[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Eco-Bio-Tech GS Paper 3/Part 2

Sansar LochanGS Paper 3, Sansar Manthan

[no_toc] सामान्य अध्ययन पेपर – 3

“बांग्लादेश से भारत आ रहे अवैध अप्रवासियों की समस्या के समाधान का एकमात्र रास्ता निर्वासन नहीं हो सकता.” इस कथन की पुष्टि करें. (250 words)

  • अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है  = Green
  • आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –

आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका”.

सवाल का मूलतत्त्व

प्रश्न में स्पष्ट कर दिया गया है कि आप अवैध आप्रवासन के मामले को किनारे रखकर कोई और विकल्प देंगे.

उत्तर :-

अवैध अप्रवासियों की समस्या के समाधान का एकमात्र रास्ता निर्वासन नहीं हो सकता और अगर ऐसा होता है तो दोनों देशों के बीच एक विधिवत् समझौता होना चाहिए. बिना कोई समझौता किये निर्वासन नहीं किया किया जाना चाहिए अर्थात् इसके लिए सरकार को बांग्लादेश सरकार से कोई ऐसा समझौता करना चाहिए जो इस समस्या का उचित हल निकाल सके. 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने भी भारतीय सरकार को प्रवासन के सम्बन्ध में  बांग्लादेश के साथ एक ठोस समझौता करने हेतु सुझाव दिया था. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कही गई इस बात को कि भारत बांग्लादेश सरकार के साथ निर्वासन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए आवश्यक चर्चाएँ शुरू करे, यदि भारत इसके लिए कुछ कदम उठाता है तो यह एक सार्थक पहल साबित हो सकती है.

अवैध अप्रवासियों का मुद्दा एक जटिल मुद्दा है. कुछ विशेषज्ञ तो यहाँ तक सुझाव देते हैं कि इन अवैध अप्रवासियों सभी नागरिकता अधिकारों से वंचित रखकर और मानवतावादी विकल्प के आधार पर देश में ही रहने दिया जाए. पर असम के मूल निवासियों को यह सुझाव तर्कसंगत और अप्रिय प्रतीत होता है. विशेषज्ञों के इस सुझाव का विरोध असम के वे गुट भी करेंगे जो 2016 के नागरिकता संशोधन विधेयक के विरुद्ध आवाज़ उठा रहे हैं जिसके अंतर्गत यह प्रावधान दिए गये थे कि उन सभी शरणार्थियों (मुसलमानों को छोड़कर) को भारत में नागरिकता प्रदान की जायेगी जिनको अपने देश में ही धार्मिक उत्पीड़न का शिकार बनना पड़ा और भारत की शरण लेनी पड़ी.

आज की तिथि में निर्वासन की समस्या केवल भारत में ही नहीं अपितु आप्रवासन की समस्या विश्व भर में है. इस मामले में हर देश को एक अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल का पालन भी करना पड़ता है. ऐसे में भारत सरकार को उन व्यक्तियों, जिनकी नागरिकता बांग्लादेश सरकार द्वारा सिद्ध की जा सकती है, को वापस भेज देना चाहिए. यद्यपि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है.

इसके अतिरिक्त भारत यदि नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 को पारित करता है तो इस अवैध आप्रवासन की समस्या को बहुत हद तक कम किया जा सकता है क्योंकि इसके दायरे में कई धर्म के लोगों (हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, इसाई), जो विशाल संख्या में हैं, को भारत में रहने के लिए छूट मिल जाएगी.

[no_toc] सामान्य अध्ययन पेपर – 3

“NRC में किन्हें शामिल किए जाने का प्रावधान है? NRC का प्रकाशन किस तरह असम में अप्रवासी मामले को सुलझा सकता है?” चर्चा करें. (250 words)

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –

आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका”.

सवाल का मूलतत्त्व

पहले NRC के updated नियम को बता कर प्रश्न के पहले पार्ट को ख़त्म करें क्योंकि यह प्रश्न सटीक है. इसमें आपके द्वारा दिए गए तथ्य या तो गलत होगे या तो सही होगे. सही हुए तो आधा मार्क्स आपको मिल जायेगा, नहीं हुए तो आधा मार्क्स कट जायेगा. इसमें बेवजह बातों को गोल घुमाने से कोई फायदा नहीं है.

प्रश्न में दूसरे पार्ट में जानकारी के अभाव में भी थोड़ा बहुत लिखने की संभावना है. जो लोग NRC के बारे में ABC भी जानते हैं तो वो परीक्षा हॉल में बैठकर सोच सकते हैं कि इससे क्या लाभ हो सकता है? इसे क्यों बनाया जा रहा है यदि आप इतना भी सोच लेते हो तो उत्तर देने के लिए आपको काफी कुछ मिल जायेगा.

उत्तर :-

असम देश का ऐसा पहला ऐसा राज्य है जिसका NRC बनाया गया है. अब इस NRC के मुताबिक़ निम्नलिखित बिन्दुओं के अंतर्गत नागरिकों को भारतीय मूल का नागरिक माना जायेगा –

  1. इसमें 1 जनवरी, 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले सभी नागरिकों को भारतीय मूल का नागरिक माना जायेगा.
  2. 1 जनवरी, 1966 से 25 मार्च 1971 के मध्य बसे अप्रवासियों को पंजीकरण के बाद 10 वर्षों तक और रहने के बाद नागरिकता दी जायेगी.
  3. 25 मार्च, 1971 के बाद आये सभी विदेशी अवैध अप्रवासियों को निर्वासित किया जायेगा.
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अवैध अप्रवासियों की समस्या से विश्व के कई देश ग्रसित हैं. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी एक ओर राष्ट्रीयता विहीनता (statelessness) को पूरी तरह से ख़त्म करना चाहती है तो दूसरी ओर उसके समक्ष करोड़ों लोग ऐसे हैं जिनका अपना कोई देश नहीं है. भारत के लिए भी अप्रवासियों के घुसपैठ के मामले ने पूरे देश में बहस छेड़ दी है. NRC का प्रकाशन वास्तव में सरकार द्वारा उठा गया एक सकारात्मक कदम है क्योंकि यह असम में अवैध अप्रवासी की संख्या को बेवजह की अटकलों से मुक्त कर गैर-भारतीयों की संख्या को सुनिश्चित करता है. अवैध अप्रवासियों से निपटने के तरीकों के बारे में किसी भी स्पष्ट नीति का अभाव होने के चलते असम के मूल निवासियों के दिमाग में द्वंद्व की भावना पैदा हो गई है. अतः केंद्र सरकार को असम के लोगों के दिल से इस द्वंद्व के भाव को निकालने के लिए उनको NRC को प्रकाशित करना पड़ रहा है जिससे मूल निवासियों को यह स्पष्ट किया जा सके कि असम में रहने वाले असली हकदार कौन हैं.

“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan

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