कल हमने चर्चा की कि UPSC शायद …याद रखियेगा “शायद” जल्द ही कुछ बदलाव लाये. CSAT को हटाने की सिफारिश UPSC की तरफ से कार्मिक विभाग को की गई है. अब यदि कार्मिक विभाग UPSC के इस प्रस्ताव को मान ले तो यह बदलाव अगली परीक्षा 2020 से लागू हो जाएगा. यदि आपने हमारा इससे सम्बंधित पोस्ट नहीं पढ़ा है तो इस लिंक पर जाकर पढ़ लें > UPSC CSAT Paper Removal
कल मैं कहना भूल गया था कि UPSC ने एक और माँग कार्मिक विभाग के सामने रखी है और वह यह है कि जो छात्र प्रारम्भिक परीक्षा का फॉर्म भर के परीक्षा में नहीं बैठते हैं, उनके प्रयास/attempt को भी count किया जाए.
Attempt को लेकर UPSC बदलाव करने की क्यों सोच रहा है?
दरअसल ऐसा अक्सर देखा गया है कि लाखों छात्र फॉर्म भर देते हैं और जब परीक्षा की घड़ी आती है तो यह कहकर कि वे पूरी तरह से परीक्षा के लिए तैयार नहीं है, परीक्षा देने जाते ही नहीं. ऐसे में लाखों प्रतिवेदनों को संभालना और डाटा एकत्रित करना UPSC के लिए कठिन हो जाता है और हमारा इन सब चीजों में समय भी बर्बाद होता है. आँकड़ो की बात की जाए तो फॉर्म भरने वाले कुल छात्रों में से प्रतिवर्ष लगभग आधे छात्र ही परीक्षा में सम्मिलित होते हैं.
जैसे 2016 की UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए पंजीकृत उम्मीदवारों की संख्या लगभग 11.36 लाख थी. परन्तु प्रारंभिक परीक्षा में लगभग 5 लाख उम्मीदवार ही उपस्थित हुए थे. हर साल यही देखा जाता है कि कुल आवेदन देने वाले उम्मीदवारों में से लगभग 50% छात्र सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में दिखाई देते हैं. इनमें से केवल 4-5% ही प्रीलिम्स परीक्षा में सफल होते हैं और मुख्य परीक्षा में उपस्थित होते हैं. लगभग 10% छात्र मेन्स में क्वालिफाई करते हैं और इंटरव्यू के लिए बुलाये जाते हैं जो दिल्ली में आयोजित किया जाता है. साक्षात्कार बोर्ड का सामना करने वाले उम्मीदवारों में से मात्र 40% अंत में सफल हो कर समाचार पत्रों में सुर्खियाँ बटोरते हैं.
अभी क्या होता है?
अभी आपका प्रयास (attempt) तभी गिना (count) जाता है जब आप प्रारम्भिक परीक्षा के किसी एक पेपर में भी उपस्थिति दर्ज करा लेते हो. यानी यदि आप CSAT पेपर देकर घर चले जाते हो यह सोचकर कि मेरा CSAT ठीक नहीं गया इसलिए दूसरा पेपर नहीं दूंगा तो मेरा प्रयास काउंट नहीं होगा…तो आप गलत हो. आपका प्रयास काउंट कर लिया जाता है. मात्र फॉर्म भरने पर आज की तिथि में प्रयास को नहीं गिना जाता है.
ऐसे निर्णय से क्या हो सकता है?
एक तो छात्र का जो फंडा होता है कि “just for experience” परीक्षा देना चाहता हूँ….वह ख़त्म होगा. छात्र प्रथम प्रयास से ही मेहनत शुरू कर देंगे. कभी-कभी IAS टॉपर का आप इंटरव्यू सुनोगे तो आपको पता लगेगा कि उन्होंने भी 1-2 प्रयास ऐसे ही दे दिए थे. तीसरे प्रयास में जाकर वह सीरियस हुए थे. अब शायद इस बदलाव के बाद ऐसा संभव नहीं हो पायेगा.
जो सामान्य वर्ग के छात्र हैं उनको थोड़ा सोच-समझकर ही attempt देना होगा क्योंकि उनके पास मात्र 6 प्रयास हैं. अब पता नहीं SC/ST वर्ग के छात्रों के लिए UPSC क्या निर्णय लेगी क्योंकि आज की तिथि में उन्हें 37 साल की उम्र तक असीमित प्रयास देने दिया जाता है. क्या यही पैटर्न जारी रहेगा यह देखने लायक बात होगी.
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