सामान्य अध्ययन/ GENERAL STUDIES – प्रश्न-पत्र I/PAPER I – 2019
SMA Assignment No. 3
मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास –संसार मंथन
10 Marks Questions = 10×2 = 20
Q1. भारत की प्राचीन दो लिपियों का संक्षिप्त विवरण दें. वे लिपियाँ किस ओर से किस ओर को लिखी जाती थी?
Q2. द्रविड़ भाषा परिवार की किन्हीं चार भाषाओं का संक्षिप्त विवरण दें तथा उनसे सम्बंधित राज्यों के नाम बताइए.
15 Marks Questions = 15×6 = 90
Q3. भारत में किन-किन जातियों के लोग आकर बसे एवं रहते हैं? उनके सांस्कृतिक योगदान के प्रमुख तथ्यों पर प्रकाश डालिए.
Q4. भाषाओं और बोलियों के आधार पर प्राचीन भारतीयों को कितने भाषिक समूहों में विभाजित किया जाता है? प्रत्येक के बारे में संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करें.
Q5. प्राचीन भारतीय इतिहास से कोई तीन उदाहरण प्रस्तुत करें जो ये साबित करते हैं कि प्राचीन काल में भी भाषा और संस्कृति की दृष्टि से देश की एकता को बनाए रखने के प्रयत्न किये गये थे.
Q6. भारत की पुरा-पाषाण काल की विभिन्न अवस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए.
Q7. नव-पाषाण युग का अर्थ क्या है? इस युग के भारतीय मानव जीवन को संक्षेप में लिखिए.
Q8. पुरा-पाषाण युग से नव-पाषाण युग में प्रवेश किन-किन परिवर्तनों पर आधारित माना जाता है?
20 Marks Questions = 20×2 = 40
Q9. ताम्र-पाषाण काल की संस्कृति को सामाजिक असमानताओं की जननी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए.
Q10. ताम्र-पाषाण संस्कृतियों की विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन करें.
Note
अपना उत्तर चाहें तो हमें मूल्यांकन के लिए भेज सकते हैं (you can mail your answer for evaluation) sansarmanthan@gmail.com
नोट: उत्तर एक फाइल में और PDF या वर्ड फॉर्मेट में होना चाहिए, नहीं तो आपके उत्तर का मूल्यांकन नहीं किया जायेगा.
Some Answer Hints
Q1. ब्राह्मी, तमिल, गुप्त लिपि
Q2. तमिल, तेलगु, कन्नड़ और मलयालम
Q3. हब्शी, निषाद वंशी/ऑस्ट्रेलाइड जाति, मंगोल अथवा किरात, एल्पाइनी, बिनार्क तथा आर्मेनी जातियाँ, द्रविड़ जाति अथवा भूमध्य सागरीय जाति, आर्य जाति, अन्य जातियां
Q4. मुंडा शवर-पुलिंद भाषा परिवार, तिब्बत-चीनी या किरात भाषा, द्रविड़ तथा भायूरोपीय अथवा अर्ध-भाषा परिवार
Q5. भारत में कई- बड़े-छोटे राजा थे परन्तु शास्त्रकारों ने उनके लिए चक्रवर्ती बनने का आदर्श रखा था. इसका तात्पर्य यह है कि हर राजा का स्वप्न होता था कि हिमालय से लेकर दक्षिण सागर तक एक साम्राज्य स्थापित करें. ऐसा करने से राष्ट्रीय संस्कृति की एकता पर बल मिला. मौर्यकाल में अशोक ने अपने राज्यादेश प्राकृत में लिखवाये परन्तु उसने ये आदेश शिलाओं पर लिखवाकर अफगानिस्तान से लेकर कर्नाटक तथा गुजरात से लेकर ओडिशा तक स्थापित किये. इस प्रकार उसने पूरे देश को एक भाषा में सूत्रित करने का प्रयास किया. शककाल के पश्चात्, विशेषकर गुप्तकाल में और उसके पश्चात्, पूरे भारत में राजा के आदेश संस्कृत में लिखे जाते थे जिससे पूरे देश को एकभाषिक एकता मिली. आदि शंकराचार्य ने भारत के चारों कोनों में एक-एक धाम और मठ की स्थापना की जिससे कि देश की सांस्कृतिक और राजनैतिक एकता सुदृढ़ हुई.
Q6. पूर्व पुरापाषाण काल (The Early or Lower Paleolithic Age), मध्यपुरापाषाण काल (The Middle Paleolithic Age) और उत्तर पुरापाषाण काल (The Upper Paleolithic Age)
Q7. यह पाषाणयुग की तीसरी व अंतिम कड़ी है. भारत में 4,000 ई.पू. से यह युग शुरू हुआ और संभवतः 2,500 ई.पू. तक चलता रहा. विशेषताएँ – औजार, कृषि का आरम्भ, पशुपालन, आग का प्रयोग, श्रम विभाजन का प्रारम्भ, धार्मिक भावनाओं का विकास, मिट्टी के बर्तनों का निर्माण, पहिये का आविष्कार, स्थाई जीवन का आरम्भ, गृह निर्माण, वस्त्र निर्माण, चित्रकारी.
Q8. Write yourself
Q9. कब्रों की खुदाई से पता चलता है कि कुछ शवों के साथ केवल मिट्टी के बर्तन रखे जाते थे तथा कुछ के साथ ताम्बे से बनी मालाएँ भी रखी जाती थीं. कई मकानों से ताम्बे की विभिन्न पशुओं की बी आकृतियाँ मिली हैं. शायद इन मकानों में रहने वाले लोग धनि होते थे. खुदाई में बच्चों की कब्रें बहुत मिली हैं. इससे इतिहासकार अनुमान लगाते हैं कि इस युग के बच्चों की मृत्यु दर बहुत ऊँची थी. शायद अच्छे भोजन व इलाज की सुविधाओं के अभाव के कारण ही ऐसा होता होगा. इस युग के लोगों को हडप्पा संस्कृति की तरह पक्के मकान और शहर बसाने का ज्ञान नहीं था. टिन को मिलाकर ताम्बे से “कांसा” बनाने का ज्ञान इनको प्राप्त नहीं था जबकि इस युग के दूसरे देशों के लोगों को, जैसे क्रीट, मिस्र व मैसोपोटामिया को यह कला मालूम थी. इस सभ्यता के लोगों ने सिंधवासियों से लिपि का ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश नहीं की, जिनकी पढ़ना आता था. हड़प्पा संस्कृति कांस्य-युग की संस्कृति कहलाती है. ताम्र-पाषाण युग के लोग “थाली” नामक बर्तन का उपयोग नहीं करते थे.
Q10. ग्रामीण समाज एवं भवन, उपकरण और अस्त्र-शस्त्र, मिट्टी के बर्तन, कृषि कर्म में उन्नति, पशु-पालन, शिकार, यातायात के साधन, व्यवसाय, धार्मिक विश्वास.