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Q5. हिंद महासागर भारत के लिए “आर्थिक अवसरों का महासागर” है। टिप्पणी कीजिए। (GS Paper 3)
उत्तर:
हिंद महासागर भारत के लिए “आर्थिक अवसरों का महासागर” है. टिप्पणी कीजिए.
क्या न करें
❌दक्षिण चीन सागर विवाद का उल्लेख नहीं करना है
❌किसी भी रूप में सैन्य शक्ति/सैन्य संगठन/सैन्य कार्यक्रम आदि का वर्णन नहीं करना है.
❌क्षेत्रीय सुरक्षा हेतु अन्य देशों से सम्बन्धों का जिक्र
क्या करें
✅भूमिका में हिन्द महासागर की आर्थिक महिमा का गुणगान एवं वर्तमान स्थिति का वर्णन (भारत के सन्दर्भ में)
✅भूमिका में हिन्द महासागर की आर्थिक महिमा का गुणगान एवं वर्तमान स्थिति का वर्णन (वैश्विक सन्दर्भ में)
✅आर्थिक अवसर क्या-क्या हैं/संभावनाओं का जिक्र
✅भारत की भूमिका
उत्तर
भारत का लगभग 78% अंतर्राष्ट्रीय व्यापार हिंद महासागर से ही होता है. भारत के संसाधनों की भी एक बड़ी मात्रा इसी महासागर से प्राप्त होती है. भारत के प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम का दो-तिहाई भाग हिंद महासागर की विभिन्न शाखाओं, विशेषकर अरब सागर (बम्बई से खंभात की खाड़ी तक का क्षेत्र) से प्राप्त होता है. भारत के कुल मत्स्य उत्पादन का लगभग 60% भाग हिंद महासागर के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (E.E.Z.) से प्राप्त होता है.
यह महासागर वैश्विक व्यापार के चौराहे पर स्थित है. अतः यह उत्तरी अटलांटिक और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थित बड़ी-बड़ी अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को जोड़ता है. इसका महत्त्व इसलिए बढ़ जाता है कि आज के युग में वैश्विक जहाजरानी उभार पर है. हिन्द महासागर प्राकृतिक संसाधनों में भी समृद्ध है.
- विश्व का 40% तटक्षेत्रीय तेल उत्पादन हिन्द महासागर की तलहटियों में ही होता है.
- विश्व के कच्चे तेल के व्यापार का लगभग 90 प्रतिशत परिवहन हिंद महासागर के चोक पॉइंट के रूप में जाने जाने वाले जल के तीन संकरे मार्गों से होकर जाता है. इसमें फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी के बीच स्थित होर्मुज का जलडमरूमध्य शामिल है, जो फारस की खाड़ी से हिंद महासागर तक एकमात्र समुद्री मार्ग प्रदान करता है. भारत दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है. यह आने वाले दशकों में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी व सबसे अधिक क्षमता वाला देश भी होगा.
- विश्व का 15% मत्स्य उद्योग हिन्द महासागर में ही होता है.
- हिन्द महासागर की तलहटी तथा तटीय गाद में बहुत-सारे खनिज होते हैं, जैसे – निकल, कोबाल्ट, लोहा, मैंगनीज, तांबा, जस्ता, चाँदी, सोना, टाइटेनियम, ज़िरकोनियम, टिन आदि.
वर्तमान समय में हिंद महासागर में अनेक बहु-धात्विक पिंडों (पॉली मेटालिक नोड्यूल) के खनन की संभावनाएँ बन रही हैं. ‘International Sea Bed Authority’ ने भारत को 1.5 लाख किमी. क्षेत्र में इनके खनन का अधिकार दिया है.
गहरे सागर में खनिज सम्पदा की खोज करने व इसकी निगरानी करने के लिए ‘भारतीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान’ (NIOT) ने रूस का सहयोग लेते हुए पहले मानव रहित पनडुब्बी रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (ROV) को हिन्द महासागर में उतारा है, जो 6,000 मीटर की गहराई में पली मेटालिक नोडल का अध्ययन करेगा. यह समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में जैव-विविधता का भी अध्ययन करेगा.
‘हिमतक्षेस’ (IORARC- Indian Ocean Rim Association for Regional Co-Operation) नामक तटीय क्षेत्रीय सहयोग संगठन के विकास की दिशा में भारत ने सम्मिलित प्रयास किया है. इस संगठन द्वारा संगठन द्वारा गैर- सदस्य देशों के साथ व्यापार सुविधाओं में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा.
भारत इस क्षेत्र में नीली अर्थव्यवस्था (Blue economy) को प्रोत्साहन देने के लिये IORA के सदस्य देशों सहित सोमालिया, ओमान और अन्य वाणिज्यिक मत्स्य क्षेत्र में अपने कौशल को साझा कर रहा है.
भू-सामरिक व भू-राजनीतिक तौर पर भी भारत हिंद महासागर के केन्द्र पर है. हिंद महासागर के महत्त्व को देखते हुए भारत ने इसे निरंतर शांति का क्षेत्र बनाए रखने का प्रयास किया है तथा तटीय देशों से अंतराकर्षण बढ़ाते हुए सांस्कृतिक व आर्थिक सम्बंध विकसित किए हैं. हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित सबसे बड़ा देश होने के कारण क्षेत्रीय आर्थिक विकास व सामरिक शांति बनाए रखने में भारत का दायित्व इस कारण और भी बढ़ जाता है. अंटार्कटिका प्रदेश के संसाधनों के भावी दोहन के उद्देश्य से भी भारत के लिए हिंद महासागर का महत्त्व है.