पिछले दिनों राज्य सभा ने अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक, 2019 (Banning of Unregulated Deposit Schemes Bill, 2019) को पारित कर दिया.
अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक के मुख्य तत्त्व
- यह विधेयक जमा लेने वालों पर किसी अनियमित जमा योजना को बढ़ावा देने, संचालित करने, विज्ञापन निकालने या जमा स्वीकार करने पर प्रतिबंध लगाता है. यह प्रतिबंध इस प्रकार का जमा लेने की गतिविधि को भूतलक्षी प्रभाव से अपराध घोषित करता है अर्थात् अधिनियम के बनने के पहले से चल रही योजनाएँ भी प्रतिबंध कर दी जाएँगी.
- अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक में जमा योजनाओं से सम्बंधित अपराधों को तीन वर्गों में बाँटा गया है – i) अनियमित जमा योजनाओं का संचालन ii) नियमित जमा योजनाओं में जालसाजी iii) अनियमित जमा योजनाओं के लिए गलत ढंग से प्रेरित करना.
- विधेयक में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए कठोर दंड और भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
- विधेयक में अवैध रूप से लिए गये जमा की राशि को वापस लेने के लिए भी प्रावधान किये गये हैं. इनके तहत सक्षम प्राधिकारी संपत्तियों को जब्त कर के उनका निष्पादन कर पैसा उगाह सकता है जिससे कि जमाकर्ताओं को पैसा वापस मिल सके. इस पूरी प्रक्रिया के लिए स्पष्ट रूप से समय-सीमाएँ तय कर दी गई हैं.
- प्रस्तावित अधिनियम में एक केन्द्रीय ऑनलाइन डाटाबेस बनाने की भी बात कही गई है. यह डेटाबेस देश-भर में जमा लेने से सम्बंधित चल रही गतिविधियों के बारे में सूचनाओं का संग्रह करेगा और उसे साझा करेगा.
“जमा लेने वाले” और “जमा” की परिभाषा
- विधेयक के अनुसार, “जमा लेने वालों” में कानून के द्वारा निगमित विशेष प्रतिष्ठानों को छोड़कर अन्य वैसे सभी प्रतिस्ठान (व्यक्तियों सहित) आते हैं जो जमा मांगते हैं अथवा प्राप्त करते हैं.
- विधेयक में “जमा” उस राशि को कहा गया है जो जनसाधारण किसी प्रतिष्ठान में जमा करते हैं. इसमें स्पष्ट किया गया है कि कुछ प्रतिष्ठान सार्वजनिक जमा को रसीद के रूप में दिखाते हैं, परन्तु विधेयक के अनुसार, उसे भी जमा मानते हुए आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.
माहात्म्य और प्रभाव
- वर्तमान में ऐसे कई प्रतिष्ठान देश में चल रहे हैं जो नियामक व्यवस्था में त्रुटि तथा कठोर प्रशासनिक उपायों के अभाव के कारण जनसाधारण को ठगते हैं और उनकी भारी कमाई को डुबो देते हैं. इस समस्या के समाधान के लिए अनियमित जमा योजना प्रतिबंध विधेयक में कई प्रावधान किये गये हैं जो अत्यन्त कारगर सिद्ध होंगे तथा तत्काल रूप से अवैध जमा लेने की गतिविधियाँ रुक जाएँगी.
- प्रस्तावित अधिनियम में दंड देने और जमा हो चुकी राशि को वसूलने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गये हैं जो अंततः जनसाधारण को प्रवंचित होने से बचा सकेगी.
पृष्ठभूमि
फरवरी 2019 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भोले-भाले निवेशकों को पोंजी योजनाओं से बचाने के लिए अनियमित जमा योजनाओं को प्रतिबंधित करने के विषय में एक अध्यादेश की मंजूरी दे दी थी. लोकसभा में बजट सत्र के आखिरी दिन ध्वनिमत से इस विधेयक को पारित कर दिया गया था. लेकिन यह राज्य सभा में पारित नहीं कराया जा सका.
आगे की राह
अनियमित जमा योजना से सम्बंधित विधेयक के लाभ प्रस्तावित अध्यादेश से देश में लालची संचालकों द्वारा अवैध रूप से धनराशि जमा कराने से जुड़ी त्रासदी से जल्द से जल्द निपटा जा सकेगा. अभी तक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को आम जनता से विभिन्न जमा योजनाओं के अंतर्गत पैसा जुटाने की सारी गतिविधियां केन्द्र और राज्य सरकारों की ओर से बनाए गए विभिन्न कानूनों के तहत करने की अनुमति मिली हुई है जिनमें कोई एकरूपता नहीं है. इसका लाभ फरेबी पोंजी कंपनियाँ लोगों को उनके जमा पर ज्यादा ब्याज देने का लालच देकर ठग रही हैं. ऐसे में नए इस नए विधेयक के माध्यम से ऐसी कंपनियों पर प्रतिबंध की प्रभावी व्यवस्था की गयी है. इसके जरिए ऐसी योजना पर तुरंत रोक लगाने और इसके लिए आपराधिक दंड का प्रावधान किया गया है. इसमें जमाकर्ताओं के लिए फरेबी कंपनियों की परिसंपत्तियां कुड़की कर जमाकर्ताओं को उनका पैसा तुरंत वापस दिलाने की व्यवस्था भी है. ऐसे संचालक फिलहाल नियामक संबंधी कमियों तथा सख्त प्रशासनिक उपायों के अभाव का फायदा लेते हुए गरीब और सीधे-साधे लोगों की कड़ी मेहनत से अर्जित धनराशि की ठगी कर लेते हैं. कुल मिलाकर, अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने तथा अवैध तरीके से जमाराशि जुटाने के मामले में दंड तथा धन वापसी के लिए पर्याप्त प्रावधान होने से पीड़ित लोगों को राहत मिलेगी.
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