भारत में पार्थियन साम्राज्य एवं उसके शासक

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शकों के बाद पार्थियन लोग भारत में आए. (शक के बारे में पढ़ें > शक वंश). अनेक भारतीय संस्कृत के मूल पाठों में एक साथ इन दोनों कबीलों के लिए “शक-पहलव” संज्ञा का प्रयोग किया गया है. इस तरह इंडो-पार्थियनों को ‘पहलव (पह्लव)’ कहा गया है. इनके शासन को सुरेन साम्राज्य (Suren Kingdom) के नाम से भी जाना जाता है. पार्थियन भारत में … Read More

शक वंश का इतिहास एवं शासक

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बैक्ट्रियनों (भारतीय-यूनानियों) के बाद शक आये (पढ़ें > बैक्ट्रियन). मूलतः शक मध्य एशिया की एक कबीलायी जाति थी. लगभग ई.पू. 165 में उसे यूची नामक एक एनी मध्य एशियाई कबीले ने ही खदेड़ दिया. उनसे पूर्व भारत में आई बक्ट्रियन जाति (जो उस समय शाकल एवं तक्षशिला से उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्रों में राज कर रही थी) पर शकों ने आक्रमण शुरू … Read More

बैक्ट्रियन या भारतीय यूनानी का इतिहास और उनका योगदान

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बैक्ट्रियन या भारतीय यूनानी मौर्य साम्राज्य के पतन (184 ई० पू०) के बाद भारत की राजनीतिक एकता समाप्त हो गई. भारत की डांवाडोल राजनीतिक स्थिति का लाभ उठाने के लिए लगभग 200 ई० पू० से अनेक विदेशी शक्तियों ने भारत पर कई आक्रमण किये. सबसे पहले हिन्दुकुश पार करने वालों में यूनानी थे. वे बैक्ट्रिया पर शासन करते थे जो … Read More

हड़प्पा संस्कृति एवं सामाजिक-आर्थिक जीवन

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हड़प्पा सभ्यता भारत को प्रथम प्रमाणित सर्वश्रेष्ठ सभ्यता है. इसके लिए साधारणतः दो नामों का प्रयोग होता है: “सिन्धु-सभ्यता” या “सिन्धु घाटी की सम्यता” और हड़प्पा संस्कृति. ये दोनों नाम पर्यायवाची हैं एवं इनका समान अर्थ हैं. हड़प्पा का नामकरण इनमें से प्रत्येक शब्द की एक विशिष्ट पृष्ठभूमि है. सिन्धु हमारे देश की एक नदी है जो हिमालय पर्वत से … Read More

गुप्त साम्राज्य – Gupta Empire के प्रमुख शासक

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चौथी शताब्दी में उत्तर भारत में एक नए राजवंश का उदय हुआ. इस वंश का नाम गुप्तवंश था. इस वंश ने लगभग 300 वर्ष तक शासन किया. इस वंश के शासनकाल में अनेक क्षेत्रों का विकास हुआ. इस वंश के संस्थापक श्रीगुप्त थे. गुप्त वंशावली में श्रीगुप्त, घटोत्कच, चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, रामगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय, स्कन्दगुप्त जैसे शासक हुए. इस वंश … Read More

सातवाहन वंश

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आज इस पोस्ट के माध्यम से हम सातवाहन वंश की पूरी जानकारी आपके साथ साझा करने वाले हैं. ‘सातवाहन’ शब्द का उल्लेख प्राचीन ग्रन्थों में है. इस शब्द की अनेक व्याख्याएँ प्राप्त होती हैं. कथा सरित्सागर में ‘सात’ नामक यक्ष पर चढ़ने वाले को सातवाहन कहा गया है. लेकिन इस व्याख्या को मनगढ़न्त बताया जाता है. चौदहवीं शताब्दी ई० में … Read More

हम्पी के बारे में कुछ मुख्य तथ्य

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कर्नाटक सरकार द्वारा हम्पी स्थल के आस-पास के रेस्त्राँओं को ध्वस्त करने के निर्णय का सर्वोच्च न्यायालय ने समर्थन किया है क्योंकि ये रेस्त्राँ मैसूर प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारक तथा पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1961 (Mysore Ancient and Historical Monuments and Archaeological Sites and Remains Act of 1961) का उल्लंघन करके बनाए गये थे. पृष्ठभूमि यह मामला कर्नाटक उच्च … Read More

नगरधन उत्खनन : वाकाटक वंश के सन्दर्भ में इसका महत्त्व

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नागपुर के निकट नगरधन में हुई पुरातात्विक खुदाइयों से रानी प्रभावतीगुप्त के अधीन वाकाटक शासन के समय के जीवन, धार्मिक धारणाओं और व्यापारिक प्रथाओं का पता चलता है. खुदाई में पाई गई महत्त्वपूर्ण वस्तुएँ एक अंडाकार मुहर मिली है जो उस समय की है जब प्रभावतीगुप्त वाकाटक वंश की रानी थी. इस मुहर में उस रानी का नाम ब्राह्मी लिपि … Read More

चालुक्य वंश के बारे में जानकारी – कला एवं स्थापत्य

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आज हम चालुक्य वंश (Chalukya Dynasty) के बारे में जानेंगे in Hindi. इस पोस्ट के नीचे एक विडियो की लिंक दे गई है जिसमें तमिलनाडु टेक्स्टबुक की सहायता से चालुक्य वंश के बारे में समझाया गया है. उसे जरूर देखें. चालुक्य कौन थे? चालुक्य दक्षिण और मध्य भारत में राज करने वाले शासक थे जिनका प्रभुत्व छठी से बारहवीं शताब्दी तक रहा. … Read More

हीनयान और महायान के सम्बन्ध में रोचक जानकारी

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आज हम बौद्ध धर्म की दो शाखाओं हीनयान और महायान के बीच अंतर और कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे. बुद्ध के निर्वाण के 100 वर्ष बाद ही बौद्ध धर्म दो सम्प्रदायों में विभक्त हो गया – 1. स्थविरवादी और 2. महासांघिक.  बौद्धों की द्वितीय संगीति वैशाली में हुई. इसमें ये मतभेद और भी अधिक उभर कर आये. अशोक … Read More