वेदाध्ययन में सहायक – ग्रन्थों को वेदांग कहते हैं. कई बार UPSC परीक्षा के Prelims Exam में match of the following में इस topic पर सवाल आ जाते हैं. इसलिए वेदांगों के प्रकार को जान लेना हमारे लिए जरुरी है. आइये जानते हैं Vedanga के प्रकार और उनका संक्षिप्त परिचय (brief info about Vedanga in Hindi).
वेदांग के प्रकार
ये छह हैं –
- शिक्षा
- कल्प
- व्याकरण
- निरुक्त
- छंदस्
- ज्योतिष
शिक्षा
इस Vedanga में वेड के शुद्धपाठ के नियम सम्मिलित हैं. “शिक्षा” वेदांग को हम ध्वनियों के शुद्ध उच्चारण की शिक्षा का प्राचीनतम शास्त्र कह सकते हैं. “ऋक्प्रातिशाख्य” आदि अनेक प्रातिशाख्य-ग्रन्थ और “पाणिनीयशिक्षा” आदि अनेक शिक्षा-ग्रन्थ और शिक्षा-वेदांग में परिगणित होते हैं.
कल्प
Kalpa Vedanga का सम्बन्ध वैदिक यज्ञों के विधि-विधान से है. कौन-सा यज्ञ कैसे किया जाए, इसी का नाम कल्प है. कल्प नाम के वेदांग में चार प्रकार के ग्रन्थ हैं, जो सूत्रशैली में रचित के कारण “कल्पसूत्र” नाम से प्रसिद्ध हैं. कल्पसूत्र के चार प्रकार हैं –
- श्रोतसूत्र, जिनमें “श्रुति” अर्थात् कहे गए बड़े-बड़े यज्ञों की विधियाँ मिलती हैं.
- गृह्यसूत्र, जिनमें गृह अर्थात् घरों में होने वाले यज्ञों की विधियाँ मिलती हैं.
- धर्मसूत्र, जिनमें व्यक्ति और समाक के आधार-व्यवहार के नियम मिलते हैं.
- शुल्वसूत्र, जिनमें यज्ञ की वेदी बनाने की विधि और नाम दी गयी है.
व्याकरण
Vyakarana Vedanga में वेदों में आये शब्दों और पदों की व्युत्पत्ति दी गई है और अनेक शुद्ध रूप को स्पष्ट किया गया है. इस वेदांग का प्रमुख ग्रन्थ “पाणिनि” की “अष्टाध्यायी” है.
निरुक्त
Nirukta Vedanga में वेड में आये कुछ कठिन पदों (शब्दों) का निर्वाचन किया गया है, जो वेद का अर्थज्ञान कराने में सहायक हैं. “यास्क का निरुक्त” इस वेदांग का एकमात्र प्रतिनिधि ग्रन्थ है.
छन्दस्
Chanda Vedanga में वैदिक ऋचाओं में प्रयुक्त गायत्री, अनुष्टप् और जगती आदि छंदों का विवेचन किया गया है.
ज्योतिष
Jyotish Vedanga में यज्ञादि, वेदविहित कार्यों को करने के लिए उचित समय, मुहूर्त आदि का विचार किया गया है.
ये भी पढ़ें>>
वेदों के विषय में संक्षिप्त विवरण