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Sansar Daily Current Affairs, 31 January 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : International Year Of The Periodic Table
संदर्भ
आवर्त सारणी (periodic table) के संयोजन की 150वीं वर्षगाँठ मनाने के लिए UNESCO ने अंतर्राष्ट्रीय आवर्त सारणी दिवस आयोजित करने का निर्णय लिया है.
आवर्त सारणी से सम्बंधित मुख्य तथ्य
- इस सारणी को सबसे पहले 1869 में रूसी वैज्ञानिक दिमित्री मेंडलीव ने प्रकाशित किया था.
- इस सारणी में रसायनिक तत्त्वों को उनके अणु के अंदर प्रोटोनों की संख्या और अन्य गुणों के अनुसार सजाया गया होता है.
- इस सारणी में सात कतारें होती हैं जिन्हें पीरियड कहा जाता है. इसके अतिरिक्त इसमें 18 स्तम्भ भी होते हैं जो ग्रुप कहलाते हैं.
- सारणी में वर्णित एक ग्रुप के सभी तत्त्वों के गुण एक जैसे होते हैं. साथ ही एक पीरियड में दिखाए गये तत्त्वों के अणुओं के अंदर परिक्रमा करने वाले परमाणुओं की संख्या भी एक होती है.
- सारणी में वर्णित अधिकांश तत्त्व धातु तत्त्व होते हैं जिनकी छ: श्रेणियाँ होती हैं – क्षार धातुएँ, क्षारीय मृदा, बुनियादी धातुएँ, रूपांतरित होने वाली धातुएँ, लेंथेनाइड और एक्टीनाइड. ये सभी तत्त्व सारणी में बायीं ओर दिखाई जाती हैं, जबकि अधात्विक तत्त्वों को दाईं ओर एक टेढ़ी-मेढ़ी पंक्ति में सजाया जाता है.
- कई बार ऐसा होता है कि लेंथेनाइड और एक्टीनाइड एक अलग हिस्से में दिखाया जाता है.
- आवर्त सारणी उपयोगी होता है क्योंकि इससे लोग तत्त्वों के विभिन्न गुणधर्मों के बीच के सम्बन्ध को समझ सकते हैं.
आवर्त सारणी का संधारण कौन करता है?
- आवर्त सारणी के संधारण के लिए अंतर्राष्ट्रीय शुद्ध अनुप्रयुक्त रसायनशास्त्र संघ (International Union of Pure Applied Chemistry – IUPAC) उत्तरदायी होता है.
- IUPAC एक ऐसा संघ है जिसमें अलग-अलग देशों के रसायनशास्त्री प्रतिनिधि होते हैं.
- इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिच शहर में है.
- इसकी स्थापना 1919 में हुई थी.
1001 आविष्कार
UNESCO ने एक शैक्षणिक पहल करते हुए 1000 अविष्कार (1001 inventions) ऑल्केमी से रसायनशास्त्र तक की यात्रा का भी अनावरण किया है. इस पहल के अंतर्गत युवाओं को शैक्षणिक सामग्री और वैज्ञानिक प्रयोग की सुविधा दी जायेगी जिससे वे रसायनशास्त्र की अपनी समझ को बढ़ा सकें और उसके अनेक उपयोगों के बारे में जानें. 2019 में यह पहल पूरे विश्व के स्कूलों में लागू की जायेगी.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Corruption Perception Index 2018
संदर्भ
भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक (CPI) 2018 हाल ही में प्रकाशित किया गया है.
CPI क्या होता है?
- इस सूचकांक में 180 देशों और भूभागों को शामिल किया गया है.
- इसमें विशेषज्ञों और व्यवसाइयों से पूछा जाता है कि उनके मन में सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के स्तर के बारे में क्या अवधारणा है. इसी आधार पर देशों को रैंकिंग दी जाती है. इसमें यह देखा जाता है कि सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार करने पर पकड़े जाते हैं अथवा वे बच निकलते हैं. विशेषज्ञों से इस बात की भी जानकारी ली जाती है कि घूसखोरी का चलन वे कितना देखते हैं और क्या सार्वजनिक संस्थाएँ नागरिकों की आवश्यकताओं के प्रति सजग हैं?
- यह सूचकांक एक मिश्रित सूचकांक है जिसमें देशों को रैंक देने के लिए 12 प्रकार के सर्वेक्षण किये जाते हैं.
- इस सूचकांक को विश्व में बहुत सम्मान दिया जाता है और विश्लेषक और निवेशक भ्रष्टाचार के मामले में इसे विश्वसनीय मानते हुए इसका उपयोग करते हैं.
- सूचकांक में 0 से लेकर 100 तक का एक मापदंड होता है जिसमें जीरो का अर्थ हुआ “बहुत अधिक भ्रष्ट” और 100 का अर्थ हुआ “सबसे साफ़-सुथरा”.
सूचकांक के निष्कर्ष
- सूचकांक के अनुसार डेनमार्क सबसे कम भ्रष्ट देश है. उसको 100 में 88 अंक मिले हैं. उसके बाद क्रमशः न्यूज़ीलैंड और फ़िनलैंड का स्थान आता है.
- सबसे भ्रष्ट देश सोमालिया को दिखाया गया है जिसे 10 अंकों के साथ सूचकांक के अंत में रखा गया है. इसके ऊपर दक्षिणी सुडान और सीरिया हैं.
- सूचकांक में जिन देशों का अध्ययन किया गया है उनमें 2/3 को 50 अंक से कम मिले हैं.
- ऐसा पहली बार हुआ है कि अमेरिका शीर्षस्थ 20 देशों में नहीं है क्योंकि उसको इसमें 22वाँ स्थान दिया गया है.
- विदित हो कि ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल नामक संस्था ने ब्राज़ील और अमेरिका को उन देशों की सूची में रखा था जिनके निरीक्षण की आवश्यकता है.
भारत का प्रदर्शन
- इस बार भारत को 78वाँ स्थान मिला है जबकि पिछले वर्ष इसका स्थान 81वाँ था.
- जहाँ तक CPI अंकों की बात है तो भारत गत वर्ष की तुलना में एक अंक बढ़कर इस वर्ष 41 पर पहुँच गया है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : “The Future of Rail” Report
संदर्भ
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने हाल ही में “रेल का भविष्य” नामक प्रतिवेदन प्रकाशित किया है. इसमें यह पड़ताल की गई ही कि वैश्विक परिवहन व्यवस्था में रेल की भूमिका को कैसे बढ़ावा दिया जाए कि जिससे ऊर्जा की खपत घटे और परिवहन के कारण पर्यावरण पर होने वाले दुष्प्रभाव रोके जा सकें.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- माल और यात्रियों के लिए रेल सबसे अधिक ऊर्जा बचाने वाला परिवहन का साधन है. विश्व-भर में 8% यात्री और 7% माल रेल से ही आते-जाते हैं. परन्तु इनमें होने वाली ऊर्जा की खपत 2% मात्र होती है.
- आज के दिन में यात्रिक रेल परिचालन का ¾ भाग बिजली से चलता है जो वर्ष 2000 की तुलना में 60% अधिक है.
- यूरोप, जापान और रूस में सबसे अधिक बिजली की ट्रेनें हैं. दूसरी ओर उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के देश आज भी डीजल पर बहुत अधिक निर्भर हैं.
- लगभग सभी जगह माल गाड़ियों की तुलना में सवारी गाड़ियाँ बिजली पर अधिक चलती हैं.
- बुलेट, मेट्रो आदि ट्रेनों को छोड़कर विश्व में अधिकांश रेलें उत्तरी अमेरिका, यूरोप, चीन, रूस, भारत और जापान में संचालित होती हैं. वस्तुतः इन क्षेत्रों में विश्व-भर 90% यात्री यात्रा करते हैं. इनमें भी भारत (39%) और चीन (27%) सबसे आगे है.
- कई देशों में अब तीव्र गति की ट्रेनों और मेट्रो ट्रेनों में अच्छा-ख़ासा निवेश हो रहा है. इस मामले में सबसे तेज़ विकास चीन में हुआ है.
भारत की स्थिति
- देश के विकास और लोगों तथा मालों के आवागमन में भारतीय रेल प्रणाली ने एक आधारभूत भूमिका निभाई है और देश के विभिन्न बाजारों और समुदायों को एकात्म किया है.
- 2000 की तुलना में भारत में रेल यात्रियों की संख्या में 200% और माल-ढुलाई में 150% की वृद्धि हुई है. पर अभी भी बहुत कुछ करने की गुंजाइश बनी हुई है.
- भारत में पारम्परिक रेल पथों की कुल लम्बाई 68,000 किमी. के लगभग है. मेट्रो की गाड़ियाँ 10 शहरों में चल रही हैं और अगले कुछ वर्षों में 600 किमी. नई मेट्रो लाइनें बिछाने की योजना है.
- आज की तिथि में भारत के पास तीव्र गति की कोई रेल नहीं है. वर्तमान में अहमदाबाद और मुंबई के बीच एक बुलेट ट्रेन चलाने की योजना है जो 2023 में पूरी हो जाएगी.
- तीव्र गति की सात अन्य रेल लाइनों के निर्माण पर भी विचार चल रहा है. ये लाइनें दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता और चेन्नई को जोड़ेंगी और इनसे बीच-बीच के शहरों को भी लाभ होगा.
IEA क्या है?
IEA एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय है जिसकी स्थापना 1974 इसलिए किये गयी थी कि उस वर्ष खनिज तेल की आपूर्ति में जो बाधाएँ आई थीं उनका निराकरण किया जा सके. तब से इस निकाय की गतिविधियों में विविधता और विस्तार हुआ है.
IEA के प्रमुख कार्य
- IEA ऊर्जा से सम्बंधित सभी विषयों की पड़ताल करता है, जैसे – तेल, गैस और कोयला आपूर्ति एवं माँग, नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक, बिजली बाजार, ऊर्जा क्षमता, ऊर्जा की उपलब्धता, माँग का प्रबंधन आदि आदि.
- IEA उन नीतियों का पक्षधर है जिनसे इसके सदस्य देशों और अन्य देशों में ऊर्जा की विश्वसनीयता, सुलभता एवं सततता में वृद्धि हो सकती है.
- IEA प्रशिक्षण एवं क्षमता वृद्धि के लिए कार्यशालाओं, भाषणों एवं संसाधनों के कई कार्यक्रम चलाता ही है, इसके अतिरिक्त इसने कुछ प्रतिवेदन आदि भी प्रकाशित किये हैं, जैसे – इसका अपना मुख्य पत्र विश्व ऊर्जा दृष्टिकोण (World Energy Outlook), IEA बाजार प्रतिवेदन (IEA Market Reports), मुख्य विश्व ऊर्जा आँकड़े तथा मासिक खनिज तेल डाटा सेवा.
GS Paper 2 Source: Down to Earth
Topic : Africa Centre for Climate and Sustainable Development
संदर्भ
हाल ही में रोम में इटली के प्रधानमंत्री जिसेप कोंत ने जलवायु एवं सतत विकास हेतु अफ्रीका केंद्र (Africa Centre for Climate and Sustainable Development) का लोकार्पण किया. इस केंद्र का निर्माण इटली की सरकार ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के साहचर्य से किया है.
केंद्र के उद्देश्य
- यह केंद्र G7 के देशों और अफ्रीका के देशों के द्वारा अफ्रीका में की गई पहलों का समन्वयन करेगा जिससे कि पेरिस समझौते और 2030 एजेंडे में निर्धारित किये गये लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके.
- यह केंद्र G7 देशों को एक ऐसा मंच प्रदान करेगा जहाँ वे अफ्रीका की आवश्यकताओं के समाधान के लिए मिल-जुल कर कार्य कर सकेंगे और पर्यावरण में होते हुए क्षय को रोक कर इस क्षेत्र में सतत आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दे सकेंगे.
- इस केंद्र के माध्यम से अफ्रीकी देश तेजी से अपनी नीतियों, पहलों और उत्कृष्ट प्रथाओं को इन क्षेत्रों में लागू करने के लिए आवश्यक संसाधन प्राप्त कर सकेंगे – जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, जल की उपलब्धता, स्वच्छ ऊर्जा और सतत विकास लक्ष्य की प्राप्ति.
- यह केंद्र UNDP के द्वारा संचालित होगा. UNDP इसके लिए अपने व्यापक स्थानीय कार्यालयों और कार्यक्रमों से जुड़े हुए संकुलों का लाभ उठाएगा. UNDP के पास उपलब्ध वैश्विक विशेषज्ञता और जानकारी का लाभ अफ्रीका के देशों को मिल सकेगा.
GS Paper 3 Source: Down to Earth
Topic : Effects of global warming on El Niño in the 21st Century
संदर्भ
“नेचर” नामक पत्रिका ने हाल ही में एक अध्ययन प्रकाशित किया है जिसमें 21वीं शताब्दी में वैश्विक तामपान वृद्धि के एल नीनो पर होने वाले प्रभावों का वर्णन किया गया है.
अध्ययन के मुख्य तथ्य
- यद्यपि एल नीनो उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सक्रिय हुआ करता है तथापि यह पूरे विश्व की जलवायु पर दुष्प्रभाव छोड़ता है जिसके चलते प्रत्येक बार करोड़ों डॉलर की क्षति होती है.
- अध्ययन के अनुसार ऐसी घटनाएँ आगामी दशकों में बढ़ने ही वाली है.
- उपलब्ध डाटा इतना पर्याप्त नहीं है कि भरोसे के साथ कहा जाए कि वैश्विक तापमान में वृद्धि का उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में क्या प्रतिक्रिया होती है. वस्तुतः एल नीनो पर तापमान की वृद्धि के अतिरिक्त अन्य कई कारक अपना प्रभाव डालते हैं, इसलिए मौसम का पूर्वानुमान करना सरल नहीं होता.
- इसके लिए आवश्यक प्रतीत होता है कि 20वीं शताब्दी में एल नीनो का प्रदर्शन कैसा रहा उसका अध्ययन करते हुए इस विषय में स्पष्ट मानदंड तैयार किये जाएँ जिससे कि – सूखा अथवा बाढ़ होने की संभावना के बारे में सही भविष्यवाणी हो सके.
ENSO क्या है?
ENSO का full form है – El Nino Southern Oscillation. जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है कि यह पवनों और समुद्र-तल के तापमान में होने वाले उस अनियमित और सामयिक परिवर्तन का नाम है जो उष्ण कटिबंधीय पूर्वी प्रशांत सागर में होता है. ENSO का प्रभाव भूमध्यरेखा के आस-पास के क्षेत्रों और उष्ण कटिबंध के समीप स्थित क्षेत्रों पर पड़ता है. ENSO के गरम होने वाले चरण को अल-नीनो और ठन्डे होने वाले चरण को ला नीना (La Nina) कहते हैं.
एल नीनो क्या है?
एल नीनो के एक जलवायवीय चक्र है जिसके अंतर्गत प्रशांत महासागर के पशिमी क्षेत्र में हवा का दबाव ऊँचा होता है और पूर्वी प्रशांत सागर में हवा का दबाव कम होता है. अल नीनो के प्रभाव से एशियाई समुद्र तल के तापमान में 8 डिग्री सेल्सियस का उछाल आ सकता है. साथ ही पूर्वी प्रशांत महासागर क्षेत्र में स्थित देशों – इक्वेडोर, पेरू और चिली के तटों पर ठंडा पानी उठकर समुद्र तल पर आ जाता है. गहराई से पानी के ऊपर आने के इस प्रक्रिया से एक समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में सहायता मिलती है.
एल नीनो के प्रभाव
- एल नीनो वैश्विक मौसम को प्रभावित करता है. इसके कारण पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में Hurricane और ऊष्ण कटिबंधीय आंधियाँ उत्पन्न होती हैं. इसके चलते पेरू, चिली और इक्वेडोर में अभूतपूर्व एवं असामान्य वृष्टिपात होता है.
- अल नीनो के कारण ठन्डे पानी का ऊपर आना घट जाता है और परिणामस्वरूप समुद्र तल के पोषक तत्त्व ऊपर नहीं आ पाते हैं. इससे समुद्री जीवों और पक्षियों के जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ता है. मत्स्य उद्योग को भी क्षति पहुँचती है.
- अल नीनो के कारण द. अफ्रीका, भारत, द.पू. एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागरीय द्वीपों में सूखा पड़ जाता है. अतः खेती को क्षति पहुँचती है.
- ऑस्ट्रेलिया और द.पू. एशिया पहले से अधिक गर्म हो जाते हैं.
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में सूचित किया है कि अल-नीनो के कारण मच्छरों से होने वाले रोग फैलते हैं.
La Nina का प्रभाव
La Nina का प्रभाव एल नीनो के ठीक उल्टा होता है. इसके कारण द.पू. एशिया और ऑस्ट्रेलिया में सामान्य से अधिक वृष्टिपात होता है और द. अमेरिका तथा अमेरिका के खाड़ी तट में सामान्य से अधिक तापमान उत्पन्न होता है.
Prelims Vishesh
Institutions in News- Broadcast Audience Research Council of India (BARC) :-
- पुनीत गोयनका को भारतीय प्रसारण स्रोता अनुसंधान परिषद् (BARC) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
- BARC की स्थापना 2010 में हुई थी. यह एक कम्पनी है जिसमें प्रसारणकर्ताओं, विज्ञापनदाताओं और मीडिया एजेंसियों के प्रतिनिधि होते हैं.
National Statistical Commission :–
- हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) के दो गैर-सरकारी सदस्यों ने त्यागपत्र दे दिया है.
- ज्ञातव्य है कि इस आयोग की स्थापना 1 जून, 2005 में भारत सरकार द्वारा की गई थी.
- इस आयोग को सांख्यिकी से सम्बंधित विषयों के लिए नीति, प्राथमिकता और मानक तैयार करने का कार्य सौंपा गया था.
- आयोग में एक अंशकालिक अध्यक्ष के अतिरिक्त चार अंशकालिक सदस्य, एक पदेन सदस्य और एक सचिव होते हैं.
- नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी इस आयोग का एक पदेन सदस्य होता है.
Aber- the new digital currency :–
संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के केन्द्रीय बैंकों ने “अबेर” नामक एक समान डिजिटल मुद्रा का अनावरण किया है जिसका प्रयोग इन देशों के बीच ब्लॉकचेन एवं वितरित लेजर तकनीकों के माध्यम से वित्तीय लेन-देन में किया जाएगा.
Human Space Flight Centre (HSFC) :–
- ISRO के भविष्य में संचालित होने वाले मानवयुक्त अभियानों के लिए बेंगलुरु में एक हब का उद्घाटन हुआ है जो मानव अन्तरिक्ष उड़ान केंद्र कहलायेगा.
- विदित हो कि ISRO का मुख्यालय बेंगलुरु में ही है.
Cow urine may be adding to global warming :–
- एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि के लिए गोमूत्र भी उत्तरदायी हो सकता है.
- उनका कहना है कि गोमूत्र नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) का उत्सर्जन होता है, जो कार्बन डाइऑक्साइड से 300 गुणा अधिक शक्तिशाली होता है.
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