इन दवाओं को रोगियों के लिए लिखने हेतु योग्यता नहीं रखते हैं. कहने का आशय यह है कि दवाओं के नि:शुल्क नमूने केवल उन्हीं व्यक्तियों को मुहैया किये जाएँ जो ऐसे उत्पाद को देने के लिए योग्यता रखते हैं.
- संहिता में कुछ ऐसी शर्तें भी वर्णित हैं जिनका पालन ऐसे नमूने देते समय अवश्य करना चाहिए.
- इस संहिता में यह प्रावधान किया गया है कि जब किसी चिकित्साकर्मी/HCPs को एफ्लीएट के रूप में नियुक्त किया जाए तो एक लिखित संविदा होनी चाहिए जिसमें यह बताया गया हो कि यह नियुक्ति आवश्यक क्यों थी और एफ्लीएट के चयन का मानदंड आवश्यकतानुसार हुआ है अथवा नहीं.
- UCPMP संहिता में यह भी लिखा हुआ है कि एफ्लीएट के रूप में रखे गये व्यक्तियों की संख्या आवश्यकता से अधिक नहीं हो और उनको दिया गया मुआवजा बेतुका नहीं हो और वह दी जा रही सेवा के न्यायोचित बाजार मूल्य को दर्शाता हो.
समय की माँग
चिकित्सा क्षेत्र में काम कर रहे विशेषज्ञों की यह पुरानी माँग है कि अनैतिक विपणन और प्रोत्साहन को देखते हुए फार्मास्यूटिकल्स विभाग को चाहिए कि वह एक ऐसा तंत्र तत्काल लागू करे जिसके अंतर्गत डॉक्टरों और पेशेवर निकायों (तृतीय पक्ष समेत) को होने वाले भुगतान को सम्बंधित कम्पनी अवश्य प्रकट करे. यह प्रकटन निश्चित अंतराल पर हो और इसे सार्वजनिक डोमेन पर डाला जाए. इसमें व्यय की गई राशि, भुगतान प्राप्त करने वाले व्यक्ति अथवा प्रतिष्ठान का नाम आदि, भुगतान का कारण तथा प्रदान की गई सेवाओं का विवरण हो.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : National Medical Commission
संदर्भ
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) का गठन किया. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) अधिनियम, 2019 के अंतर्गत गठित राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, देश के चिकित्सा शिक्षा विनियामक के रूप में भारतीय चिकित्सा परिषद (Medical Council of India – MCI) को प्रतिस्थापित करेगा.
भारतीय चिकित्सा परिषद से संबंधित मुद्दे
स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों का खराब विनियमन, जवाबदेही की कमी, कथित भ्रष्टाचार आदि.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का स्वरूप
- इस आयोग में 25 सदस्य होंगे जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार एक समिति के सुझाव पर करेगी.
- उन सदस्यों में से एक अध्यक्ष होगा जो अवश्य रूप से एक वरिष्ठ चिकित्साकर्मी और न्यूनतम 20 वर्षों की अनुभव वाला शिक्षाविद होगा.
- आयोग में 10 पदेन सदस्य होंगे. कुछ पदेन सदस्य स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा बोर्डों के अध्यक्षों से चुने जाएँगे. साथ ही भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् के महानिदेशालय और AIMS का एक निदेशक भी इस आयोग का सदस्य होगा.
- अंशकालिक सदस्यों का चयन प्रबंधन विधि, चिकित्सकीय नीतिशास्त्र इत्यादि के विशेषज्ञों में से होगा. कुछ अंशकालिक सदस्य राज्यों और संघीय क्षेत्रों द्वारा नामित होंगे.
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के कार्य
यह आयोग इन कार्यों के लिए नीतियाँ बनाएगा –
- चिकित्सा संस्थानों और चिकित्सा पेशेवरों का विनियमन, स्वास्थ्य की देखभाल से सम्बद्ध मानव संसाधनों और अवसंरचनाओं से सम्बंधित आवश्यकताओं का आकलन और अधिनियम के अंतर्गत बनाई गई नियमावली का राज्य चिकित्सा परिषदों द्वारा अनुपालन करवाना.
- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक द्वारा विनियमित होने वाले निजी चिकित्सा संस्थानों एवं मानित विश्वविद्यालयों की 50% तक सीटों के लिए शुल्क का निर्धारण भी करेगा.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation. Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.
Topic : Ayushman Bharat
संदर्भ
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) पर लक्षित आयुष्मान भारत (AB) योजना के दो वर्ष पूर्ण हुए. सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 द्वारा अनुशंसित “आयुष्मान भारत” योजना को वर्ष 2018 में आरंभ किया गया था.
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) से तात्पर्य यह सुनिश्चित करना है कि वित्तीय कठिनाई का सामना किए बिना पर्याप्त गुणवत्तापूर्ण हो का आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं (रोकथाम, उत्थान, उपचार, स्वास्थ्य लाभ और उपशमन सहित) तक सभी लोगों की पहुंच हो.
आयुष्मान भारत में दो अंतर-संबंधित घटक शामिल हैं यथा:
- स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (HWCs): रोगों की रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन के लिए मौजूदा उप केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को परिवर्तित करके 1,50,000 स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों का निर्माण करना.
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY): यह सार्वजनिक व सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में माध्यमिक एवं तृतीयक स्वास्थ्य उपचार के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर प्रदान करती है.
- योजना के लाभ पूरे देश में पोर्टेबल हैं अर्थात् इस योजना का लाभ पूरे देश में कहीं भी लिया जा सकता है.
- योजना के अंतर्गत परिवार के आकार पर कोई सीमा आरोपित नहीं की गई है.
लाभार्थी को लाभ मिलना भी चुनौती होगी
- लाभार्थी को इस योजना का लाभ मिले यह एक बड़ी चुनौती है. इस योजना के संबंध तमाम फेक वेबसाइट सक्रिय हैं जो आम लोगों में भ्रम पैदा कर रही हैं. कुछ वेबसाइट के नाम हैं net, ayushmanbharat.co.in, pradhanmantriyojna.in आदि.
- ये सभी वेबसाइट्स गलत सूचनाएँ दे रही हैं. इनके द्वारा बताया जा रहा है कि यह नामांकन आधारित योजना है. इसके लिये जनता से रुपए लेकर नामांकन का दावा किया जा रहा है. जबकि यह नामांकन आधारित योजना नहीं है. सबसे पहले जनता को इस संबंध में जागरूक करने की आवश्यकता है कि यह सामाजिक, आर्थिक, जातिगत जनगणना पर आधारित 10 करोड़ परिवारों की सूची तैयार की गई है जिसका सत्यापन सरकार द्वारा कर लिया गया है और उन्हें कार्ड देने की प्रक्रिया जारी है और ये लाभार्थी इन्हीं परिवारों के सदस्य हैं.
- इन फेक वेबसाइट्स पर लगाम लगाना भी एक चुनौती है. हालाँकि गृह मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखा है कि इन तमाम वेबसाइट्स को ट्रैक कर उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए.
निष्कर्ष
- यह मुहिम सिर्फ भारत सरकार या राज्य सरकारों की नहीं है. यह उनके लिये है जिनको इसकी ज़रुरत है. इसमें सबसे बड़ी भूमिका आम नागरिक के साथ साथ सभी अस्पतालों, डाक्टरों, नर्सों तथा पैरा मेडिकल स्टाफ की भी है जिनके सहयोग से गरीब जनता को उसका हक़ मिल पाएगा.
- देश में सार्वजनिक चिकित्सा सुविधाओं को बहुत अच्छा नहीं माना जाता और इनमें उत्तरदायित्व की कमी जैसे कई नकारात्मक पहलू उजागर होते हैं. साथ ही, सभी देशवासियों की पहुँच अच्छे हॉस्पिटलों तक होना अब भी सपना जैसा है.
- स्पष्ट रूप से जहाँ इस कार्यक्रम के अंतर्गत बहुत से लक्ष्यों को प्राप्त करने की रणनीति बनाई जा रही है वहीं, कई पक्ष ऐसे भी हैं जिनके विषय में और अधिक ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है.
- सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का दबाव अधिक है. ऐसे में निजी अस्पतालों को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना होगा. सरकार को स्वास्थ्य क्षेत्र के बजट को बढ़ाकर स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढाँचे पर काम करने की आवश्यकता है. लाभार्थियों को इस योजना का लाभ तभी मिल सकता है जब प्राथमिक उपचार केंद्र मज़बूत हों और सरकार सभी पक्षों की भागीदारी सुनिश्चित करे.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Defence Technology
Topic : Defence India Startup Challenge, DISC-4
संदर्भ
हाल ही में भारत सरकार के केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के अंतर्गत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एक स्टार्टअप चैलेंज ‘डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज‘ (डिस्क-4) शुरू किया है.
कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्रालय ने आईडीईएक्स4फौजी पहल (iDEX4Fauji initiative ) और उत्पाद प्रबंधन दृष्टिकोण (Product Management Approach – PMA) हेतु दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं.
डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज’ (डिस्क-4) क्या है?
- इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीईएक्स) इकोसिस्टम के विस्तारीकरण के उद्देश्य हेतु रक्षा मंत्रालय द्वारा ‘डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज’ (डिस्क-4) शुरू किया गया है.
- ‘डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज’ (Defence India Startup Challenge, DISC -4) के अंतर्गत रक्षा क्षेत्र के उत्कृष्ट शोधों के लिए वातावरण तैयार होगा.
- इससे इस रक्षा कार्यक्रम की गुणात्मकता और गुणवत्ता दोनों ही बढ़ने की पूरी उम्मीद है.
- डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज (डिस्क-4 ) के अंतर्गत, सशस्त्र बलों, ओएफबी और डीपीएसयू की ग्यारह चुनौतियों को संभावित स्टार्टअप्स, इनोवेटर्स, एमएसएमई के लिए समान रूप से खोल दिया गया, ताकि वे प्रौद्योगिकियों पर अपने अभिनव विचार प्रदान कर सकें .
चुनौतियाँ इस प्रकार हैं
- स्वतंत्र अंतर्जलीय समूह ड्रोन
- भविष्यसूचक, निवारक और निर्देशात्मक मशीन निगरानी
- सुपर रिजोल्यूसन फार इम्प्रूविंग स्पेसियल रिजोल्यूसन(Super Resolution for Improving Spatial Resolution)
- एआई आधारित सैटेलाइट इमेज एनालिसिस
- वायुमंडलीय दृश्यता की भविष्यवाणी और पूर्वानुमान
- वर्चुअल प्रशिक्षण के लिए कंप्यूटर में तैयार लक्ष्य
- विमान में चालक दल के सदस्यों की रिमोट रियल टाइम विमान के भीतर स्वास्थ्य निगरानी
- एमएफ-टीडीएमए वाइडबैंड सेटकॉम मॉडेम
- फोलिएज पेनिट्रेसन रडार (Foliage Penetration Radar)
- नौसैनिक युद्धपोतों के आरसीएस में कमी
- चाफ वातावरण में लक्ष्य का पता लगाना(Target Detection in Chaff Environment)
क्या है आईडीईएक्स4फौजी पहल (iDEX4Fauji initiative)?
- आईडीईएक्स4फौजी (iDEX4Fauji ) अपनी तरह की पहली पहल है, जो भारतीय सशस्त्र बलों के सदस्यों द्वारा पहचाने गए नवाचारों को सहयोग देने के लिए शुरू की गई है.
- मैदान में और सीमाओं पर 13 लाख से अधिक सेवा कर्मी काम कर रहे हैं, अत्यन्त कठिन परिस्थितियों का निर्वाह कर रहे हैं और उपकरणों को संभाल रहे हैं. इस तरह के उपकरणों को बेहतर बनाने के लिए उनके पास अनेक विचार और नवीन अविष्कार हो सकते हैं. इस तरह के नवीन अविष्कारों को सहयोग करने हेतु पहले कोई तंत्र नहीं था, किन्तु अब ‘आईडीईएक्स4फौजी’ पहल इन अविष्कारों को आगे बढ़ाएगी .
इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडीईएक्स) क्या है?
- रक्षा उत्पादन विभाग की आईडीईएक्स पहल को अप्रैल, 2018 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय रक्षा क्षेत्र में नवाचारों को प्रोत्साहित करने और विकसित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था.
- इसके अंतर्गत एक इकोसिस्टम का निर्माण किया गया था जहाँ स्टार्टअप, एमएसएमई और व्यक्तिगत नवाचारकर्ता भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों के साथ आसानी से बातचीत कर सकते हैं और नवीन समाधानों के सह-विकास और सह-उत्पादन के माध्यम से परिचालन वातावरण में अनुभव की गई विशिष्ट चुनौतियों के लिए नवीनतम तकनीकी नवाचार प्रदान करते हैं.
रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भूमिका
- हमारी रक्षा प्रणाली को और मजबूत बनाने और इसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है.
- इसके लिए भारत सरकार ने कुछ कदम भी उठाए हैं, जैसे -निजी क्षेत्र के साथ भागीदारी, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, स्वचालित मार्ग के माध्यम से 74% एफडीआई और हाल ही में अनुबंधित अवधि के बाद आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए जारी की गई 101 वस्तुओं की नकारात्मक सूची शामिल है.
- भारत सरकार ने हाल ही में रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020 शुरू की है, जो निजी क्षेत्र को रक्षा क्षेत्र में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती है.
GS Paper 3 Source : PIB
UPSC Syllabus : Infrastructure- energy related issues.
Topic : SAUBHAGYA Yojana
संदर्भ
प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना – ‘सौभाग्य” योजना के तीन वर्ष पूर्ण हो चुके हैं.
विदित हो कि योजना का लक्ष्य 31 मार्च 2019 तक देश में सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण प्राप्त करना था. ग्रामीण क्षेत्रों में सभी घरों (निर्घनता रेखा से ऊपर (APL) और निर्घन परिवारों दोनों को) तथा शहरी क्षेत्रों में निर्धन परिवारों को नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन प्रदान किया जाएगा.
मुख्य बिंदु
- विद्युत कनेक्शन प्रदान करने के लिए कोई अग्रिम शुल्क नहीं लिया जाएगा.
- एलईडी बल्ब, मोबाइल चार्जिंग पॉइंट और स्विच आदि के साथ सिंगल पॉइंट वायरिंग भी प्रदान की जाएगी और इसके लिए विद्युत वितरण कंपनी (DISCOM) द्वारा कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा.
- योजना का कार्यान्वयन विद्युत मंत्रालय द्वारा किया जाएगा.
- योजना के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण निगम को नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है.
- लाभार्थी परिवारों की पहचान सामाजिक, आर्थिक एवं जातिगत जनगणना – 2011 (SECC 2011) के आंकड़ों का उपयोग करके की जाएगी. हालांकि, SECC डेटा के अंतर्गत कवर नहीं किए गए गैर-विद्युतीकृत घरों को भी 500 रुपये के भुगतान पर विद्युत कनेक्शन प्रदान किया जाएगा. लाभार्थियों की पहचान बिजली कनेक्शन के लिये प्रस्तुत उनके आवेदन में लगी तस्वीर और पहचान प्रमाण के माध्यम से की जाएगी.
लाभ
मिट्टी के तेल (केरोसिन) का प्रतिस्थापन, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, संचार में सुधार, लोक सुरक्षा में सुधार, रोजगार के अवसरों में वृद्धि, विशेषकर महिलाओं के लिए दैनिक कार्यों में जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करना आदि.
इस योजना के उद्देश्य
- देश के सभी घरों तक को बिजली की पहुँच सुनिश्चित करना.
- गरीबों से बिजली कनेक्शन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा तथा 16,000 करोड़ रूपये की लागत से बिजली पहुंचाई जाएगी.
- जहां बिजली पहुंचाना संभव नहीं होगा वहां हर घर को सोलर पैक दिया जायेगा, जिसमें 5 एलईडी बल्ब,तथा 1 पंखा शामिल होगा.
- इस योजना के अंतर्गत निजी क्षेत्र द्वारा 41 करोड़ एलईडी बल्ब बांटे तथा 33,700 स्ट्रीट लाइट्स लगाई गयी है.
- इस योजना के अंतर्गत प्रदान किये गये उपकरणों की देखरेख 5 वर्षों तक सरकार अपने खर्च पर करेगी.
संभावित लाभ
- यह केरोसिन का प्रतिस्थापन होगा केरोसिन पर सरकार द्वारा व्यय की जा रही सब्सिडी की बचत होगी साथ ही केरोसिन से होने वाले प्रदूषण में भी कमी आएगी.
- बिजली की उपलब्धता से अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों का विस्तार होगा जिससे अर्थव्यवस्था में रोज़गार सृजन की संभावनाएँ बढ़ेंगी.
- जिन क्षेत्रों में प्रकाश की उचित व्यवस्था नहीं है वहां सूर्यास्त के बाद आर्थिक तथा शैक्षिक गतिविधियाँ शिथिल हो जाती हैं इस योजना के सफल कार्यान्वयन से ऐसी समस्याओं का समाधान होगा तथा लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा.
- विशेषकर महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार होगा.
- रेडियो, टेलीविजन,मोबाइल आदि के माध्यम से संवर्धित कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा.
Prelims Vishesh
India’s first Regional Rapid Transit System (RRTS) train :-
- RRTS राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में क्षेत्रीय स्थलों को जोड़ने वाली एक नई, समर्पित, उच्च गति वाली, उच्च क्षमतावान व आरामदायक नियमित यात्री सेवा है.
- RRTS पारंपरिक रेलवे से भिन्न है, क्योंकि यह उच्च गति पर विश्वसनीय, उच्च आवृत्ति युक्त एवं निर्दिष्ट स्थलों के मध्य क्षेत्रीय यात्रा को सम्पन्न कराएगी.
- इसका कार्यान्वयन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) द्वारा किया जा रहा है, जो आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत भारत सरकार तथा दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश की संयुक्त उपक्रम कंपनी है.
- आरंभ में यह ट्रेन-सेवा दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ गलियारे पर संचालित की जाएगी.
JIMEX-20 :-
- यह एक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है, जो भारतीय नौसेना और जापानी समुद्री आत्म-रक्षा बल (Japanese Maritime Self-Defence Force) के मध्य द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है. इस वर्ष इसे उत्तरी अरब सागर में आयोजित किया जाएगा.
- जिमेक्स को समुद्री सुरक्षा सहयोग पर विशेष ध्यान देने के लिए वर्ष 2012 में आरंभ किया गया था.
- भारत और जापान के मध्य अन्य सैन्य अभ्यास: धर्मा गार्जियन (DHARMA GUARDIAN) आदि हैं.
Prithvi – 2 Missile :-
- हाल ही में भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित परमाणु सक्षम सतह से सतह पर मार करने वाली पृथ्वी. मिसाइल का सफल परीक्षण किया है.
- PRITHVI II 500 किलोग्राम से 1,000 किलोग्राम वॉरहेड (युद्धक सामग्री) ले जाने में सक्षम है.
- पृथ्वी मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा समन्वित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (IGMDP) के अंतर्गत विकसित किया गया है.
- IGMDP के अंतर्गत विकसित अन्य मिसाइल प्रणालियां हैं: अग्नि, आकाश, त्रिशूल और नाग.
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