सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डी.बी. शेकटकर की अध्यक्षता में गठित विशेषज्ञ समिति के कतिपय सुझावों को सरकार ने मान लिया है.
शेकटकर समिति के ये सुझाव हैं –
- सड़क निर्माण में तेजी लाना
- सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation – BRO) जिन सड़कों का निर्माण करने की स्थिति में नहीं है उनके लिए बाहरी एजेंसियों का सहारा लेना.
- 100 करोड़ से अधिक की लागत वाले सभी कामों के लिए अभियंत्रण क्रय संविदा (Engineering Procurement Contract – EPC) को अनिवार्य रूप से अपनाना.
- घरेलू और विदेशी क्रय के लिए BRO की क्रय शक्ति को वर्तमान के 7.5 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ किया जाए.
- विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (Detailed Project Report – DPR) में भूमि अधिग्रहण के साथ-साथ वन विभाग और पर्यावरण विभाग जैसी वैधानिक अनुमतियों का उल्लेख होना चाहिए.
- जब 90% वैधानिक अनुमतियाँ मिल जाएँ तभी किसी को काम दिया जाए.
समिति के द्वारा की गई अन्य अनुशंसाएँ
- भविष्य में होने वाले खतरे को ध्यान में रखते हुए रक्षा बजट GDP का 2.5 से 3% तक होना चाहिए.
- मध्यम कोटि के सैन्य अधिकारियों के लिए संयुक्त सेवा युद्ध महाविद्यालय स्थापित होना चाहिए.
- पुणे के सैन्य गुप्त सूचना विद्यालय (Military Intelligence School) को बदलकर तीनों सेनाओं के लिए एक गुप्त सूचना प्रशिक्षण प्रतिष्ठान बना दिया जाए.
- इन सिग्नल से सम्बंधित प्रतिष्ठानों को बेहतर बनाना – रेडियो निगरानी कम्पनियाँ, कोर्ज एयर सपोर्ट सिग्नल रेजिमेंट, एयर फार्मेशन सिग्नल रेजिमेंट, कम्पोजिट सिग्नल रेजिमेंट. साथ ही कोर्ज ऑपरेटिंग रेजिमेंटों आर इंजीनियरिंग सिग्नल रेजिमेंटों को मिलाकर एक कर दिया जाए.
- सेना में मरम्मत से सम्बंधित ढाँचे को नए सिरे से बदला जाए. ये ढाँचे हैं – आधारभूत कार्यशालाएँ, उन्नत आधारभूत प्रयोगशालाएँ और थल सेना की स्टेशन कार्यशालाएँ.
- हथियार से सम्बन्धित प्रतिष्ठानों को चाक-चौबंद किया जाए और भंडार नियंत्रण तन्त्र को सही सुसज्जित रूप दिया जाये. ये प्रतिष्ठान हैं – वाहन डिपो, आयुध डिपो और केन्द्रीय आयुध डिपो.
- आपूर्ति और परिवहन तथा पशु परिवहन इकाइयों का बेहतर उपयोग किया जाए.
- शांत स्थलों में सैनिक कृषि फ़ार्म और डाक प्रतिष्ठान बंद कर दिए जाएँ.
- सेना में लिपकीय स्टाफ और चालकों की नियुक्ति से सम्बंधित मानक ऊँचे किये जाएँ.