SyRI – an identification mechanism Explained in Hindi
नीदरलैंड्स के एक न्यायालय ने पिछले दिनों एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए SyRI पर यह कहते हुए रोक लगा दी है कि यह डाटा की निजता और मानवाधिकारों का हनन करता है.
इस निर्णय का निहितार्थ
न्यायालय का यह निर्णय विश्व के अन्य भागों में प्रयोग में लाई जा रही कृत्रिम बुद्धि से समबन्धित प्रणालियों को प्रभावित करेगा. भारत में भी पहचान नागरिकता एवं निजता जैसे विषयों को लेकर गहमा-गहमी चल रही है.
SyRI क्या है?
- इसका पूरा नाम System Risk Indicator है.
- इसका निर्माण 2014 में नीदरलैंड्स के सामाजिक विषयों के मंत्रालय ने किया था और इसका उद्देश्य उन लोगों का पता लगाना था जो जालसाजी करने और सरकारी लाभों को प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक उद्यत रहते हैं.
- SyRI के द्वारा सरकारी एजेंसियाँ कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों से सम्बंधित 17 प्रकार के डाटा साझा करती हैं, जैसे – कर, भूमि पंजीकरण, आजीविका अभिलेख और निजी कम्पनी में वाहन पंजीकरण.
- इंटेलिजेंस एजेंसी नामक एक कम्पनी ने एक अल्गोरिदम के माध्यम से चार शहरों से सम्बंधित डाटा का विश्लेषण किया तथा जोखिमों का आकलन भी किया. यह अध्ययन ऐसे मुहल्लों में किया गया जहाँ कम आय वाले दूसरे देशों से आये हुए लोग रहते हैं और जो सरकारी योजनाओं का सबसे अधिक लाभ लेते हैं.
- इस कम्पनी ने जोखिम से सम्बंधित अपना प्रतिवेदन सरकार की उस शाखा को भेज दिया जो अधिकतम दो वर्षों के लिए डाटाबेस का भंडारण करती है. सरकार इस डाटा के आधार पर चाहे तो किसी भी लक्षित व्यक्ति के विषय में जाँच-पड़ताल शुरू कर सकती है.
न्यायालय के निर्णय का आधार
न्यायालय का कहना था कि जालसाजी को नियंत्रित करने के लिए नई तकनीक का प्रयोग बुरी बात नहीं है. परन्तु SyRI का तरीका हस्तक्षेप करने वाला और निजिता की गारंटी का उल्लंघन करने वाला है. ज्ञातव्य है कि यूरोप का मानवाधिकार कानून और यूरोपीय संघ का सामान्य डाटा सुरक्षा विनियमन निजता की गारंटी देता है. न्यायालय ने इस तर्क को भी स्वीकार किया कि इस प्रकार जोखिम का पता लगाने की प्रक्रिया सीधे-सीधे उसे गरीबी से जोड़ देती है और यह उजागर करती है जो लोग बाहर से आये हुए हैं वे ही ज्यादा जालसाजी करते हैं. पूरी प्रक्रिया अपारदर्शी होती है जिसे प्रभावित व्यक्ति चुनौती देने में असुविधा का अनुभव करता है.
नीदरलैंड्स सरकार का तर्क
नीदरलैंड्स की सरकार का तर्क था कि अपनाई गई प्रक्रिया से गड़बड़ियों को रोका जा सकता है. इस विषय में सम्बंधित व्यक्ति के विरुद्ध तत्काल कोई कारवाई नहीं होती है, मात्र जाँच-पड़ताल शुरू की जाती है. अंतिम निर्णय तो सब कुछ देख-विचार कर के ही होगा. सरकार ने यह प्रणाली कैसे निर्णय पर पहुँचती है इसके विषय में सूचना देने से इनकार कर दिया क्योंकि उसका कहना था कि इसका लाभ उठाकर पूरी प्रणाली के साथ खेल किया जा सकता है.
भारत के लिए प्रासंगिकता
स्मरण रहे कि आधार से सम्बंधित अपने निर्णय में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आधार के उपयोग के संदर्भ में सामाजिक हित और व्यक्तिगत निजता के बीच संतुलन बनाने का आदेश दिया था. परन्तु आधार से सम्बंधित फैसला किसी अल्गोरिदम के द्वारा निर्णय लेने से सम्बंधित नहीं था, यह मात्र डाटा संग्रह से जुड़ा हुआ था.
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