Sansar Daily Current Affairs, 30 August 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Project Navlekha
संदर्भ
गूगल ने नवलेख नामक एक परियोजना का आरम्भ किया है जिसके माध्यम से ऑनलाइन सामग्री का भारत में अधिक से अधिक लोग भारतीय भाषाओं में, विशेषकर स्थानीय भाषाओं में उपयोग कर सकें.
नवलेख परियोजना क्या है?
नवलेख एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है लिखने का एक नया ढंग.
गूगल कृत्रिम बुद्धि (artificial intelligence – AI) में विशेषज्ञता रखता है. वह नवलेख परियोजना में इस विशेषज्ञता का प्रयोग करते हुए भारतीय भाषा में लिखित किसी सामग्री को तुरंत एक सम्पाद्नीय पठन सामग्री के रूप में परिवर्तित कर देगा. इससे PDF से भारतीय भाषा में पठन सामग्री की प्रतिलिपि लेते समय सामान्यतः होने वाली अड़चनें दूर हो जायेंगी.
परियोजना के माध्यम से वेब होस्टिंग को सुचारू और सरल बनाकर 135 हजार स्थानीय भाषाओं के प्रकाशकों को ऑनलाइन मंच पर लाने की योजना है.
- इस परयोजना का लाभ यह होगा कि जिन स्थानीय प्रकाशकों के पास अपना वेबसाइट नहीं है वे एक मिनट के भीतर-भीतर ऑनलाइन प्रकाशन के योग्य ऑफलाइन सामग्री तैयार कर सकेंगे. नवलेख परियोजना में एक टूल होगा जो कृत्रिम बुद्धि का प्रयोग करते हुए प्रकाशकों को यह सुविधा देगा कि वे किसी अभिलेख अथवा PDF को scan मात्र कर के तुरंत ही वेबपेज बना सकें.
- इसमें स्थानीय भाषाओं के समाचारपत्रों एवं कंटेंट कंपनियों के लिए एक सुलभ ऑनलाइन प्रकाशन टूल भी होगा. विदित हो कि 90% कंटेंट कंपनियों के पास वेबसाइट नहीं होता है.
- नवलेख के अंतर्गत पंजीकृत प्रकाशकों को निःशुल्क वेब होस्टिंग तथा तीन वर्षों के लिए एक ब्रांडेड डोमेन दिया जाएगा. उन्हें अपनी पठन सामग्री से कमाई करने के लिए Adsense का लाभ भी मिलेगा.
- नवलेख परियोजना के तहत गूगल इन प्रकाशकों को प्रशिक्षण प्राप्त करने में सहायता करेगा.
परियोजना का महत्त्व
वर्तमान में भारतीय भाषाओं में लिखित ऑनलाइन सामग्रियों की मात्रा अंग्रेजी में उपलब्ध का केवल 1% है. भारत गूगल के लिए एक महत्त्वपूर्ण बाजार है क्योंकि विश्व में यहाँ इन्टरनेट उपभोक्ताओं की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या है. अतः इस नई परियोजना के कारण भारतीयों को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध संसाधन की मात्रा बढ़ जायेगी.
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Marriage certificate must for official work in Meghalaya
संदर्भ
मातृसत्तात्मक राज्य मेघालय की सरकार ने सभी विवाहित व्यक्तियों को हर प्रकार के सरकारी कार्य के लिए विवाह प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया है. सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि जिन लोगों ने अपने परिवार को त्याग दिया है और बच्चों की देख-रेख के लिए धन नहीं दे रहे हैं, उनको सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी. ज्ञातव्य है कि मेघालय में बहुत से व्यक्ति दूसरी स्त्रियों के साथ रहते हैं.
इसकी जरुरत क्यों पड़ी?
सरकार ने यह कदम यह ध्यान में रखकर उठाया है कि राज्य में विवाह टूटने के मामले में बढ़ते जा रहे हैं और पत्नियों को और बच्चों को निराश्रय छोड़ दिया जा रहा है. इससे स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है और किशोर अपराध की ओर बढ़ रहे हैं. इसके अतिरिक्त, खासी समुदाय में होने वाले अधिकांश विवाह पंजीकृत नहीं होते हैं जिसके कारण परित्यक्ता स्त्रियाँ अपने बच्चों की देख-रेख के लिए लड़ नहीं पाती हैं.
इस निर्णय का महत्त्व
सरकार के इस आदेश से तलाक तो बंद नहीं होंगे, किन्तु विवाह प्रमाण पत्र अनिवार्य हो जाने से उन परित्यक्ताओं को अधिकार की लड़ाई लड़ने में सहायता मिलेगी जिनका उनके पतियों ने परित्याग कर दिया है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Anti-lynching measures
संदर्भ
हाल ही में केन्द्रीय गृह सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाले पैनल ने “भीड़ द्वारा हत्या” की घटनाओं पर रोक लगाने के विषय में गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में गठित मंत्री-समूह को अपना रिपोर्ट दे दिया है.
पैनल की अनुशंसा
पैनल ने यह अनुशंसा की है कि फेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों को उन पोस्टों और विडियो को ब्लॉक करना होगा जिनके बारे में उन्हें यह सूचित किया जाएगा कि ये दुर्भावनापूर्ण हैं. पैनल ने यह भी अनुशंषा की है कि यदि सरकार के निर्देश का अनुपालन ये मंच नहीं करते हैं तो उनके देश प्रमुखों पर प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
पृष्ठभूमि
इस वर्ष मई से लेकर जून तक की अवधि में 20 से अधिक लोग इसलिए मार डाले गये क्योंकि उनके विरुद्ध सोशल मीडिया में नकली पोस्ट और अफवाहें फैलाई गई थीं. इस विषय में सर्वोच्च न्यायालय ने भी कुछ निर्देश निर्गत किये थे जिसका अनुपालन करते हुए गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों/केंद्र-शाषित क्षेत्रों को ऐसे मामलों की रोकथाम हेतु निर्देश निर्गत किये थे. केंद्र ने राज्यों को कहा था कि भीड़ द्वारा हत्या के मामलों के लिए वे प्रत्येक जिले में पुलिस अधीक्षक के स्तर के एक अधिकारी को नियुक्त करें, गुप्त सूचना जमा करने के लिए एक विशेष कार्यदल बनाएँ और सोशल मीडिया की सामग्रियों पर कड़ी नजर रखें जिससे कि कोई भीड़ इस आधार पर किसी की हत्या न कर सके कि उसपर बच्चा उठाने अथवा पशुओं की तस्करी करने का शक है.
समूह हत्या विरोधी कानून की आवश्यकता
वर्तमान में ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत समूह द्वारा हत्या को अपराध माना जाए. भारतीय दंड सहिया में गैरकानूनी जमावड़े, दंगे और हत्या के विषय में प्रावधान हैं लेकिन इसमें उस स्थिति की कल्पना नहीं है जिसमें लोग समूह बनाकर हत्या करते हैं.
आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code – CrPC) के अनुच्छेद 223 (a) में एक से अधिक लोगों द्वारा किये गये अपराध के मामलों में मुकदमा चलाने की प्रक्रिया का वर्णन अवश्य किया गया है, परन्तु समूह द्वारा हत्या पर कार्रवाई करने के लिए यह कानूनी रूप से अपर्याप्त है.
विचारणीय बिंदु
- विदित हो कि पुलिस और विधि व्यवस्था राज्य के विषय हैं इसलिए यह राज्य सरकारों का कर्त्तव्य है कि वे इस प्रकार के अपराधों पर नियंत्रण रखें.
- केंद्र सरकार इस विषय में चिंतित है और समूह द्वारा हत्या की घटना की निंदा करती है.
- ऐसे में केंद्र और राज्य दोनों को मिल-जुलकर काम करने की आवश्यकता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Barriers to cashless economy
संदर्भ
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वितीय वार्षिक प्रतिवेदन में बताया है कि नोटबंदी के बाद नकद लेन-देन में वृद्धि हुई है. प्रतिवेदन में यह भी बताया गया है कि नोटबंदी के 2 वर्षों के पश्चात् चलन से बाहर हो गये 99.3% नोट बैंकों में वापस वापस लौट गये हैं. इसके अतिरिक्त प्रचलित बैंक नोटों का मूल्य वर्ष भर में 37.7% बढ़कर मार्च 2018 के अंत तक 18,037 लाख करोड़ रु. हो गया है.
नकद रहित अर्थव्यवस्था क्या है?
नकद रहित अर्थव्यवस्था वह स्थित है जिसमें एक अर्थव्यवस्था के अन्दर नकद का प्रवाह नहीं होता है और सभी लेन-देन इलेक्ट्रॉनिक चैनलों के माध्यमों से होते हैं, जैसे – डायरेक्ट डेबिट, क्रेडिट और डेबिट कार्ड, इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग और पेमेंट भुगतान की अन्य प्रणालियाँ, उदाहरणार्थ IMPS, NEFT, RTGS आदि.
नकद रहित अर्थव्यवस्था के लाभ
- इससे कल्याण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में सुविधा होती है क्योंकि सम्बंधित राशि लाभार्थियों के खातों में सीधे चली जाती है.
- इससे लेन-देन की लागत कम जाती है.
- नकद रहित लेन-देन से वित्तीय समावेशन (financial inclusion) को बढ़ावा मिलता है.
- इससे ई-कॉमर्स की वृद्धि में सहायता मिलती है.
- इससे काले धन को सफ़ेद बनाने की कोशिशों को धक्का पहुँचता है.
- इसके चलते इससे कर अनुपालन में वृद्धि होती है जो अंततोगत्वा सभी उपभोक्ताओं के लिए लाभप्रद होगा.
जनसामान्य को मिलने वाले लाभ
- ATM के बाहर कतार लगाने की आवश्यकता नहीं.
- छुट्टी में भी पैसे की लेन-देन.
- चेक के क्रेडिट होने की प्रतीक्षा की आवश्यकता नहीं.
- बटुए में नकद नोट ले कर चलने का जोखिम नहीं.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : O-SMART scheme
संदर्भ
आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने एक अम्बरेला स्कीम का अनुमोदन किया है जो 2017-18 से 2019-20 के कालखंड में 1623 करोड़ रु. की लागत से कार्यान्वित की जायेगी. इस योजना का नाम है – O-Smart योजना.
O-Smart का full form है – Ocean Services, Technology, Observations, Resources Modelling and Science.
योजना के मुख्य तत्त्व
- इस योजना के अन्दर 16 उप-परियोजनाएँ हैं जिनका सम्बन्ध सामुद्रिक विकास गतिविधियों से है, जैसे – सेवाएँ, प्रौद्योगिकी, संसाधन, प्रेक्षण और विज्ञान.
- O-SMART में चलाई जाने वाली योजनाओं से मिलने वाले आर्थिक लाभ इन प्रक्षेत्रों को प्राप्त होंगे – मत्स्य पालन, तटीय उद्योग, समुद्र तटीय राज्य, रक्षा जहाजरानी, बंदरगाह आदि.
ओ-स्मार्ट योजना की महत्ता
- वर्तमान में पाँच लाख मछुआरों को मोबाइल के माध्यम से प्रतिदिन सूचनाएँ दी जा रही हैं जिनमें उन्हें समुद्र के स्थानीय मौसम और मछलियों की मात्रा के सम्बन्ध में बताया जाता है. इससे मछुआरों को मछलियों को ढूँढने में कम समय लगता है और ईंधन की बचत होती है.
- ओ-स्मार्ट योहन सतत विकास लक्ष्य 14 से (SDG 14) से सम्बंधित कई लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होगी.
- O-Smart scheme नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) के कई पहलुओं के कार्यन्वयन के लिए आवश्यक वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक पृष्ठभूमि प्रदान करेगी.
- O-Smart योजना के लिए स्थापित नवीनतम पूर्व-चेतावनी प्रणालियों के सहायता से सुनामी चक्रवात आदि सामुद्रिक आपदाओं से कुशलतापूर्वक निपटा जा सकेगा.
- इस योजना के लिए विकसित तकनीकों की सहायता से समुद्र के विशाल जैव एवं अजैव संसाधन का उपयोग संभव हो सकेगा.
नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) क्या है?
धरातल पर पाए जाने वाले संसाधन भविष्य की माँगों को देखते हुए अपर्याप्त हैं. इसलिए भारत ने नीली अर्थव्यवस्था (blue economy) की दिशा में कदम उठाये हैं जिससे कि समुद्र की विशाल संसाधनों का टिकाऊ रूप से उपयोग किया जाएगा. इसके लिए सामुद्रिक विज्ञान, तकनीकी विकास और सेवाओं के विषय में बहुत सारी जानकारियाँ अपेक्षित होंगी.
संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 14 (Sustainable Development Goal-14) में सामुद्रिक संसाधनों के सतत उपयोग की बात कही गयी है, अतः तटीय अनुसंधान और सामुद्रिक जैव-विविधता से सम्बंधित गतिविधियाँ आवश्यक हो जाती हैं.
Prelims Vishesh
Prime Minister’s Science, Technology and Innovation Advisory Council (PM-STIAC):
- केंद्र सरकार ने हाल ही में विज्ञान, तकनीक और नवाचार के विषय में एक नए 21-सदस्यीय परामर्शी पैनल गठित किया है जिसका नाम है – PM STIAC
- PM STIAC का full form है – Prime Minister’s Science, Technology and Innovation Advisory Council.
- इसके अध्यक्ष भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक परामर्शी होंगे.
- इसमें अध्यक्ष के अतिरिक्त 8 सदस्य और 12 विशेष आमंत्रित सदस्य, 11 पदेन सचिव तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा एवं शिक्षा से सम्बंधित 10 केन्द्रीय मंत्रालय विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे.
- PM STIAC प्रधानमन्त्री को विज्ञान, तकनीक और नवाचार के विषय में परामर्श देगा और प्रधानमन्त्री की वैज्ञानिक सोच के कार्यान्वयन का समन्वयन करेगा.
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