नीति आयोग ने हाल में सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals – SDG) भारत सूचकांक, 2018 का प्रतिवेदन निर्गत किया है जिसमें यह दर्शाया गया है कि सतत विकास लक्ष्यों को 2030 तक प्राप्त करने की दिशा में भारत के राज्यों और केंद्र-शाषित क्षेत्रों ने अब तक क्या प्रगति की है.
पृष्ठभूमि
- सतत विकास लक्ष्य भारत सूचकांक (SDG India Index) को केंद्र सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने ग्लोबल ग्रीन ग्रोथ इंस्टिट्यूट और संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर तैयार किया था.
- इस सूचकांक में 17 सतत विकास लक्ष्यों में से 13 के विषय में किये गये उनके कुल प्रदर्शन के आधार पर भारत के प्रत्येक राज्य और केंद्र-शाषित क्षेत्र के लिए एक समग्र स्कोर दिया जाता है. यह स्कोर 0 से 100 के बीच में कहीं भी हो सकता है. इस स्कोर से पता चलता है कि दिए गये लक्ष्यों के मामले में इन राज्यों/केंद्र शाषित क्षेत्रों ने क्या औसत प्रगति की है.
- इस सूचकांक का उद्देश्य राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न करना है जिससे वे आपस में होड़ करते हुए सतत विकास लक्ष्यों को शीघ्र से शीघ्र पूरा करें.
- सूचकांक का यह लाभ भी है कि इसके आधार पर केंद्र सरकार राज्यों की प्रगति पर तत्क्षण (real-time) निगरानी रख सकती है.
SDG भारत सूचकांक की महत्ता – SDG India Index 2018
SDG भारत सूचकांक (SDG India Index) संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित लक्ष्यों एवं प्रधानमन्त्री द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किये जा रहे प्रयासों के बीच एक पुल का काम करता है. विदित हो कि प्रधानमंत्री ने “सब का साथ, सब का विकास” का नारा दिया है जिसमें सतत विकास के पाँच वैश्विक लक्ष्यों का कार्यान्वयन शामिल है. ये पाँच लक्ष्य “पाँच P” कहलाते हैं – People, Planet, Prosperity, Partnership and Peace.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- ज्ञातव्य है कि सतत विकास लक्ष्य को भारत के साथ-साथ विश्व के 192 अन्य देशों ने 2015 में अपनाया था. 2018 के सूचकांक के अनुसार भारत को विभिन्न मानदंडों के आलोक में 58 का समग्र स्कोर मिला है. इसका अर्थ यह हुआ कि यह देश निर्धारित लक्ष्यों को लगभग आधे से ज्यादा प्राप्त कर चुका है. जहाँ तक राज्यों का प्रश्न है तो बड़े राज्यों को 42 से लेकर 69 के बीच में स्कोर प्राप्त हुआ है और केंद्र-शाषित क्षेत्रों को 57 से लेकर 68 के बीच का स्कोर मिला है.
- जो तीन राज्य सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में अग्रणी रहे, वे हैं – हिमाचल प्रदेश, केरल और तमिलनाडु.
- केंद्र-शाषित क्षेत्रों में 68 के स्कोर के साथ चंडीगढ़ सबसे आगे रहा.
- तमिलनाडु को 66 का स्कोर मिला. जिन लक्ष्यों के मामले में यह राज्य सबसे ऊपर रहा, वे हैं – निर्धनता उन्मूलन तथा स्वच्छ एवं सस्ती ऊर्जा की आपूर्ति.
- केरल राज्य के अच्छे प्रदर्शन के पीछे उसकी ये सफलताएँ हैं – अच्छे स्वास्थ्य की सुविधा, भूखमरी घटाना, लिंगानुपात सुधारना और गुणवत्ता-युक्त शिक्षा की व्यवस्था.
- हिमाचल प्रदेश की सफलता के पीछे ये कार्य रहे – स्वच्छ जल और सफाई की व्यवस्था, असमानता को घटाना तथा पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण.
- जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि केंद्र-शाषित क्षेत्रों में चंडीगढ़ को सबसे अधिक स्कोर मिला. इसका कारण यह था कि उसने स्वच्छ जल और सफाई की सुविधा देने में बहुत ही अनुकरणीय प्रदर्शन किया. इसके अतिरिक्त इन कामों में भी उसकी प्रगति अच्छी रही – सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा का प्रावधान, आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा और गुणवत्ता-युक्त शिक्षा की व्यवस्था करना.
- लैंगिक समानता के मामले में सिक्किम और अंडमान निकोबार एवं चंडीगढ़ जैसे केंद्रशाषित क्षेत्र शीर्षस्थ रहे क्योंकि इनको इस मामले में 50 से अधिक का स्कोर मिला.
- जिन राज्यों को सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अभी बहुत कुछ करना शेष है, वे हैं – झारखंड, ओडिशा और नागालैंड.
- यदि अलग-अलग लक्ष्यों को देखा जाए तो पता चलता है कि इन लक्ष्यों में राज्यों की प्रगति सबसे बुरी रही – लैंगिक समानता (36), टिकाऊ शहर और समुदाय का निर्माण (39), उद्योग में नवाचार की सुविधा एवं आधारभूत संरचना (44) तथा भूख का निवारण (48).
सतत विकास लक्ष्य
सतत विकास लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की एक सूची है जिसे 2015 में तैयार किया गया था. इसमें वर्णित 17 लक्ष्यों को 2030 तक सभी सदस्य देशों द्वारा पूरा किया जाना है. ये लक्ष्य हैं –
- गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति
- भूख की समाप्ति,खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहित करना
- सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को प्रोत्साहित करना
- समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना
- लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना
- सभी के लिए स्वच्छता और पानी के सतत प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- सस्ती,विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना.
- सभी के लिए निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास,पूर्ण और उत्पादक रोजगार, और बेहतर कार्य को प्रोत्साहित करना
- लचीले बुनियादी ढांचे,समावेशी और सतत औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करना
- देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना
- सुरक्षित,लचीले और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण
- स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना
- जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना
- स्थायी सतत विकास के लिए महासागरों,समुद्र और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग
- सतत उपयोग को प्रोत्साहित करने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों,सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना
- सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को प्रोत्साहित करने के साथ ही सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेही बनना ताकि सभी के लिए न्याय सुनिश्चित हो सके
- सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्ति कार्यान्वयन के साधनों को दृढ़ बनाना.
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