Sansar Daily Current Affairs, 31 July 2019
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Article 35A and related issues
संदर्भ
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने पिछले दिनों 10,000 अतिरिक्त परासैन्य कर्मियों को कश्मीर भेजने का निर्णय लिया है. साथ ही एक चिट्ठी भी भेजी गई है जो दंगा नियंत्रण उपकरणों के बारे में है. इन सब गतिविधियों के कारण राज्य में यह आशंका जताई जा रही है कि भारत सरकार शीघ्र ही धारा 35A और धारा 370 को हटाने जा रही है.
धारा 35A क्या है?
धारा 35A संविधान में बाद में प्रवृष्ट किया गया एक प्रावधान है जो जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को यह खुला अधिकार देता है कि वह यह निर्धारित करे कि राज्य के स्थायी निवासी कौन हैं और उन्हें अलग अधिकार (special rights) और विशेषाधिकार प्रदान करे. ये अधिकार और विशेषाधिकार जिन क्षेत्रों से सम्बंधित हैं, वे हैं – सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियाँ, राज्य में सम्पत्ति खड़ा करना, छात्रवृत्ति लेना, अन्न सार्वजनिक सहायताओं और कल्याण कार्यक्रमों का लाभ उठाना. कहने का अभिप्राय यह है कि ये सभी लाभ केवल उन व्यक्तियों को मिलेंगे जो राज्य के स्थायी निवासी हैं.
इस धारा में यह भी प्रावधान है कि इसके तहत विधान सभा द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई को संविधान अथवा देश के किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं माना जाएगा.
विवाद क्या है?
- सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई याचिकाओं में कहा गया है कि धारा 35A भारत की एकात्मता की भवाना के ही प्रतिकूल है क्योंकि इससे भारतीय नागरिकों के अंदर वर्ग के भीतर वर्ग (class within a class) का निर्माण होता है.
- यह धारा जम्मू-कश्मीर राज्य के अस्थायी नागरिकों को राज्य के अन्दर आजीविका पाने और सम्पत्ति का क्रय करने से रोकती है. अतः यह धारा भारतीय संविधान की धारा 14, 19 और 21 में दिए गये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है.
- यह धारा राज्य के अस्थायी नागरिकों को दोयम दर्जे के नागरिकों के रूप में व्यवहार करती है.
- इस धारा के कारण राज्य के अस्थायी निवासी चुनाव नहीं लड़ सकते.
- अस्थायी नागरिकों के बच्चों को छात्रवृत्ति नहीं मिलती है और वे इसके लिए किसी न्यायालय की शरण भी नहीं ले सकते हैं.
- जम्मू-कश्मीर का संविधान विभाजन के समय राज्य में आने वाले शरणार्थियों से सम्बंधित विषयों को “राज्य का विषय” नहीं मानता.
- धारा 35A को असंवैधानिक रूप से घुसाया गया था क्योंकि संविधान की धारा 368 के अनुसार संविधान में संशोधन केवल संसद ही कर सकती है.अनुसार संविधान में संशोधन केवल संसद ही कर सकती है.अनुसार संविधान में संशोधन केवल संसद ही कर सकती है.
- धारा 35A का अनुसरण करते हुए जो-जो कानून बने हैं, वे सभी संविधान के भाग 3 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों, विशेषकर धारा 14 (समानता का अधिकार) और धारा 21 (जीवन की सुरक्षा का अधिकार) का उल्लंघन है.
संविधान में धारा 35A की प्रवृष्टि कैसे हुई?
- धारा 35A संविधान में 1954 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के आदेश से प्रविष्ट की गई थी.
- यह आदेश संविधान (जम्मू-कश्मीर में लागू करना) आदेश, 1954 कहलाया. यह आदेश 1952 में हुए नेहरू और जम्मू-कश्मीर के वजीरे आजम शेख अब्दुल्ला के बीच हुए दिल्ली समझौते पर आधारित था. दिल्ली समझौते के द्वारा जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को भारतीय नागरिक करार कर दिया गया था.
- राष्ट्रपति के द्वारा दिया गया आदेश संविधान की धारा 370 (1) (d) के तहत निर्गत हुआ था. ज्ञातव्य है कि यह धारा राष्ट्रपति को यह अधिकार देती है कि वह जम्मू-कश्मीर की प्रजा के लाभ के लिए संविधान में कतिपय अपवाद और सुधार कर सकती है.
आगे की राह
आज आवश्यकता है कि अनुच्छेद 35A के सम्बन्ध में कोई निर्णय लेने के पहले इसमें सभी हितधारकों को सम्मिलित किया जाए. साथ ही राज्य के निवासियों को यह आश्वस्त करना भी आवश्यक होगा कि 35A हटाने से उनके अधिकार छिन नहीं जाएँगे, अपितु इससे राज्य की समृद्धि बढ़ेगी क्योंकि यहाँ अधिक से अधिक निवेश आएगा और लोगों को नए-नए अवसर मिलेंगे. यह धारा 60 वर्ष पहले संविधान में जोड़ी गई थी और अब जबकि जम्मू-कश्मीर एक सुगठित लोकतांत्रिक राज्य बन चुका है, इस प्रावधान का पुनर्वलोकन आवश्यक हो गया है.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : International Tiger Day: 29 July
संदर्भ
वैश्विक व्याघ्र दिवस जिसे अंतर्राष्ट्रीय व्याघ्र दिवस (International Tiger Day) भी कहते हैं, हर वर्ष 29 जुलाई को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य व्याघ्र संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है. इस दिवस की घोषणा 2010 में Saint Petersburg में आयोजित व्याघ्र शिखर सम्मलेन में हुई थी. इस दिवस का लक्ष्य बाघों के प्राकृतिक निवास स्थानों की सुरक्षा के लिए एक वैश्विक तन्त्र का निर्माण करना तथा इन पशुओं के संरक्षण के विषय में जनसाधारण में जागरूकता तथा सक्रियता उत्पन्न करना है.
अखिल भारतीय व्याघ्र अनुमान का चौथा चक्र
वैश्विक व्याघ्र दिवस के अवसर पर भारत में बाघों की गणना के विषय में एक प्रतिवेदन प्रकाशित हुआ है जिसका नाम है – व्याघ्र अनुमान प्रतिवेदन 2018 (The Tiger Estimation Report 2018)
व्याघ्र अनुमान प्रतिवेदन 2018 के मुख्य निष्कर्ष
- भारत में वर्तमान में 2,967 बाघ हैं.
- सबसे अधिक बाघ मध्य प्रदेश (526) में हैं, उसके बाद कर्नाटक (524) और उत्तराखंड (442) का स्थान आता है.
- पिछले पाँच वर्षों में सुरक्षित क्षेत्रों में बाघों की संख्या 692 से बढ़कर 860 हो गई है. सामुदायिक आरक्षित क्षेत्रों में बाघ 43 से बढ़कर 100 से अधिक हो गये हैं.
- मध्य प्रदेश के पेंच व्याघ्र आरक्षित वन में सबसे अधिक सबसे अधिक बाघ पाए गये हैं. जहाँ तक 2014 की तुलना में सुधार का प्रश्न है तो इस मामले में सर्वाधिक सुधार तमिलनाडु के सत्यमंगलम व्याघ्र आरक्षित वन में देखा गया.
- छत्तीसगढ़ और मिज़ोरम ऐसे राज्य हैं जहाँ बाघों की संख्या घट गयी है. ओडिशा में यह संख्या ज्यों की त्यों रह गई. शेष अन्य राज्यों में बाघ बढ़े हैं.
समस्याएँ एवं चुनौतियाँ
विश्व के देशों में भारत का उन देशों में आता है जहाँ प्रति-व्यक्ति जंगल सबसे कम है. जंगल जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने वाला एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण तंत्र होता है क्योंकि यह कार्बन को सोख लेता है. जंगलों को काटे जाने से बाघों के निवास स्थान संकुचित होते जा रहे हैं.
भारत और पूरे विश्व में व्याघ्र संरक्षण में एक बहुत बड़ी समस्या उनका शिकार है. जब तक बाघ के शरीर के अवयवों का अवैध बाजार रहेगा तब तक यह समस्या रहेगी.
भारत के सुन्दरबन में जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जल-स्तर बढ़ रहा है जिसका बहुत बड़ा दुष्प्रभाव उस क्षेत्र में रहने वाले रॉयल बंगाल बाघों पर हुआ है.
संरक्षण के लिए किये गये प्रयास
राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने वन संरक्षकों के लिए एक मोबाइल अनुश्रवण प्रणाली विकसित की है जिसका नाम M-STrIPES (Monitoring System for Tigers – Intensive Protection and Ecological Status) दिया गया है.
2010 में St. Petersburg व्याघ्र शिखर सम्मलेन में बाघों की आबादी वाले 13 देशों के नेताओं ने यह संकल्प लिया था कि बाधों की संख्या की दुगुनी कर दी जायेगी और इसके लिए एक नारा दिया था – ‘T X 2’
भारत में 1973 में ही बाघों के संरक्षण के लिए Project Tiger आरम्भ किया गया था. इस परियोजना के तहत अभी तक देश में 50 अभ्यारण्य बनाए जा चुके हैं जिनका भौगोलिक क्षेत्रफल देश का 2.2% है.
विश्व बैंक के वैश्विक व्याघ्र पहल (Global Tiger Initiative – GTI) कार्यक्रम ने बाघों से सम्बंधित एजेंडा को सबल बनाने के लिए वैश्विक प्रतिभागियों को प्रेरित किया है. कालांतर में यह कार्यक्रम वैश्विक व्याघ्र पहल परिषद् (Global Tiger Initiative Council – GTIC) का रूप ले चुकी है. इस परिषद् के अन्दर दो अलग-अलग उप कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं जो हैं – वैश्विक व्याघ्र मंच कार्यक्रम (Global Tiger Forum) और वैश्विक हिम तेंदुआ पारिस्थितिकी सुरक्षा कार्यक्रम (Global Snow Leopard Ecosystem Protection Program).
कुछ विवादास्पद परियोजनाएँ
- कान्हा और पेंच बाघ रिजर्व को जोड़ने वाले गलियारे में राजमार्ग और रेलवे लाइनों का विस्तार किया जा रहा है.
- महाराष्ट्र के मेलघाट बाघ रिजर्व से होकर एक रेलवे लाइन का निर्माण किया जा रहा है.
- मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व का लगभग 100 वर्ग किलोमीटर केन-बेतवा नदी लिंकिंग परियोजना में चला जाएगा.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Effects of El Niño and Antarctic Oscillation On Air Pollution
संदर्भ
अमेरिका और चीन के विभिन्न संस्थानों से जुड़े हुए शोधकर्ताओं के एक दल ने यह पता लगाया है कि एल-नीनो और अंटार्कटिक दोलन (Antarctic Oscillation) से प्राप्त डाटा का प्रयोग करके उत्तर भारत में वायु प्रदूषण के स्तर की भविष्यवाणी की जा सकती है. यह अध्ययन “साइंस एडवांसेज” नामक पत्रिका में छपा है.
पृष्ठभूमि
विगत कुछ वर्षों में उत्तर भारत ने, विशेषकर जाड़ों में, वायु प्रदूषण का दंश झेला है. आज स्थिति यह है कि यहाँ चीन से भी ज्यादा वायु प्रदूषण है. शोधकर्ताओं का कहना है कि मौसमी दशाओं के कारण ऐसा सब कुछ हो रहा है.
मुख्य निष्कर्ष
- उत्तर भारत में एल-नीनो के कारण वायु की गति धीमी पड़ जाती है जिसके चलते वायु में तैरते हुए प्रदूषक तत्त्व घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों से शीघ्र बाहर नहीं निकल पाते हैं.
- दूसरी ओर अंटार्कटिक दोलन से उत्तर भारत के कुछ क्षत्रों में तेज हवाएँ चलती हैं और कुछ में उनकी गति धीमी होती है. इसका परिणाम यह होता है कि यहाँ प्रदूषण का स्तर एक समान नहीं होता.
माहात्म्य
- अमेरिका और चीन के शोधकर्ताओं ने एक मॉडल तैयार किया है जिसके आधार पर 75% सटीकता के साथ प्रदूषण-स्तर की भविष्यवाणी की जा सकती है.
- जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि भारत विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित देशों में से एक होता जा रहा है. दिल्ली के कुछ भागों में पार्टिकुलेट मैटर (PM) का स्तर 5 पाया गया जो विगत वर्ष की तुलना में 999 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर अधिक था.
- शोधकर्ताओं का कहना है कि एल नीनो और अंटार्कटिक दोलन और साथ ही सितम्बर-नवम्बर में समुद्र तल के तापमान के हेर-फेर के आधार पर दिसम्बर-फरवरी में प्रदूषण की स्थिति की भविष्यवाणी हो सकती है.
- इस मॉडल के आधार पर भारत सरकार अपनी नीतियों में आवश्यक सुधार कर सकती है और जाड़ों के आने के पहले प्रदूषण को नियंत्रित करने की रणनीति बना सकती है.
अंटार्कटिक दोलन क्या है?
- यह दोलन दक्षिणी गोलार्द्ध के वायुमंडल में होने वाली एक निम्न बारम्बारता (low-frequency) वाली घटना है.
- इसको दक्षिणी कुंडलाकार मोड (Southern Annular Mode – SAM) भी कहा जाता है.
- इस दोलन में अंटार्कटिका के चारों ओर एक निम्न दाब वाला क्षेत्र बनता है जिसके कारण पछुआ वायु की एक पट्टी का निर्माण होता है. यह वायु पट्टी कभी उत्तर की ओर तो कभी दक्षिण की ओर आगे बढ़ती है.
- कभी-कभी पछुआ वायु की यह पट्टी दक्षिणी ध्रुव के चारों ओर की जलधारा को तेज कर देती है और उसे अंटार्कटिका की ओर ढकेल देती है. इस गतिविधि को उसका सकारात्मक फेज कहा जाता है. जब पछुआ वायु विषुवत रेखा की ओर बढ़ने लगती है तो इसे नकारात्मक फेज बोला जाता है.
- प्रभाव : दक्षिणी मंडलाकार मोड के कारण उत्पन्न होने वाली वायु अंटार्कटिक महादेश के किनारे-किनारे ध्रुव के चारों ओर मिलने वाली गरम भीतरी जलराशि में उफान ला देती है. इसके चलते बर्फ की पट्टी पिघलने लगती है और तेज हवाओं के कारण अंटार्कटिका की हिम पट्टी के बड़े-बड़े अंश नष्ट हो सकते हैं.
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Integrated Battle Groups (IBGs)
संदर्भ
अगले महीने के अंत तक सेना के पहले एकीकृत युद्ध समूहों (IBGs) को नया रूप देने की योजना है.
एकीकृत युद्ध समूह (IBGs) क्या हैं?
- एकीकृत युद्ध समूहों (IBGs) का आकार एक ब्रिगेड जितना होता है. इसमें चुस्त-दुरुस्त और अपने आप में पर्याप्त रणव्यूह होते हैं जो शत्रु के विरुद्ध तेजी से आक्रमण की क्षमता रखते हैं.
- प्रत्येक IBG की रचना उसके समक्ष उपस्थित खतरे, भूभाग और लक्ष्य के अनुसार गढ़ी जा सकती है एवं उसी हिसाब से उसे संसाधन आवंटित किया जा सकता है.
- ये समूह हल्के-फुल्के होते हैं एवं इनके साथ वाहन आदि सामग्रियाँ कम रखी जाती हैं जिससे कि ये 12 से लेकर 48 घंटों के बीच में सम्बंधित स्थल के अनुसार धावा बोल सकें.
- मरुभूमि के लिए बनने वाले IBG की बनावट पहाड़ों में काम करने वाली IBG से भिन्न होती है.
- IBG रक्षात्मक और आक्रामक दो प्रकार के होते हैं. एक ओर जहाँ आक्रामक IBG तुरंत सक्रिय हो कर शत्रु के धरती में घुस सकते हैं तो वहीं दूसरी ओर रक्षात्मक IBG वहाँ पर टिके रहते हैं जहाँ शत्रु की कार्रवाई की संभावना अधिक होती है.
Prelims Vishesh
Proahaetulla antique :-
26 मिलियन वर्ष पुराने भारत के पश्चिमी घाटों में खोजकर्ताओं ने वाइन साँप (vine snake) की एक नई प्रजाति का पता लगाया है जो संभवतः मध्य-ओलिगोसीन युग में विकसित हुए होंगे.
CARE4U app :–
- वृद्ध व्यक्तियों की सहायता के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर के एक दल ने एंड्राइड पर आधारित एक ऐसा ऐप बनाया है जिसमें सम्बंधित वृद्ध व्यक्ति के उपचार का इतिहास अंकित होगा.
- इसमें एक SOS बटन होगा जिसको दबाने से उस व्यक्ति को चिकित्सा की सुविधा मिल जायेगी.
- जब कोई वृद्ध व्यक्ति ऐप को खोलता है तो फ़ोन उसका चित्र ले लेता है और साथ ही उसके मूड का एक संकेत भी तैयार कर लेता है अर्थात् यह जान लेता है कि वह व्यक्ति दु:खी है या नहीं.
Jute fibre converted into low-cost bio-degradable cellulose sheets :–
- बांग्लादेश के वैज्ञानिकों ने जूट के रेशे से एक ऐसे जैव-विघटनीय सेल्यूलोज का कागज़ (low-cost bio-degradable cellulose sheets) तैयार किया है जिसका प्रयोग सामग्रियों को लपेटने और थैले के रूप में हो सकता है.
- इस कागज़ को सोनाली नाम दिया गया है.
- पर्यावरण के अनुकूल ये कागज़ सस्ते भी हैं और स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक नहीं हैं.
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