Sansar Daily Current Affairs, 31 December 2020
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections
Topic : Inner Line Permit
संदर्भ
मेघालय की सिविल सोसाइटी समूहों द्वारा ब्रिटिश-कालीन इनर-लाइन परमिट (Inner Line Permit- ILP) को लागू करने की पुनः से तीव्र कर दी गई है.
मेघालय में इनर-लाइन परमिट की माँग क्यों?
मेघालय में इनर-लाइन परमिट की मांग का प्रमुख कारण, पूर्वोत्तर की स्थानीय जनसंख्या के बीच ‘अवैध आप्रवासियों के प्रवाह’, इसका प्रभाव और दीर्घकालिक नुकसान का डर है. पूर्वोत्तर भारत की सीमाएं चीन, म्यांमार, बांग्लादेश और भूटान जैसे देशों के साथ लगी हुई हैं.
इनर लाइन परमिट (ILP) क्या है?
- Inner Line Permit सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो भारत के किसी नागरिक को किसी संरक्षित क्षेत्र के भीतर सीमित अवधि के लिए प्रवेश की छूट देटा है.
- फिलहाल Inner Line Permit की आवश्यकता भारतीय नागरिकों को तब होती है जब वह इन चार राज्यों में प्रवेश करना चाहते हैं – अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड.
- वर्तमान में यह परमिट मात्र यात्रा के लिए निर्गत होते हैं.
- इसमें यह प्रावधान है कि ऐसे यात्री सम्बंधित राज्य में भूसंपदा नहीं खरीद सकेंगे.
इतिहास
इनर लाइन परमिट का इतिहास बंगाल पूर्वी-सीमांत नियमन अधिनियम 1873 (Bengal Eastern Frontier Regulation Act 1873) से आरम्भ होता है. इस अधिनियम को अंग्रेजों ने कतिपय घोषित क्षेत्रों में प्रवेश को सीमित करने के लिए गढ़ा था.
इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में ब्रिटिश नागरिकों अर्थात् भारतीयों को व्यापार करने से रोकना और अंग्रेजों के हितों की सुरक्षा करना था. स्वतंत्रता के पश्चात् 1950 में इस अधिनियम में संशोधन करके “ब्रिटिश नागरिक” के स्थान पर “भारतीय नागरिक” कर दिया गया था.
आज सभी बाहरी निवासियों को यह परमिट लेना पड़ता है जिससे इन राज्यों के मूल जातीय समुदाय शोषण से बच सकें.
विदेशियों के लिए ILP
ILP मात्र घरेलू पर्यटकों के लिए ही है. जहाँ तक विदेशी पर्यटकों की बात है उनको इस परमिट की आवश्यकता नहीं होती है, परन्तु मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड में प्रवेश करते समय इन्हें पंजीकरण करवाना पड़ता है. अरुणाचल प्रदेश पर्यटकों को भारत सरकार के गृह मंत्रालय से सुरक्षित क्षेत्र अनुमति (Protected Area Permit – PAP) अथवा प्रतिबंध क्षेत्र अनुमति (Restricted Area Permit – RAP) लेने की आवश्यकता पड़ती है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.
Topic : Bangladesh moves nearly 2,000 Rohingya refugees to remote island
संदर्भ
बांग्लादेश ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद रोहिंग्या शरणार्थियों को बंगाल की खाड़ी में स्थित एक विवादित बाढ़-प्रवण भासन चार द्वीप (Bhashan Char island) पर स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है.
संबंधित चिंताएं
भासन चार द्वीप का निर्माण मात्र 20 वर्ष पूर्व बंगाल की खाड़ी में हिमालयन गाद से हुआ था. वर्ष 2015 में, बांग्लादेश द्वारा इस विचार को पेश किये जाने के समय से ही भासन चार द्वीप पर मौसमी चरम स्थितियों और आपात स्थिति में मुख्य भूमि से दूरी को लेकर लगातार चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं.
रोहिंग्या कौन हैं?
- रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहने वाला एक समुदाय है जिसमें अधिकांश मुसलमान हैं.
- उस देश में रोहिंग्याओं को पूर्ण नागरिकता प्राप्त नहीं है और उन्हें निवासी विदेशी अथवा सह-नागरिक के रूप में वर्गीकृत किया गया.
- नस्ल की दृष्टि से ये म्यांमार में रहने वाले चीनी तिब्बती लोगों से अलग हैं और थोड़ा बहुत भारत के और बांग्लादेश के भारतीय आर्य जनों से मिलते-जुलते हैं.
- इनकी भाषा और संस्कृति सभी देशों से बिल्कुल अलग है.
- म्यांमार में 10 लाख से अधिक रोहिंग्या बसते हैं पर म्यांमार उन्हें अपना नागरिक मानने को तैयार नहीं है. न ही इस प्रजाति को कोई सरकारी ID या चुनाव में भाग लेने का अधिकार दिया गया है.
रोहिंग्या संकट का इतिहास
अधिकांश रोहिंग्या मुसलमान हैं लेकिन कुछ रोहिंग्या अन्य धर्मों का भी अनुसरण करते हैं. 2017 में रोहिंग्या समुदाय के लोगों के विरुद्ध म्यांमार में हिंसा हुई थी. इस हिंसा के बाद लाखों रोहिंग्या म्यांमार को छोड़ कर कहीं और चले गए. अब भी कई रोहिंग्या म्यांमार में ही रखाइन के राहत शिविरों में दिन काट रहे हैं.
रोहिंग्या समुदाय को सदियों पहले अराकान (म्यांमार) के मुग़ल शासकों ने यहाँ बसाया था, साल 1785 में, बर्मा के बौद्ध लोगों ने देश के दक्षिणी हिस्से अराकान पर कब्ज़ा कर लिया था. उन्होंने हजारों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों को खदेड़ कर बाहर भगाने की कोशिश की. इसी के बाद से बौद्ध धर्म के लोगों और इन मुसलमानों के बीच हिंसा और कत्लेआम का दौर शुरू हुआ जो अब तक जारी है.
क्या रोहिंग्या मुसलमान भारत के लिए खतरनाक हैं?
एक रिपोर्ट के अनुसार रोहिंग्या बड़ी संख्या में जम्मू के बाहरी भागों में और जम्मू के साम्बा और कठुआ इलाकों में बस गए हैं. ये इलाके हमारे अंतर्राष्ट्रीय सीमा से अधिक दूर नहीं है जो भारत की सुरक्षा के लिए एक खतरा है.
अता उल्लाह जो Arkan Rohingya Salvation Army का सरगना है, उसका जन्म कराँची, पाकिस्तान में हुआ था. इसकी परवरिश मक्का में हुई. ऐसा कहा जाता है कि रोहिंग्या मुसलमान पाकिस्तान के आतंकवाद संगठनों के साथ जुड़े हुए हैं और लगातार उनसे संपर्क में रहते हैं. सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन द्वारा रोहिंग्या, जो बांग्लादेश के शरणार्थी कैंपों में रह रहे हैं, को आंतकवादी बनाया जा रहा है और पूरे देश की अशांति फैलाने के लिए इनका इस्तेमाल भी किया जा रहा है. सऊदी अरबिया का वहाबी ग्रुप इन्हें आंतकवाद की ट्रेनिंग दे रहा है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Govt Bodies, Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : National Film Development Corporation: NFDC
संदर्भ
मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (National Film Development Corporation: NFDC) के साथ चार फिल्म मीडिया इकाइयों के विलय को स्वीकृति प्रदान कर दी है.
राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम
- राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NFDC) एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्रक उपक्रम है.
- इसे वर्ष 1975 में निगमित किया गया था.
- इसका उद्देश्य मारतीय फिल्म उद्योग के संगठित, कुशल और एकीकृत विकास को बनाए रखना व प्रोत्साहित करना है.
फिल्म और मीडिया इकाइयाँ जिनका विलय किया गया है:
फिल्म्स डिवीज़न
इसे वर्ष 1948 में स्थापित किया गया था. इसे मुख्य रूप से सरकारी कार्यक्रमों के प्रचार हेतु डॉक्यूमेंटरी (वृत्तचित्र) बनाने और समाचार पत्रिकाओं का प्रकाशन करने तथा भारतीय इतिहास का एक सिनेमाई रिकॉर्ड रखने के लिए विकसित किया गया था.
बाल फिल्म सोसाइटी
इसकी स्थापना वर्ष 1955 में की गई थी. इसका उद्देश्य फिल्मों के माध्यम से बच्चों और युवाओं को मूल्य-आधारित मनोरंजन प्रदान करना है.
भारतीय राष्ट्रीय फिल्म संग्रहालय
इसकी स्थापना वर्ष 1964 में भारतीय सिनेमाई विरासत के संग्रह और संरक्षण के प्राथमिक उद्देश्य के साथ की गई थी.
फिल्म समारोह निदेशालय
इसकी स्थापना वर्ष 1973 में भारतीय फिल्मों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए की गई थी.
विलय के सम्भावित लाभ
- फिल्मों / ओटीटी (ओवर द टॉपः OTT) मंचों की विषयवस्तु, बच्चों से संबंधित विषयवस्तु, एनीमेशन, लघु फिल्मों और वृत्तचित्रों सहित अपनी सभी शैलियों की फीचर फिल्मों में भारतीय सिनेमा का संतुलित एवं केंद्रित विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा.
- बुनियादी ढांचे तथा जनशक्ति का बेहतर और कुशलतापूर्वक उपयोग संभव हो सकेगा.
- गतिविधियों के दोहराव में कमी आएगी और सरकारी कोष की बचत की जा सकेगी.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Conservation related issues.
Topic : Uttarakhand: First tiger to be shifted to Rajaji from Corbett Tiger Reserve this week
संदर्भ
उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (JCTR) से राजाजी टाइगर रिजर्व (RTR) में पहले बाघ का स्थानांतरण किया गया है.
इस परियोजना के एक हिस्से के रूप में राजाजी टाइगर रिजर्व (RTR) में बाघों की संख्या को बढ़ाने क॑ लिए एक मादा बाघ को स्थानांतरित किया जाएगा.
पृष्ठभूमि
राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी भाग में बाघों के स्थानांतरण की परियोजना को वर्ष 2016 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा अनुमोदित किया गया था.
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) बाघ संरक्षण प्रयासों को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत स्थापित एक सांविधिक निकाय है.
मुख्य तथ्य
जीवित स्वदेशी पादपों या जीवों की एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रबंधित आवाजाही को स्थानांतरण अथवा स्थान-परिवर्तन के रूप में संदर्भित किया जाता है.
यह निम्नलिखित कारणों से किया जाता है:
- एक प्रजाति की उत्तरजीविता या स्वास्थ्य-लाभ (रिकवरी) की संभावना को बढ़ाने के लिए.
- एक पुनर्स्थापना कार्यक्रम के भाग के रूप में.
- एक विशिष्ट उद्देश्य, जैसे रक्षा अथवा समर्थन, शिक्षा या वैज्ञानिक अध्ययन के लिए एक प्रजाति को स्थानांतरित करना.
राजाजी टाइगर रिजर्व
यह उत्तराखंड में हिमालय की शिवालिक श्रेणी में स्थित है. यह जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बाद उत्तराखंड का दूसरा टाइगर रिजर्व है.
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व
जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है. यह सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है. इसे भारत में लुप्तप्राय (इन्डैन्जर्ड) रॉयल बंगाल टाइगर के संरक्षण के लिए वर्ष 1936 में स्थापित किया गया था. इस उद्यान को प्रोजेक्ट टाइगर पहल के अंतर्गत सर्वप्रथण शामिल किया गया था.
Prelims Vishesh
Pedalandariki Illu :-
- हाल ही में, आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा पेदलंदरिकी इलू अर्थात ‘सभी गरीबों के लिए घर’ Pedalandariki Illu) योजना के तहत आवास-स्थलों के वितरण का कार्य शुरू किया गया है.
- इस योजना के तहत राज्य में लगभग 6 लाख लोगों के लिए किफायती आवास प्रदान किए जाने की आशा है.
MRSAM (medium-range surface-to-air missile) :-
- हाल ही में, MRSAM द्वारा इस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है.
- विदित हो कि MRSAM मिसाइल को सेना के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) के सहयोग से विकसित किया गया है.
- MRSAM के सेना संस्करण में एक कमांड-एंड-कंट्रोल पोस्ट, मल्टी-फंक्शन रडार और मोबाइल लॉन्चर प्रणाली शामिल हैं.
- विदित हो कि की मई 2019 में, भारतीय नौसेना, DRDO और IAI द्वारा MRSAM के नौसेना संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था.
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