1890 की ऐतिहासिक सिक्किम-तिब्बत संधि

Sansar LochanIndia and its neighbours

मई, 2020 में सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) के एक क्षेत्र नाकुला में भारतीय और चीनी सैनिकों के मध्य मुठभेड़ एवं गतिरोध ने वर्ष 1890 के ऐतिहासिक सिक्किम-तिब्बत संधि (Sikkim-Tibet Convention of 1890) की चर्चा गरमा गई है.

मुख्य तथ्य

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, साल 1890 के सिक्किम-तिब्बत अभिसमय के अनुसार, नाकुला क्षेत्र का रिश्ता भारतवर्ष से है और साल 1975 में सिक्किम के भारत में विलय से पूर्व चीन ने आधिकारिक रूप से इस सीमांकन को स्वीकार कर लिया था.

1890 का सिक्किम-तिब्बत संधि

  • वर्ष 1890 के सिक्किम-तिब्बत संधि को ‘कलकत्ता संधि’ (Convention of Calcutta) भी कहते हैं.
  • इस संधि को अंजाम यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एवं आयरलैंड तथा तिब्बत से संबंधित किंग (Qing) राजवंश एवं सिक्किम के बीच 19वीं सदी में दिया गया था.
  • कलकत्ता संधि पर भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लैंसडाउन (Lord Lansdowne) एवं चीनी अम्बान (Chinese Amban) या तिब्बत के निवासी शेंग ताई (Sheng Tai) ने17 मार्च, 1890 को हस्ताक्षर किये थे.
  • यदि देखा जाए तो इस संधि में वर्णित आठ अनुच्छेदों में सबसे जरूरी जो अनुच्छेद है वह अनुच्छेद (1) है.
  • अनुच्छेद-1 के अनुसार, सिक्किम और तिब्बत की सीमा को पर्वत श्रृंखला के रूप में परिभाषित किया गया था जो सिक्किम में तीस्ता एवं इसकी सहायक नदियों को तिब्बती मोचू नदी एवं इसके उत्तर में बहने वाली अन्य नदियों से पृथक करती थी.  
  • इस संधि के अंतर्गत गठित सीमा भूटान के माउंट गिपमोची (Mount Gipmochi) से प्रारम्भ होकर संबंधित नदियों के जलक्षेत्र से गुजरते हुए नेपाल सीमा से मिल जाती है.
  • वैसे तिब्बत ने साल 1890 के समझौते की वैधता को मान्यता देने से इनकार कर दिया और इसके अतिरिक्त उपर्युक्त समझौते के प्रावधानों को लागू करने से भी मना कर दिया.

वर्ष 1904 की संधि

  • वर्ष 1904 में ल्हासा में ग्रेट ब्रिटेन और तिब्बत के मध्य एक समझौते के रूप में एक अन्य संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे.
  • इस संधि के अनुसार, तिब्बत ने वर्ष 1890 के संधि का सम्मान करने और सिक्किम एवं तिब्बत के मध्य सीमा को मान्यता देने के लिए सहमति प्रकट किया जैसा कि उपर्युक्त संधि के अनुच्छेद (1) में परिभाषित किया गया है.

वर्ष 1906 की संधि 

  • 27 अप्रैल, 1906 को पेकिंग (चीन) में ग्रेट ब्रिटेन और चीन के मध्य एक संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे जिसने ग्रेट ब्रिटेन और तिब्बत के मध्य साल 1904 में हुए अभिसमय की पुष्टि की थी.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का प्रारम्भ 17 मार्च, 1890 से माना जा सकता है जब ब्रिटिश भारत और चीन ने एक संधि कर तिब्‍बत और सिक्किम के मध्य की सीमा तय की थी. हालांकि इस मौके पर तिब्‍बत या भूटान का कोई भी प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था. ‘ग्रेट ब्रिटेन एवं चीन के मध्य सिक्किम और तिब्बत से संबंधित सम्मेलन’ नामक इस संधि के कारण कॉलोनी ताकत को सिक्किम हड़पने का अवसर मिल गया. पाकिस्तान जहाँ अपने कब्ज़े वाले कश्मीर (पीओके) का भारत के विरुद्ध आतंकवाद के लॉन्च पैड के रूप में प्रयोग कर रहा है, वहीं चीन ने सीपीईसी के अंतर्गत तिब्बत को प्रवेश द्वार मानते हुए वहाँ आधारभूत संरचनाएँ खड़ी की हैं. भारत को चीन को बता देना चाहिए कि उसकी ये परियोजनाएँ अवैध हैं और भारत को उपयुक्त समय पर उचित कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है. तिब्बत में बांधों के निर्माण और जलधारा को मोड़े जाने से जल संसाधन संबंधी अतीव पर्यावरणीय क्षति से निचले प्रवाह के देशों – भारत से लेकर हिंद-प्रशांत के विभिन्न तटीय देशों तक – को गंभीर चिंता सता रही है. एक नई हिंद-प्रशांत संरचना में इन देशों तथा हांगकांग और ताइवान जैसे वित्तीय केंद्रों के साथ सम्मिलित किया जा सकता है, जो अनिवार्यत: ‘एक चीन’ नीति की समीक्षा पर बल दे.

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