Sansar डेली करंट अफेयर्स, 31 December 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 31 December 2019


GS Paper 2 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Table of Contents

Topic : Instrument of Accession

संदर्भ

2020 से जम्मू-कश्मीर संघीय क्षेत्र में अक्टूबर 26 को पहली बार एक नई सार्वजनिक छुट्टी होगी. यह दिन विलय दिवस (Instrument of Accession) के रूप में मनाया जाएगा क्योंकि इसी दिन जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा राजा हरिसिंह ने भारत के साथ अपने राज्य का विलय किया था.

विलय दिवस की पुराकथा

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के द्वारा अंग्रेजों ने भारत को दो टुकड़ों में ही नहीं बाँटा था, अपितु लगभग 580 रजवाड़ों को यह छूट दे दी थी कि वे या तो स्वतंत्र रहें अथवा भारत या पाकिस्तान किसी एक में मिल जाएँ.

इस अधिनियम के अनुभाग 6(a) में प्रावधान था कि जो रजवाड़े  भारत या पाकिस्तान मिलेंगे उन्हें पहले एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा जिसमें वे बतायेंगे कि वे अपने रजवाड़े का विलय किन शर्तों पर कर रहे हैं.

जम्मू कश्मीर का विलय पत्र

यह एक वैधानिक प्रलेख था जिस पर अक्टूबर 26, 1947 को महाराजा हरिसिंह ने हस्ताक्षर किये थे. इसमें लिखा हुआ था कि जम्मू-कश्मीर रजवाड़ा भारत में अपना विलय कर रहा है.

विलय पत्र में यह लिखा हुआ था कि भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के लिए मात्र रक्षा, विदेशी मामलों और संचार के विषय में ही विधान बना सकती है.

सरदार वल्लभ भाई पटेल और भारत रियासतों के विलय में विस्तार में पढ़ने के लिए क्लिक करें > भारतीय रियासतों का विलय


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.

Topic : Sustainable Development Goal Index

संदर्भ

NITI Aayog ने वर्ष 2019 का सतत विकास लक्ष्य भारत सूचकांक जारी कर दिया है.

पृष्ठभूमि

नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से एसडीजी भारत सूचकांक पिछले साल जारी किया था. इसमें संयुक्त राष्ट्र की एसडीजी के 17 क्षेत्रों में से 16 को रखा गया है. इस साल का सूचकांक राज्यों को 100 संकेतकों पर आधारित 54 लक्ष्यों के मामले में प्रगति के आधार पर तैयार किया गया है. संयुक्त राष्ट्र ने ऐसे 306 संकेतकों की पहचान की है. वर्ष 2018 में जारी पहली रिपोर्ट में 13 लक्ष्य और 39 संकेतक थे.

प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य

  • सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) की दिशा में राज्यों की प्रगति संबंधी नीति आयोग की इस साल की रपट में केरल पहले स्थान पर रहा. सूचकांक में केरल 70 अंक के साथ शीर्ष पायदान पर बना रहा.
  • सूची में हिमाचल प्रदेश दूसरे स्थान पर जबकि आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना तीनों तीसरे स्थान पर रहे.
  • वहीं बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब रहा.
  • सूचकांक 2019 के अनुसार उत्तर प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम ने 2018 के मुकाबले काफी अच्छी प्रगति की है जबकि गुजरात जैसे राज्यों की रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ.
  • केंद्रशासित प्रदेशों में चंडीगढ़ भी 70 अंक के साथ शीर्ष स्थान पर रहा.
  • गरीबी उन्मूलन के संदर्भ में जिन राज्यों का प्रदर्शन बेहतर रहा है, उसमें तमिलनाडु, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और सिक्किम शामिल हैं.
  • वहीं भुखमरी को पूरी तरह समाप्त करने के मामले में गोवा, मिजोरम, केरल, नगालैंड और मणिपुर अगुवा रहे.

कुल मिलाकर भारत का प्रदर्शन

  • भारत का इस मामले में समग्र प्राप्तांक सुधरकर 2019 में 60 पर पहुँचा जो 2018 में 57 था.
  • पोषण और स्त्री-पुरूष असमानता देश के लिये समस्या बनी हुई है.
  • शीर्ष स्थान पाने वाले पांच राज्यों में से तीन का 12 लक्ष्यों को हासिल करने में प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर रहा है.
  • वहीं दो राज्यों का प्रदर्शन 11 मामलों में राष्ट्रीय औसत से बेहतर है.

पृष्ठभूमि

  • सतत विकास लक्ष्य भारत सूचकांक (SDG India Index) को केंद्र सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने ग्लोबल ग्रीन ग्रोथ इंस्टिट्यूट और संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर तैयार किया था.
  • इस सूचकांक में 17 सतत विकास लक्ष्यों में से 13 के विषय में किये गये उनके कुल प्रदर्शन के आधार पर भारत के प्रत्येक राज्य और केंद्र-शाषित क्षेत्र के लिए एक समग्र स्कोर दिया जाता है. यह स्कोर 0 से 100 के बीच में कहीं भी हो सकता है. इस स्कोर से पता चलता है कि दिए गये लक्ष्यों के मामले में इन राज्यों/केंद्र शाषित क्षेत्रों ने क्या औसत प्रगति की है.
  • इस सूचकांक का उद्देश्य राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न करना है जिससे वे आपस में होड़ करते हुए सतत विकास लक्ष्यों को शीघ्र से शीघ्र पूरा करें.
  • सूचकांक का यह लाभ भी है कि इसके आधार पर केंद्र सरकार राज्यों की प्रगति पर तत्क्षण (real-time) निगरानी रख सकती है.

SDG भारत सूचकांक की महत्ता

SDG भारत सूचकांक (SDG India Index) संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित लक्ष्यों एवं प्रधानमन्त्री द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किये जा रहे प्रयासों के बीच एक पुल का काम करता है. विदित हो कि प्रधानमंत्री ने “सब का साथ, सब का विकास” का नारा दिया है जिसमें सतत विकास के पाँच वैश्विक लक्ष्यों का कार्यान्वयन शामिल है. ये पाँच लक्ष्य पाँच P” कहलाते हैं – People, Planet, Prosperity, Partnership and Peace.

सतत विकास लक्ष्य

सतत विकास लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की एक सूची है जिसे 2015 में तैयार किया गया था. इसमें वर्णित 17 लक्ष्यों को 2030 तक सभी सदस्य देशों द्वारा पूरा किया जाना है. ये लक्ष्य हैं –

  1. गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति
  2. भूख की समाप्ति,खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहित करना
  3. सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को प्रोत्साहित करना
  4. समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना
  5. लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना
  6. सभी के लिए स्वच्छता और पानी के सतत प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना
  7. सस्ती,विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना.
  8. सभी के लिए निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास,पूर्ण और उत्पादक रोजगार, और बेहतर कार्य कोप्रोत्साहित करना
  9. लचीले बुनियादी ढांचे,समावेशी और सतत औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करना
  10. देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना
  11. सुरक्षित,लचीले और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण
  12. स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना
  13. जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना
  14. स्थायी सतत विकास के लिए महासागरों,समुद्र और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग
  15. सतत उपयोग को प्रोत्साहित करने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों,सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना
  16. सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को प्रोत्साहित करने के साथ ही सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेही बनना ताकि सभी के लिए न्याय सुनिश्चित हो सके
  17. सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्ति कार्यान्वयन के साधनों को दृढ़ बनाना.

SDGs 17 goals list


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.

Topic : What is deposit insurance?

संदर्भ

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय और भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने सुझाव दिया है कि एक लाख रु. से ऊपर के बैंक जमा पर बीमा होनी चाहिए. यह सुझाव पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारिता बैंक घोटाले को दृष्टि में रखकर आया है.

जमा बीमा (deposit insurance) क्या होती है?

  • जमा बीमा में ग्राहक द्वारा जमा की गई धनराशि पर बीमा का प्रावधान होता है और इसके लिए कुछ प्रीमियम लिया जाता है.
  • किसी बैंक के डूब जाने पर ग्राहकों के द्वारा जमा राशि को सुरक्षित करने के लिए सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक के अधीन एक निगम की स्थापना की है जिसका नाम जमा बीमा एवं ऋण प्रतिभूति निगम (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation – DICGC) है.
  • जमा बीमा होने पर बैंक प्रत्येक वर्ष जमा राशि के 0.001% अंश की समतुल्य राशि DICGC को भुगतान करेगा.

बैंक के डूबने पर जमाकर्ताओं की धनराशि का क्या होगा?

  • जब कोई बैंक डूबता है तो जमाकर्ताओं को अधिकार है कि वे DICGC से प्रति व्यक्ति एक लाख रु. का बीमा प्राप्त कर सकते हैं.
  • इस एक लाख रु. की बीमा राशि में मूल और ब्याज दोनों शामिल होंगे.
  • किसी जमाकर्ता के द्वारा बैंक के विविध खातों, जैसे – बचत, चालू, सावधि, आवर्ति खाते, में जमा मूल राशि और उस पर मिलने वाला ब्याज दोनों एक लाख रु. की बीमा की सीमा के अन्दर होगा.

डूबे हुए बैंक से जमाकर्ता अपनी धनराशि का दावा का कैसे करते हैं?

  • DICGC जमाकर्ताओं से सीधे नहीं बरतता है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा रजिस्टरार को जब निर्देश किया जाता है कि किसी भी बैंक को निरस्त करना है तो वह एक औपचारिक निरसनकर्ता (liquidator) की नियुक्ति करता है जो बैंक को समेटने की प्रक्रिया को देखता है.
  • DICGC अधिनियम के अनुसार, निरसनकर्ता DICGC को अपनी नियुक्ति के तीन महीने के भीतर एक सूची देता है जिसमें सभी बीमित जमाकर्ताओं और उनके बकाये का उल्लेख होता है.
  • DICGC का यह काम है कि वह इस सूची को पाने के दो महीने भीतर सभी बकायों का भुगतान कर दे.

बीमा के अन्दर कौन-से वित्तीय संस्थान आते हैं?

  • DICGC की बीमा सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों पर लागू होती है. इस दायरे में कुछ राज्यों/संघीय क्षेत्रों के बैंक नहीं आते हैं, ये हैं – मेघालय, चंडीगढ़, लक्षद्वीप एवं दादर-नगर हवेली.
  • प्राथमिक सहकारिता सोसाइटियाँ (primary cooperative societies) इस बीमा के अन्दर नहीं आती हैं.

किस प्रकार का जमा DICGC के दायरे में नहीं आता है?

  1. विदेशी सरकारों का जमा
  2. केंद्र राज्य सरकारों का जमा
  3. अंतर-बैंक जमा
  4. राज्य भूमि विकास बैंक का खाता
  5. भारत के बाहर प्राप्त किसी जमा पर देय राशि
  6. कोई भी ऐसी राशि जिसपर DICGC ने RBI की अनुमति से छूट दे रखी हो.

यह सुधार क्यों आवश्यक है?

  1. बीमा कवर और बीमित राशि में बढ़ोतरी के लिए
  2. बीमा कवर देने के लिए निजी प्रतिष्ठानों को अनुमति देने के लिए
  3. दावों के निपटारे में देरी रोकने के लिए.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Basics of cyber security.

Topic : UN backs Russia on internet convention

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र ने रूस की ओर से किये गये प्रयास को मानते हुए साइबर अपराध पर एक नई अंतर्राष्ट्रीय संधि पर अपनी सहमति दे दी है.

रूस के इस प्रस्ताव पर चीन की भी सहमति थी. इस प्रस्ताव को महासभा ने सहमति देते हुए निर्णय किया है कि वह प्रस्तावित संधि के लिए 2020 में अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी.

अमेरिका और अधिकारवादी समूहों की आपत्ति

अमेरिका और कई अधिकारवादी समूह को संदेह है कि रूस का यह प्रस्ताव ऑनलाइन स्वतंत्रता को क्षति पहुँचायेगा क्योंकि नई संधि बनने से बुडापेस्ट संधि निरर्थक हो जायेगी.

विदित हो कि बुडापेस्ट संधि यूरोपीय परिषद् द्वारा तैयार की गई थी और इसमें कालांतर में अमेरिका और जापान सहित कई अन्य देश शामिल हुए थे.

रूस सदा बुडापेस्ट संधि के विरुद्ध था क्योंकि उसका विचार था कि उसमें जाँच-पड़ताल करने वालों को किसी भी देश में जाकर कंप्यूटर डाटा लेने का अधिकार दिया गया है जो राष्ट्रीय संप्रभुता का उल्लंघन है.

बुडापेस्ट संधि क्या है?

  • बुडापेस्ट संधि साइबर अपराध से सम्बंधित विश्व की पहली अंतर्राष्ट्रीय संधि है.
  • इसे यूरोप की परिषद् ने तैयार किया था और इस कार्य में उसे कनाडा, जापान, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका का साथ मिला था.
  • सितम्बर, 2019 तक इस संधि को 64 देशों ने अपना लिया था.

बुडापेस्ट संधि के उद्देश्य

  • बुडापेस्ट संधि का उद्देश्य इन गतिविधियों को अपराध घोषित करना है – डाटा तक अवैध पहुँच, कंप्यूटर से जुड़ी जालसाजी और बाल पोर्नोग्राफी.
  • यह संधि साइबर अपराध की जाँच के लिए प्रक्रियात्मक कानून का प्रावधान करती है. इसमें किसी अपराध के संदर्भ में ई-साक्ष्य लेने का भी प्रावधान किया गया है.

इसके अतिरिक्त इसमें अंतर्राष्ट्रीय पुलिस और न्यायालयों के बीच साइबर अपराध और ई-साक्ष्य लेने के लिए आपसी सहयोग लेने का प्रावधान किया गया है.

भारत ने अब तक इस संधि पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किये हैं?

  • भारत संधि के लिए हुई वार्ता में शामिल नहीं हुआ था क्योंकि इसे शुरू से ही कुछ आपत्तियाँ रही थीं.
  • संधि की धारा32b डाटा की सीमा-पार पहुँच की अनुमति देती है जिससे भारत राष्ट्रीय सम्प्रभुता का उल्लंघन मानता है.
  • संधि में सहयोग का जो वादा किया गया है वह कमजोर प्रतीत होता है क्योंकि असहयोग करने के आधार भी वर्णित हैं.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : The India State of Forest Report 2019

संदर्भ

भारत में वनों की दशा से सम्बंधित 2019 का प्रतिवेदन प्रकाशित हो गया है.

मुख्य निष्कर्ष

  1. विगत दो वर्षों में पेड़ और जंगल 5,188 वर्ग किलोमीटर बढ़ गये हैं.
  2. 2017 के आकलन के पश्चात् देश में कार्बन के भंडार में 42.6 मिलियन टन की बढ़ोतरी हुई है.
  3. रिपोर्ट के अनुसार, वन आवरण में 3,976 वर्ग किमी (0.56 प्रतिशत) की वृद्धि हुई, जबकि वृक्षों में 1,212 वर्ग किमी (1.29 प्रतिशत) की वृद्धि हुई. अब भारत का कुल वन आवरण 7,12,249 वर्ग किमी है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.67 प्रतिशत है.
  4. जंगल के अतिरिक्त कई जगह पेड़ों के झुण्ड पाए जाते हैं. यदि ये एक हेक्टेयर से कम होते हैं तो उनको जंगल न कहकर वृक्ष समूह कहा जाता है. अनुमान है कि ऐसे वृक्ष समूहों का क्षेत्रफल 95,027 वर्ग किलोमीटर है जो सम्पूर्ण भूभाग का 2.89% है.
  5. पूर्वोत्तर भारत में जंगलों के फैलाव में 0.45% अर्थात् 765 वर्ग किलोमीटर की घटत हुई है. इस क्षेत्र में मात्र असम और त्रिपुरा की स्थिति अच्छी है.
  6. पूर्वोत्तर में जंगलों की घटत का मुख्य कारण झूम खेती (Shifting Cultivation) की परम्परा बताई जाती है.
  7. देश में मैन्ग्रोव जंगल पिछले आकलन की तुलना में 1.10% अर्थात् 54 वर्ग किलोमीटर बढ़े हैं.
  8. पिछले दो वर्षों में जंगलों का सबसे अधिक फैलाव कर्नाटक में हुआ है. उसके बाद क्रमशः आंध्र प्रदेश और केरल का स्थान है.
  9. वन आवरण में वृद्धि के मामले में शीर्ष पाँच राज्य कर्नाटक (1,025 वर्ग किमी), आंध्र प्रदेश (990 वर्ग किमी), केरल (823 वर्ग किमी), जम्मू और कश्मीर (371 वर्ग किमी) और हिमाचल प्रदेश (334 वर्ग किमी) हैं.
  10. पिछले अनुमान की तुलना में देश में बाँस की खेती का क्षेत्र 3,229 वर्ग किलोमीटर बढ़कर 1,60,037 वर्ग किलोमीटर हो गया है.

GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : National Children’s Science Congress (NCSC)

संदर्भ

राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस (National Children’s Science Congress – NCSC) का नवीनतम संस्करण तिरुवनंतपुरम में आयोजित किया गया.

इस वर्ष की थीम थी – “स्वच्छ, हरित और स्वस्थ राष्ट्र के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार”/“Science, Technology and Innovation for a Clean, Green and Healthy Nation”.

NCSC क्या है?

राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस (NCSC) एक राष्ट्रीयव्यापी विज्ञान संचार कार्यक्रम है जो 1993 से चल रहा है. यह कार्यक्रम भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् (National Council for Science and Technology Communication – NCSTC) का कार्यक्रम है.

इस मंच में 10 से 17 वर्ष के बच्चे शामिल होते हैं. ये बच्चे किसी स्कूल के अथवा स्कूल में नहीं पढ़ने वाले भी हो सकते हैं. इस मंच पर आकर वे अपनी रचनात्मकता एवं नवाचार का प्रदर्शन करते हैं. ये बच्चे स्थानीय स्तर पर अनुभव की जाने वाली सामाजिक समस्याओं को वैज्ञानिक तरीके से समाधान करने में अपनी योग्यता को विशेषकर प्रदर्शित करते हैं.

NCSTC क्या है?

राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् का मुख्य काम जन-साधारण तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को पहुँचाना है. इस परिषद् के कार्यक्रमों में यह प्रयास होता है कि समाज में जानकारी से युक्त निर्णय लेने की क्षमता को कैसे बढ़ाया जाए. जिन क्षेत्रों में यह परिषद् अनुसंधान को बढ़ावा देती है, वे हैं – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का प्रसारण; वक्ताओं को प्रशिक्षण; पुस्तकों, हस्तकों, पोस्टरों, प्रदर्शनियों, फिल्मों, रेडियो कार्यक्रमों का विकास. यह परिषद् देशभर के बच्चों को विभिन्न पुरस्कार और प्रोत्साहन राशि भी देती है.

इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. इसमें सभी राज्यों और केंद्र-शाषित क्षेत्रों के 80 सदस्य होते हैं. जिला-स्तर पर भी कई स्वैच्छिक सेवा देने वाले व्यक्ति होती हैं जो परिषद् की परियोजनाओं सुदृढ़ एवं फलदायी बनाने में अपना योगदान करते हैं.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Security challenges and their management in border areas.

Topic : Armed Forces (Special Powers) Act (AFSPA)

संदर्भ

गृह मंत्रालय द्वारा सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम, 1958 (AFSPA) के तहत पूरे नागालैंड राज्य को छह और महीनों के लिए “अशांत क्षेत्र” घोषित कर दिया गया है.

AFSPA क्या है?

  • सरल शब्दों में कहा जाए तो AFSPA वह अधिनियम है जो सैन्य बलों को उपद्रवग्रस्त क्षेत्रों में विधि-व्यवस्था बनाने के लिए शक्ति प्रदान करता है.
  • इसके अनुसार सैन्य बल को यह अधिकार होता है कि किसी क्षेत्र में वह पाँच या उससे अधिक लोगों के जमावड़े को प्रतिबंधित कर सकता है.
  • इसके अतिरिक्त वह बल का प्रयोग कर सकता है अथवा समुचित चेतवानी के बाद गोली भी चला सकता है यदि उसको लगे कि कोई व्यक्ति विधि का उल्लंघन कर रहा है.
  • यदि सैन्य बल को लगे कि किसी व्यक्ति की गतिविधियाँ संदेहास्पद हैं तो वह उस व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकता है.
  • सेना किसी भी घर में घुसकर बिना वारंट के तलाशी ले सकती है और आग्नेयास्त्र रखने पर रोक लगा सकती है. यदि कोई व्यक्ति गिरफ्तार होता है अथवा कस्टडी में लिया जाता है तो सेना उसे निकटतम पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी को गिरफ्तारी की परिस्थितियों का विवरण देते हुए सौंप सकती है.

सैन्य बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम 1958 में पारित हुआ था और उसको समूचे तत्कालीन असम राज्य और मणिपुर संघीय क्षेत्र पर लागू किया गया था. कालांतर में जब फरवरी 20, 1987 को असम के विभाजन के उपरान्त अरुणाचल प्रदेश का सृजन हुआ तो यह विवादित अधिनियम वहाँ स्वतः लागू हो गया. आगे चलकर मेघालय, मिजोरम और नागालैंड राज्य अस्तित्व में आये तो इस अधिनियम को थोड़- बहुत संशोधित करते हुए इन राज्यों पर भी लागू कर दिया गया.

उपद्रवग्रस्त क्षेत्रकिसे कहते हैं?

उपद्रवग्रस्त क्षेत्र उस क्षेत्र को कहते हैं जिसको AFSPA के अनुभाग 3 के अंतर्गत इस रूप में अधिसूचित किया जाता है. किसी क्षेत्र के उपद्रवग्रस्त घोषित होने के कारण अनेक हो सकते हैं, जैसे – धार्मिक, नस्ली, भाषाई, जातीय, सामुदायिक, क्षेत्रीय.

केंद्र सरकार अथवा सम्बंधित राज्य के राज्यपाल अथवा सम्बंधित संघीय क्षेत्र के प्रशासक राज्य अथवा सनघीय क्षेत्र के सम्पूर्ण भाग अथवा एक भाग को उपद्रवग्रस्त क्षेत्र घोषित कर सकते हैं. इसके लिए शासकीय राजपत्र में अधिसूचना निकाली जाती है.

फिलहाल इनर लाइन परमिट की आवश्यकता भारतीय नागरिकों को तब होती है जब वह इनतीन राज्यों प्रवेश करना चाहते हैं – अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड. इस विधेयक के पास हो जाने पर मणिपुर में भी यह परमिट लागू हो गया है. वर्तमान में यह परमिटमात्र यात्रा के लिए निर्गत होते हैं. इसमें यह प्रावधान है कि ऐसे यात्री सम्बंधित राज्य में भूसंपदा नहीं खरीद सकेंगे.

वर्तमान में यह परमिटमात्र यात्रा के लिए निर्गत होते हैं. इसमें यह प्रावधान है कि ऐसे यात्री सम्बंधित राज्य में भूसंपदा नहीं खरीद सकेंगे.


Prelims Vishesh

eBkry portal :-

  • जब्त की हुई संपत्तियों को बैंक पारदर्शितापूर्वक नीलाम करे और इसमें अधिक से अधिक पैसे की उगाही करे, इस बात को ध्यान में रखकर केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने पिछले दिनों एक पोर्टल खोला है जिसका नाम eBkry है.
  • इस पोर्टल में संपत्तियों को ढूँढा जा सकता है और सार्वजनिक बैंकों के द्वारा चलाये जा रहे सभी ई-नीलामी साईट इससे जुड़े होते हैं.

M.P. gets its first elephant colony in Bandhavgarh forest :

  • मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ जंगल में बाहर से आये हाथी बस गये हैं और उनके बच्चों का भी प्रजनन हुआ है. ऐसा पहली बार हुआ है कि मध्य प्रदेश में हाथियों का एक उपनिवेश बनने जा रहा है.
  • ज्ञातव्य है कि बांधवगढ़ जंगल मूलतः एक व्याघ्र आश्रयणी है जो राज्य की सबसे पूर्वात्तर सीमा पर सतपुड़ा पहाड़ियों के उत्तरी छोर पर अवस्थित है.

Central Equipment Identity Register (CEIR) :

  • दूरसंचार विभाग ने एक केन्द्रीय उपकरण पहचान पंजी (CEIR) परियोजना शुरू की है जिसका उद्देश्य चोरी किये गये मोबाइल फ़ोन को ब्लॉक करना और ऐसे फ़ोनों की स्थिति का पता लगाना है.
  • यह प्रणाली नकली IMEI पर भी अंकुश लगाएगी और नकली मोबाइल फ़ोनों के प्रचलन को प्रतिबंधित करेगी.
  • इस प्रणाली को सबसे पहले मुंबई में लॉन्च किया गया था.

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