Sansar डेली करंट अफेयर्स, 31 August 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 31 August 2021


GS Paper 1 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc.

Topic : Hurricane/Cyclone Ida

संदर्भ 

अटलांटिक महासागर, मैक्सिको की खाड़ी में उत्पन्न हुए श्रेणी-4 के भीषण हरिकेन/चक्रवात इडा’ ने 29 अगस्त को अमरीका के लुइसियाना प्रान्त में लैंडफॉल किया तथा आधारभूत ढाँचे को व्यापक क्षति पहुँचाई. यह लुइसियाना प्रान्त में आने वाला अब तक का दूसरा सबसे भीषण हरिकेन था. इससे पूर्व वर्ष 2005 के कटरीना हरिकेन सबसे भीषणतम माना जाता है.

हरिकेन क्या है?

हरिकेन एक प्रकार का तूफान है, जिसे उष्ण कटिबंधीय चक्रवात” (tropical cyclone) कहा जाता है. उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में हरिकेन सर्वाधिक शक्तिशाली एवं विनाशकारी तूफान होते हैं. उष्णकटिबंधीय चक्रवात उष्णकटिबंधीय अथवा उप-उष्णकटिबंधीय जल के ऊपर बनने वाली निम्न दाब युक्त मौसम प्रणाली में घूर्णन करते हैं. इनसे आँधियाँ तो आती हैं परन्तु वाताग्रों (भिन्न घनत्वों के दो भिन्न वायुभारों को पृथक करने वाली सीमा) का निर्माण नहीं होता है.

Hurricane

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (TROPICAL CYCLONES)

उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को कैरबियन सागर में हरिकेन, पूर्वी चीन सागर में टायफून, फिलीपिंस में “बैगयू”, जापान में “टायसू”, ऑस्ट्रेलिया में “विलिबिलि” तथा हिन्द महासागर में “चक्रवात” और “साइक्लोन” के नाम से जाना जाता है.

उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की अधिकतम बारंबारता पूर्वी चीन सागर में मिलती है और इसके बाद कैरिबियन, हिन्द महासागर और फिलीपिन्स उसी क्रम में आते हैं. उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के प्रमुख क्षेत्र निम्न्वित हैं –

  1. उत्तरी अटलांटिक महासागर– वर्ड अंतरीप का क्षेत्र, कैरबियन सागर, मैक्सिको की खाड़ी, पश्चिमी द्वीप समूह.
  2. प्रशांत महासागर– दक्षिणी चीन, जापान, फिलीपिन्स, कोरिया एवं वियतनाम के तटीय क्षेत्र, ऑस्ट्रेलिया, मैक्सिको तथा मध्य अमेरिका का पश्चिमी तटीय क्षेत्र.
  3. हिन्द महासागर– बंगाल की खाड़ी, अरब सागर, मॉरिसस, मेडागास्कर एवं रियूनियन द्वीपों के क्षेत्र.

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की विशेषताएँ

  1. इनका व्यास 80 से 300 किमी. होता है. कभी-कभी इनका व्यास 50 किमी. से भी कम होता है.
  2. इसकी औसत गति 28-32 किमी. प्रतिघंटा होती है, मगर हरिकेन और टायफून 120 किमी. प्रतिघंटा से भी अधिक गति से चलते हैं.
  3. इनकी गति स्थल की अपेक्षा सागरों पर अधिक तेज होती है.
  4. सामान्यतः व्यापारिक हवाओं के साथ पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हैं.
  5. इसमें अनेक वाताग्र नहीं होते और न ही तापक्रम सम्बन्धी विभिन्नता पाई जाती है.
  6. कभी-कभी एक ही स्थान पर ठहरकर तीव्र वर्षा करते हैं.
  7. समदाब रेखाएँ अल्पसंख्यक और वृताकार होती है.
  8. केंद्र में न्यून वायुदाब होता है.
  9. इनका विस्तार भूमध्य रेखा के 33 1/2 उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों तक होता है.

निर्माण संबंधी दशाएँ

  1. एक विशाल गर्म सागर की उपस्थिति जिसके सतह का तापमान कम से कम 27°C हो.
  2. सागर के उष्ण जल की गहराई कम से कम 200 मी. होनी चाहिए.
  3. पृथ्वी का परिभ्रमण वेग उपर्युक्त स्थानों पर 0 से अधिक होनी चाहिए.
  4. उच्चतम आद्रता की प्राप्ति.
  5. उच्च वायुमंडलीय अपसरण घटातलीय अपसरण से अधिक होनी चाहिए.
  6. उध्वार्धर वायुप्रवाह (vertical wind flow) नहीं होनी चाहिए.
  7. निम्न स्तरीय एवं उष्ण स्तरीय विक्षोभ की उपस्थति.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

लैंडफॉल क्या है?

  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात के केंद्र का समुद्र तट के साथ प्रतिच्छेदन या तट रेखा पर प्रवेश करना लैंडफॉल कहलाता है.
  • एक लैंडफॉल में सामान्यतः तेज हवाएँ, भारी वर्षा और उठती हुई समुद्री लहरें होती हैं.

भारत में चक्रवात

  • भारत अपने लम्बे समुद्र तट के चलते विश्व के लगभग 10% उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के प्रभाव क्षेत्र में आता है.
  • अधिकांश चक्रवात बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होते हैं और इसलिए ज्यादातर भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी तट से टकराते हैं.
  • भारतीय तट रेखा पर 2016 में ऐसे अन्य चक्रवात भी आये जैसे रोआनु और नाडा.

GS Paper 2 Source : The Hindu
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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : South China Sea

संदर्भ 

चीन सरकार ने सूचना जारी की है कि 1 सितंबर 2021 से “चीनी प्रादेशिक जल क्षेत्र (Territorial Waters)’ से होकर गुजरने वाले सैन्य, वाणिज्यिक जहाजों को चीनी प्राधिकारियों को सामान्य जानकारी एवं उनके सामानों की सूचना देनी होगी. चीनी आधिकारिक मीडिया के अनुसार चीन की राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करने वाले जहाजों को इस जल क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी. उल्लेखनीय है कि दक्षिण चीन सागर में चीनी प्रादेशिक जलक्षेत्र को लेकर विभिन्‍न देशों के साथ विवाद हैं, ऐसे में चीन के नए नियम किन क्षेत्रों में लागू होंगे, इसे लेकर अस्पष्टता बनी हुई है.

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दक्षिणी चीन सागर विवाद क्या है?

  • मूल विवाद दक्षिणी चीन सागर में स्थित दो द्वीप समूहों को लेकर है जिनका नामस्प्रैटली द्वीप औरपार्सल है. ये दोनों द्वीपसमूह वियतनाम और फिलिपिन्स के बीच पड़ते हैं.
  • चीन इन दोनों पर अपना दावा करता है. दूसरी ओर चीन के इस दावे का विरोध फिलिपिन्स, वियेतनाम, मलेशिया और ताईवान की ओर से हो रहा है. ब्रूनेई को भी इसमें आपत्ति है.
  • फिलीपींस द्वारा मामले को2013 में न्यायालयमें लाया गया था, जो स्कारबोरो शोल पर केंद्रित था. हालाँकि बीजिंग के द्वारा कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किया गया.
  • द हेग, नीदरलैंड स्थित स्थाई मध्यस्थता न्यायालय (Permanent Court of Arbitration) ने फैसला दिया था कि दक्षिण चीन सागर पर ऐतिहासिक अधिकार के चीन के दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Related to Health.

Topic : Fit India Movement

संदर्भ 

हाल ही में फिट इंडिया आन्दोलन ( Fit India Movement) की दूसरी वर्षगाँठ मनायी गयी. इस अवसर नई दिल्ली में मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में “फिट इंडिया मोबाइल एप्लीकेशन” का अनावरण किया गया.

फिट इंडिया आन्दोलन क्या है?

इसकी शुरुआत 29 अगस्त, 2019 को राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर की गई थी. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा अभिकल्पित एक राष्ट्रीय आन्दोलन है जिसका उद्देश्य प्रत्येक भारतीय को उसके दिन-प्रतिदिन के जीवन में चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए कुछ साधारण और सरल उपायों को अपनाने हेतु प्रेरित करना है.

कहने की आवश्यकता नहीं कि आज इस प्रकार की पहल अत्यावश्यक है क्योंकि इसके माध्यम से देश एक स्वस्थ भविष्य की ओर अग्रसर हो सकता है.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘आहार, शारीरिक गतिविधि और स्वास्थ्य पर वैश्विक रणनीति’ (Global strategy on Diet, physical activity and health) बनाई है. वैश्विक स्तर पर शारीरिक गतिविधियों हेतु कई तरह की अनुशंसाएँ (recommendation) भी जारी की गयी हैं.
  • आज दुनिया के अनेक देशों ने फिटनेस को लेकर नए लक्ष्य बनाए हैं और उन पर अनेक मोर्चों पर वो काम कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका आदि देशों में इस समय बड़े पैमाने पर फिटनेस का अभियान चल रहा है.

चिंता का विषय

दुनिया में हृदयघात के रोगियों में से लगभग 40 प्रतिशत भारत से हैं और इनके कारण होने वाली मृत्यु का एक चौथाई हदय रोगों के कारण होता है.

आगे की राह

पारंपरिक खाद्य पदार्थों को पुन: जीवन में लाने की आवश्यकता है जो हमारी शारीरिक और जलवायु आवश्यकताओं के अनुकूल हैं. मातृ प्रकृति से दूर रहकर, लोग शरीर और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं, प्रकृति से प्यार करना, प्रकृति के साथ रहना ही बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करता है.

चिकित्सकों और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को गतिहीन जीवन शैली को बदलने के बारे में लोगों को शिक्षित करने को प्रधानता देनी चाहिए और दिल की बीमारियों की संभावना को कम करने के लिए लोगों को शारीरिक गतिविधियों जैसे जॉगिंग, साइकिल चलाना और अन्य शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. भारत सरकार द्वारा प्रारंभ आयुष्मान भारत योजना विभिन्न ऐसी बीमारियों, जो उच्च लागत के कारण पहुंच से बाहर थीं, उनसे ग्रस्त नागरिक अब इस योजना के के माध्यम से इलाज करा रहे है और यह योजना देश की भलाई में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Security challenges and their management in border areas; linkages of organized crime with terrorism.

Topic : Bodoland Territorial Region -BTR

संदर्भ 

बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (Bodoland Territorial Region – BTR) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों, मुख्यतः कोकराझार, बक्सा, उदलगुरी और चिरांग ज़िलों में, वर्ष 1996 के नृजातीय, सांप्रदायिक दंगों के कारण विस्थापित हुए लोग अब अपने घरों में वापस लौटने के लिये तैयार हैं. इसके लिए पुनर्वास कार्यक्रम के साथ-साथ पुराने मकानों को दुरुस्त करने एवं नये मकान बनाने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना एवं जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं को लागू किया जा रहा है.

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पृष्ठभूमि

बोडोलैंड में वर्ष 1996, 2008 एवं 2012 में दंगे हुए थे. इसके बाद से करीब 8 लाख विस्थापित लोग राहत कैम्पों में रह रहे हैं. वर्ष 2020 के शांति समझौते के बाद बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद् (BTC) को केंद्र सरकार से 1500 करोड़ रूपये का पैकेज दिया गया है.

बोडोलैंड टेरीटोरियल रीजन के बारे में

  • इसका पहले नाम था – बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट (Bodoland Territorial Area Districts- BTAD).
  • बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल की मौजूदा 40 सीटों को बढ़ाकर 60 कर दिया गया था और कई नए जिलों का गठन किए जाने का प्रावधान किया था.
  • केंद्र सरकार ने नए समझौते के तहत अगले तीन वर्षों में बोडोलैंड के विकास के लिए 1,500 करोड़ रुपये के एक पैकेज को स्वीकृति दी थी. इसके अलावा बोडो आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिवार को 5 लाख रुपए प्रदान करने का भी प्रावधान किया गया था.
  • इस समझौते में, ‘गैर-जघन्य अपराधों’ (Non-Heinous Crimes) के लिये नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड समूहों के सदस्यों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले असम सरकार द्वारा वापस लिए जाने और जघन्य अपराध संबंधी मामलों की समीक्षा करने का प्रावधान था
  • बोडो भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत भारत की एक महत्त्वपूर्ण जनजाति है और यह जनजाति असम का सबसे बड़ा जनजाति समुदाय भी है
  • राज्य की कुल जनसंख्या में बोड़ो जनजाति का प्रतिशत लगभग 5-6 प्रतिशत है.
  • लंबे समय तक असम के बड़े हिस्से पर बोडो जनजातियों का नियंत्रण रहा है. असम के चार जिलों कोकराझार, बाक्सा, उदलगुड़ी और चिरांग को मिलाकर बोडो टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक का गठन किया गया है. इन जिलों में कई अन्य जातीय समूह भी रहते हैं.
  • उल्लेखनीय है कि बोडो समुदाय ने वर्ष 1966-67 में राजनीतिक समूह असम मैदानी जनजाति परिषद (Plans Tribals Council of Assam-PTCA) के बैनर तले अलग बोडोलैंड राज्य बनाए जाने की मांग की. इसके अलावा बोडो गुटों की मांग थी कि उनकी संस्कृति और पहचान की रक्षा की जाए.

स्वायत्त जिला परिषद् क्या हैं?

संविधान की छठी अनुसूची के अनुसार, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में जनजातीय क्षेत्र हैं जो तकनीकी रूप से अनुसूचित क्षेत्रों से अलग होते हैं. यद्यपि ये क्षेत्र राज्य के कार्यकारी अधिकार क्षेत्र में आते हैं, परन्तु कतिपय विधायी एवं न्यायिक शक्तियों का प्रयोग करने के लिए इनमें जिला परिषदों एवं क्षेत्रीय परिषदों का प्रावधान किया गया है. प्रत्येक जिला एक स्वायत्त जिला होता है और राज्यपाल अधिसूचना निर्गत कर के इन जनजातीय क्षेत्रों की सीमाओं में परिवर्तन कर सकता है अथवा उन्हें विभाजित कर सकता है.

अपनी अधिसूचना के माध्यम से राज्यपाल निम्नलिखित काम कर सकता है –

  1. कोई भी क्षेत्र सम्मिलित कर सकता है
  2. कोई भी क्षेत्र को भारत कर सकता है
  3. नया स्वायत्त जिला बना सकता है
  4. स्वायत्त जिले का क्षेत्र बढ़ा सकता है
  5. स्वायत्त जिले का क्षेत्र घटा सकता है
  6. स्वायत्त जिले का नाम बदल सकता है
  7. किसी स्वायत्त जिले की सीमाओं को परिभाषित कर सकता है

जिला परिषदों एवं क्षेत्रीय परिषदों की बनावट

  1. जिला परिषद् में अधिक से अधिक 30 सदस्य होंगे जिनमें अधिकतम चार व्यक्ति को राज्यपाल नामित करेगा और शेष वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाएँगे.
  2. स्वायत्त क्षेत्र के रूप में सृजित प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक अलग क्षेत्रीय परिषद् होगी.

क्या है बोडोलैंड का मुद्दा?

  • 1960 के दशक से ही बोड़ो अपने लिये अलग राज्य की माँग करते आए हैं.
  • असम में इनकी ज़मीन पर अन्य समुदायों का आकर बसना और ज़मीन पर बढ़ता दबाव ही बोड़ो असंतोष के कारण हैं.
  • अलग राज्य के लिये बोड़ो आंदोलन 1980 के दशक के बाद हिंसक हो गया और तीन धड़ों में बंट गया. पहले का नेतृत्व नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोड़ोलैंड ने किया, जो अपने लिये अलग राज्य चाहता था. दूसरा समूह बोड़ोलैंड टाइगर्स फोर्स है, जिसने अधिक स्वायत्तता की मांग की. तीसरा धड़ ऑल बोड़ो स्टूडेंट्स यूनियन है, जिसने मध्यम मार्ग की तलाश करते हुए राजनीतिक समाधान की मांग की.
  • बोड़ो अपने क्षेत्र की राजनीति, अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक संसाधन पर जो वर्चस्व चाहते थे, वह उन्हें 2003 में मिला. तब बोड़ो समूहों ने हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा की राजनीति में आने पर सहमति जताई.
  • इसी का नतीजा था कि बोड़ो समझौते पर 2003 में हस्‍ताक्षर किये गए और भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत बोड़ोलैंड क्षेत्रीय परिषद का गठन हुआ.

बोड़ो कौन हैं?

  • बोड़ो पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य के मूल निवासी हैं और भारत की एक महत्त्वपूर्ण जनजाति हैं. बोड़ो समुदाय स्वयं एक बृहत बोड़ो-कछारी समुदाय का हिस्सा माने जाते हैं.
  • सन् 2011 की भारतीय राष्ट्रीय जनगणना में लगभग 20 लाख भारतीयों ने स्वयं को बोड़ो बताया था जिसके अनुसार वे असम की कुल जनसंख्या को प्राप्त करने हेतु एक साधन के 5.5% हैं. भारतीय संविधान की छठी धारा के अंतर्गत वे एक अनुसूचित जनजाति हैं.
  • बोड़ो लोगों की मातृभाषा भी बोड़ो भाषा कहलाती है, जो एक ब्रह्मपुत्री भाषा है.

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UNSC Resolution 2532 :-

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा, भारत के वर्तमान अध्यक्षता में, 30 अगस्त, 2021 को, अफगानिस्तान की स्थिति पर एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें मांग की गई थी कि युद्धग्रस्त देश का इस्तेमाल किसी भी राष्ट्र को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को आश्रय देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
  • यह प्रस्ताव यू.एस., यूके, फ्रांस द्वारा प्रस्तुत किया गया था. प्रस्ताव के पक्ष में सुरक्षा परिषद के 13  सदस्यों ने मतदान किया, जबकि स्थायी सदस्य रूस और चीन मतदान से दूर रहे.

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