Sansar Daily Current Affairs, 31 July 2018
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Criminal Law (Amendment) Bill, 2018
- हाल ही में लोकसभा ने आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2018 पारित किया है.
- इस विधेयक द्वारा भारतीय दंड संहिता (IPC), साक्ष्य अधिनियम, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) तथा यौन अपराध बाल सुरक्षा अधिनियम (POCSO) में एक नया प्रावधान जोड़ा जा रहा है जिसके अनुसार 12 वर्ष से कम आयु की बालिका के साथ यौन अपराध के लिए मृत्युदंड जैसे कठोरतम दंड की व्यवस्था की गई है.
विधेयक के मुख्य तत्त्व
- विधेयक में कहा गया है कि 12 वर्ष से कम आयु की बालिका के साथ बलात्कार के मामले में अपराधी घोषित होने वाले व्यक्ति को मृत्युदंड सहित कठोरतम दंड दिया जायेगा.
- महिलाओं के साथ बलात्कार के लिए न्यूनतम दंड को 7 वर्ष के सश्रम कारावास से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है. इस मामले में आजीवन कारावास भी दिया जा सकता है.
- 16 वर्ष से कम की बालिका के साथ में बलात्कार के लिए निर्धारित न्यूनतम दंड को 10 वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष कर दिया गया है. इस मामले में कारावास की अवधि जीवन पर्यंत तक बढ़ाई जा सकती है.
- 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में अपराधी को ताउम्र कैद की सजा दी जाए.
- विधेयक में कहा गया है कि जाँच और मुकदमे का काम जल्दी-से-जल्दी पूरा किया जाए.
- जाँच के लिए अधिकतम 2 महीने की समय-सीमा प्रस्तावित है. मुक़दमे के लिए भी इतना ही समय दिया गया है.
- अपील के निपटारे के लिए भी एक समयसीमा दी गयी है जो 6 महीने की है.
- 16 वर्ष के अन्दर की लड़की के साथ बलात्कार के मामले में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं रखा गया है.
ज्ञातव्य है कि 2015 की तुलना में 2016 में भारत में बाल बलात्कार के मामलों में 82% की वृद्धि हुई है. इसके लिए हिंसा का वातावरण, सामाजिक एवं आर्थिक असुरक्षा, अलगाव एवं महिला एवं बच्चों की स्थिति में ह्रास कारक तत्त्व हैं.
राजस्थान और मध्य प्रदेश ने 12 साल या उससे कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार के दोषी को मौत की सजा देने के लिए एक विधेयक पारित किया है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Central Road and Infrastructure Fund (CRIF)
भारत सरकार ने हाल ही में केन्द्रीय मार्ग एवं आधारभूत संरचना निधि (Central Road and Infrastructure Fund – CRIF) का प्रशासनिक नियंत्रण सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय से हटाकर वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग (Department of Economic Affairs – DEA) को सौंप दिया है.
पृष्ठभूमि
- पिछले 15 वर्षों से अधिक समय से केन्द्रीय मार्ग निधि (CRF) सरकार की विभिन्न महत्त्वाकांक्षी मार्ग परियोजनाओं के लिए वित्त का एक बड़ा स्रोत रहा है.
- यह निधि 2000 ई. में स्थापित की गई थी. इस निधि के लिए धन पेट्रोल और डीजल पर लगाये गए उत्पाद शुल्क (excise duty) एवं विशेष अधिकर (cess) से आता था.
CRIF कैसे बना?
- 2018 के बजट में केन्द्रीय मार्ग निधि अधिनियम, 2000 में संशोधन कर इसका नाम बदलकर केन्द्रीय मार्ग एवं आधारभूत संरचना (CRIF) कर दिया गया.
- वर्तमान संशोधन का मुख्य उद्देश्य इस निधि में उपलब्ध राशि को मार्गों के अतिरिक्त अन्य आधारभूत संरचना की परियोजनाओं, जैसे – नहर, रेलवे तथा शैक्षणिक संस्थान, चिकित्सा महाविद्यालयों आदि में लगाना है.
- प्रस्तावित संशोधन में यह प्रावधान है कि मार्ग अधिकार की राशि पहले भारत की संचित निधि (Consolidated Fund) में जाएगा और उसके बाद कर उगाहने के खर्च को घटाकर जो राशि बचेगी, वह CRIF को मिलेगी.
- विधेयक में यह प्रावधान है कि किन आधारभूत संरचनाओं के लिए CRIF से राशि ली जायेगी, इसका अंतिम निर्णय भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति करेगी जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री करेंगे.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Assam NRC explained
- राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) का प्रारूप हाल ही में प्रकाशित किया गया.
- इसमें उन्हीं लोगों के नाम हैं जो यह सिद्ध कर सकें कि वे असम में 1971 से असम में रह रहे हैं.
- इस पंजी में D-voters का नाम नहीं है.
D-Voter किसे कहते हैं?
- D-Voter का full form है – dubious voter यानी संदिग्ध मतदाता.
- ज्ञातव्य है कि पंजी बनाने की प्रक्रिया के दौरान 2.48 लाख ऐसे लोग मिले जिनके पास नागरिकता का लिखित प्रमाण नहीं था और इसलिए उन्हें मताधिकार से वंचित कर दिया गया था.
- यही लोग D-Voter कहलाते हैं.
घोषित विदेशी कौन हैं?
असम के सभी D-voters पर विदेशी अधिनियम (Foreigners’ Act) के तहत गठित विशेष न्यायाधिकरणों के द्वारा सुनवाई की जाती है और यदि वे अपनी नागरिकता का दावा सिद्ध करने में असमर्थ रहते हैं तो उन्हें घोषित विदेशी मानते हुए राज्य से निष्कासन हेतु बंदी शिवरों में भेज दिया जाता है.
ये बंदी शिवर राज्य के कारागारों के अन्दर बनाए गए हैं. अब इनकी संख्या 6 है. इस प्रकार घोषित विदेशियों की संख्या 31 दिसम्बर, 2017 91,206 थी.
NRC की प्रक्रिया क्यों शुरू की गई?
असम में विदेशियों के निष्कासन के लिए 1979 से 1985 तक एक बड़ा आन्दोलन चला था. 1985 में सरकार और आन्दोलनकारियों के बीच एक समझौता हुआ जिसके बाद आन्दोलन समाप्त कर दिया गया. समझौते में यह आश्वासन दिया गया था कि NRC का नवीकरण किया जायेगा. इस समझौते (Assam Accord) में 24 मार्च, 1971 को विदेशियों के पहचान के लिए cut-off तिथि निर्धारित की गई थी. इस आधार पर NRC ने अपना नवीनतम प्रारूप प्रकाशित किया है जिसमें बताया गया है कि राज्य के 40 लाख लोग यह प्रमाणित नहीं कर सके कि वे इस cut-off तिथि के पहले से वहाँ रह रहे हैं.
40 लाख लोगों का क्या हुआ?
NRC के प्रतिवेदन में जिन 40 लाख लोगों को बाहरी सिद्ध किया गया है उनके पास फिर से छान-बीन करवाने का एक अवसर है. इसके लिए दावेदारी हेतु 7 अगस्त से 30 अगस्त तक आवेदनपत्र का form निर्गत किया जायेगा जिसको 30 अगस्त से लेकर 28 सितम्बर तक भरकर कभी-भी जमा किया जा सकेगा. इन दावों पर विचार करके नागरिकों की अंतिम सूची निकलेगी. इस अंतिम सूची पर भी यदि किसी को आपत्ति देनी है तो वह विदेशी न्यायाधिकरणों (Foreigners’ Tribunals) में जा सकता है और यदि वहाँ हार गया तो उच्च न्यायालय जा सकता है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : ‘Deep Ocean Mission’ (DOM)
समुद्र के अन्दर अन्वेषण में भारत की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए भू-विज्ञान मंत्रालय ने 8,000 करोड़ की एक योजना बनाई है जिसका नाम गहन-समुद्र अभियान (Deep Ocean Mission – DOM) है. जैसे अन्तरिक्ष के अन्वेषण के लिए 35 वर्ष पहले ISRO चालू किया गया था, उसी प्रकार समुद्र में अन्वेषण के लिए यह अभियान प्रस्तावित है.
DOM अभियान के मुख्य तत्त्व
इस अभियान में इन विषयों पर बल दिया जाएगा – गहन समुद्र खनन (deep-sea mining), सामुद्रिक जलवायु में परिवर्तन विषयक पूर्वसूचना सेवाएँ (ocean climate change advisory services), समुद्र-तल से नीचे चलने वाहन (underwater vehicles ) एवं समुद्र-तल के भीतर रोबोटिक तकनीक प्रयोग (underwater robotics related technologies).
इसके अतिरिक्त इस अभियान के दो प्रमुख परियोजनाएँ हैं – ज्वारीय ऊर्जा से संचालित समुद्री जल से लवण को दूर करने वाले एक संयंत्र का निर्माण तथा एक ऐसा वाहन बनाना जो समुद्र-तल के कम से कम 6000 मीटर भीतर जाकर अन्वेषण कार्य सकेगा.
अभियान का महत्त्व
गहन समुद्र अभियान (Deep Ocean Mission – DOM) से भारत ऐसी क्षमता विकसित कर सकेगा जिससे कि वह केन्द्रीय हिन्द महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin – CIOB) में उपलब्ध संसाधनों का दोहन कर सके.
ज्ञातव्य है संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (International Seabed Authority) ने भारत को केन्द्रीय हिन्द महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin – CIOB) के अन्दर 75,000 वर्ग किलोमीटर आवंटित किया है. यह आवंटन इस क्षेत्र में बहु-धात्विक अयस्कों (Polymetallic nodules – PMN) की खोज करने के लिए दिया गया है. इस बेसिन में लोहा, मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट जैसी धातुओं का 380 मिलियन मेट्रिक टन का भंडार हैं.
क्षमता
अनुमान है कि यदि भारत इन भंडारों के 10% भाग का भी दोहन कर ले तो देश की अगले 200 साल की ऊर्जा आवश्यकताएँ पूरी हो जायेंगी.
PMN क्या होता है?
बहु-धात्विक अयस्क, (Polymetallic nodules – PMN) जिसे मैंगनीज नोड्यूल भी कहते हैं, एक आलू के आकर का छिद्रमय अयस्क होता है जो पूरे विश्व में समुद्र-तल बहुत ही सघनता से पाया जाता है. इनमें मैंगनीज के साथ-साथ लोहा, निकल, तांबा, कोबाल्ट, रांगा, मोलिब्डेनम, कैडमियम, वैनेडियम, टाइटेनियम आदि होते हैं. इनमें से निकल, कोबाल्ट और तांबे का बहुत ही बड़ा आर्थिक एवं रणनीतिक महत्त्व है.
अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (ISA) क्या है?
यह एक संयुक्त राष्ट्र (UN) का निकाय है जिसकी स्थापना समुद्रों के अंतर्राष्ट्रीय भागों में उपलब्ध अजैव संसाधनों के अन्वेषण तथा दोहन को नियंत्रित करने के लिए की गई थी. गत वर्ष भारत इस प्राधिकरण की परिषद् का फिर से सदस्य चुना गया था. इसके अलावा इस निकाय के अधीनस्थ विधिक एवं तकनीकी आयोग तथा वित्तीय समिति में भारत के प्रतिनिधियों का चयन हुआ था.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : International Tiger Day: 29 July
- वैश्विक व्याघ्र दिवस जिसे अंतर्राष्ट्रीय व्याघ्र दिवस (International Tiger Day) भी कहते हैं, हर वर्ष 29 जुलाई को मनाया जाता है.
- इसका उद्देश्य व्याघ्र संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है.
- इस दिवस की घोषणा 2010 में Saint Petersburg में आयोजित व्याघ्र शिखर सम्मलेन में हुई थी.
- इस दिवस का लक्ष्य बाघों के प्राकृतिक निवास स्थानों की सुरक्षा के लिए एक वैश्विक तन्त्र का निर्माण करना तथा इन पशुओं के संरक्षण के विषय में जनसाधारण में जागरूकता तथा सक्रियता उत्पन्न करना है.
अभी तक प्राप्त सफलता
सभी एजेंसियों और सरकारों के सम्मिलित प्रयास से विश्व-भर में बाघों की संख्या बढ़कर 2,226 (2014) हो गई है.
समस्याएँ एवं चुनौतियाँ
विश्व के देशों में भारत का उन देशों में आता है जहाँ प्रति-व्यक्ति जंगल सबसे कम है. जंगल जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने वाला एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण तंत्र होता है क्योंकि यह कार्बन को सोख लेता है. जंगलों को काटे जाने से बाघों के निवास स्थान संकुचित होते जा रहे हैं.
भारत और पूरे विश्व में व्याघ्र संरक्षण में एक बहुत बड़ी समस्या उनका शिकार है. जब तक बाघ के शरीर के अवयवों का अवैध बाजार रहेगा तब तक यह समस्या रहेगी.
भारत के सुन्दरबन में जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जल-स्तर बढ़ रहा है जिसका बहुत बड़ा दुष्प्रभाव उस क्षेत्र में रहने वाले रॉयल बंगाल बाघों पर हुआ है.
संरक्षण के लिए किये गये प्रयास
राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने वन संरक्षकों के लिए एक मोबाइल अनुश्रवण प्रणाली विकसित की है जिसका नाम M-STrIPES (Monitoring System for Tigers – Intensive Protection and Ecological Status) दिया गया है.
2010 में St. Petersburg व्याघ्र शिखर सम्मलेन में बाघों की आबादी वाले 13 देशों के नेताओं ने यह संकल्प लिया था कि बाधों की संख्या की दुगुनी कर दी जायेगी और इसके लिए एक नारा दिया था – ‘T X 2’
भारत में 1973 में ही बाघों के संरक्षण के लिए Project Tiger आरम्भ किया गया था. इस परियोजना के तहत अभी तक देश में 50 अभ्यारण्य बनाए जा चुके हैं जिनका भौगोलिक क्षेत्रफल देश का 2.2% है.
कुछ विवादास्पद परियोजनाएँ
- कान्हा और पेंच बाघ रिजर्व को जोड़ने वाले गलियारे में राजमार्ग और रेलवे लाइनों का विस्तार किया जा रहा है.
- महाराष्ट्र के मेलघाट बाघ रिजर्व से होकर एक रेलवे लाइन का निर्माण किया जा रहा है.
- मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व का लगभग 100 वर्ग किलोमीटर केन-बेतवा नदी लिंकिंग परियोजना में चला जाएगा.
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