Sansar Daily Current Affairs, 31 May 2021
GS Paper 1 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Salient features of world’s physical geography.
Topic : Monsoon onset over Kerala delayed
संदर्भ
भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) के अनुसार, केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन में देरी होगी तथा अब यह 3 जून को पहुँचेगा.
हालाँकि, एक निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ‘स्काईमेट’ का कहना है, कि केरल में मानसून पहुँच चुका है क्योंकि, इसके लिए आईएमडी द्वारा परिभाषित तीन मानदंडों में दो मानक पूर्ण हो चुके है.
आईएमडी द्वारा निर्धारित मानदंड हैं
- वर्षा करने वाली पछुआ पवनों की न्यूनतम गहराई और गति पर होना चाहिए.
- केरल और तटीय कर्नाटक में कार्यरत 14 स्टेशनों में से कम से कम 60% स्टेशनों पर, 10 मई के पश्चात् लगातार दो दिनों तक 5 मिमी या उससे अधिक वर्षा दर्ज की गई हो.
- ‘आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन’ (OLR) नामक एक पैरामीटर पर, बादलों को एक निश्चित डिग्री, अर्थात् 200 W/वर्ग मीटर से कम पर दर्शाया गया हो.
वर्तमान में, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अपने डेटा के अनुसार, ‘आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन’ (OLR) के अलावा, अन्य मानदंडों को पूरे हो चुके हैं. इस प्रकार, मानसून में आगमन में व्यक्तिपरकता का एक प्रमुख भाग है.
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून
मध्य जून से पहली जुलाई तक सारा भारत दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के प्रभाव में आ जाता है. चूँकि उत्तर-पश्चिमी भारत में वायु-भार सबसे कम रहता है, अतः समुद्र की ओर से वाष्प-भरे पवन तेजी से उस ओर चल पड़ते हैं. बिजली की कड़क और चमक के साथ भारी वर्षा होती है.
प्रकार
दक्षिण-पश्चिमी मानसून को दो भागों में बाँटा जा सकता है –
- अरब सागर का मानसून
- बंगाल की खाड़ी का मानसून
इस विभाजन का कारण भारतीय प्रायद्वीप की प्रकृति है.
अरब सागर का मानसून
अरब सागर का मानसून पहले चलता है और अधिक शक्तिशाली होता है, पर पश्चिमी घाट पार करने में उसकी शक्ति घट जाती है. उसका अधिकतर बादल वहीं बरस जाता है. नर्मदा के द्वार से होकर कुछ पवन देश के भीतरी भागों में प्रवेश करते हैं और छोटानागपुर में बंगाल की खाड़ी से आनेवाले पवनों से मिल जाते हैं.
बंगाल की खाड़ी का मानसून
बंगाल की खाड़ी का मानसून अरब सागर वाले की अपेक्षा कुछ देर से आता है, पर उससे देश के अधिकतर भाग में वर्षा होती है. पहले वह अराकान तट पर पहुँचता है और तब असम की पहाड़ियों से होकर गुजरता है. हिमालत की स्थिति से इस मानसून को उत्तरी भारत में दक्षिण-पूर्वी बनना पड़ता है. फिर इसे उत्तर-पश्चिम में स्थित निम्नभार के क्षेत्र तक पहुँचना होता है, अतः पश्चिम दिशा की ओर इस मानसून का मुड़ना स्वाभाविक है. इस मानसून से वर्षा पश्चिम की ओर क्रमशः घटती जाती है.
भारत में औसत वर्षा (average rainfall) लगभग 300–650 millimetres (11.8–25.6 in) होती है पर इसके वितरण में (मात्रा और काल) स्थिति और प्राकृतिक बनावट का प्रभाव स्पष्ट रूप से पड़ता है.
पहाड़ी भागों में और वायु के रुख (windward side) पर वर्षा अधिक होती है. भारत की कुल वर्ष का अधिकांश प्रतिशत (80%) जून, जुलाई, अगस्त और सितम्बर में (आसाढ़ से आश्विन तक) होता है. यही भारत का वर्षाकाल या वर्षा-ऋतु है.
अक्टूबर के महिने को भी वर्षाकाल के अंतर्गत रखा जाता है. यह ऐसा महिना है जिसमें न तो वर्षा बिल्कुल समाप्त होती है और न जाड़ा ही प्रारंभ होता है.
विशेषताएँ
- अधिकतर वर्षा जून से सितम्बर तक होती है और वर्ष का 2/3 भाग शुष्क रहता है. तमिलनाडु में गर्मी के अलावा जाड़े में अच्छी वर्षा होती है.
- अधिकतर वर्षा मानसून पवनों से होती है.
- वर्षा का वितरण सर्वत्र एक-सा नहीं है. जैसे भारत के ही चेरापूंजी में वार्षिक वर्षा 425″ है तो बीकानेर में मात्र 11″.
- वर्षा मूसलधार होती है. चक्रवाती वर्षा (cyclonic rainfall) नाममात्र की होती है.
- वर्षा के समय से मात्र में अनिश्चितता आ सकती है अर्थात् कभी किसी स्थान में देर से या समय से पहले वर्षा शुरू या ख़त्म हो सकती और कभी वर्षा आवश्यकता से अधिक या कम हो सकती है. इसी से भारतीय कृषि का मानसून के साथ जुआ खेलना कहा गया है.
वर्षा विभाग
वर्षा के आधार पर भारत को दो भागों में बाँटा जा सकता है –
- निश्चित वर्षा के प्रदेश, जिसके अंतर्गत बंगाल, असम और पश्चिमी तट (मालावार और कोंकण तट) लिए जा सकते हैं.
- अनिश्चित वर्षा के प्रदेश, जिसके अंतर्गत बिहार, झारखण्ड, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, मैसूर, आंध्रपदेश और तमिलनाडु हैं.
वर्षा की मात्रा के आधार पर भारत के चार भाग
- घनी वृष्टि के क्षेत्र (जहाँ 80″ से अधिक वर्षा होती है)- इसके अंतर्गत पश्चिमी तट, असं और पूर्वी हिमालय की दक्षिणी ढाल आयेंगे.
- साधारण वृष्टि के क्षेत्र (जहाँ 40″ से 80″ तक वर्षा होती है) – इस क्षेत्र में पश्चिमी घाट की पूर्वी ढाल, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश का पूर्वी भाग (कारोमंडल तट, प.बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्यप्रदेश तथा उत्तरप्रदेश का पूर्वी भाग सम्मिलित किए जायेंगे.
- अल्पवृष्टि के क्षेत्र (जहाँ 20″ से 40″ तक वर्षा होती है) तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश के अधिकांश भाग, मैसूर, महाराष्ट्र का पूर्वी भाग, गुजरात, राजस्थान का पूर्वी भाग और पश्चिमी पंजाब के अधिक भाग इसके अंतर्गत आते हैं.
- वृष्टिहीन क्षेत्र (जहाँ 20″ से भी कम वृष्टि होती है) – इसमें राजस्थान का पश्चिमी भाग और पंजाब का दक्षिणी भाग मुख्य रूप से आते हैं.
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GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.
Topic : ‘Bell of Faith’ launched for senior citizens
संदर्भ
केरल में, गांवों में अकेले रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए ‘धर्म-घंटी’ अर्थात् ‘बेल ऑफ फेथ‘ (Bell of Faith) योजना प्रारम्भ की जाएगी. इससे पहले, यह योजना केरल के कई शहरी परिवारों में सफलतापूर्वक लागू की चुकी है.
‘बेल ऑफ फेथ’ योजना
- ‘बेल ऑफ फेथ’ योजना, केरल राज्य की ‘सामुदायिक पुलिसिंग योजना’ के अनुरूप परिकल्पित एक वृद्धों की सुरक्षा संबंधी योजना है.
- इसके तहत बुजुर्ग नागरिक संकट की स्थिति में रिमोट से नियंत्रित अलार्म के माध्यम से ‘तेज आवाज’ का उपयोग करके अपने पड़ोसियों को अपनी मदद के लिए बुला सकते है. केरल में वर्ष 2018 से यह योजना कार्यान्वित की जा रही है.
बेल ऑफ फेथ’ योजना का महत्व
- ‘बेल ऑफ फेथ’ योजना, बुजुर्गों की सहायता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक सामुदायिक भागीदारी का एक बेहतर उदाहरण स्थापित करती है. COVID -19 महामारी के दौरान अपने स्वास्थ्य के प्रति आशंकित रहने वाले वृद्धों के लिए यह योजना बहुत सहायक हो सकती है.
GS Paper 2 Source : PIB
UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.
Topic : PM-CARES for children for empowerment of COVID-19
संदर्भ
हाल ही में,, कोविड से प्रभावित बच्चों की सहायता और इनका सशक्तिकरण करने के लिए ‘पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना (PM CARES for Children) की शुरुआत की गई है.
पात्रता: कोविड 19 के कारण माता-पिता दोनों या माता-पिता में से किसी जीवित बचे अभिभावक या कानूनी अभिभावक/दत्तक माता-पिता को खोने वाले सभी बच्चों को ‘पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना के तहत सहायता दी जाएगी.
पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के मुख्य बिंदु
बच्चे के नाम पर सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट):
पीएम केयर्स 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले प्रत्येक बच्चे के लिए 10 लाख रुपये का कोष बनाने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई एक योजना के माध्यम से योगदान देगा. यह कोष:
- 18 वर्ष की आयु से अगले पांच वर्षों तक उच्च शिक्षा की अवधि के दौरान उनकी व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए मासिक वित्तीय सहायता / छात्रवृति देने के लिए उपयोग किया जाएगा, और
- 23 वर्ष की आयु पूरी करने पर, उसे व्यक्तिगत और व्यावसायिक उपयोग के लिए एकमुश्त के रूप से कोष की राशि मिलेगी.
स्कूली शिक्षा: 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए
- बच्चे को नजदीकी केन्द्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में डे स्कॉलर के रूप में प्रवेश दिलाया जाएगा.
- अगर बच्चे का दाखिला किसी निजी स्कूल में होता है तो पीएम केयर्स से आरटीई के नियमों के मुताबिक फीस दी जाएगी.
- पीएम केयर्स वर्दी, पाठ्य पुस्तकों और नोटबुक पर होने वाले खर्च का भी भुगतान करेगा.
स्कूली शिक्षा: 11 -18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए
- बच्चे को केंद्र सरकार के किसी भी आवासीय विद्यालय जैसेकि सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय आदि में प्रवेश दिलाया जाएगा.
- यदि बच्चे को अभिभावक / दादा-दादी / विस्तारित परिवार की देखरेख में रखा जाना है, तो उसे निकटतम केन्द्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में डे स्कॉलर के रूप में प्रवेश दिलाया जाएगा.
- अगर बच्चे का दाखिला किसी निजी स्कूल में होता है तो पीएम केयर्स से आरटीई के नियमों के मुताबिक फीस दी जाएगी.
- पीएम केयर्स वर्दी, पाठ्य पुस्तकों और नोटबुक पर होने वाले खर्च का भी भुगतान करेगा.
उच्च शिक्षा के लिए सहायता:
- मौजूदा शिक्षा ऋण के मानदंडों के अनुसार भारत में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों / उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण दिलाने में बच्चे की सहायता की जाएगी. इस ऋण पर लगने वाले ब्याज का भुगतान पीएम केयर्स द्वारा किया जाएगा.
- विकल्प के रूप में ऐसे बच्चों को केंद्र या राज्य सरकार की योजनाओं के तहत स्नातक / व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के शिक्षण शुल्क / पाठ्यक्रम शुल्क के बराबर की छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी. जो बच्चे मौजूदा छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत पात्र नहीं हैं, उनके लिए पीएम केयर्स एक समकक्ष छात्रवृत्ति प्रदान करेगा.
स्वास्थ्य बीमा
- ऐसे सभी बच्चों को आयुष्मान भारत योजना (पीएम-जेएवाई) के तहत लाभार्थी के रूप में नामांकित किया जाएगा, जिसमें 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर होगा.
- 18 वर्ष की आयु तक के इन बच्चों के लिए प्रीमियम की राशि का भुगतान पीएम केयर्स द्वारा किया जाएगा.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Challenges to internal security through communication networks, role of media and social networking sites in internal security challenges, basics of cyber security; money-laundering and its prevention.
Topic : The concept of ‘anticipatory bail’
संदर्भ
हाल ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ‘उच्च न्यायालयों’ के दृष्टिकोण में एक विरोधाभास का समाधान करते हुए एक फैसला सुनाया गया, जिसमे शीर्ष अदालत ने कहा है, कि “असाधारण परिस्थितियों” में अदालतों के पास, किसी अभियुक्त को ‘अग्रिम जमानत’ (Anticipatory Bail) देने से इनकार करते हुए भी, उसे गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान करने की विवेकाधिकार शक्ति होती है. किंतु, इस शक्ति का प्रयोग बेरोक-टोक नहीं किया जा सकता, और इस शक्ति का प्रयोग करने के लिए कोई तर्क-पूर्ण आधार होना चाहिए.
पृष्ठभूमि
शीर्ष अदालत द्वारा यह फैसला, उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दो आदेशों के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई करने के दौरान सुनाया गया.
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में अभियुक्तों को अग्रिम जमानत दिए जाने को रद्द करते हुए निचली अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने तथा 90 दिन के भीतर एक नियमित जमानत याचिका दायर करने के लिए कहा था, और इसके साथ ही अभियुक्तों के लिए इस अवधि के दौरान किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा भी प्रदान की थी.
अग्रिम जमानत क्या है?
सर्वोच्च न्यायालय की एक संवैधानिक पीठ ने यह व्यवस्था दी है कि अग्रिम जमानत (anticipatory bail) के लिए कोई समय-सीमा नहीं हो सकती है और वह अभियोजन के अंत तक चल सकती है.
पृष्ठभूमि
आपराधिक प्रक्रिया संहिता के अनुभाग 438 में अग्रिम जमानत के विषय में प्रावधान है. इस प्रावधान के कार्यक्षेत्र के विषय में दायर मामले – सुशीला अग्रवाल बनाम दिल्ली राज्य – में तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने एक रिफरेन्स किया था. इस रिफरेन्स पर सर्वोच्च न्यायालय ने एक संवैधानिक पीठ का गठन करते हुए विचार किया था.
संवैधानिक पीठ द्वारा दिए गये मंतव्य
- अनुभाग 438 (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) न्यायालयों को अग्रिम जमानत के लिए शर्त थोपने के लिए बाध्य नहीं करता है. परन्तु यदि विशेष परिस्थितियों में ऐसा समझा जाता है तो न्यायालय अग्रिम जमानत की समय-सीमा निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र है.
- संसद नागरिकों के अधिकार को कम करना उचित नहीं समझती है यह देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय के लिए यह उचित नहीं होगा कि वह अग्रिम जमानत के विषय में न्यायालय को दी गई शक्तियों में कटौती करे.
- प्राथमिकी दायर होने के भी पहले कोई व्यक्ति अग्रिम जमानत का आवेदन दे सकता है.
- न्यायालय उसी दशा में अग्रिम जमानत पर शर्तें थोप सकता है जब उसे लगे कि सम्बंधित अपराध गंभीर प्रकृति का है.
अग्रिम जमानत क्या है?
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता में 1973 में एक संशोधन द्वारा अनुभाग 438 के अन्दर अग्रिम जमानत का प्रावधान किया गया था.
- एक ओर जहाँ साधारण जमानत उस व्यक्ति को मिलती है जो गिरफ्तार है, वहीं दूसरी ओर अग्रिम जमानत द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी के पहले ही दी जाती है.
- अनुभाग 438 का उप-अनुभाग 1 मात्र सत्र न्यायालय और उच्च न्यायालय को ही अग्रिम जमानत देने के लिए अधिकृत करता है.
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : D-voter or doubtful voter
संदर्भ
हाल ही में, असम के छह हिरासत केंद्रों (Detention Centre) में से एक हिरासत केंद्र में बचे अंतिम ‘विदेशी’ (Foreigner), मणीन्द्र दास रिहा कर दिए गए हैं. अभी, अन्य पांच हिरासत केंद्रों में बंद लगभग 170 व्यक्तियों को रिहा किया जाना बाकी है.
मणीन्द्र दास को वर्ष 2015 में ‘डी-वोटर’ अर्थात् ‘संदिग्ध मतदाता’ के रूप में चिह्नित किया गया था और बाद में इनके लिए वर्ष 2019 में एक ‘विदेशी अधिकरण’ (Foreigners’ Tribunal- FT) द्वारा एकतरफा निर्णय सुनाते हुए “विदेशी” घोषित कर दिया गया.
D-Voter किसे कहते हैं?
- D-Voter का full form है – dubious voter यानी संदिग्ध मतदाता.
- ज्ञातव्य है कि पंजी बनाने की प्रक्रिया के दौरान 48 लाख ऐसे लोग मिले जिनके पास नागरिकता का लिखित प्रमाण नहीं था और इसलिए उन्हें मताधिकार से वंचित कर दिया गया था.
- यही लोग D-Voter कहलाते हैं.
घोषित विदेशी कौन हैं?
असम के सभी D-voters पर विदेशी अधिनियम (Foreigners’ Act) के तहत गठित विशेष न्यायाधिकरणों के द्वारा सुनवाई की जाती है और यदि वे अपनी नागरिकता का दावा सिद्ध करने में असमर्थ रहते हैं तो उन्हें घोषित विदेशी मानते हुए राज्य से निष्कासन हेतु बंदी शिवरों में भेज दिया जाता है.
ये बंदी शिवर राज्य के कारागारों के अन्दर बनाए गए हैं. अब इनकी संख्या 6 है. इस प्रकार घोषित विदेशियों की संख्या 31 दिसम्बर, 2017 में 91,206 थी.
NRC की प्रक्रिया क्यों शुरू की गई?
असम में विदेशियों के निष्कासन के लिए 1979 से 1985 तक एक बड़ा आन्दोलन चला था. 1985 में सरकार और आन्दोलनकारियों के बीच एक समझौता हुआ जिसके बाद आन्दोलन समाप्त कर दिया गया. समझौते में यह आश्वासन दिया गया था कि NRC का नवीकरण किया जायेगा. इस समझौते (Assam Accord) में 24 मार्च, 1971 को विदेशियों के पहचान के लिए cut-off तिथि निर्धारित की गई थी. इस आधार पर NRC ने अपना नवीनतम प्रारूप प्रकाशित किया है जिसमें बताया गया है कि राज्य के 40 लाख लोग यह प्रमाणित नहीं कर सके कि वे इस cut-off तिथि के पहले से वहाँ रह रहे हैं.
40 लाख लोगों का क्या हुआ?
NRC के प्रतिवेदन में जिन 40 लाख लोगों को बाहरी सिद्ध किया गया है उनके पास फिर से छान-बीन करवाने का एक अवसर है. इसके लिए दावेदारी हेतु 7 अगस्त से 30 अगस्त तक आवेदनपत्र का form निर्गत किया जायेगा जिसको 30 अगस्त से लेकर 28 सितम्बर तक भरकर कभी-भी जमा किया जा सकेगा. इन दावों पर विचार करके नागरिकों की अंतिम सूची निकलेगी. इस अंतिम सूची पर भी यदि किसी को आपत्ति देनी है तो वह विदेशी न्यायाधिकरणों (Foreigners’ Tribunals) में जा सकता है और यदि वहाँ हार गया तो उच्च न्यायालय जा सकता है.
Prelims Vishesh
Bhitarkanika Protected Area :-
- चक्रवात यास के कारण भितरकनिका में सैकड़ों वृक्ष गिर गए हैं.
- ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में अवस्थित भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव वन है.
- हालांकि, मैंग्रोव जो इस क्षेत्र को चक्रवातों से बचाते थे, तीव्रता से उन्मूलित हो रहे हैं.
- यह ब्राह्मणी-वैतरणी के ज्वारनदमुखीय क्षेत्र में स्थित है व इसके पूर्व में बंगाल की खाड़ी है.
- इस क्षेत्र को वर्ष 1998 में एक राष्ट्रीय उद्यान और वर्ष 2002 में यूनेस्को (UNESCO) द्वारा एक रामसर स्थल नामित किया गया था.
- गहिरमाथा पुलिन जो पूर्व में अभयारण्य की सीमा निर्मित करता है, ओलिव रिडले समुद्री कछुओं (टर्टल) की सबसे बड़ी कॉलोनी है.
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