1. संविधान के अनुच्छेद 15-16 में पिछड़े वर्गों के लिए विशेष सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाएँ की गयी हैं.
2. कुछ वर्गों के लिए विशेष प्रावधानों का उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 46 में स्पष्ट किया गया है – “राज्य जनता के दुर्बलतम अंगों के, विशेषतया अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के, शिक्षा तथा अर्थ सम्बंधित हितों की रक्षा करेगा और सामाजिक अन्याय तथा सभी प्रकार के शोषण से उनकी रक्षा करेगा.“
3. अनुसूचित जाति तथा जनजाति के अतिरिक्त समाज में “अन्य पिछड़े वर्ग (Other Backward Classes)” के अंतर्गत अनेक ऐसी जातियाँ हैं जिनके पिछड़ेपन को दूर करने के लिए उन्हें आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में विशेष सुविधाएँ दी जानी चाहियें.
4. पिछड़े वर्गों की दशा में सुधार तथा उनकी कठिनाइयों में कमी हेतु राष्ट्रपति ने अब तक दो आयोग स्थापित किये हैं – काका कालेलकर और मंडल आयोग.
5. काका कालेलकर आयोग का गठन 1950 में हुआ था. 1955 में दी गयी इस आयोग की सिफारिश में “सामाजिक तथा शैक्षणिक मानदंड” को स्पष्टतया परिभाषित नहीं किया गया था. अतः उस पर विवाद हो जाने के कारण आरक्षण की सिफारिश को कार्यान्वित नहीं किया जा सका.
6. पिछड़े वर्ग के आरक्षण के सन्दर्भ में मंडल आयोग नामक दूसरा आयोग 1978 में बी.पी. मंडल की अध्यक्षता में गठित हुआ और 1990 में वी.पी. सिंह सरकार ने इसके आधार पर भारत सरकार की सेवाओं और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में पिछड़े हुए वर्गों को 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की.
7. 2006 में 93वें संविधान संशोधन द्वारा निजी एवं बिना सरकारी अनुदान प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश में सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी.
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