अनुसूचित जाति उप-योजना एक अम्ब्रेला रणनीति है जिसका उद्देश्य अनुसूचित जातियों को लाभान्वित करने के लिए विकास के सभी क्षेत्रों से वित्तीय एवं भौतिक लाभों के प्रवाह को सुनिश्चित करना है. इस रणनीति के तहत, राज्यों/केंद्र-शाषित प्रदेशों द्वारा अनुसूचित जातियों के लिए संसाधनों के निर्धारण के माध्यम से वार्षिक योजनाओं के अंतर्गत विशेष घटक योजना (SCP) का निर्माण एवं कार्यान्वयन करना आवश्यक है. वर्तमान में अनुसूचित जाति की पर्याप्त जनसंख्या वाले 27 राज्य/केंद्र-शाषित प्रदेश अनुसूचित जाति उप-योजना का कार्यान्वयन कर रहे हैं.
भूमिका
1972 में, सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए एक व्यापक नीति का निर्माण किया गया था. इस नीति के तहत 1976 में (5वीं पंचवर्षीय योजना), जनजातीय उप-योजना (Tribal Sub Plan – TSP) का सुझाव दिया गया था.
योजना आयोग (अब नीति आयोग) द्वारा केंद्र शासित प्रदेशों और मंत्रालयों को समय-समय पर TSP के निर्माण और कार्यान्वयन पर दिशा-निर्देश जारी किये जाते हैं. TSP के कार्यान्वयन के लिए 2014 में नवीनतम संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए गए.
जनजातीय उप-योजना (TSP)
- यह राज्य/केंद्र शाषित प्रदेश की वार्षिक योजना का अंग है तथा TSP के अंतर्गत प्रदत्त कोष प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की अनुसूचित जनजातीय जनसंख्या के अनुपात में होना चाहिए.
- TSP कोष में अनुच्छेद 275 (i) के अंतर्गत भारत की संचित निधि से राशि आवंटित की जाती है.
- यह एक केन्द्रीय क्षेत्र की योजना है जिसके अंतर्गत राज्यों को 100% वित्तीय सहायता जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाती है.
- इसका उद्देश्य अनुसूचित जनजातियों की शोषण से सुरक्षा सहित सामाजिक-आर्थिक विकास संकेतकों के संदर्भ में, उनके व जनसामान्य के बीच के अंतर को समाप्त करना है.
- यह राज्य/केंद्र शाषित प्रदेशों की समग्र योजना से उत्पन्न होने वाले लाभ के अतिरिक्त भी लाभ प्रदान करता है. परन्तु यह 60% से अधिक जनजातीय जनसंख्या वाले राज्यों पर लागू नहीं होता है.
Tribal Sub Plan के उद्देश्य
- जनजातीय समुदाय की शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में वृद्धि करके मानव संसाधन विकास करना.
- जनजातीय क्षेत्रों में आवास सहित आधारभूत सुविधाएँ प्रदान कर जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि करना.
- गरीबी और बेरोजगारी में पर्याप्त रूप से कमी लाना, उत्पादक परिसम्पत्तियों का सृजन और आय अर्जित करने के लिए अवसर प्रदान करना.
- अवसरों का लाभ उठाने की क्षमता में, अधिकारों एवं सरकार समर्थित अनुदानों की प्राप्ति तथा अन्य क्षेत्रों के समान बेहतर सुविधाओं में वृद्धि करना.
- शोषण और उत्पीड़न के विरुद्ध संरक्षण.
हाल ही में, लोक लेखा समिति (PAC) ने जनजातीय उप-योजना से सम्बंधित अपनी रिपोर्ट सौंपी.
रिपोर्ट की अनुसंशाएँ
- वित्तीय प्रबंधन :- धन के उचित उपयोग एवं निगरानी के लिए, इसका अलग-अलग शीर्षों (head of account) में पृथक्करण नहीं किया गया है. इस प्रकार, निधियों को जारी करने के लिए प्रत्येक स्तर पर अलग-अलग शीर्ष में निधियों के निर्धारण को अनिवार्य किया जाना चाहिए. इसके साथ ही पर्यवेक्षण, निधि के उपयोग और योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी हेतु सक्रिय दृष्टिकोण भी अपनाना चाहिए.
- TSP fund के लिए non-lapsable पूल :- वर्तमान में, वित्तीय वर्ष के अंत में फंड को ऐसे अव्यपगत पूल में स्थानांतरित किये जाने का प्रावधान नहीं है, जिसे बाद में उपयोग में लाया जा सके. इसके समाधान के लिए, समिति ने TPS fund के लिए एक अव्यपगत पूल (non-lapsable pool) बनाने की सिफारिश की है.
- निरीक्षण हेतु केन्द्रीय नोडल इकाई :- जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा निरीक्षण के लिए प्रक्रिया को वर्णित करने वाले दिशा-निर्देश जारी नहीं किये गये हैं. इसके अतिरिक्त, आदिवासी-बहुल राज्यों के साथ गैर-आदिवासी जनसंख्या वाले राज्यों को भी धन जारी किया गया था. यह TSP के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है. इसलिए, निरीक्षण के लिए एक केन्द्रीय नोडल इकाई का गठन किया जाना चाहिए, जो ऑनलाइन निगरानी प्रणाली के माध्यम से TSP के बेहतर समन्वय और कुशल कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करेगी.
- नियोजन प्रक्रिया में स्थानीय समुदाय की भागीदारी :- CAG ऑडिट रिपोर्ट (2015) द्वारा स्पष्ट किया गया था कि TSP के अंतर्गत निर्धारित विशिष्ट विचार-विमर्श किये बिना आदिवासी लाभार्थियों से सम्बंधित योजनाएँ तैयार की जा रही थीं. TSP के तहत किसी भी कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए योजना को अंतिम रूप देने से पूर्व, स्थानीय आदिवासी समुदाय के विचारों/सुझावों पर विचार किया जाना चाहिए.
- भ्रष्ट अधिकारियों को दंडित करना :- भ्रष्ट अधिकारियों पर दंड आरोपित करना चाहिए और अनुपालन न करने वाले राज्यों या जिलों को भी दण्डित करना चाहिए.
अनुसूचित जनजाति
अनुच्छेद 366(25) में अनुसूचित जनजातियों को ऐसी जनजातियों या जनजातीय समुदाय अथवा ऐसी जनजातीय समुदायों के भाग अथवा उनके अन्दर के समूहों के रूप में परिभाषित किया गया है, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियाँ समझा जाता है.
अनुच्छेद 342 – राष्ट्रपति किसी राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्र के राज्यपाल से परामर्श करने के बाद, जनजातियों या जनजातीय समुदायों या उसके समूहों को अनुसूचित जनजातियों के रूप में अधिसूचित कर सकता है था उन्हें इस संविधान के प्रयोजनों हेतु, उस राज्य अथवा संघ राज्य क्षेत्र के सम्बन्ध में अनुसूचित जनजाति माना जाएगा.
जनजातियों से सम्बंधित अन्य कार्यक्रम/योजनाएँ
- जनजातीय क्षेत्रों में व्यवसायिक प्रशिक्षण.
- निम्न साक्षरता वाले जिलों में अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के मध्य शिक्षा का सुदृढ़ीकरण.
- जनजातीय उत्पादों के लिए बाजार का विकास.
- भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (TRIFED – जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अधीन).
- लघु वन उत्पाद के लिए राज्य जनजातीय विकास सहकारी निगम.
- विशेष रूप से सुभेद्य जनजातीय समूहों (PVTGs) का विकास.
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम.
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