[Sansar Surgery Part 15, 2018] Left Topics of Sansar DCA

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कई बार ऐसा होता है कि हमारी लाख मेहनत के बावजूद करंट अफेयर्स का कोई न कोई टॉपिक छूट ही जाता है. यह सिर्फ हमारे साथ ही नहीं, बड़ी-बड़ी कोचिंग संस्थाओं के साथ भी होता है. हम तो खैर छोटे लोग हैं और वैसे भी मानव की प्रकृति है कि कुछ भी परफेक्ट नहीं हो सकता.

खैर, जब हमने फिर से The Hindu और अन्य अखबारों पर अपनी पैनी नज़र दौड़ाई तो देखा कि कुछ important current affairs को हमने Sansar DCA में cover नहीं किया है या कभी-कभी हम उन टॉपिक को इसमें उठाते हैं जो Revision के लिए उपयुक्त हैं.[no_toc]

फिर हमने सोचा जो लोग UPSC Prelims 2019 को टारगेट कर रहे हैं और संसार लोचन टीम पर आँख मूँद कर भरोसा कर रहे हैं, हमारी यह भूल उनके लिए नाइंसाफी होगी. इसलिए हमने Sansar DCA से हटकर “Sansar Surgery Series” शुरू की है जिसमें वर्ष 2018 और आगामी वर्ष 2019 के वही टॉपिक शामिल होंगे जो हमारे द्वारा भूल से Sansar DCA में कवर नहीं किये गए हों. यह Sansar Surgery Series का पार्ट 15 है.

Sansar Surgery Part 15, 2018

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक

पेमेंट्स बैंक नचिकेत मोर समिति का परिणाम है. चूँकि देश के हर कोने में, पारंपरिक बैंकों की शाखाएं नहीं हो सकती हैं, इसलिए पेमेंट्स बैंक को वित्तीय बैंकों के वित्तीय समावेश को बढ़ाने के लिए स्थापित किया गया है. पेमेंट्स बैंक को ऋण देने का अधिकार नहीं है और इसमें अधिकतम एक लाख रुपये तक की ही राशि जमा की जा सकती है. यह बिलों, म्यूचुअल फंड इत्यादि के स्वचालित भुगतान जैसी सेवाएं प्रदान कर सकता है. पेमेंट्स बैंक अपने ग्राहकों को विदेशी मुद्रा कार्ड और डेबिट कार्ड तो दे सकते हैं लेकिन क्रेडिट कार्ड नहीं.

प्रारंभिक परीक्षा के लिए यह टॉपिक इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

हाल ही में, आरबीआई ने E-KYC मानदंडों के संबंध में एयरटेल पेमेंट्स बैंक और पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. इसके अतिरिक्त, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक को प्रधानमंत्री द्वारा अनावरण किया गया है. इसलिए इसकी महत्ता को देखते हुए छात्रों को पेमेंट्स बैंकों के बारे में विवरण से जानना आवश्यक है.

मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान (Mukurthi National Park)

यह राष्ट्रीय उद्यान नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व का भाग है. मोंटेन घास के मैदान, झाड़ियों से घिरे शोला चरागाह आदि इसकी खासियत हैं. इस उद्यान को रॉयल बंगाल टाइगर और एशियाई हाथी का गृह कहा जाता है. परन्तु इसके आकर्षण का केंद्र “नीलगिरी तहर” है, इसलिए इसे पूर्व में “नीलगिरी ताहर राष्ट्रीय उद्यान” कहा जाता था. नीलगिरि तहर एक लुप्तप्राय पहाड़ी बकरा है. हाल ही में की गई एक गणना के अनुसार मुकुर्थी राष्ट्रीय पार्क में इस बकरे की आबादी में 18% प्रतिशत वृद्धि देखी गई. दो साल पहले ऐसे 480 बकरे थे जो अब 568 हो गये हैं. पहले, इसे “नीलगिरी ताहर राष्ट्रीय उद्यान” भी कहा जाता था.

यह उद्यान नीलगिरी पठार के पश्चिमी कोने पर स्थित है और पश्चिमी घाट (तमिलनाडु) का हिस्सा है. यह उद्यान नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है जो कि भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय बायोस्फीयर रिजर्व है. इसे पश्चिमी घाटों के एक हिस्से के रूप में, UNESCO की World Heritage Site में सूचीबद्ध किया गया है.

प्रारंभिक परीक्षा के लिए यह टॉपिक इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

हाल ही में, नीलगिरी ताहर की संख्या में हुई वृद्धि की वजह से यह समाचारों में है. इसलिए इसकी महत्ता को देखते हुए इस टॉपिक को यहाँ जोड़ा गया है.

संयुक्त राष्ट्र की समुद्री कानून संधि (United Nations Convention on the Law of the Sea)

UNCLOS 1994 में लागू हुआ. संयुक्त राष्ट्र की समुद्री कानून संधि (जिसे यूएनसीएलओएस भी कहा जाता है), दुनिया के महासागरों के उपयोग के सम्बंध में राष्ट्रों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को परिभाषित करती है, व्यापार, पर्यावरण और समुद्री प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश स्थापित करती है. संयुक्त राष्ट्र की समुद्री कानून संधि के कार्यान्वयन में उसकी कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है. भारत के समुद्री मामलों से निपटने के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है.

O-Smart

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने एक अम्बरेला स्कीम का अनुमोदन किया है जो 2017-18 से 2019-20 के कालखंड में 1623 करोड़ रु. की लागत से कार्यान्वित की जायेगी. इस योजना का नाम है – O-Smart योजना. O-Smart का full form है – Ocean Services, Technology, Observations, Resources Modelling and Science. इस योजना के अन्दर 16 उप-परियोजनाएँ हैं जिनका सम्बन्ध सामुद्रिक विकास गतिविधियों से है, जैसे – सेवाएँ, प्रौद्योगिकी, संसाधन, प्रेक्षण और विज्ञान. O-SMART में चलाई जाने वाली योजनाओं से मिलने वाले आर्थिक लाभ इन प्रक्षेत्रों को प्राप्त होंगे – मत्स्य पालन, तटीय उद्योग, समुद्र तटीय राज्य, रक्षा जहाजरानी, बंदरगाह आदि.

सकल पूंजी निर्माण (जीसीएफ)

कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत को अपने सकल पूंजी निर्माण (Gross Capital Formation – GCF) को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. यह सकल घरेलू उत्पाद पर निवेश का अनुपात है. इस प्रकार, यह स्पष्ट हो जाता है कि यह GDP का वह हिस्सा है जिसका उपयोग GDP निर्माण के लिए किया जाता है. वर्ष 2011-12 में यह 34.3% था. जिसमें वर्ष 2014-15 में कमी आने के बाद यह 30.8% ही रहा, जबकि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह 45% से अधिक होना चाहिए.

प्रारंभिक परीक्षा के लिए यह टॉपिक इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

इस टॉपिक को देने का मुख्य उद्देश्य छात्रों को यूपीएससी वर्ष 2017 और 2018 की परीक्षा प्रवृति को देखते हुए, भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण रुझानों के बारे में जागरूक करना है.

लेप्टोस्पायरोसिस

WHO ने सरकार को “रैट फीवर” या “लेप्टोस्पायरोसिस” के प्रकोप के लिए सतर्क रहने को कहा है. यह जीवाणु आमतौर पर कृंतक (विशेष रूप से चूहे) द्वारा फैलता है. जब कृंतक पानी में पेशाब करते हैं, तो ये बैक्टीरिया शरीर पर लगे कट, घावों और आंखों के झिल्ली आदि के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है और बाढ़ इस बीमारी के फैलने के लिए एक अनुकूल वातावरण होती है. इस संक्रमण के लिए वर्तमान में कोई टीका उपलब्ध नहीं है. शरीर में कष्टमय दर्द, बुखार इत्यादि इसके लक्षण हैं.

“स्थायी जमा सुविधा” (एसडीएफ)

रुपए की गिरावट पर अंकुश लगाने के लिए आरबीआई “स्थायी जमा सुविधा” (एसडीएफ) पेश कर सकता है. अतिरिक्त नकदी को अवशोषित करने के लिए असीमित और निश्चित दर जमा करने की सुविधा एसडीएफ कहलाती है. इसकी अवधारणा उर्जित पटेल समिति ने वर्ष 2014 में बनाई. इससे आरबीआई को बिना किसी संपार्श्विक के बैंकों से अधिशेष धन को अवशोषित करने की अनुमति मिल जाएगी (हमें याद रखना चाहिए कि यह रेपो या रिवर्स रेपो की तरह नहीं है, जो collaterals अथवा प्रतिभूतियों / बॉण्ड के माध्यम से पैसे लेता है या देता है). बैंक भी ब्याज अर्जित करना जारी रखते हैं. दरअसल यह आरबीआई को आवश्यकतानुसार नकदी वापस लेने में सशक्त बनाएगा.अधिक नकदी के साथ समस्या यह है कि सिस्टम में अधिक नकदी होने से मुद्रास्फीति भी अधिक होती है और आरबीआई, मुद्रास्फीति को रोकने के लिए बाध्य है.

प्रारंभिक परीक्षा के लिए यह टॉपिक इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

एसडीएफ अवधारणा एक नई अवधारणा है जिसे आरबीआई द्वारा प्रसारित किया जाएगा. इसलिए, मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखते हुए हम छात्रों को उससे निपटने के लिए आरबीआई द्वारा प्रसारित शर्तों से अवगत कराने का प्रयास कर रहे हैं.

ट्रांसजेनिक मस्टर्ड डीएमएच -11 (Transgenic Mustard DMH-11)

सरसों एक “आदर्श फूल” है यानी यह स्वयं परागणित है- अर्थात, इसमें नर और मादा दोनों के युग्मक मौजूद हैं. इसलिए, सरसों का क्रॉस परागण मुश्किल है क्योंकि प्रकृति कम प्रतिरोध के मार्ग का पालन करेगी. इसलिए, यह आत्म परागण पसंद करेगा. क्रॉस परागण करने के लिए, वैज्ञानिकों ने बैसिलस एमिलोलिक्यूफेसिएंन्स (मृदा बैक्टीरिया) से एक प्रोटीन “बार्नेस” लिया और इस प्रोटीन ने भारतीय सरसों (वरुण) को नर अनुर्वर बना दिया. इसलिए, वरुण में स्वयं परागण संभव नहीं होगा और इस संगम पर उन्हें पूर्वी यूरोपीय किस्म के सरसों के साथ पार परागण के लिए ले गए जिससे डीएमएच -11 प्राप्त हुआ. चूँकि, इसे हर्बिसाइड प्रतिरोधी बनाने के लिए “बार” जीन के साथ जोड़ा गया था. इसलिए, हम निष्कर्ष निकालते हैं कि डीएमएच -11 एक ट्रांसजेनिक फसल है.

प्रारंभिक परीक्षा के लिए यह टॉपिक इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

वर्ष 2018 में, यूपीएससी की परीक्षा में जीएम फसलों से सम्बंधित एक टॉपिक पूछा गया था और डीएमएच -11 लगातार समाचारों में है. इसलिए हमारा प्रयास छात्रों को विशेष रूप से जीएम फसलों और डीएमएच -11 के सम्बंध में होने वाले विकास से अवगत कराना है.

मिशन 41k

रेल मंत्रालय ने रेलवे की ऊर्जा लागत में अगले दशक में 41000 करोड़ रुपये बचाने के लिए ‘मिशन 41k ‘ की शुरुआत की है. मंत्रालय ने डीजल के बजाय विद्युतीकरण में स्थानांतरित करने का फैसला किया है जो अन्य उपायों के साथ लागत को बचाने में मदद करेगा.

मल्चिंग

कभी-कभी समाचारों में “मल्चिंग” शब्द देखा जाता है. मल्च, वाष्पीकरण को कम करने, नमी को बनाए रखने, मिट्टी के कटाव को कम करने के उद्देश्य से मिट्टी की सतह पर रखी गई कोई भी सामग्री हो सकती है. मल्च मिट्टी से नमी के संचलन के लिए बाधाओं के रूप में कार्य करती है. वो या तो कार्बनिक (जैसे : भूसे, लकड़ी चिप्स, पीट) या मानव निर्मित (जैसे पारदर्शी या अपारदर्शी प्लास्टिक) हो सकती है. मिट्टी में नमी को बनाये रखने के अतिरिक्त, मल्च मिट्टी के तापमान को भी बढ़ा सकती है, मिट्टी से उत्पन्न होने वाली बीमारियों के फैलाव को कम कर सकती है और खरपतवार की वृद्धि को भी रोक सकती है.

 

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