[no_toc] सामान्य अध्ययन पेपर – 3
अन्तरिक्षीय मलबे के विषय में आप क्या जानते हैं? इससे निपटने के लिए वैश्विक रूप से क्या-क्या प्रयास किये जा रहे हैं, चर्चा करें. (250 words)
- अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है = Green
- आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow
यह सवाल क्यों?
यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –
“सूचना प्रौद्योगिकी, अन्तरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टेक्नोलॉजी, बायो टेक्नोलॉजी और बौद्धिक सम्पदा अधिकारों से सम्बंधित विषयों के सम्बन्ध में जागरूकता…”.
सवाल का मूलतत्त्व
- अन्तरिक्ष मलबे को परिभाषित करें और अभी की स्थिति से परीक्षक को अवगत कराएँ.
- किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानते हैं तो जरुर लिखें. हम अक्सर Sansar DCA में ये सब जानकारियाँ आपको देते हैं.
उत्तर :-
अन्तरिक्ष कचरे से हमारा तात्पर्य अन्तरिक्ष में व्याप्त उन कचरों से हैं जो अधिकांशतः रॉकेट लॉन्चरों के टुकड़े और निष्क्रिय पड़े उपग्रह होते हैं. इन निष्क्रिय उपग्रहों के कल-पूर्जे भी अन्तरिक्ष में बड़ी संख्या में विद्यमान हैं. आज विकसित और विकासशील देशों में अपने-अपने उपग्रह भेजने की होड़ लगी है. सच कहा जाए तो उपग्रहों का प्रक्षेपण अब मात्र शक्ति प्रदर्शन बन कर रह गया है. एक अनुमान के अनुसार, अभी तक 23,000 से ज्यादा उपग्रहों को अन्तरिक्ष में भेजा जा चुका है. इन उपग्रहों में से 1,200 उपग्रह ही सक्रिय हैं यानी कुल प्रक्षेपित उपग्रहों में से केवल 5% ही आज की तिथि में चालू अवस्था में है. ये बेकार पड़े उपग्रह किसी अन्य सैटेलाइट से टकराते हैं और इनके भी कई टुकड़े अन्तरिक्ष में फ़ैल जाते हैं. ये टुकड़े भी अन्य सैटेलाइट से टकराकर अनगिनत टुकड़ों में बँट कर अन्तरिक्ष में मलबे का रूप धारण कर लेते हैं.
नासा के हालिया रिपोर्ट के अनुसार यह मलबा पृथ्वी के चारों ओर काफी तीव्र गति से घूम रहे हैं. इस अन्तरिक्षीय मलबे में विशेष रूप से निष्क्रिय स्पेस क्राफ्ट, राकेट, उपग्रह व प्रक्षेपण यानों के अवशेष, निष्क्रिय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अवशेष शामिल हैं.
इसके निदान हेतु निम्नलिखित प्रयास किये जा रहे हैं –
- वर्तमान में अन्तरिक्षीय मलबे पर चल रहे एक शोध में विश्व-भर की अन्तरिक्ष एजेंसियाँ शामिल हो रही हैं. यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने 2012 में क्लीन स्पेस अभियान का आरम्भ किया है जिसका लक्ष्य अन्तरिक्ष में फैले मलबे को अन्तरिक्ष में ही ध्वस्त करके नष्ट करना है.
- छोटे टुकड़ों को नष्ट करने के लिए उन्हें किसी भी प्रकार से पृथ्वी की निचली कक्षा में लाने का प्रयास किया जा रहा है जिससे ये टुकड़े वायु के घर्षण से स्वयं नष्ट हो जाएँ. अभी फिलहाल किसी सक्रिय उपग्रह द्वारा लेजर किरणों के माध्यम से कचरे को अपने स्थान से हटा कर निचली कक्षा पर ले जाने का प्रयास जारी है.
- जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के वैज्ञानिकों ने अन्तरिक्षीय मलबे को नष्ट करने के लिए 300 मीटर लम्बी इलेक्ट्रो-डायनामिक रस्सी बनाई है और उसे अन्तरिक्ष में भेजा है.
- यूरोपीय स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिक ऐसा रोबोट तैयार करने में लगे हैं जिनकी ऑक्टोपस की जैसी भुजाएँ होंगी और वे अन्तरिक्ष में व्याप्त टुकड़ों को बटोरकर परध्रुवी कक्षा में भेज देंगे.
- ब्रिटिश इंजिनियरों ने एक ऐसी हार्पून मिसाइल बनाई है जो अन्तरिक्ष में घूम रहे बेकार हो चुके उपग्रहों को समेट कर नीचे धरती पर ले जायेगी.
यदि इस कचरे को जल्द से जल्द नहीं हटाया जाता है तो वह दिन दूर नहीं जब हमें पृथ्वी एवं समुद्र तट पर विभिन्न वैश्विक देशों की सीमा निर्धारण के समान ही अन्तरिक्ष में भी सीमा का निर्धारण करना पड़ेगा. विश्व में हर जगह इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है और आशा की जा रही है कि आगामी कुछ वर्षों में इसका कोई न कोई कारगर समाधान अवश्य निकाल लिया जायेगा.
सामान्य अध्ययन पेपर – 3
बौद्धिक सम्पदा क्या है? बौद्धिक सम्पदा से जुड़ी समस्याओं को इंगित करें और उनसे निटपने के लिए उपाय सुझाएँ. (250 words)
- अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है = Green
- आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow
यह सवाल क्यों?
यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –
“सूचना प्रौद्योगिकी, अन्तरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टेक्नोलॉजी, बायो टेक्नोलॉजी और बौद्धिक सम्पदा अधिकारों से सम्बंधित विषयों के सम्बन्ध में जागरूकता…”.
सवाल का मूलतत्त्व
उत्तर :-
बौद्धिक सम्पदा का अभिप्राय किसी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा कृत कोई रचना, संगीत, साहित्यिक कृति, कला, खोज अथवा डिजाइन आदि से होता है जो उस व्यक्ति अथवा संस्था की बौद्धिक सम्पदा कहलाती है. इस संपदा पर सम्बंधित व्यक्ति अथवा संस्था के अधिकार को “बौद्धिक सम्पदा अधिकार” (intellectual property right – IPR) कहा जाता है.
बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) निम्नलिखित प्रकार के होते हैं –
- कॉपीराइट
- ट्रेडमार्क
- पेटेंट
- इंडस्ट्रियल डिजाइन
- ट्रेड सिक्रेट
- भौगोलिक संकेतक
समस्याएँ
- अक्सर यह देखा जाता है कि किसी लेखक की रचनाओं को थोड़ा बहुत संशोधित कर कंपनियाँ या अन्य लेखक अपना पेटेंट करा लेते हैं. इससे वास्तविक लेखक को आर्थिक और मानसिक हानि होती है.
- IPR का सबसे बड़ा दुरूपयोग यह है कि स्वत्वाधिकार ऐसे कार्यों पर प्रदान किया जा सकता है जिनको किसी कानून या पेटेंट के अंतर्गत लाने की आवश्यकता ही नहीं है, जैसे Amazon द्वारा किया गया पेटेंट “White–Background Photography“ पर आधारित था.
- विकासशील देशों में अपने उत्पादों का पेटेंट कराना बहुत महँगा सिद्ध होता है क्योंकि वकील और कोर्ट का शुल्क बहुत महँगा होता है.
- वस्तुतः बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ पेटेंट कानूनों पर एकाधिकार बनाए रखने की चेष्टा करती हैं, साथ ही विकासशील देशों पर यह दबाव बनाने का प्रयास करती हैं कि उनका उत्पाद ब्रांडेड है अतः ये देश अपने बाजार इन देशों के लिए खोल दें.
- विश्व के विकसित देश धन के बल पर अपने ब्रांडों का पेटेंट करा लेते हैं. दूसरी ओर, विकासशील देशों के पास पर्याप्त धन न होने के चलते वे अपने ब्रांडों या अन्य उत्पादों का पेटेंट कराने में असमर्थ हो जाते हैं. ऐसे में इनको बहुत क्षति उठानी पड़ती है.
निदान
- IPR को प्रोत्साहन देने के लिए यह जरुरी है कि कॉपीराइट केवल उन्हीं कार्यों को दिया जाए जो कार्य असाधारण प्रकृति के हैं.
- विकासशील देशों को अपना पेटेंट कराने हेतु वहाँ की सरकार को संरक्षणवादी नीति अपनाते हुए सब्सिडी भी देनी चाहिए, जिससे इन देशों की बौद्धिक सम्पदा को संरक्षित किया जा सके.
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों का पेटेंट पर एकाधिकार (monopoly) बढ़ रहा है जिसे कम करने की जरूरत है और साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विकासशील देश इन बड़े देशों/कंपनियों के मात्र बाजार बन कर न रह जाएँ.
- भारत में IPR के सम्बन्ध में आम जनता में जागरूकता लाने की जरुरत है क्योंकि यहाँ के लोगों को इन सब चीजों की जानकारी रहती ही नहीं जिसका फायदा दूसरे लोग उठा लेते हैं.
- भारत के लोगों के पास धन की कमी है जिससे वे पेटेंट करके अपने कार्य को सुरक्षित कर सकें. अतैव सरकार को इसको लेकर उचित कदम उठाना चाहिए.
- भारत में पेटेंट, डिजाइन, ट्रेडमार्क और भौगोलिक संकेतक प्राप्त करने के लिए लंबित आवेदनों को जल्द-से-जल्द से निष्पादन करने की आवश्यकता है.
Reminder : Last date of SMA Assignment is 22.09.2018 (Latest Assignment SMA 02 Part 1)
“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan