[no_toc] सामान्य अध्ययन पेपर – 3
हाल ही में, भारत में शहरी विकास का वित्त पोषण करने के लिए सरकार द्वारा आरम्भ की गई नीतियाँ और संकेतक वर्तमान चुनौतियों से निपटने हेतु महत्त्वपूर्ण हैं. नगरपालिकाओं बंधपत्रों (municipal bond) के विशेष संदर्भ के साथ चर्चा कीजिए. (250 words)
- अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है = Green
- आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow
यह सवाल क्यों?
यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –
“भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोजगार से सम्बंधित विषय….”.
सवाल का मूलतत्त्व
- शहरी जनसंख्या की बढ़ती प्रवृत्ति का उल्लेख करते हुए शहरी विकास पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता को रेखांकित कीजिए.
- शहरी वित्त पोषण के समक्ष विद्यमान चुनौतियों का उल्लेख कीजिए.
- इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार द्वारा आरम्भ की गई कुछ नीतियों का आकलन कीजिए.
- चर्चा कीजिए कि किस प्रकार नगरपालिका बंधपत्र (म्युनिसिपल बौंड), भारत में शहरी वित्त पोषण से सम्बंधित चुनौतियों से निपटने में सहायक हो सकते हैं.
- कुछ उपाय सुझाइए जो समग्र वित्तीय स्थिति में सुधार हेतु उपर्युक्त चुनैतियों से निपटने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं.
उत्तर
2001 से 2011 के मध्य भारत की कुल जनसंख्या में 18% की वृद्धि हुई, वहीं इसकी तुलना में शहरी जनसंख्या में 32% की वृद्धि हुई है. भविष्य में, इसके 2031 तक बढ़कर 600 मिलियन होने की उम्मीद है. अतः शहरी आबादी में वृद्धि के साथ, शहरों में बेहतर अवसंरचना और सेवाएँ प्रदान करने की आवश्यकता में वृद्धि हो रही है.
परिणामतः, सरकार द्वारा अमृत (AMRUT), स्मार्ट सिटी मिशन, ह्रदय (HRIDAY), प्रधानमन्त्री आवास योजना (शहरी) और स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) जैसी अनेक योजनाओं का शुभारम्भ किया गया है. इनके लिए शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies : ULB) द्वारा महत्त्वपूर्ण पूंजीगत व्यय किये जाने की आवश्यकता होती है, लेकिन इनके द्वारा वित्तीयन में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे कि –
- अत्यधिक वित्त जुटाने के लिए स्थानीय निकायों में राजकोषीय और तकनीकी क्षमता का अभाव.
- बाजार से वित्त पोषण के लिए परिचालित परियोजनाओं से प्रतिफल के सम्बन्ध में निश्चितता की आवश्यकता होती है. परिभाषित और स्थित उपयोगकर्ता शुल्कों की स्पष्ट नीति की अभाव में बाजार ऋण प्रदान करने के इच्छुक नहीं होते हैं.
- निम्नस्तरीय शासन और वित्तीय परिस्थिति बाह्य वित्त पोषण तक पहुँच को अधिक कठिन बनाती है.
- देश में ज्यादातर नगरपालिकाएँ अपने राजस्व का अधिकतम व्यय परिचालनात्मक व्ययों जैसे वेतन, बिल इत्यादि के लिए करती हैं, जिससे विकास सम्बन्धी कार्यों के लिए कम वित्त उपलब्धता हो पाता है.
इस प्रकार, सरकार द्वारा शहरों की वित्तीय स्थिति में सुधार लाने के लिए सहायता हेतु कुछ नीतियाँ और संकेतक लागू किये गये हैं. उदाहरण के लिए :
वैल्यू कैप्चर फाइनेंसिंग (VCF)
यह एक सिद्धांत है जिसके अनुसार अवसंरचना में सार्वजनिक निवेश से लाभ प्राप्त करने वाले लोगों को इसके लिए भुगतान करना चाहिए. नई अवसरंचनाओं सम्बन्धी परियोजनाओं का वित्त पोषण करने के लिए इस सिद्धांत का प्रयोग किया जाता है. उदाहरण के लिए, भूमि मूल्य कर, भूमि उपयोग परिवर्तन के लिए शुल्क, सुधार सम्बन्धी करारोपण (betterment levy) आदि.
शहरों में क्रेडिट रेटिंग
शहरों की संपत्तियों और देयताओं, राजस्व स्रोतों, पूँजीगत निवेश के लिए उपलब्ध संसाधनों, लेखांकन कार्यप्रणाली और अन्य प्रशासनिक कार्यप्रणालियों के आधार पर शहरों की क्रेडिट रेटिंग की जाती है. यह उन्हें बाजार से धन जुटाने हेतु सक्षम बनाता है.
स्वच्छ भारत रैंकिंग और सिटी लाइबिलीटी इंडेक्स आदि जैसे अन्य डाटा संकेतक शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं तो प्रत्येक वर्ष उनके प्रदर्शन सम्बन्धी मानचित्रण में भी सहायता करते हैं.
नगरपालिका बंधपत्र
नगरपालिका बंधपत्र उस बंधपत्र को कहा जाता है जो अवसंरचना परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिका निगमों या नगर पालिकाओं के स्वामित्व वाली संस्थाओं) द्वारा जारी होता है.
विगत दो दशकों से भारत में नगरपालिका बंधपत्र प्रचलित हैं, लेकिन निम्नस्तरीय प्रशासन के कारण शहरों में इसका वृहद् पैमाने पर उपयोग नहीं किया जा सका है.
नगरपालिका बंधपत्र नगर निगमों को सरकारी एजेंसियों या अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की बाह्य सहायता पर निर्भर हुए बिना, प्रत्यक्ष रूप से धन संग्रह करने में सहायता करते हैं. ये निवेशकों के लिए पूर्ण देयता के रूप में कर मुक्त दर्जे का बेहतर निवेश विकल्प भी प्रदान करते हैं. हालाँकि, नगरपालिका बंधपत्र के माध्यम से शहरी वित्त पोषण से सम्बंधित चुनौतियों से निपटने के लिए निम्नलिखित कदम उठाये जाने की आवश्यकता है :
- ULB द्वारा नियमित अंतराल पर उनके वित्तीय प्रदर्शन पर सूचना का प्रकटीकरण
- पारदर्शिता बढ़ाने हेतु खातों की लेखा परीक्षा
- परियोजना निष्पादन में ULB को वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करना और शहरी शासन में समग्र सुधार करना
- समय के साथ सुस्पष्ट योजना के साथ विकेंद्रीकृत योजना
ULB में निवेश के समय सभी वित्तीय प्रतिफलों (financial outcomes) के सम्बन्ध में लोकप्रिय विश्वास को बढ़ाने के लिए उपर्युक्त सभी प्रयास सहायक सिद्ध होंगे, जिससे नगर निगम के बंधपत्र जारी करने की सम्भावनाओं में सुधार होगा.
“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan