Q1. भारतीय संविधान के विषय में की गई आलोचनाओं पर अपना मंतव्य दीजिए.
Give your opinion on the criticisms made with regard to the Indian Constitution.
Syllabus :- भारतीय संविधान
कुछ आलोचकों ने भारतीय संविधान की आलोचनाएँ की हैं. संविधान सभा में अनेक सदस्यों ने इसके स्वरूप पर आपत्तियाँ उठाई. आलोचना का एक विषय यह था कि इसमें प्राचीन भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था को पूर्णतया तिलांजलि दे दी गई. इसके अतिरिक्त केंद्र को इतनी अधिक शक्तियाँ प्रदान की गई है कि एकात्मक संविधान का बोध होता है. मौलिक अधिकारों पर इतने अधिक प्रतिबंध हैं कि उनका महत्त्व ही समाप्त हो जाता है. राज्य के नीति-निर्देशक तत्त्वों को न्यायिक संरक्षण प्रदान नहीं कर उन्हें एक थोथा आदर्शमात्र बना दिया गया है (A set of pious declaration which have no binding force). कमजोर वर्गों के हितों को अत्यधिक सुरक्षा प्रदान करने की भावना की भी आलोचना की जाती है. अनेक आलोचकों का विचार है कि भारतीय संविधान विदेशी संविधानों की नकल मात्र है. कुछ का विचार है कि भारतीय संविधान “भानुमती का पिटारा” तथा “कैंची और गोंद के खिलवाड़ का परिणाम” (cut and paste constitution) है और इसमें मौलिकता का अभाव है.
इन आलोचनाओं में यद्यपि कुछ तथ्य हैं, फिर भी इतना तो स्वीकार करना ही पड़ेगा कि जिन परिस्थितियों में हमारे संविधान का निर्माण हुआ उनमें इससे दूसरी व्यवस्था करना एक दुष्कर कार्य था. हमारे संविधान-निर्माताओं के समक्ष जो लक्ष्य थे – भारत में एक सर्वप्रभुसंपन्न, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना करना एवं भारत की एकता ओर अखंडता को बनाए रखना, उसमें हमारा संविधान पूरी तरह से सफल रहा है. जहाँ पाकिस्तान में अनेक बार संविधान बदला है वहीं भारत में इसमें मात्र संशोधन किए गए हैं. प्रसिद्ध विद्वान एम० वी० पायली ने इसकी प्रशंसा करते हुए ठीक ही लिखा है कि भारतीय संविधान कार्य करने लायक एक दस्तावेज है; यह आदर्शों एवं वास्तविकताओं का मिश्रण है. इसने सभी लोगों को एक साथ रहने एवं एक नए ओर स्वतंत्र भारत के निर्माण का आधार प्रदान किया है.
Q2. भारतीय संविधान में संघात्मक एवं एकात्मक प्रशासन का गुण किस प्रकार विद्यमान है? चर्चा कीजिए.
In what ways the features of both federal and unitary government are present in the Indian constitution? Discuss.
Syllabus :-
“संसद और राज्य विधायिका – संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय”.
उत्तर :-
यद्यपि संविधान के प्रावधानों के अनुरूप भारत में संघात्मक व्यवस्था कायम की गई है जिसके अनुसार सिद्धांतत: राज्य सरकारों को आंतरिक प्रशासन, विधिनिर्माण एवं न्यायपालिका के क्षेत्र में स्वायत्तत्ता प्राप्त है फिर भी अनेक व्यवस्थाओं द्वारा केन्द्रीय सरकार को सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया गया है. उदाहरण के लिए केंद्र के सर्वोच्च न्यायालय का अन्य राज्यों के उच्च न्यायालयों पर नियंत्रण, संघवर्ती एवं समवर्ती अधिकारों की सूची, अवशिष्ट अधिकारों का केंद्र में सुरक्षित होना, एक नागरिकता की व्यवस्था इत्यादि अनेक तत्त्व ऐसे हैं जो एकात्मक संविधान का आभास देते हैं. आपातकाल में तो केंद्र के अधिकार और भी बढ़ जाते हैं. यह व्यवस्था भारत जैसे विशाल देश की एकता एवं अखंडता को एक सूत्र में बाँधे रहने के उद्देश्य से ही की गई थी. सामान्यत: केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों की सीमाओं का उल्लेख कर इसे संघात्मक स्वरूप ही प्रदान किया गया है.
यह उत्तर संक्षेप में है —इस उत्तर को थोड़ा और बड़ा कर के, कुछ पॉइंट और जोड़ कर आप कमेंट में लिख सकते हैं.
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