WHO strategy on Antivenoms
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सर्पदंश से होने वाली मृत्यु और घाव में कमी लाने के लिए एक नई रणनीति का अनावरण किया है और साथ ही यह चेतावनी दी है कि प्रतिविष दवाओं की कमी से लोकस्वास्थ्य पर संकट आ सकता है.
यह रणनीति आवश्यक क्यों?
- प्रत्येक वर्ष लगभग 3 मिलियन लोगों को विषैले साँप डंस लेते हैं जिस कारण अनुमानतः 81,000 लेकर 138,000 प्राण चले जाते हैं. जो 4 लाख लोग सर्पदंस के बाद बच जाते हैं उनमें स्थायी निःशक्तता उत्पन्न हो जाती है.
- सांप के विष से लकवा हो जाता है जिससे साँस रुक जाती है और रक्तस्राव होने लगता है. फलतः प्राणघातक हेमरेज तथा किडनी में नहीं ठीक होने वाली क्षति पहुँचती है. साथ ही इससे ऊतकों को हानि पहुँचती है जिससे या तो अंग की हानि होती है अथवा कोई स्थायी निःशक्तता हो जाती है.
- सर्पदंस के अधिकांश मामले उष्णकटिबंधीय एवं निर्धनतम क्षेत्रों में होते हैं जहाँ बच्चों पर सबसे अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है क्योंकि उनके शरीर का आकार छोटा होता है.
- WHO ने पहले से ही सर्पदंस से विषग्रस्त होने को एक उपेक्षित उष्णकन्तिबंधीय रोग घोषित कर रखा है.
WHO की रणनीति क्या है?
- इसका उद्देश्य 2030 तक सर्पदंस से होने वाली मृत्यु और निःशक्तता की संख्या घटाना है.
- यह रणनीति उत्तम गुणवत्ता वाले प्रतिविष दवाओं के अधिक से अधिक उत्पादन पर बल देती है.
- रणनीति के अनुसार प्रतिविष के बाजार को नए रूप में ढालना और नियामक नियंत्रण को सुदृढ़ करना आवश्यक है.
- सर्पदंस के उपचार के लिए एक टिकाऊ बाजार की आवश्यकता है जिसके लिए 2030 तक प्रतिविष के निर्माताओं की संख्या को 25% बढ़ाने का लक्ष्य है.
- इस रणनीति में स्वास्थ्यकर्मियों को बेहतर प्रशिक्षण देने और समुदायों में जागरूकता फैलाने पर ध्यान दिया गया है.
चुनौतियाँ
- प्रतिविष तैयार करने के लिए सही इम्यूनोजेन (साँप का विष) उपलब्ध होना परमावश्यक है. वर्तमान में ऐसे देश बहुत कम हैं जिनके पास उचित गुणवत्ता वाले सर्पविष का उत्पादन करने की क्षमता है. अधिकांश दवा निर्माता साधारण वाणिज्यिक स्रोतों पर निर्भर रहते हैं. वे इस बात का ध्यान नहीं रख पाते कि विश्व में अलग-अलग स्थानों में जहर अलग-अलग हो सकते हैं.
- कई देशों में प्रतिविष की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए उचित नियामक व्यवस्था नहीं है.
- दवा निर्माताओं को सर्पदंस के विभिन्न प्रकारों और उसकी संख्या के बारे में ठीक-ठाक पता नहीं होता जिस कारण या तो वे उत्पादन घटा देते हैं अथवा उत्पादन बंद ही कर देते हैं. बहुधा वे प्रतिविष का दाम बहुत बढ़ा देते हैं.
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