USTR takes India off developing country list
संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (United States Trade Representative – USTR) कार्यालय ने एक सूचना प्रकाशित की है जिसमें उन सूचियों में संशोधन किया गया है जिनमें वैसे विकासशील एवं कम विकसित देशों के नाम हैं जो काउंटरवेलिंग ड्यूटीज (countervailing duties – CVDs) से सम्बंधित जाँच-पड़ताल के सन्दर्भ में बेहतर व्यवहार के लिए योग्य माने जाते हैं.
इन नई सूचियों में 36 विकासशील देशों और 44 कम विकसित देशों के नाम हैं.
भारत के लिए चिंता का कारण
- फ़रवरी 10, 2020 तक भारत विकासशील देशों की सूची में था और इसलिए वह अधिक शिथिल मानकों के लिए अर्हता रखता था. अब भारत को इस सूची हटा दिया गया है.
- इस प्रकार वह ऐसे देशों की श्रेणी में आ गया है जिन्हें CVD जाँच-पड़ताल के विरुद्ध निम्न-स्तर की सुरक्षा उपलब्ध होती है.
- इस कदम से अमेरिका को भारत से आने वाली वस्तुओं पर CVD लगाना सरल हो जाएगा.
- अमेरिका से भारत व्यापार वार्ता करने जा रहा है जिसमें वह चेष्टा करने वाला था कि उसे सामान्यीकृत प्राथमिकता प्रणाली (Generalised System of Preference – GSP) के तहत विशेष लाभ उपलब्ध हो. परन्तु ये लाभ मात्र उन्हीं देशों को मिलता है जो विकासशील हैं.
वर्गीकरण का आधार
अमेरिकी कानून को विश्व व्यापार संगठन (WTO) तथा सब्सिडी एंड काउंटरवेलिंग मेजर्स (Subsidies and Countervailing Measures – SCM) समझौते से तालमेल बैठाने के लिए USTR ने 1998 में विकास के स्तर के अनुसार देशों को वर्गीकृत करते हुए सूचियाँ निकाली थीं.
- इन सूचियों का उपयोग यह निश्चय करने के लिए किया जाता है कि कोई देश अमेरिका द्वारा काउंटरवेलिंग ड्यूटीज लगाये जाने योग्य है अथवा नहीं.
- विकासशील और कम विकसित देशों के लिए उपेक्षणीय मानक (de minimis) तथा आयात मात्रा छूट (import volume allowance) अपेक्षाकृत शिथिल हैं.
- उपेक्षणीय मानक उस सब्सिडी को कहते हैं जो मूल्य के अनुसार 1% अथवा कम होती है और कभी-कभी विशेष मामलों में 2% तक जाती है.
- USTR की नई सूचना के अनुसार, अब 1998 का नियम समाप्त हो चुका है.
उपेक्षणीय आयात मात्रा (negligible import volumes) किसको कहते हैं?
- यदि किसी देश से अमेरिका में आने वाली वस्तुओं की मात्रा अमेरिका के अन्दर आने वाले समूर्ण आयात का 3% से कम होता है तो अमेरिका इसे उपेक्षणीय आयात मात्रा कहता है. विशेष मामलों में यह प्रतिशत 4% होता है.
- यदि अलग-अलग आयात मात्राएँ 3% (विशेष मामले में 4%) से कम होती हैं परन्तु आयात की सम्पूर्ण मात्रा 7% होती है तो ऐसे देश के आयात को उपेक्षणीय आयात मात्रा वाले देश के अन्दर रखा जाता है.
De Minimis मानक के लिए निर्धारित मापदंड
कोई देश 2% de minimis मानक के लिए अर्हता रखता है यह निश्चय करने के लिए USTR निम्नलिखित मापदंड अपनाता है –
- प्रति व्यक्ति कुल राष्ट्रीय आय अथवा GNI
- विश्व व्यापार में हिस्सा
- कुछ अन्य कारक, जैसे – OECD की सदस्यता अथवा OECD की सदस्यता के लिए आवेदन अथवा यूरोपीय संघ की सदस्यता तथा G20 की सदस्यता.
सूची से भारत को क्यों निकला गया?
केवल भारत ही नहीं कुछ अन्य देश भी विकसित देशों की सूची से बाहर हो गये हैं, जैसे – ब्राजील, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम. ऐसा इसलिए किया गया कि इन सब देशों का वैश्विक व्यापार में कम से कम 0.5% है जबकि उच्च आय वाले देशों को अन्य देशों से अलग करने वाली विश्व बैंक थ्रेसहोल्ड अर्थात् $12,357 GNI से कम है.
भारत को इस सूची से इसलिए निकाला गया क्योंकि यह G20 के अन्दर आता है जिसमें आने वाले अन्य देश अर्जेंटीना, ब्राजील, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका हैं. G20 का विश्व-भर में बड़ा आर्थिक महत्त्व है.
G20 के सदस्यों का सामूहिक आर्थिक भार बहुत उल्लेखनीय है क्योंकि विश्व-भर के आर्थिक उत्पादन और वाणिज्य का एक बहुत बड़ा भाग G20 के देशों के पास है. कहने का तात्पर्य यह है कि G20 की सदस्यता ही दर्शा देती है कि इसमें शामिल सभी देश विकसित देश ही हैं.