[Sansar Editorial] शंघाई शिखर सम्मेलन (SCO संगठन) के बारे में सब कुछ जानें

Sansar LochanSansar Editorial 2018

चीन के चिंगदाओ (Qingdao, शानदोंग प्रांत) में 18वाँ शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन 9 June, 2018 को आयोजित किया जा रहा है. यह चौथी बार है जब SCO का वार्षिक सम्मेलन चीन में हो रहा है. प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी SCO (Shanghai Cooperation Summit) शिखर सम्मेलन बैठक में हिस्सा ले रहे हैं. शिखर सम्मेलन के आखिर में घोषणापत्र मंजूर किया जाना है. सम्मेलन का मकसद राजनैतिक, आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों को दूर करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग को गहरा बनाना है. चलिए जानते हैं शंघाई शिखर सम्मेलन (Shanghai Summit) के बारे में वे हर details जिनके बारे में परीक्षा में आपको कई प्रश्न आ सकते हैं.

SCO Summit 2018 और भारत

भारत और पकिस्तान पिछले साल ही SCO में सदस्य बने हैं और इस साल पहली बार पूर्ण सदस्य के तौर पर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं. आंतकवाद की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए प्रभावी तौर-तरीकों और सदस्य देशों के साथ सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर भारत का जोर रहेगा.

Shanghai Cooperation Organization क्या है?

शंघाई सहयोग संगठन एक राजनैतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग संगठन है जिसकी शुरुआत चीन और रूस के नेतृत्व में यूरेशियाई देशों ने की थी. दरअसल इसकी शुरुआत चीन के अतिरिक्त उन चार देशों से हुई थी जिनकी सीमाएँ चीन से मिलती थीं अर्थात् रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और तजाकिस्तान. इसलिए इस संघठन का प्राथमिक उद्देश्य था कि चीन के अपने इन पड़ोसी देशों के साथ चल रहे सीमा-विवाद का हल निकालना. इन्होंने अप्रैल 1996 में शंघाई में एक बैठक की. इस बैठक में ये सभी देश एक-दूसरे के बीच नस्ली और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए आपस में सहयोग करने पर राजी हुए. इस सम्मेलन को शंघाई 5 कहा गया.

इसके बाद 2001 में शंघाई 5 में उज्बेकिस्तान भी शामिल हो गया. 15 जून 2001 को शंघाई सहयोग संगठन की औपचारिक स्थापना हुई.

शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य

शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  1. सदस्यों के बीच राजनैतिक, आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को बढ़ाना.
  2. तकनीकी और विज्ञान क्षेत्र, शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र, ऊर्जा, यातायात और पर्यटन के क्षेत्र में आपसी सहयोग करना.
  3. पर्यावरण का संरक्षण करना.
  4. मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे को सहयोग करना.
  5. आंतकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटना.

SCO का विकास कैसे हुआ?

  1. 2005 में कजाकिस्तान के अस्ताना में हुए SCO के सम्मेलन में भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने पहली बार इसमें हिस्सा लिया.
  2. 2016 तक भारत SCO में एक पर्यवेक्षक देश के रूप में सम्मिलित था.
  3. भारत ने सितम्बर 2014 में शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता के लिए आवेदन किया.
  4. जून 2017 में अस्ताना में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान को भी औपचारिक तौर पर पूर्ण सदस्यता प्रदान की गई.
  5. वर्तमान में SCO की स्थाई सदस्य देशों की संख्या 8 है – चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान.
  6. जबकि चार देश इसके पर्यवेक्षक (observer countries) हैं – अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया.
  7. इसके अलावा SCO में छह देश डायलॉग पार्टनर (dialogue partners) हैं – अजरबैजान, आर्मेनिया, कम्बोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका.

SCO क्यों महत्त्वपूर्ण है?

SCO ने संयुक्त राष्ट्र संघ से भी अपना सम्बन्ध कायम किया है. SCO संयुक्त राष्ट्र की महासभा में पर्यवेक्षक है. इसने यूरोपियन संघ, आसियान, कॉमन वेल्थ और इस्लामिक सहयोग संगठन से भी अपने सम्बन्ध स्थापित किये हैं. सदस्य देशों के बीच समन्वय के लिए 15 जनवरी, 2004 को SCO सचिवालय की स्थापना की गई. शंघाई सहयोग संगठन के महत्त्व का पता इसी बात से चलता है कि इसके आठ सदस्य देशों में दुनिया की कुल आबादी का करीब आधा हिस्सा रहता है. इसके साथ-साथ SCO के सदस्य देश दुनिया की 1/3 GDP और यूरेशिया (यूरोप+एशिया) महाद्वीप के 80% भूभाग का प्रतिनिधित्व करते हैं.

इसके आठ सदस्य देश और 4 observer देश दुनिया के उन क्षेत्रों में आते हैं जहाँ की राजनीति विश्व राजनीति पर सबसे अधिक असर डालती हैं. श्रम या मानव संसाधन के लिहाज से भारत और चीन खुद को संयुक्त रूप से दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति कह सकते हैं. IT, engineering, रेडी-मेड गारमेंट्स, मशीनरी, कृषि उत्पादन और रक्षा उपकरण बनाने के मामले में रूस, भारत और चीन दुनिया के कई विकसित देशों से आगे है. ऊर्जा और इंजीनियरिंग क्षेत्र में कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान जैसे मध्य-एशियाई देश काफी अहमियत रखते हैं. इस लिहाज से SCO वैश्विक व्यापार, अर्थव्यवस्था और राजनीति पर असर डालने की क्षमता रखता है. हालाँकि इन देशों के बीच आपसी खीचतान भी रही है. ये सभी देश आतंकवाद से पीड़ित भी रहे हैं. ये देश एक-दूसरे की जरूरतें पूर्ण करने में सक्षम हैं. SCO में शामिल देश रक्षा और कृषि उत्पादों के सबसे बड़ा बाजार हैं. IT, electronics और मशीनरी उत्पादन में इन देशों ने हाल के वर्षों में काफी प्रगति की है.

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