चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य – सैनिक उपलब्धियाँ तथा तत्कालीन भारत

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आज हम चन्द्रगुप्त द्वितीय यानी विक्रमादित्य (375-415 ई.) के विषय में पढेंगे. विक्रमादित्य के परिवार, उसके सिहांसन पर बैठने के समय साम्राज्य की अवस्था, उसका वैवाहिक जीवन, शक विजय, शक विजय के परिणाम, शासन प्रबंध, सिक्के, धार्मिक दशा, सामाजिक अवस्था, शासन-प्रबंध आदि के विषय में पढेंगे. नाम और परिवार चंद्रगुप्त द्वितीय को उसके अभिलेखों में भिन्न नामों से पुकारा गया … Read More

शुंग वंश के बारे में जानें – 185 ई.पू. से 75 ई.पू.

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अंतिम मौर्य राजा बृहद्रथ को उसी के ब्राहमण सेनापति पुष्यमित्र ने मारकर शुंग वंश (Shunga / Sunga Dynasty) की स्थापना की. बाण ने “हर्ष-चरित” में लिखा है कि अंतिम मौर्य सम्राट् बृहद्रथ के सेनापति पुष्यमित्र ने सेना के एक प्रदर्शन का आयोजन किया और राजा को इस पर्दर्शन को देखने के लिए आमंत्रित किया. उस समय उपयुक्त अवसर समझ कर … Read More

बौद्ध संगीतियाँ (प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ)

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आज हम बौद्ध प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ बौद्ध संगीतियों के विषय में पढेंगे और ये जानेंगे कि उन संगीतियों (Buddhist Councils) के समय तत्कालीन शासक, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कौन थे? ये भी जानेंगे कि ये संगीतियाँ (councils) कहाँ और कब (date) हुईं? [table id=37 /] बौद्ध संगीतियों के प्रमुख कार्य प्रथम संगीति बुद्ध की शिक्षाओं को संकलित कर उन्हें … Read More

चोल साम्राज्य और इस वंश के शासक – The Chola Empire

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चोल साम्राज्य

आज हम चोल साम्राज्य के विषय में पढेंगे. जानेंगे इस वंश का उदय और पतन कैसे हुआ, इस वंश के राजा कौन थे. इस पोस्ट को आगे भी update किया जाएगा जिसमें हम Chola’s government (केन्द्रीय शासन), न्याय प्रणाली, आय-व्यय के साधन, कला और संस्कृति के विषय में भी जानेंगे. चलिए जानते हैं Chola Empire के सभी details in Hindi. … Read More

बौद्ध साहित्य – जातक, पिटक, निकाय आदि शब्दावली

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प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में बौद्ध साहित्य का विशेष महत्त्व है. इसमें जातक, पिटक और निकाय आदि आते हैं. चलिए जानते हैं बौद्ध साहित्य से सम्बंधित कुछ ऐसी ही शब्दावली के विषय में जो परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं. जातक बौद्ध साहित्य का सबसे प्राचीन अंग कथाएँ हैं. जातकों की संख्या 547 है. जातक में भगवान् … Read More

[Prelims Part 1] प्राचीन भारतीय इतिहास के स्मरणीय तथ्य

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आपके साथ आज प्राचीन भारतीय इतिहास के स्मरणीय तथ्य share करने जा रहा हूँ जो आपके आगामी Civil Services Prelims परीक्षा में काम आयेंगे. Ancient History Valuable Facts प्राचीन भारत का इतिहास जानने के लिए “पुराण” एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है. इसका अर्थ है प्राचीन. इसकी संख्या 18 है. इससे प्राचीन राजवंशों और भारत के भूगोल की जानकारी मिलती है. पुराण … Read More

पल्लव कौन थे? पल्लव वंश के शासक और उनकी उपलब्धियाँ

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पल्लव कौन थे? प्रायः इसके बारे में कहा जाता है कि ये लोग स्थानीय कबीलाई थे. पल्लव का अर्थ होता है “लता” और यह तमिल शब्द “टोंडाई” का रूपांतरण है जिसका अर्थ भी लता होता है. इसलिए इन्हें मूलतः लताओं के प्रदेश का निवासी कहा जाता है. कुछ इतिहासकार उन्हें विदेशी-पहलव मानते हैं. इस मत का समर्थन करते हुए वे … Read More

अशोक के शासनकाल का घटनाक्रम – Timeline of Ashoka’s Regime

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इस पोस्ट के जरिये अशोक के राज्यारोहण से लेकर उसके शासनकाल के वर्षों के घटनाओं का उल्लेख करने का प्रयास किया गया है. साथ में अशोक के शिलालेखों का सन्दर्भ भी दिया गया है. Timeline of Ashoka’s Regime अशोक का राज्यारोहण पिता बिंदुसार के निधन के उपरान्त मगध के सिंहासन पर 268 ई.पू. में हुआ. अशोक के शासन के 8वें … Read More

सिन्धु घाटी सभ्यता और वैदिक सभ्यता के मध्य अंतर

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आज हम सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) और वैदिक संस्कृति (Vedic period culture) के मध्य अंतर स्थापित करने की  कोशिश करेंगे. सिन्धु सभ्यता और ऋग्वैदिक सभ्यता के मध्य अंतर  ऋग्वैदिक सभ्यता ग्रामीण संस्कृति लगती है जबकि सिन्धु सभ्यता के लोग सुनियोजित नागरिक जीवन से भलीभाँति परिचित थे. आर्य धातुओं में सोने और चाँदी से परिचित थे और यजुर्वेद में … Read More

जैन तीर्थंकरों के बारे में कुछ तथ्य – Jainism

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नीचे 24 जैन तीर्थंकरों के विषय में details दिए गए हैं. अक्सर परीक्षाओं में जैन धर्म से जुड़े सवाल आते रहते हैं. कभी जैन मत, जैन साहित्य, जैन धर्म के इतिहास आदि के बारे में पूछ लिया जाता है तो कभी जैन तीर्थंकरों के जीवन, उपदेश आदि से सम्बंधित सवाल आ जाते हैं. इसलिए मैंने यह Jain Tirthankara की लिस्ट … Read More