हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी है कि संयुक्त राष्ट्र संघ भारतीय संविधान की धारा 12 के अंतर्गत एक राज्य नहीं है और इसलिए वह संविधान की धारा 226 के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है.
पृष्ठभूमि
संयुक्त राष्ट्र संघ के एक कर्मचारी को अमेरिका के संघीय न्यायालय ने कदाचार का दोषी पाया था और उसे 97 महीनों के कारागार एवं दो वर्षों की अनिवार्य परिवीक्षा का दंड दिया था. उसे मई 2014 में मुक्त करते हुए भारत भेज दिया गया था. उस कर्मचारी के अनुसार उसके मामले में उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी. इसी आधार पर उसने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी.
याचिकाकर्ता ने नवम्बर 2018 में विदेश मंत्रालय को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि उसे सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अनुभाग 86 के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रति कानूनी कार्रवाई आरम्भ करने की अनुमति दी जाए. विदित हो कि इस अनुभाग में यह प्रावधान है कि यदि केन्द्रीय सरकार अनुमति दे तो किसी भी न्यायालय में एक विदेशी देश के विरुद्ध मुकद्दमा चलाया जा सकता है.
संयुक्त राष्ट्र संघ को उपलब्ध सुरक्षा
संयुक्त राष्ट्र संघ एक विदेशी देश नहीं है, अपितु यह मात्र एक आंतरिक संगठन है. इसलिए इसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई आरम्भ करने के लिए भारत सरकार की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती है.
संयुक्त राष्ट्र संघ एवं इसके कर्मचारियों को संयुक्त राष्ट्र (विशेषाधिकार एवं सुरक्षा अधिनियम, 1947) के अधीन सुरक्षा प्राप्त है. उस अधिनियम की अनुसूची के अंतर्गत धारा II के अनुभाग 2 के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ पर किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है. उस पर कानूनी कार्रवाई उसी मामले में हो सकती है जिसके बारे में उसने स्वयं अपनी सुरक्षा स्पष्ट रूप से हटा ली हो. संयुक्त राष्ट्र को प्राप्त यह सुरक्षा सर्वव्यापक है.
संयुक्त राष्ट्र संघ क्या है?
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुई याल्टा बैठक (Yalta Conference) के निर्णय के अनुसार 25 अप्रैल से 26 जून 1945 तक सैन फ्रांसिस्को में संयुक्त राष्ट्रों (allied countries) का सम्मलेन आयोजित हुआ.
सम्मलेन ने जर्मनी के आत्मसमर्पण से पहले से ही संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र पर विचार करना शुरू कर दिया था. जापान के आत्मसमर्पण के पहले 26 जून को 51 देशों ने, जिसमें भारत भी शामिल था, एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये. यह घोषणा पत्र 24 अक्टूबर 1945 से प्रभावी हो गया. इस घोषणा पत्र में संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य तथा गठन की परिभाषा दी गई है. संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations – UN) के निर्माण का उद्देश्य विश्व में विद्यमान संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान करना था.
विश्व राजनीति का सञ्चालन बल और हिंसा को परे रखकर सहयोग और सह-अस्तित्व के आधार पर होना चाहिए, ऐसा घोषणा पत्र में उल्लिखित है. यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए अपरिहार्य है और यह बहुपक्षवाद का आधार है. यह मानव के निम्नतर विकास से उच्चतर विकास का द्योतक है. मानव के इस उच्चतर विकास में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, स्वतंत्रता समानता और मानवाधिकार जैसे मूल्य प्रमुख हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ का मूल आधार अंतर्राष्ट्रीय विधि पर टिका है जिसके अनुसार सभी राज्य समान सम्प्रभुता संपन्न हैं.
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