What is Shamlat land?
संदर्भ
पंजाब राज्य मंत्रिमंडल ने पिछले दिनों ग्राम जनसामान्य भूमि (विनियमन) नियमावली 1964 में संशोधन की मंजूरी दे दी है जिससे अब पंचायतें शामिलात भूमि को औद्योगिक घरानों, उद्यमियों, व्यवसायियों और कम्पनियों को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयाँ खोलने के लिए बेच सकेंगी.
इस संशोधन का मूल उद्देश्य ग्राम पंचायतों को गाँवों में पड़ी हुई शामिलात भूमि का मोल लगाने और उसे उद्योग विभाग एवं PSIEC को औद्योगिक परियोजनाएँ लगाने के लिए स्थानांतरित करने में समर्थ बनाना. PSIEC का पूरा नाम पंजाब लघु उद्योग एवं निर्यात निगम (Punjab Small Industries and Export Corporation) है.
शामिलात भूमि क्या है?
पंजाब के गाँवों में तीन प्रकार की जनसामान्य भूमियाँ होती हैं –
- शामिलात भूमि जिसकी स्वामी गाँव की पंचायत होती है.
- “जुमला मुस्तरका मालिकान” – यह भूमि ग्रामीणों द्वारा व्यक्तिगत रूप से दान की हुई जनसामान्य भूमि होती है जिसका प्रबंधन पंचायत के हाथों में होता है.
- “गौ चारण भूमि” – इस भूमि का भी स्वत्त्वाधिकार पंचायत के पास होता है और यह गाय-भैंसों के चरने के लिए होती है.
शामिलात भूमि का प्रयोग मुख्यतः खेती के लिए होता है. इसका आवंटन खुली नीलामी के द्वारा प्रतिवर्ष ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग द्वारा होता है.
पंजाब में एक तिहाई शामिलात भूमि दलितों के लिए आरक्षित है. लगभग 25-26 हजार दलित परिवार ऐसी भूमि पर अपनी रोजी-रोटी के लिए निर्भर हैं.
विवाद
सरकार के इस कदम से कई लोगों में यह चिंता फ़ैल गई है कि इससे बेरोजगारी बढ़ सकती है. फलतः इसके विरुद्ध कई संगठन खड़े हो गये हैं.
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