बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति ने भारत में सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social Exchange Exchange – SSE) हेतु कर प्रोत्साहन, उदाहरणार्थ – प्रतिभूति लेनदेन कर और पूंजीगत लाभ कर से छूट देने की अनुशंसा की है.
सरल शब्दों में कहा जाए तो सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों (गैर-लाभकारी संगठनों) के पास अब पैसे जुटाने के लिए नवीन माध्यम भी होगा. यह माध्यम शेयर बाजार होगा. अब एक निजी फर्म के जैसा NGO भी स्वयं को शेयर बाजार में सूचीबद्ध करा सकेंगे और यहाँ से पूँजी जुटाने में समर्थ हो सकेंगे.
सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है?
- सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) एक ऐसा मंच है जो निवेशकों को सामाजिक उद्यमों में शेयर क्रय करने की अनुमति देता है.
- सोशल स्टॉक एक्सचेंज, ऐसे संगठनों को इक्विटी, डेट और म्यूचुअल फंड के माध्यम से पूँजी इकट्ठा करने की स्वीकृति प्रदान करता है.
- इस प्रकार के स्टॉक एक्सचेंज यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, जमैका और केन्या में पहले से ही स्थापित हैं.
पृष्ठभूमि
टाटा समूह के दिग्गज इशात हुसैन की अध्यक्षता वाली 15 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन SEBI ने गत वर्ष सितंबर में किया था, जिसके लिए जुलाई में आम बजट में प्रस्ताव आया था. सोशल स्टॉक एक्सचेंज का प्रयोग वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली निवेश के लिए किया जाता है, जिसका उद्देश्य कुछ निश्चित सामाजिक उद्देश्य प्राप्त करना होता है.
मुख्य अनुशंसाएँ
- बॉन्ड निर्गत करने तथा वित्तीय उपायों के जरिये गैर-लाभकारी संगठनों को सूचीबद्ध करने की अनुमति माँगी गयी है.
- वित्तीय उपायों में वैकल्पिक निवेश निधियों के अंतर्गत सामाजिक उद्यम निधि (SVF) जैसे वित्तीय तंत्रों को सम्मिलित करने का सुझाव दिया गया है.
- प्रतिभूति लेनदेन कर और पूंजीगत लाभ कर को समाप्त करने के अतिरिक्त समिति की अनुशंसा है कि परोपकारी दानकर्ताओं को 100% कर छूट दावा करने की अनुमति मिलनी चाहिए.
- साथ ही सोशल स्टॉक एक्सचेंज म्युचुअल फंड ढांचे में प्रथम बार निवेश करने वाले खुदरा निवेशकों को 100% कर छूट की अनुमति मिलनी चाहिए, जिसकी कुल सीमा 1 लाख रुपये हो सकती है.
- एक्सचेंज के माध्यम से फंडों में स्थायी बढ़ोतरी के लिए बहुआयामी नीतिगत हस्तक्षेप की दरकार है, जो सामाजिक क्षेत्र में फंड के अबाध प्रवाह के अवरोध को कम करेगा और सोशल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध समेत सोशल एंटरप्राइजेज के लिए धन का नवीन स्रोत सामने लाएगा.
- समिति ने क्षमता तैयार करने वाली निधि के तौर पर 100 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है जिससे कि क्षमता तैयार करने वाली इकाई का सृजन हो जो इस क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करेगा.
- समिति ने भारत में सोशल स्टॉक एक्सचेंज हेतु कई मॉडल का सुझाव दिया है. इनमें मैचमेकिंग प्लेटफॉर्म और वर्तमान स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध वैकल्पिक निवेश प्रतिभूतियाँ सम्मिलित हैं.
लाभ
- निजी मुनाफे के लिए काम न करने वाले संगठन अपने बांड सीधे सोशल स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध करा सकते हैं. इस तरह के सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) मौजूदा शेयर बाजारों में ही स्थापित किए जा सकते हैं.
- सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर सुझाव देने के लिए गठित इस समिति का कहना है कि ऐसा होने से सोशल स्टॉक एक्सचेंज वर्तमान बाजारों की उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे. इन बाजारों की ग्राहक संपर्क सुविधाओं के माध्यम से निवेशकों, दानदाताओं और सामाजिक उद्यमों (मुनाफा कमाने और बिना मुनाफे वाले दोनों) से प्रत्यक्ष रूप से सम्पर्क साधा जा सकेगा.
उद्यमी कितने प्रकार के होते हैं?
उद्यमी के निम्नलिखित कुछ प्रकार है : –
नव-प्रवर्तक उद्यमी: ये वे उद्यमी होते हैं जो अपने व्यवसाय में लगातार खोज एवं अनुसन्धान करते रहते हैं और इन अनुसंधानों व प्रयोगों के परिणामस्वरूप व्यवसाय में परिवर्तन करके लाभ अर्जित करते हैं.
जागरूक उद्यमी : ये वे उद्यमी होते हैं जो अनुसंधान व खोज पर कोई धन खर्च नहीं करते हैं. ये सफल उद्यमियों द्वारा किये गए सफल परिवर्तनों को ही अपनाते हैं.
पूंजी संचय करने वाले उद्यमी : ये उद्यमी पूंजी संचय करने वाले कार्य जैसे कि बैंकिंग व्यवसाय, बीमा कम्पनी आदि में संलग्न होते है.
सामाजिक उद्यमी या आदर्श उद्यमी : इस प्रकार के उद्यमी खुद के हित के साथ-साथ सामाजिक हित पर भी ध्यान देते हैं. इनका उद्देश्य मात्र अधिकतम लाभ कमाना ही नहीं बल्कि सामाजिक दायित्व को पूर्ण करना भी है.
मेरी राय – मेंस के लिए
संयुक्त राष्ट्र जैसे विभिन्न वैश्विक निकायों द्वारा निर्धारित मानव विकास लक्ष्यों को पूर्ण करने हेतु आने वाले वर्षों में भारत को बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत होगी और यह मात्र सरकारी व्यय अथवा निवेश के जरिये नहीं किया जा सकता है. सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत निजी उद्यमों को भी अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ाने की जरूरत है. आज की तिथि में, भारत में अनेक सामाजिक उद्यम कार्यशील हैं, हालाँकि उन्हें धन जुटाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इन चुनौतियों में सबसे बड़ी चुनौती आम निवेशकों में विश्वास की कमी है. इस विषय पर प्रस्तुत एक प्रतिवेदन के अनुसार, भारत में एक संपन्न सामाजिक उद्यम पारिस्थितिकी तंत्र है पर फिर भी देश में अनेक संगठनों को स्वयं के लिए आवश्यक पूंजी को प्राप्त करने के लिये बहुत ही संघर्ष का सामना करना पड़ता है. सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) एक ऐसा मंच प्रदान करने का प्रयास करेगा जहाँ निवेशक स्टॉक एक्सचेंज द्वारा अधिकृत सामाजिक उद्यमों में निवेश करने में समर्थ हो सकेंगे. फलस्वरूप निवेशकों में विश्वास पैदा होगा. ऐसे सामाजिक उद्यमों को अपने निवेशों का विवरण और अन्य गतिविधियों को पारदर्शी रूप से आम जनता के साथ साझा करना पड़ेगा.
यदि आँकड़े देखे जाएँ तो भारत में 20 लाख से भी अधिक सामाजिक उद्यम हैं. इसलिए सामाजिक उद्यमों के लिए सोशल स्टॉक एक्सचेंज से सम्बंधित मॉडल या योजना बनाने के लिए अत्यंत सावधानी बरतने की आवश्यकता है. इस संबंध में हम विश्व के अन्य देशों द्वारा प्रयोग किये जा रहे मॉडल का अध्ययन कर सकते हैं और उन्हें भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप बदल सकते हैं.
प्रीलिम्स बूस्टर
सेबी : भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है. इसकी स्थापना 12 अप्रैल 1988 में हुई तथा सेबी अधिनियम 1992 के अंतर्गत वैधानिक मान्यता 30 जनवरी 1992 को मिली. सेबी का मुख्यालय मुंबई में बांद्रा कुर्ला परिसर के व्यावसायिक जिले में स्थित है और क्रमश: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी व पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं.
सेबी स्कोर्स : हाल ही में बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों हेतु एक मोबाइल एप सेबी स्कोर्स का अनावरण किया है. इसके माध्यम से निवेशक सेबी की शिकायत निपटान प्रणाली में अपनी शिकायतें दर्ज करा पाएँगे. इस एप पर निवेशक सूचीबद्ध कंपनियों, पंजीकृत बिचौलियों और बाजार अवसंरचना से सम्बंधित संस्थानों के विरुद्ध सेबी से ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं.