अशोक के समय का सामाजिक जीवन और कला का स्थान

Dr. SajivaCulture, History

अशोक के शासन-काल में भारत की सामाजिक स्थिति में बहुत परिवर्तन दिखे. ब्राह्मण, श्रवण, आजीवक आदि अनेक सम्प्रदाय थे परन्तु राज्य की ओर से सबके साथ निष्पक्षता का व्यवहार किया जाता था और सभी को इस बात की हिदायत दी जाती थी  कि धर्म के मामलों में सहिष्णु होना सीखें, सत्य का आदर करें आदि. कई साधु भी देश और समाज की भलाई कैसे हो, इसमें अपनी पूरी ऊर्जा झोकते थे. कभी-कभी ऐसा देखने को भी मिलता था कि स्वयं राजकुमार और राजकुमारियाँ दूर देश जा कर धर्म का प्रचार कर रहे हैं. लोगों का धार्मिक दृष्टिकोण उदार था और कभी-कभी विदेशियों को भी शिक्षा-दीक्षा दे कर हिन्दू बना दिया जाता था जिन्हें लोग सहर्ष स्वीकार करते थे.

एक यूनानी हिन्दू-धर्म में दीक्षित किया गया और उसका नाम धर्मरक्षित रखा गया. अशोक ने अपनी शिक्षाओं को बोल-चाल की भाषा में स्तंभों पर खुदवाया था. दूसरी तरफ आशिक के काल में कई मठ और पाठशालाएँ भी थीं. इससे मालूम होता है कि उस समय शिक्षा का अच्छा-खासा प्रसार था. इतिहासकार स्मिथ अशोक के काल में शिक्षा का स्थान के सम्बन्ध कुछ इस तरह कहते हैं  –

मेरे अनुसार अशोक के समय की बौद्ध-जनता में प्रतिशत शिक्षितों की संख्या, आधुनिक ब्रिटिश भारत के अनेक प्रान्तों की अपेक्षा कहीं अधिक थी.

ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र चारों वर्ण अशोक के शासन-काल में सुखी तथा सदाचारी थे. संबंधियों, मित्रों, नौकरों तथा पशुओं पर भी लोग दया का भाव रखते थे. बाल-विवाह और बहुविवाह की प्रथाएँ अशोक के समय में भी थीं. खुद अशोक की कई रानियाँ थीं. अशोक ने 18 वर्ष की आयु में शादी किया था और उसके बहन की शादी 14 वर्ष की अवस्था में हुई थी. मांसाहार का प्रचालन अशोक के समय घट रहा था.

मौर्यकालीन कला (Mauryan Art)

अशोक ने बहुत-से नगर, स्तूप, विहार और मठ बनवाये. कई जगह स्तंभों को गड़वाया. उसने कश्मीर की राजधानी श्रीनगर की स्थापना की और एक दूसरा नगर उसने नेपाल में बसवाया. कहा जाता है कि अशोक अपनी बेटी चारुमती और उसके पति देवपाल के साथ वहाँ गया था. अशोक का महल इतना सुन्दर था कि लगभग 900 वर्ष के बाद जब चीनी यात्री फाह्यान भारत आया तो उसे देखकर वह चकित रह गया. उसे विश्वास नहीं हुआ कि वह महल मनुष्य के हाथ का बनाया हुआ है. उसकी चित्रकारी और पत्थर की खुदाई देखकर वह मुग्ध हो गया.

अशोक स्तम्भ (Pillars of Ashoka)

अशोक की बनवाई हुई बहुत-सी ईमारतें अब तो नष्ट हो गई हैं परन्तु साँची का स्तूप (भोपाल में स्थित) तथा भरहुत (इलाहबाद से कुछ दूरी पर) के स्तूप अब भी उसकी स्मृति की रक्षा कर रहे हैं. अशोक ने कई स्तम्भ खड़े करवाए जो देश के विभिन्न भागों में पाए जाते हैं. इनमें से साँची, प्रयाग, सारनाथ और लौरिया नंदन-गढ़ के स्तम्भ अधिक प्रसिद्ध हैं. इनमें कुछ स्तंभों पर सिंह की मूर्तियाँ हैं.

ashok_pillar_vaishali

अशोक पिलर, (वैशाली) बिहार

दिल्ली के अशोक स्तम्भ  को 1356 ई. में फिरोज शाह तुगलक टोपरा नामक गाँव (मेरठ जिले में स्थित) से उठाकर लगवाया था. यह उस काल के स्थापत्य का एक सुन्दर नमूना है. इसकी बनावट और चमक अत्यंत सुन्दर है. इस स्तम्भ को उठाकर खड़ा करने में उस काल के इंजीनियरों ने जो कुशलता दिखाई, वह भी काबिले-तारीफ है. सर जान मार्शल का कथन है कि सारनाथ के शिला-स्तम्भ पर जानवरों के जो चित्र खोदे गये हैं वह कला और शैली दोनों दृष्टि से बहुत उच्च कोटि के हैं. पत्थर पर इतनी सुन्दर खुदाई भारत में कभी नहीं हुई और न प्राचीन संसार में ही इसके जोड़ की कोई चीज मिलती है.

ashok_pillar

अशोक स्तम्भ, लुम्बिनी, नेपाल

गुफाएँ

अशोक की कुछ ऐसी गुफाएँ भी हैं जिन पर अशोक के लेख खुदे हुए हैं. ऐसी कुल सात गुफाएँ हैं और गया के पास बराबर की पहाड़ियों में स्थित हैं. उन पर मौर्य-काल की चमकीली पॉलिश हैं. दीवारें और छतें शीशे की तरह चमकती है. मौर्य-काल के कारीगरी जौहरी का काम भी खूब जानते थे. वे बड़ी होशियारी और सफलता के साथ पत्थरों को काटते और उन पर पॉलिश करते थे.

यूनानी कला का प्रभाव

कुछ विद्वानों का मत है कि मौर्य-कालीन कला पर यूनानी तथा ईरानी कला का प्रभाव पड़ा है. किन्तु इस कथन का कोई विश्वसनीय प्रमाण देखने को नहीं मिलता. यह अवश्य है कि उस काल में कई विदेशी भारत आये और यहीं बस गए. अशोक ने पश्चिम के देशों के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित कर लिया था. संभव है कि उन देशों की कला का यहाँ की कला पर प्रभाव पड़ा हो.

यह भी आर्टिकल जरुर पढ़ें >>> भारत के ऐतिहासिक स्थल

Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]