Sansar Daily Current Affairs, 30 June 2020
GS Paper 1 Source : Down to Earth
UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena.
Topic : WMO findings on lightning strikes
संदर्भ
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की एक हालिया प्रतिवेदन के अनुसार, वर्ष 2018 में ब्राजील में 709 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली बिजली गिरी, जबकि साल 2019 में अर्जेंटीना में 16.73 सेकंड तक चलने वाली बिजली का वज्रपात हुआ जोकि अब तक बिजली चमकने का सर्वाधिक लंबा रिकार्ड है.
प्रतिवेदन में और क्या-क्या बातें हैं?
- ब्राजील के इस रिकॉर्ड-ब्रेक लम्बी दूरी तय करने वाली बिजली गिरने से पहले, दूसरी सबसे लंबी आकाशीय बिजली चमकने का श्रेय अमेरिका के ओक्लाहोमा राज्य को गया था, जहाँ 20 जून 2007 को 321 किमी की लंबाई में आकाशीय बिजली चमकी थी.
- विश्व में आकाशीय बिजली गिरने की सबसे अधिक घटनाएं, प्रति वर्ष औसतन 77.8 मिलियन, ब्राजील में ही घटित होती हैं.
- इसके पूर्व, सर्वाधिक देर तक बिजली चमकने का रिकॉर्ड 30 अगस्त 2012 को फ़्रांस के प्रांत ‘एल्प्स कोट डी‘एज़ुर’ (Alpes-Côte d’Azur) में दर्ज किया गया था, जिसकी अवधि 7.74 सेकंड थी.
- बिजली चमकने को अब रिकॉर्ड- बुक में शामिल किया जाता है जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘मेगाफ़्लैश’ (Megaflashes) के नाम से जाना जाता है.
वज्रपात क्या है?
- वज्रपात वस्तुतः वायुमंडल में होने वाला एक अत्यंत तीव्र और भारी विद्युत प्रवाह है जिसमें कुछ धरातल की ओर गमन कर जाता है.
- बिजली का यह प्रवाह 10-12 किलोमीटर लम्बे उन बादलों में होता है जो विशाल आकार के होते हैं और उनमें बहुत अधिक आर्द्रता भरी होती है.
- बिजली वाले बादल धरातल से 1-2 किलोमीटर की दूरी के भीतर होते हैं जबकि उनका शीर्ष भाग 12-13 किलोमीटर दूरी पर रहता है.
- इन बादलों के शीर्ष पर तापमान -35 से लेकर -45 डिग्री सेल्सियस होता है.
- इन बादलों में जैसे-जैसे जलवाष्प ऊपर जाता है, गिरते हुए तापमान के कारण वह संघनित होने लगता है. इस प्रक्रिया में ताप उत्पन्न होता है जो जलकणों को और ऊपर की ओर धकेलने लगता है.
- जब जलवाष्प शून्य डिग्री सेल्सियस तापमान पर पहुँच जाता है तो उसकी बूँदें छोटे-छोटे बर्फीले रवों में बदल जाती हैं. जब वे ऊपर जाती हैं तो उनका आयतन बढ़ते-बढ़ते इतना अधिक हो जाता है कि ये बूँदें पृथ्वी पर गिरने लगती हैं.
- इस प्रक्रिया में एक समय ऐसी दशा हो जाती है कि छोटे-छोटे हिम के बर्फीले रवे ऊपर जा रहे होते हैं और बड़े-बड़े रवे नीचे की ओर आते रहते हैं.
- इस आवाजाही में बड़े और छोटे रवे टकराने लगते हैं जिससे इलेक्ट्रान छूटने लगते हैं. इन इलेक्ट्रानों के कारण रवों का टकराव बढ़ जाता है और पहले से अधिक इलेक्ट्रान उत्पन्न होने लगते हैं.
- अंततः बादल की शीर्ष परत में धनात्मक आवेश आ जाता है जबकि बीच वाली परत में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है.
- बादल की दो परतों के बीच विद्युतीय क्षमता में जो अंतर होता है वह 1 बिलियन से लेकर 10 बिलियन वाल्ट तक की शक्ति रखता है. बहुत थोड़े समय में ही एक लाख से लेकर दस लाख एम्पीयर की विद्युत धारा इन दोनों परतों के बीच प्रवहमान होने लगती हैं.
- इस विद्युत धारा के फलस्वरूप भयंकर ताप उत्पन्न होता है जिसके कारण बादल की दोनों परतों के बीच का वायु-स्तम्भ गरम हो जाता है. इस गर्मी से यह वायु-स्तम्भ लाल रंग हो जाता है. जब यह वायु-स्तम्भ फैलता है तो बादल के अंदर भयंकर गड़गड़ाहट होती है जिसे बिजली कड़कना (thunder) कहते हैं.
बिजली बादल से पृथ्वी तक कैसे पहुँचती है?
पृथ्वी विद्युत की एक अच्छी संचालक होती है. इसका आवेश न्यूट्रल होता है. परन्तु बादल की बिचली परत की तुलना में पृथ्वी का आवेश धनात्मक हो जाता है. फलतः इस बिजली का लगभग 15-20% अंश धरती की ओर दौड़ जाता है. इसी को वज्रपात (lightning) कहते हैं.
बादल की बिजली अधिकतर पेड़, मीनार या भवन जैसी ऊँची वस्तुओं पर गिरती है. जब यह बिजली धरती से 80 से 100 मीटर ऊपर होती है तो उस समय यह मुड़कर ऊँची वस्तुओं पर जा गिरती है. ऐसा इसलिए होता है कि वायु बिजली की कुचालक होती है और इससे होकर बहने वाले इलेक्ट्रान बेहतर सुचालक की खोज करने लगते हैं और धनात्मक आवेश वाली पृथ्वी तक पहुँचने के लिए छोटा सा छोटा मार्ग अपनाने लगते हैं.
वज्रपात की भविष्यवाणी
- जब वज्रपात में बिजली पृथ्वी की ओर दौड़ती है और किसी पर गिरती है तो उसके 30-40 मिनट पहले उसकी भविष्यवाणी की जा सकती है.
- यह भविष्यवाणी मेघों में चमकती हुई बिजली के अध्ययन और अनुश्रवण के आधार पर संभव है.
- वज्रपात के विषय में समय पर सूचना उपलब्ध हो जाने से अनेकों प्राण बचाए जा सकते हैं.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Government Policies & Interventions, Growth & Development
Topic : Govt launches PM FME scheme to help micro food processing enterprises
संदर्भ
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के एक भाग के रूप में खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए पीएम फॉरमलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज (PM FME) योजना का प्रारम्भ किया है.
PM FME योजना के बारे में जानकारी
- वर्तमान सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य से अखिल भारतीय स्तर पर प्रारम्भ की गई PM FME योजना को 10,000 करोड़ रू. के परिव्यय के साथ 2020-21 से 2024-25 तक पाँच वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा.
- PM FME योजना में होने वाले व्यय का वितरण कुछ इस प्रकार होगा – केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के अनुपात में, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के साथ 90:10 के अनुपात में, संघ शासित प्रदेशों में (जहाँ विधान सभा नहीं है) केन्द्र द्वारा 100 प्रतिशत.
- PM FME योजना में एक जिला एक उत्पाद (One District One Product – ODOP) के दृष्टिकोण को अपनाया गया है.
- एफपीओ / एसएचजी / निर्माता सहकारी समितियों को मूल्य शृंखला के साथ पूंजी निवेश के लिए 35 प्रतिशत का क्रेडिट लिंक्ड अनुदान प्रदान किया जाएगा.
- योजना में क्षमता निर्माण और अनुसंधान पर विशेष रूप से ध्यान दियागया है.
अन्य सूचनाएँ
- ऑपरेशन ग्रीन्स का विस्तार: खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही ऑपरेशन ग्रीन्स योजना की अधिसूचना की तारीख से छह महीने की अवधि के लिए टमाटर, प्याज और आलू (TOP) फसलों से लेकर अन्य अधिसूचित बागवानी फसलों तक विस्तार कर दिया गया है.
- विदित हो कि कृषक उत्पादक संगठनों (FPOs), कृषि लॉजिस्टिक्स, प्रसंस्करण सुविधाओं तथा व्यावसायिक प्रबंधन के प्रोत्साहन के लिए केंद्रीय बजट 2018-19 के बजट भाषण में “ऑपरेशन फ्लड” को ध्यान में रखते हुए 500 करोड़ रुपए के परिव्यय से एक नई योजना “ऑपरेशन ग्रीन्स” की घोषणा की गई थी.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Education, Important International Institutions, Government Policies & Interventions, Growth & Development.
Topic : UNESCO Global Education Monitoring Report 2020
संदर्भ
2020 का UNESCO वैश्विक शिक्षा अनुश्रवन प्रतिवेदन (Global Education Monitoring Report 2020) निर्गत हो गया है.
वैश्विक शिक्षा अनुश्रवन प्रतिवेदन
वैश्विक शिक्षा अनुश्रवन प्रतिवेदन सतत विकास लक्ष्य 4 से सम्बंधित है. सतत विकास लक्ष्य 4 समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने तथा सबके लिए आजीवन ज्ञानार्जन के अवसरों को प्रोत्साहन देने के विषय में है. इस वर्ष की रिपोर्ट मुख्यतः कोरोना वायरस के कारण बढ़ी हुई वैश्विक शिक्षा असमानता पर केंद्रित है.
विकासशील देशों में बढ़ता शिक्षा अंतराल
- COVID-19 महामारी के दौरान निम्न तथा निम्न-मध्यम-आय वाले लगभग 40% देशों में गरीब, भाषाई अल्पसंख्यक और विकलांग लोगों को सीखने संबंधी अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
- अप्रैल, 2020 में विश्व में अधिकांश विद्यालय बंद रहे इस कारण विश्व के करीब 91% छात्र विद्यालय नहीं जा पाए.
दूरस्थ शिक्षा संबंधी बाधा
- प्रतिवेदन के अनुसार, महामारी के दौरान विश्व में दूरस्थ शिक्षा (Distance Learning) उपायों को अपनाया गया जो कक्षा आधारित प्रणालियों की तुलना में कम प्रभावी तथा अपूर्ण विकल्प है.
- प्रतिवेदन के अनुसार, निम्न-आय वाले 55%, निम्न-मध्यम-आय वाले 73% और ऊपरी-मध्यम-आय वाले 93% देशों में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा हेतु ऑनलाइन शिक्षण मंचों को अपनाया गया है.
बढ़ता डिजिटल शिक्षा अंतराल
- सरकार तीव्रता से प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा प्रणालियों को अपना रही है, लेकिन डिजिटल अंतराल के चलते सरकार का यह दृष्टिकोण भी अधिक सफल नहीं रहा है.
- सरकार सभी छात्रों और शिक्षकों को उपलब्ध डिजिटल मंचों का लाभ उठाने के लिये पर्याप्त इंटरनेट कनेक्शन, उपकरण, कौशल प्रदान करने में सक्षम नहीं रही.
दिव्यांगजनों के लिये अड़चन
- शिक्षा संबंधी कुछ सुविधाएँ केवल विद्यालय परिसर में उपलब्ध हो सकती हैं यथा दृष्टिबाधित तथा श्रवणबाधित छात्रों के लिये संसाधन विद्यालयों के बाहर उपलब्ध नहीं हो सकते हैं.
- ऐसे छात्रों को कंप्यूटर पर स्वतंत्र रूप से कार्य करने में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
छात्रों का पोषण तथा सुरक्षा
गरीब छात्र; जो निःशुल्क भोजन या निःशुल्क सैनिटरी नैपकिन के लिये विद्यालय पर निर्भर हैं, को विद्यालय बंद होने के कारण अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. भारत सहित कई देशों में परीक्षाओं को रद्द करने से शिक्षकों पर निर्भरता बढ़ने की संभवना है.
विद्यालय ड्रॉप-आउट दर में वृद्धि
विद्यालय ड्रॉप-आउट दर में वृद्धि भी एक चिंता का विषय हैं. अफ्रीका में इबोला महामारी के दौरान जो छात्राएँ विद्यालय नहीं जा सकी वे संकट खत्म होने के बाद कभी विद्यालय नहीं गई.
यूनेस्को
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) संयुक्त राष्ट्र का एक घटक निकाय है. इसका कार्य शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति तथा संचार के माध्यम से अंतराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना है. संयुक्त राष्ट्र की इस विशेष संस्था का गठन 16 नवम्बर 1945 को हुआ था. इसका उद्देश्य शिक्षा एवं संस्कृति के अंतरराष्ट्रीय सहयोग से शांति एवं सुरक्षा की स्थापना करना है,
- यूनेस्को के 193 सदस्य देश हैं और 11 सहयोगी सदस्य देश (According to Wikipedia) और दो पर्यवेक्षक सदस्य देश हैं.
- इसका मुख्यालय पेरिस (फ्रांस) स्थित में है.
- भारत 1946 से यूनेस्को का सदस्य देश है.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.
Topic : PM SVANidhi
संदर्भ
आवास एवं शहरी कार्य सचिव, श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि, “पीएम स्वनिधि” पोर्टल के बीटा संस्करण की शुरुआत की. डिजिटल प्रौद्योगिकी समाधान की सहायता से, इस पोर्टल में योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए उपयोगकर्ताओं को एकीकृत सुविधा उपलब्ध कराई गई है.
पोर्टल से सम्बंधित अन्य तथ्य
- सिडबी द्वारा योजना प्रबंधन के लिए एंड-टू-एंड समाधान प्रदान करने के लिए एक एकीकृत आईटी मंच विकसित किया जा रहा है, जो योजना कार्यान्वयन के लिए पीएम स्वनिधि का साझेदार है. इस पोर्टल के माध्यम से विभिन्न योजना कार्यों की सुविधा प्रदान की जाएगी जैसे ऋण आवेदन प्रवाह, मोबाइल ऐप, आवेदकों के लिए ई-केवाईसी, यूआईडीएआई, उदय मित्र, एनपीसीआई, पीएआईएसए, ऋणदाताओं, राज्यों, यूएलबी और अन्य हितधारकों के साथ एकीकरण, डिजिटल प्रोत्साहनों की गणना और ब्याज सब्सिडी का भुगतान आदि.
- डिजिटल भुगतान एग्रीगेटरों के साथ लाभार्थियों को जोड़कर उन्हें डिजिटल लेन-देन के लिए आकर्षित करना, इस योजना की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है. मंत्रालय को इन सभी की ओर से उत्कृष्ट प्रतिक्रिया मिली है. अमेजनपे, एफटीकैश, एमस्वाइप, पेटीएम, पेस्विफ और फोनपे ने अपने खर्चों को समावेशित करके विक्रेताओं को निःशुल्क में इस पटल पर लाने की पेशकश की है.
- इसके अलाव, इस मंच में पहले से सम्मिलित बैंकों के अतिरिक्त, पोर्टल में 15 एमएफआई को शामिल किया गया है और आगामी सप्ताहों में कई अन्य के शामिल होने की आशा है. इसमे कार्यक्षमताओं को जोड़ने के लिए पोर्टल को नियमित रूप से उत्क्रमित किया जाएगा.
PM Svanidhi योजना के लाभार्थी कौन होंगे?
- इस योजना का लाभ रेहड़ी पटरी वालों और छोटी-मोटी दुकान लगाकर आजीविका चलाने वालों को प्राप्त होगा. फल-सब्जी, लॉन्ड्री, सैलून और पान की दुकानें भी इस श्रेणी में शामिल की गई हैं.
- इस योजना के अंतर्गत सरकार इन लोगों को अपना कारोबार शुरू करने के लिए यथासंभव सहायता प्रदान करेगी. इससे रेहड़ी-पटरी वाले बिना किसी देरी के अपना काम-धंधा फिर से प्रारम्भ कर सकेंगे.
पीएम स्वनिधि योजना के बारे में मुख्य तथ्य
- यह योजना मार्च 2022 तक वैध है.
- इस योजना के लिये सरकार द्वारा 5,000 करोड़ रुपए की राशि मंज़ूर की गई है.
- कोरोना वायरस की वजह से लड़खड़ाई देश की अर्थव्यवस्था से सबसे अधिक प्रभावित फेरीवालों, रेहड़ी-पटरी पर काम करने वालों (स्ट्रीट वेंडर) को अब पीएम स्वनिधि स्कीम के तहत 10 हजार का कर्ज दिया जाएगा.
- इस राशि को रेहड़ी-पटरी वाले 1 वर्ष के भीतर किस्त में लौटा सकते हैं.
- यह ऋण बहुत ही आसान शर्तों के साथ दिया जाएगा. इसमें किसी ज़मानत या कोलैट्रल (Collateral) की आवश्यकता नहीं होगी.
- इस ऋण को समय पर चुकाने वाले छोटे दुकानदारों, फेरीवालों को 7% का वार्षिक ब्याज सब्सिडी के तौर पर उनके खाते में सरकार की ओर से स्थानान्तरण किया जाएगा.
- इस योजना के तहत जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Science and Technology.
Topic : The 4m International Liquid Mirror Telescope Project
संदर्भ
4 मीटर इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप के जल्द ही चालू होने से अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र में जल्द नैनीताल के नाम बड़ी उपलब्धि जुड़ने जा रही है. नैनीताल के मुक्तेश्वर स्थित देवस्थल में दस करोड़ की लागत से एशिया की सबसे बड़ी 4 मीटर इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (आईएलएमटी) की स्थापना लगभग पूरी हो चुकी है. आईएलएमटी प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों का दावा है कि अक्तूबर में यह शुरू हो जाएगी.
4 मीटर इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप के बारे में
- बेल्गो-इंडियन नेटवर्क फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स प्रोजेक्ट के तहत साल 2012 में इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (ILMT) के लिए एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया. इसमें भारत, बेल्जियम के साथ कनाडा संयुक्त भागीदार बना.
- दूरबीन स्थापित करने हेतु यूरोपियन देशों में नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान एवं शोध संस्थान (Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences – ARIES) के अधीन देवस्थल का चयन किया गया. आपको बता दे इससे पहले भारत ने बेल्जियम की मदद से एशिया की सबसे बड़ी 3.6 मीटर प्रकाशीय दूरबीन भी यहां स्थापित की है.
- देवस्थल में एशिया की बड़ी दूरबीन स्थापित होने के पश्चात् स्टार गठन, तारा समूहों, आकाशीय पिंडों की खोज, बाइनरीज स्टार्स, आकाशगंगाओं, सक्रिय गांगेय नाभिक, गुरुत्वाकर्षण लेंस प्रणाली समेत अनेक अनसुलझे अंतरिक्ष विषयों के शोधों को आगे बढ़ाया जाएगा.
क्या है लिक्विड मिरर दूरबीन?
मिरर दूरबीन सीमित आकाशीय क्षेत्र में लंबे अध्ययन के लिए प्रयोग होती है. दुनिया में फिलहाल लिक्विड मिरर दूरबीन चिली और कनाडा के पास ही है. इस दूरबीन में लेंस में मरकरी प्रयोग होने से यह दर्पण की तर्ज पर कार्य करता है. इससे टकराकर लौटने वाले प्रकाश को कैमरे में कैद कर अध्ययन कर लिया जाता है, इसलिए इसे लिक्विड मिरर दूरबीन कहा जाता है. इसके अंतर्गत किसी तारामंडल या समूहों पर 5 वर्ष तक नजर रखी जाती है. इससे ब्रह्मांड को और नजदीक से जानने का अवसर मिलेगा.
Prelims Vishesh
Gynandromorphs :-
- शोधकर्ताओं द्वारा भारत की लिबेलुलिड ड्रैगनफ्लाई क्रोकोथेमिस सर्विलिया (Libellulid Dragonfly Crocothemis Servilia) में गाइनान्ड्रोमॉर्फी (Gynandromorphism) का पता लगाया गया है.
- ये नर तथा मादा ऊतकों वाले जीव होते है, तथा इन्हें वैज्ञानिक समुदाय द्वारा आनुवंशिक विपथन के रूप में देखा जाता है.
- सामान्यतः नर और मादा जीवों में उनके ऊतकों के वितरण के कारण विषमता पाई जाती है परन्तु किसी एक जीव में दोनों विशेषताओं का एक साथ पाया जाना गाइनान्ड्रोमॉर्फी (Gynandromorphism) कहा जाता है.
- यह क्रस्टेशिया (Crustacea) और एरेक्निडा (Arachnida) जैसे कुछ संधिपाद प्राणीयों में सामान्य रूप से पाई जाती है.
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