सामान्य अध्ययन/ GENERAL STUDIES – प्रश्न-पत्र I/PAPER I – 2019
SMA Assignment No. 2
मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास –संसार मंथन
10 Marks Questions = 10×2 = 20
Q1. ह्वान-सांग की भारत यात्रा का ऐतिहासिक महत्त्व क्या है?
Q2. जूनागढ़ शिला अभिलेख के महत्त्व का उल्लेख कीजिए.
15 Marks Questions = 15×6 = 90
Q3. “भारत में विविधता में एकता पाई जाती है.” इस कथन की व्याख्या कीजिए.
Q4. प्राचीन भारत के इतिहास कि रचना में कौन-कौन से पुरातात्त्विक साधनों का प्रयोग किया जा सकता है? वे किस प्रकार इस कार्य में सहायता देते हैं?
Q5. प्राचीन भारत के इतिहास निर्माण में विदेशी यात्रियों के विवरण का क्या महत्त्व है?
Q6. “इलाहबाद स्तम्भ अभिलेख” का ऐतिहासिक महत्त्व क्या है?
Q7. भारत के इतिहास-लेखन में “मुद्रा” का क्या महत्त्व रहा है?
Q8. संगम साहित्य से क्या अभिप्राय है? इसे ऐतिहासिक स्रोत के रूप में कहाँ तक प्रयोग किया जा सकता है?
20 Marks Questions = 20×2 = 40
Q9. प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के महत्त्व एवं आवश्यकता पर प्रकाश डालें.
Q10. “देश की एकता तथा अखंडता को बनाए रखने में हम सभी का हित छुपा हुआ है.” व्याख्या कीजिए.
Note
अपना उत्तर चाहें तो हमें मूल्यांकन के लिए भेज सकते हैं (you can mail your answer for evaluation) sansarmanthan@gmail.com
नोट: उत्तर एक फाइल में और PDF या वर्ड फॉर्मेट में होना चाहिए, नहीं तो आपके उत्तर का मूल्यांकन नहीं किया जायेगा.
Some Answer Hints
Q1. चीनी यात्रियों में फाह्यान, ह्वेनसांग तथा इत्सिंग अधिक महत्त्वपूर्ण हैं. इनके वर्णन चीनी भाषा में अभी तक उपलब्ध हैं और उनका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद भी कर दिया गया है. ह्वेनसांग सातवीं शताब्दी में हर्षवर्धन के शासन काल में भारत आया. वह भारत में 16 वर्ष रहा. वह बौद्ध तीर्थस्थानों, मठों, विहारों, विश्वविद्यालयों और राजसभाओं में घूमता रहा. उसका अधिकांश समय कान्यकुब्ज (कन्नौज) और नालंदा में व्यतीत हुआ. उसे सम्राट हर्ष का संरक्षण प्राप्त हुआ. उसने सिक्यू-की नामक पुस्तक की रचना की. इस पुस्तक से हर्ष की सभाओं, उसकी दासवृत्ति, भारतीय, सामाजिक, धार्मिक तथा राजनैतिक स्थिति का ज्वलंत विवरण प्राप्त होता है. उसके विवरण प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति एवं रीति-रिवाजों की दृष्टि से विशेष रूप से उल्लेखनीय है.
Q3. प्राचीन भारत के इतिहास का अध्ययन इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ अनेक जातियों के लोग देखने को मिलते हैं. वर्तमान भारतीय संस्कृति, जो देखने में कई विभिन्नताएं रखती हैं, इन्हीं में से प्रत्येक प्राचीन जातियों के सहयोग के फलस्वरूप ही वर्तमान संस्कृति अपना रूप ग्रहण कर सकी. वास्तव में भारतीय संस्कृति की पाचन-शक्ति इतनी प्रबल एवं अद्भुत् है कि आज देश में रहने वाले किसी जाति समूह या मानव समूह को हम मूल रूप में पहचान ही नहीं सकते. हमारे देश की संस्कृति की तुलना उस बगीचे से की जा सकती है जिसमें विभिन प्रकार के पुष्प, पौधे, वृष आदि खड़े होते हैं, तो भी उसे एक ही नाम दिया जाता है – उपवन. भारत में द्रविड़ आदि प्राचीन जातियों के साथ-साथ आर्य, यूनानी, शक, कुशान, हूण, तुर्क, अफ्गाम, मुग़ल आदि अनेक जातियां स्थायी रूप से निवास करने लगीं और उन्होंने परस्पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान इतने विस्तृत पैमाने पर किया कि कई संस्कृतियाँ परस्पर इतनी गहनता से मिल गईं कि वे एक मिश्रित रूप ले बैठीं तथा आज वे ही भारतीय संस्कृति के नाम से जानी जाती हैं. भारतीय संस्कृति की महानता इसी बात में है कि वह विभिन्नता में एकता रखती है. इस व्यापक सांस्कृतिक विविधता के होते हुए भी देश में गहन सांस्कृतिक एकता है.
Q5. विदेशियों के विवरण भी साहित्यिक स्रोत हैं. विदेशी पर्यटकों, लेखकों तथा यात्रियों से हमें उपयोगी ऐतिहासिक जानकारी मिलती है. विदेशी लेखकों को धर्मेत्तर घटनाओं में विशेष रूचि थी, अतः उनके वर्णनों से राजनीतिक और सामाजिक दशा पर अधिक प्रकाश पड़ता है. जो घटनाएँ उन्होंने देखीं या सुनीं वे अपने-अपने लेखों में लिख डाली. Read more > विदेशी यात्री
Q8. संस्कृत, पालि आदि भाषाओं में लिखे ग्रन्थों के अतिरिक्त कुछ प्राचीनतम ग्रन्थ तमिल में भी उपलब्ध हैं. अधिकांश इतिहासकारों की राय है कि उपलब्ध संगम साहित्य की रचना ईसा की पहली दो शताब्दियों में हुई. इस साहित्य को राजाओं द्वारा संरक्षित विद्या केन्द्रों एवं सभाओं में रचा गया. Read more > संगम साहित्य
Q9. 1) अतीत का ज्ञान पाने के लिए 2) आधुनिक भारत को सही ढंग से समझने के लिए 3) भावी भारत को अधिक सुदृढ़ व सुखी बनाने के लिए 4) भाषा और लिपियों की समस्याओं को भली-भाँति समझने के लिए 5) साहित्य व काव्य की आत्मिक एकता को जगाने के लिए 6) भारतीय संस्कृति की एकता को जानने के लिए 7) भारत की अनोखी सामाजिक दशा को समझने के लिए 8) भारतीय राजनैतिक एकता के महत्त्व को जानने के लिए.