[no_toc] सामान्य अध्ययन पेपर – 2
असम समझौता के विषय में आप क्या जानते हैं? NRC को लागू करने में क्या समस्याएँ हैं? (250 शब्द)
- अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है = Green
- आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow
यह सवाल क्यों?
यह सवाल UPSC GS Paper 2 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप से लिया गया है –
“शासन व्यवस्था, संविधान, राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध”
सवाल का मूलतत्त्व
असम समझौता की भूमिका से शुरुआत करें जिसमें इतिहास का तड़का होना जरुरी है. मैंने कुछ लम्बा लिख दिया है, आप इसे छोटा करें. असम समझौता को समझाने के बाद पहले NRC को परिभाषित करें, उसके बाद चुनौतियों/समस्याओं के बारे में लिखें.
उत्तर :-
पचास के दशक से ही बाहरी लोगों का असम में आना एक राजनैतिक मुद्दा बनने लगा था. औपनिवेशिक काल में बिहार और बंगाल से चायबागानों में काम करने के लिए बड़ी तादाद में मजदूर असम पहुँचे. अंग्रेजों ने उन्हें यहाँ खाली पड़ी जमीनों पर खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया. इसके अलावा विभाजन के बाद नए बने पूर्वी पाकिस्तान से पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के साथ, असम में भी बड़ी संख्या में बंगाली लोग आये. तब से ही वहाँ रह-रह कर बाहरी बनाम स्थानीय के मुद्दे पर चिंगारी सुलगती रही. लेकिन 1971 में जब पूर्वी पाकिस्तान और आज के बांग्लादेश में मुसलमान बंगालियों के खिलाफ पाकिस्तानी सेना की हिंसक कार्रवाई शुरू हुई तो वहाँ के लगभग 10 लाख लोगों ने असम में शरण ली. बांग्लादेश बनने के बाद इनमें से ज्यादातर लोग लौट गए, लेकिन तकरीबन 1 लाख असम में ही रह गए. 1971 के बाद भी कई बांग्लादेशी असम आते रहे. जल्द ही स्थानीय लोगों को लगने लगा कि बाहर से आये लोग उनके संसाधनों पर कब्ज़ा कर लेंगे और इस तरह जनसंख्या में हो रहे इन बदलावों ने असम के मूल निवासियों में भाषाई, सांस्कृतिक और राजनीतिक असुरक्षा की भावना पैदा कर दी.
इस भय ने 1978 के आस-पास वहाँ एक शक्तिशाली आन्दोलन को जन्म दिया जिसका नेतृत्व वहाँ के युवाओं और छात्रों ने किया. इसी बीच All Assam Students Union (AASU) और All Assam Gana Sangram Parishad (AAGSP) ने मांग की कि विधान सभा चुनाव कराने से पहले विदेशी घुसपैठियों की समस्या का हल निकाला जाए. बांग्लादेशियों को वापस भेजने के अलावा आन्दोलनकारियों ने 1961 के बाद राज्य में आने वाले लोगों को वापस राज्य में भेजे जाने या उन्हें कई और बसाने की माँग की. आन्दोलन उग्र होता गया और राजनीतिक अस्थिरता का माहौल पैदा हो गया. 1983 के विधान सभा चुनाव में राज्य की बड़ी आबादी ने मतदान का बहिष्कार किया. इस बीच राज्य में आदिवासी, भाषाई और साम्प्रदायिक पहचानों के नाम पर बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. 1984 के आम चुनावों में राज्य के 14 संसदीय क्षेत्रों में चुनाव ही नहीं हो पाए.
1983 के हिंसा के बाद समझौते के लिए बातचीत की प्रक्रिया शुरू हुई. आखिरकार अगस्त 1985 को केंद्र की तत्कालीन राजीव गांधी सरकार और आन्दोलन के नेताओं के बीच समझौता हुआ जिसे असम समझौते (Assam Accord) के नाम से जाना जाता है.
बांग्लादेश घुसपैठियों (illegal migrants of Bangladesh) का मुद्दा जब बढ़ने लगा तो नागरिकों की पहचान की जरुरत पड़ने लगी. ऐसा माना जा रहा है कि असम में बांग्लादेश से आये कई लोग अवैध रूप से रह रहे हैं. इसलिए NRC का मुद्दा उठाया जा रहा है.
NRC को लागू करने में समस्याएँ
असम और पश्चिम बंगाल राज्यों के सीमावर्ती इलाकों में कथित बांग्लादेशियों और मूल निवासियों की पहचान करना एक कठिन काम है. इन इलाकों में सीमा के दोनों तरफ रहने वाले लोगों का रहन-सहन और भाषा एक जैसी है. ऐसे में कई बार स्थानीय लोगों को भी पुख्ता कागजात दिखाकर अपनी नागरिकता साबित करनी पड़ती है. इन इलाकों में बांग्लादेशी और भारतीयों का भेद कर पाना कठिन है. इसे लेकर तमाम तरह की राजनीति होती है. कई बार विवाद साम्प्रदायिक रुख ग्रहण कर लेता है. ऐसे में घुसपैठ रोकने और भारतीय नागरिकों के हितों की सुरक्षा से जुड़ी सरकारी कोशिशों पर भी सवाल उठने लगते हैं. कुछ राजनीतिक दलों का हित बांग्लादेश से आये हुए लोगों को देश में बनाए रखने में है. इसलिए वे पहचान और निष्काशन की प्रक्रिया को रोकने के लिए हर प्रकार का तिकड़म लगाते हैं.
सामान्य अध्ययन पेपर – 2
“भारत, चीन और बांग्लादेश तीनों देशों की जल सुरक्षा के लिए ब्रह्मपुत्र नदी बहुत महत्त्वपूर्ण है, परन्तु प्रत्येक देश के लिए इस नदी के निहितार्थ भिन्न हैं.” इस कथन की पुष्टि करें. (250 शब्द)
- अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है = Green
- आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow
यह सवाल क्यों?
यह सवाल UPSC GS Paper 2 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप से लिया गया है –
“शासन व्यवस्था, संविधान, राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध”
सवाल का मूलतत्त्व
सवाल के अंत में पुष्टि करें लिखा है इसका मतलब कि इस कथन को सत्य मानते और समर्थन करते हुए अपना पक्ष प्रस्तुत करना है. अच्छा होगा कि पहले एक-दो लाइन ब्रह्मपुत्र नदी कहाँ-कहाँ कैसे इन तीनों देशों में बहती है…इससे शुरुआत करें. फिर बाद में तीनों देशों के लिए यह नदी रणनीतिक रूप से कैसे महत्त्वपूर्ण है …इसकी व्याख्या country-wise और point-wise करें.
शायद आपके पास इस विषय के बारे उतने points नहीं होंगे जितना आपको नीचे के उत्तर में दिया जा रहा है. इसलिए इसका एक नोट्स बना लें.
उत्तर :-
ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम तिब्बत से होता है और उसके बाद भारत और बांग्लादेश से प्रवाहित होते हुए हिन्द महासागर में गिरती है. इसका अधिकांश भाग चीन द्वारा नियंत्रित होता है. तीनों देशों की जल सुरक्षा के लिए यह नदी बहुत महत्त्वपूर्ण है.
चीन के लिए
- ब्रह्मपुत्र, चीन के लिए जलबिजली परियोजनाओं के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है और उसके घरलू जल की कमी को पूरा करता है. शायद इसलिए चीन ने दक्षिण-उत्तर-जल परिवहन परियोजना के माध्यम से ब्रह्मपुत्र पर बाँध बनाने और नदी जल की दिशा परिवर्तित करने की योजना बनाई गई है.
- भारत-चीन के मध्य संचार और सामरिक विश्वास को सुदृढ़ बनाने के लिए कई MoUs पर हस्ताक्षर किये गये हैं पर इसके बावजूद दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर काफी तनाव रहता है.
- इसके अतिरिक्त चीन भारत और बांग्लादेश के साथ विस्तृत बेसिन-सहयोग में शामिल होने के लिए अनिच्छुक है.
भारत के लिए
- ब्रह्मपुत्र, भारत में केवल 3% क्षेत्र से होकर ही प्रवाहित होती है लेकिन इसका जल पूर्वोत्तर राज्यों में निवास करने वाली आबादी के लिए बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण है.
- हमारे देश की नीति चीन और बांग्लादेश की तुलना में काफी अलग है. भारत को चीन की बाँध बनाने और उसके द्वारा नदी के मार्ग को परिवर्तित करने की योजना से घोर आपत्ति है. भारत की नीतियाँ उसके नदी सम्बन्धी अधिकारों की प्राप्ति की इच्छा, बिजली उत्पादन और बाँध बनाकर पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ एवं मृदा के कटाव को नियंत्रित करने की इच्छा के इर्द-गिर्द घूमती हैं.
- भारत द्वारा अपने क्षेत्र में शुष्क ऋतु के दौरान ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी तीस्ता के प्रवाह का उपयोग करने के उद्देश्य से इस पर बाँध बनाए गये हैं. भारत का यह कृत्य बांग्लादेश की सिंचाई सम्बन्धी आवश्यकताओं के लिए आवश्यक जल आपूर्ति को बाधित कर सकता है. विदित हो कि बांग्लादेश, बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले ब्रह्मपुत्र नदी का अंतिम पड़ाव है.
- भारत की बांग्लादेश के साथ ब्रह्मपुत्र से सम्बंधित चिंताएँ उसके अन्य देशों के साथ व्यापक सम्बन्धों के ही भाग हैं जिनका संयुक्त नदी आयोग (JRC) तथा तीस्ता एवं गंगा नदी पर विशिष्ट समझौतों के माध्यम से समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है.
बांग्लादेश के लिए
- ब्रह्मपुत्र और इसकी सहायक नदियों के ऊपरी प्रवाह पर स्थित पड़ोसी देशों द्वारा की जाने वाली कार्यवाहियों से अधिकतम खतरे का सामना बांग्लादेश को ही उठाना पड़ता है क्योंकि इसकी आबादी का अधिकांश हिस्सा देश की सीमा के बाहर से उद्गमित नदियों पर ही निर्भर है.
- बांग्लादेश चीन की बाँध-निर्माण योजनाओं और पारदर्शिता की कमी की तुलना में भारत द्वारा की जाने वाली नदियों से सम्बंधित कार्यवाहियों को अधिक सतर्कतापूर्वक देखता है.
- हाल ही में, भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में थोड़ा-बहुत सुधार होता दिखाई दे रहा है और इस मैत्रीपूर्ण स्थिति में तीस्ता नदी समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने के कयास लगाये जा रहे हैं.
- हाल ही में, संयुक्त नदी आयोग (JRC) द्वारा दोनों देशों को मिलकर कार्य करने और जल का प्रबंधन करने हेतु योजना बनाई जा रही है और इस क्रम में भारत और बांग्लादेश के बीच 10 अन्य सीमापारीय नदियों की औपचारिक पहचान की गई है.
“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan
SMA 01, 02 (Sansar Manthan Assignment) को डाउनलोड करने के लिए App को डाउनलोड कर लें और वहाँ जाकर SMA बटन पर क्लिक करें >> App Link Download