वात्सायन ने अपने ग्रन्थ कामसूत्र में 64 कलाओं की गणना की है जिनमें चित्रकला का भी स्थान है. चित्रकला का महत्त्वपूर्ण अंग है चित्र. चलिए जानते हैं हर एक काल (प्रागैतिहासिक, आद्यैतिहासिक, ऐतिहासिक, मध्यकाल, साहित्यिक) भारतीय चित्रकला क्या स्थान रहा. साथ-साथ यह भी जानेंगे कि भारतीय चित्रकला के कितने प्रकार और अंग हैं एवं इनका प्रयोजन कहाँ-कहाँ किस रूप में होता है. विष्णुधर्मोत्तर … Read More
[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Culture & Heritage GS Paper 1/Part 6
अजंता की पहाड़ी महाराष्ट्र के जलगाँव से 55 कि.मी. और औरंगाबाद से 100 कि.मी. की दूरी पर स्थित है. अजंता नामक गाँव से अजंता की गुफाएँ लगभग 5 कि.मी. दूर हैं. ये गुफाएँ फरदापुर गाँव के समील बाघोरा नदी के तट के किनारे-किनारे एक ही पहाड़ी में काट-तराशकर बनाई गई हैं. सर्पिलाकार नदी, सघन वनराशि और उन्मुक्त खुले आकाश के … Read More
हड़प्पा सभ्यता : एक संक्षिप्त अवलोकन – Harappa Civilization
हड़प्पा लिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है. इसलिए मात्र पुरातात्त्विक अवशेषों के आधार पर ही हड़प्पा सभ्यता की विशेषताओं का ज्ञान होता है. लिखित साक्ष्य के अभाव में अवशेषों से सटीक निष्कर्ष निकालना भी कठिन है. अतः हड़प्पा सभ्यता (Harappa Civilization) के बारे में हमारे सभी अनुमान विवाद का विषय हो जाते हैं. हड़प्पा सभ्यता का नामकरण प्रारम्भिक … Read More
हरिहर और बुक्का के बारे में जानें, संगम राजवंश
हरिहर ने अपने भाई बुक्का के साथ विजयनगर राज्य की नींव डालने के बाद सबसे पहले गुट्टी तथा उसके आसपास के क्षेत्रों को अपनी सत्ता स्वीकार करने के लिए विवश किया. उन्होंने तुंगभद्र नदी के दक्षिणी तट पर स्थित अणेगोंडी के आमने-सामने दो नगर बसाए – विजयनगर और विद्यानगर. हरिहर प्रथम (1336-1353) हरिहर ने 18 अप्रैल, 1336 ई. को हिंदू … Read More
धोलावीरा – सिन्धु सभ्यता का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थल
सिन्धु घाटी सभ्यता के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्थल धोलावीरा (dholavira) से अब तक उम्मीद से अधिक संख्या में अवशेष मिले हैं. यह स्थल गुजरात के कच्छ जिले के मचाऊ तालुका में मासर एवं मानहर नदियों के मध्य अवस्थित है. यह सिन्धु सभ्यता का एक प्राचीन और विशाल नगर था, जिसके दीर्घकाल तक स्थायित्व के प्रमाण मिले हैं. आइए जानते हैं धोलावीरा से … Read More
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य – सैनिक उपलब्धियाँ तथा तत्कालीन भारत
आज हम चन्द्रगुप्त द्वितीय यानी विक्रमादित्य (375-415 ई.) के विषय में पढेंगे. विक्रमादित्य के परिवार, उसके सिहांसन पर बैठने के समय साम्राज्य की अवस्था, उसका वैवाहिक जीवन, शक विजय, शक विजय के परिणाम, शासन प्रबंध, सिक्के, धार्मिक दशा, सामाजिक अवस्था, शासन-प्रबंध आदि के विषय में पढेंगे. नाम और परिवार चंद्रगुप्त द्वितीय को उसके अभिलेखों में भिन्न नामों से पुकारा गया … Read More
शुंग वंश के बारे में जानें – 185 ई.पू. से 75 ई.पू.
अंतिम मौर्य राजा बृहद्रथ को उसी के ब्राहमण सेनापति पुष्यमित्र ने मारकर शुंग वंश (Shunga / Sunga Dynasty) की स्थापना की. बाण ने “हर्ष-चरित” में लिखा है कि अंतिम मौर्य सम्राट् बृहद्रथ के सेनापति पुष्यमित्र ने सेना के एक प्रदर्शन का आयोजन किया और राजा को इस पर्दर्शन को देखने के लिए आमंत्रित किया. उस समय उपयुक्त अवसर समझ कर … Read More
बौद्ध संगीतियाँ (प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ)
आज हम बौद्ध प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ बौद्ध संगीतियों के विषय में पढेंगे और ये जानेंगे कि उन संगीतियों (Buddhist Councils) के समय तत्कालीन शासक, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष कौन थे? ये भी जानेंगे कि ये संगीतियाँ (councils) कहाँ और कब (date) हुईं? [table id=37 /] बौद्ध संगीतियों के प्रमुख कार्य प्रथम संगीति बुद्ध की शिक्षाओं को संकलित कर उन्हें … Read More
कौटिल्य:- सप्तांग सिद्धांत, मंडल सिद्धांत और षाड्गुण्य नीति
कौटिल्य को भारतीय राजनीतिक विचारों का जनक माना जाता है. उनका जन्म चौथी ईसा पूर्व मगध राज्य में हुआ. उनके बचपन का नाम विष्णुगुप्त था तथा उन्हें चाणक्य भी कहा जाता है. उन्होंने विश्व प्रसिद्ध पुस्तक “अर्थशास्त्र” की रचना की. उनकी शिक्षा-दीक्षा तक्षशिला विश्वविद्यालय में हुई बाद में वे वहीं अध्यापक भी थे. एक बार नन्द राजा द्वारा आयोजित ब्राह्मण … Read More
चोल साम्राज्य और इस वंश के शासक – The Chola Empire
आज हम चोल साम्राज्य के विषय में पढेंगे. जानेंगे इस वंश का उदय और पतन कैसे हुआ, इस वंश के राजा कौन थे. इस पोस्ट को आगे भी update किया जाएगा जिसमें हम Chola’s government (केन्द्रीय शासन), न्याय प्रणाली, आय-व्यय के साधन, कला और संस्कृति के विषय में भी जानेंगे. चलिए जानते हैं Chola Empire के सभी details in Hindi. … Read More