सामान्य अध्ययन पेपर – 1
तोलु बोम्मालट्टा आजकल चर्चा में क्यों है? इस कला से समबन्धित तथ्यों की चर्चा करें और इस जैसी कला किन राज्यों में प्रचलित है? (150 words)
यह सवाल क्यों?
यह सवाल UPSC GS Paper 1 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप से लिया गया है –
“भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य, वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल…..”.
उत्तर :-
आंध्र प्रदेश की छाया कठपुतली नाट्य परम्परा तोलु बोम्मालट्टा पतनशील अवस्था में है. इसका शाब्दिक अर्थ है “चमड़े की कठपुतलियों का नृत्य” (तोलु = चमड़ा, बोम्मालट्टा – कठपुतली नृत्य). कठपुतलियाँ आकार में बड़ी होती हैं तथा उनकी कमर, गर्दन, कंधे और घुटनों में जोड़ होते हैं. कठपुतलियाँ मुख्यतः हिरन की एक प्रजाति एंटीलोप और बकरी की खाल से बनाई जाती हैं. प्रमुख पात्र एंटीलोप और मृग की खाल से बनाए जाते हैं.
इन कठपुतलियों को दोनों तरफ से रंगा जाता है. इसलिए ये कठपुतलियाँ परदे पर रंगीन छाया प्रदर्शित करती हैं. कठपुतलियाँ चलाने वाले त्रि-आयामी (3D) प्रभाव उत्पन्न करने के लिए भुजाओं और हाथों की सजीव (animated) गतिविधि के साथ रामायण और महाभारत महाकाव्यों से कथाओं का आख्यान करते हैं.
अन्य छाया कठपुतलियाँ
- रावणछाया – ओडिशा
- चमा दायचे बाहुल्य – महाराष्ट्र
- तोगालू गोम्बयेट्टा – कर्नाटक
- तोलाप्पावक्कूत्तु वेल्लाचेट्टी – केरल
सामान्य अध्ययन पेपर – 1
तंजौर चित्रकला के विषय में आप क्या जानते हैं? इस कला को लेकर चर्चा में चल रही रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के बारे में बताएँ. (250 words)
यह सवाल क्यों?
यह सवाल UPSC GS Paper 1 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप से लिया गया है –
“भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य, वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल…..”.
उत्तर :-
तंजौर चित्रकला लघु चित्रकला का एक रूप है जो 18वीं और 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में विकसित हुई थी. हालाँकि, इसकी उत्पत्ति 9वीं शताब्दी के प्रारम्भ में मानी जा सकती है.
इस चित्रकला की विशेषताओं में अर्द्ध-कीमती पत्थरों, मोती और काँच के टुकड़ों का उपयोग तथा सुदृढ़ आरेखण, छायाकरण की तकनीकें और शुद्ध एवं चटकीले वर्णों का प्रयोग शामिल हैं. लघु चित्रकला में दिखने वाला शंक्वाकार मुकुट वास्तव में तंजौर चित्रकला की एक प्रतीकात्मक विशेषता है. तंजौर चित्रकला में बड़ी मात्रा में सोने का उपयोग किया जाता है, क्योंकि इसकी चमक इस चित्रकला को अधिक आकर्षक बना देती है. साथ ही इसके प्रयोग से चित्र की जीवन अवधि में भी वृद्धि हो जाती है. इसे भौगोलिक (GI) टैग भी प्रदान किया गया है.
इन दिनों रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग कर यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि तंजौर चित्रकला में प्रयुक्त सोना एवं रत्न असली हैं अथवा नहीं. इस तकनीक का आविष्कार नोबेल पुरस्कार विजेता सी.वी. रमन ने किया था. रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी आणविक कम्पन और क्रिस्टल संरचनाओं पर सूचनाएँ प्रदान करने के लिए उपयोग की जाने वाली कम्पन स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीकों में से एक है. इस तकनीक में किसी नमूने को प्रकाशित करने के लिए लेजर लाइट का उपयोग किया जाता है और रमण प्रकीर्ण प्रकाश का एक अतिसूक्ष्म अंश उत्पन्न किया जाता है. इसे रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के रूप में जाना जाता है.
सामान्य अध्ययन पेपर – 1
मधुबनी चित्रकला की विशिष्टताओं की विस्तार से चर्चा करें. (250 words)
यह सवाल क्यों?
यह सवाल UPSC GS Paper 1 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप से लिया गया है –
“भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य, वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल…..”.
उत्तर :-
मधुबनी चित्रकला को यह नाम बिहार के मधुबनी जिले से प्राप्त हुआ है जहाँ इस कला शैली को पारम्परिक रूप से चित्रित किया जाता था. इसकी उत्पत्ति रामायण काल से मानी जाती है.
मधुबनी चित्रकला की अभिलाक्षणिक विशेषताएँ निम्नवत हैं –
- चटख रंगों और विषम रंगों या पैटर्न से भरा रेखा चित्र.
- प्रमुख विषय : ज्यामितीय निरूपण; कृष्ण, राम, तुलसी का पौधा, दुर्गा, सूर्य और चन्द्रमा जैसे हिन्दुओं के धार्मिक रूपों का अंकन; विवाह, जन्म आदि जैसे शुभ अवसरों का चित्रण किया जाता है.
- पुष्प, पशु और पक्षी रूपों का भी चित्रण किया जाता है और यह प्रतीकात्मक प्रकृति को दर्शाती है, उदाहरण के लिए – मछलियाँ सौभाग्य और उर्वरता को प्रदर्शित करती हैं.
- सामान्यतः दोहरी रेखाओं युक्त किनारा, रंगों का स्पष्ट प्रयोग, अलंकृत पुष्प पैटर्न और अतिरंजित मुखमंडल की विशेषताएँ शामिल हैं.
- बिना छायांकन के द्विआयामी चित्र.
इसमें चित्रों को गाय के गोबर और मिट्टी से लेपित दीवारों के ताजे प्लास्टर पर चावल के लेप और सब्जियों के रंगों का उपयोग करके चित्रित किया जाता है. वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए अब इसे कागज़, कपड़ा, कैनवास आदि पर भी बनाया जाता रहा है. महिलाओं के साथ पुरुष भी अब इस कला परम्परा में शामिल हो गए हैं. इसे भौगोलिक संकेतक (GI) टैग दिया गया है.
Reminder : Last Date of Sansar Assignment SMA Submission is 12/10/2018. You can download last assignment from this link >
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