Sansar Daily Current Affairs, 31 March 2020
GS Paper 2 Source: Down to Earth
UPSC Syllabus : Issues related to health.
Topic : Acute Encephalitis Syndrome (AES)
संदर्भ
देश में अभी कोरोना वायरस का खौफ ही फैला हुआ था, मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. इसी बीच बिहार में एक बार फिर जानलेवा चमकी बुखार (Acute Encephalitis Syndrome – AES) ने अपनी दस्तक दे दी है.
AES क्या है?
- एक ऐसा रोग है जिसमें बुखार के साथ-साथ कुछ मानसिक लक्षण भी उत्पन्न हो जाते हैं, जैसे – मानसिक सम्भ्रम, भ्रान्ति, प्रलाप अथवा सन्निपात आदि.
- कुछ मामलों में रोगी को मिर्गी भी हो जाती है. इस रोग के लिए कोई आयु अथवा ऋतु का बंधन नहीं होता. फिर भी अधिकतर यह रोग बच्चों और किशोरों को होता है. रोग के कारण या तो मृत्यु हो जाती है अथवा अच्छी-खासी शारीरिक क्षति पहुँचती है.
- AES मुख्य रूप से वायरसों के चलते होता है. इस रोग के अन्य स्रोत हैं – बैक्टीरिया, फफूंद, परजीवी, स्पाइरोशेट, रसायन, विषाक्त तत्त्व एवं कतिपय असंक्रामक एजेंट.
- भारत में AES के 5% से 35% तक मामले जापानी कपाल ज्वर वायरस (Japanese encephalitis virus – JEV) के कारण होता है.
- इस रोग को फैलाने वाले अन्य वायरस हैं – निपाह और जीका.
- यह रोग भारत में उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में होता है. बताया जाता है कि यह रोग तब होता है जब बच्चे खाली पेट कच्ची लीची खा लेते हैं. विदित हो कि कच्ची लीची में हाइपोग्लीसिन A और मेंथलीनसाइक्लोप्रोपिलग्लिसिन (MCPG) नामक विषाक्त तत्त्व होते हैं. इनमें हाइपोग्लीसिन A के कारण उल्टियाँ होने लगती हैं. ऐसी उल्टियों को जमैकन वमन रोग कहा जाता है. दूसरा विषाक्त तत्त्व MCPG लीची के बीजों में पाया जाता है.
GS Paper 2 Source: PIB
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : Companies Fresh Start Scheme, 2020 and revised LLP Settlement Scheme, 2020
संदर्भ
कोविड-19 के मद्देनजर कानून का पालन करने वाली कंपनियों और सीमित दायित्व भागीदारी (Limited Liability Partnership –LLP) को राहत प्रदान करने के लिए भारत सरकार के प्रयासों के तहत कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने ‘कंपनी फ्रेश स्टार्ट स्कीम, 2020′ की शुरुआत की है.
साथ ही मंत्रालय ने ‘LLP सेटलमेंट स्कीम, 2020′ में संशोधन किया है जो कंपनियों और LLP दोनों को अपने प्रकार का पहला अवसर प्रदान करने के लिए प्रचलन में है.
मुख्य तथ्य
- विदित हो कि यह कंपनियों और LLP को डिफॉल्ट की अवधि के बावजूद फाइलिंग संबंधित डिफॉल्ट को कम करने और अनुपालन करने वाली एक नई इकाई के तौर शुरुआत करने मदद करता है.
- यह फ्रेश स्टार्ट स्कीम और संशोधित LLP सेटलमेंट स्कीम कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई अप्रत्याशित सार्वजनिक स्वास्थ्य परिस्थिति में अनुपालन को प्रोत्साहित करती है और अनुपालन बोझ को भी कम करती है.
- इन योजनाओं की विशेषता यह है कि इनके तहत इन योजनाओं की अवधि यानी 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 की अवधि में कंपनी रजिस्ट्रार में पंजीकृत कंपनियों अथवा LLP को फाइलिंग में देरी के लिए अतिरिक्त शुल्क में एकमुश्त छूट दी गई है.
- इन योजनाओं के तहत कंपनी अधिनियम 2013 और LLP अधिनियम, 2008 संबंधी विभिन्न खुलासा जरूरतों के अनुपालन के लिए अधिक समयसीमा दी गई है.
- इसके अलवा कंपनियों और LLP पर संबंधित वित्तीय बोझ को भी काफी कम किया गया है, विशेष तौर पर उन मामलों में जहां डिफॉल्ट लंबे समय से किया जा रहा हो. इस प्रकार उन्हें एक नई शुरुआत करने का अवसर प्रदान किया गया है.
दंड का प्रावधान
- दोनों योजनाओं में दंडात्मक कार्रवाई से बचाव का भी प्रावधान शामिल है जैसे देरी से जमा करने पर जुर्माना. साथ ही यदि जुर्माना पहले ही लग चुका है तो संबंधित क्षेत्रीय निदेशकों के समक्ष अपील दायर करने के लिए अतिरिक्त समय भी प्रदान किया गया है.
- हालांकि यह प्रतिरक्षा केवल एमसीए21 में फाइलिंग संबंधी देरी के लिए है और कानून के उल्लंघन संबंधी किसी मामले से इसका कोई लेना-देना नहीं होगा.
LLP क्या है?
- देश में कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के कई तरीके हैं. इनमें से ही एक है LLP फर्म. इस तरह की फर्म के नाम के अंत में LLP लिखा रहता है.
- . कंपनी के रजिस्ट्रेशन की यह प्रक्रिया बहुत आसान है और इसमें खर्च भी बहुत कम आता है.
- LLP एक अलग कानूनी इकाई है. यह व्यक्तिगत पार्टनर से अलग है.
- कंपनी के रजिस्ट्रेशन के एग्रीमेंट के हिसाब से हर पार्टनर की जिम्मेदारी सीमित है. इसकी वजह यह है कि नियमित partnership फर्म में असीमित जिम्मेदारी होती है, जबकि इसमें शेयर होल्डिंग के हिसाब से ही जिम्मेदारी होती है.
- LLP के तहत रजिस्टर की जाने वाली कंपनी पर सरकार के कुछ प्रतिबंध लागू होते हैं. इसके साथ ही कंप्लायंस संबंधी कुछ मसले भी हैं. यह आम पार्टनरशिप फर्म की तुलना में अधिक कड़े हैं.
GS Paper 3 Source: Indian Express
UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.
Topic : What is the ‘rapid test’?
संदर्भ
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए केरल सरकार ने लोगों के टेस्टिंग की संख्या को बढ़ाने का निर्णय किया है, जिससे कि अधिक से अधिक संक्रमित लोगों की पहचान की जा सके और उन्हें आइसोलेशन में भेजा जा सके. इसे “रैपिड टेस्ट” का नाम दिया गया है.
रैपिड टेस्ट के बारे में मुख्य तथ्य
- प्रदेश में काफी तेजी से लोगों का टेस्ट किया जाएगा ताकि इसे कम्युनिटी में फैलने से रोका जा सके.
- लोगों का ब्लड सैंपल का टेस्ट 45 मिनट से 2 घंटे के भीतर आ जाएगा.
- इस टेस्ट में खर्च सामान्य की तुलना में काफी कम आएगा.
- यही नहीं जो मरीज आइसोलेशन में हैं उनका सैंपल फिर से टेस्ट किया जाएगा ताकि यह पता चल सके कि ये लोग कितना सही हुए हैं.
यह टेस्ट किस लिए है?
जब किसी वायरस के कारण शरीर में कोई पेथोजेन प्रवेश करता है तो शरीर उसे लड़ने के लिए विशेष एंटीबॉडी छोड़ता है. रेपिड टेस्ट के द्वारा रक्त सीरम अथवा प्लाज्मा के नमूनों में उपस्थित ऐसे एंटीबॉडी को शीघ्रता से पकड़ लिया जाता है जिससे महामारी के सामुदायिक प्रसार को रोका जा सके.
GS Paper 3 Source: PIB
UPSC Syllabus : Conservation related issues.
Topic : What is Earth Hour?
संदर्भ
कोरोनावायरस के लॉकडाउन के बीच शनिवार रात 8:30 बजे दुनियाभर में अर्थ आवर (Earth Hour) मनाया गया.
- इस दौरान ऊर्जा की बचत कर धरती को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से लोग अपने घरों की गैर जरूरी बिजली और बिजली से चलने वाले उपकरण बंद रखे.
- 2020 में अर्थ आवर का यह 14वां संस्करण था और इसकी थीम ‘जलवायु परिवर्तन को थामने के कदम और सतत विकास’ है.
अर्थ आवर क्या है?
- Earth Hour एक अभियान है जिसमें बदलती जलवायु के प्रति जनमानस को जागरूक किया जाएगा.
- यह कार्यक्रम सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया में 2007 में शुरू किया गया था और आज इसके 187 देशों में अनुयायी हैं.
- अर्थ आवर डे की शुरुआत वन्यजीव एवं पर्यावरण संगठन ‘वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर’ (WWF) ने 2007 में की थी.
इतिहास
पहली बार इसे साल 2007 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में मनाया गया. इसमें लोगों से 60 मिनट के लिए सारी लाइटें बंद करने की अपील की गई थी. धीरे-धीरे इसे विश्वभर में मनाया जाने लगा. आज यह एक आंदोलन बन चुका है. 2019 में ‘अर्थ ऑवर’ की थीम ‘जीने का तरीका बदलो’ था. इसमें 187 देशों के सात हजार से ज्यादा शहरों ने हिस्सा लिया था.
EarthHour से कोरोना पीड़ितों को समर्थन
इस मौके पर वन्यजीव एवं पर्यावरण संगठन ने अपने संदेश में कहा है कि, इस समय दुनिया बहुत बड़ी मुश्किल से घिरी है, लेकिन हम ऐसे ही तरीकों से खुद को जोड़कर प्रेरित कर सकते हैं और चीजों को बदल सकते हैं. आइए हमारे साथ इस #EarthHour में शामिल हो जाइए क्योंकि दुनिया की एकजुटता को दिखाने के लिए करोड़ों लोग घरों में बंद हैं. इस मौके पर हम उनके साथ अपना समर्थन दिखाएं और शनिवार रात 8.30 बजे अपनी लाइट बंद करें और हमारे ग्रह पर अपनी आवाज़ बुलंद करें.
Prelims Vishesh
What is Ossification test? :-
- ओसीफिकेशन एक प्रकार का प्रशिक्षण है जिससे आयु का निर्धारण होता है.
- यह इस सिद्धांत पर आधारित है कि मनुष्य की हड्डियाँ समय के साथ बदलती हैं और उनमें नई परतें बनती जाती हैं.
- कई कानूनी मामलों में आयु के निर्धारण के लिए ओसीफिकेशन परीक्षण को मान्यता मिली हुई है.
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 में इसे एक ऐसा विशेषज्ञ मन्तव्य माना जाता है जो न्यायालयों के लिए बाध्यकारी नहीं है.
- ज्ञातव्य है कि 25 वर्ष की आयु के बाद हड्डियों में परत बनने की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है. अतः ओसीफिकेशन परीक्षण उन मनुष्यों के लिए उपयोगी नहीं है जिनकी आयु 25-27 वर्ष को पार कर चुकी है.
Indian Scientists’ Response to CoViD-19 (ISRC) :–
- भारत में वैज्ञानिकों का एक स्वैच्छिक समूह फोन और व्हाट्सऐप के माध्यम से कार्य करते हुए वर्तमान उपलब्ध डाटा का अध्ययन करता है और उसका विश्लेषण कर आवश्यक जानकारी सरकारों को मुहैया करता है.
- कोविड-19 के महा प्रकोप को देखते हुए यह समूह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. विदित हो कि इस समूह में बड़े-बड़े संस्थानों के 200 सदस्य जुड़े हुए हैं, जैसे – NCBS, IISc, TIFR, IITs, IISERs आदि.
Arr-Rinam :–
- अरुणाचल प्रदेश की कुछ जनजातियाँ तालाबंदी (lockdown) प्रथा का अनुसरण करती रही हैं.
- उदाहरण के लिए जब कभी महामारी होती है गारो जनजाति के लोग सर्वसहमति से 48 घंटे की तालाबंदी पर चले जाते हैं. इस तालेबंदी को वे लोग अर्र-रिनाम कहते हैं. इस बार भी कोविड-19 के कारण ऐसा हुआ है.
- अरुणाचल प्रदेश की ही आदि जनजाति भी इस प्रकार की तालाबंदी करती है जिसे मोतोर (Motor) कहा जाता है. प्रसिद्ध है कि इस प्रथा के कारण बौद्ध भिक्षुओं को महामारी से लड़ने के लिए जंगली जड़ीबूटी खोजने की दिव्यशक्ति प्राप्त हो जाती है.
SOLIDARITY trial :–
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने SOLIDARITY नामक एक विशाल वैश्विक परीक्षण कार्यक्रम की घोषणा की है जिसमें COVID-19 के रोगियों को चंगा करने के लिए चार अलग-अलग दवाइयों का परीक्षण होगा. ये दवाइयाँ हैं – remdesivir, lopinavir+ritonavir, interferon beta और chloroquine.
- इस कार्यक्रम भारत समेत कई देश शामिल हो रहे हैं.
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