मुहम्मद तुगलक के शासनकाल (1324-1351 ई.) के अंतिम समय में (उसकी गलत नीतियों के कारण) जब अधिकाँश स्थानों पर अव्यवस्था फैली और अनेक प्रदेशों के शासकों ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया तो दक्षिण के हिन्दू भी इससे लाभ उठाने से नहीं चूके. उन्होंने विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagar Empire) की स्थापना सन 1336 ई. में पाँच भाइयों (हरिहर, कंपा प्रथम, बुक्का प्रथम, मारप्पा और मदुप्पा) के परिवार के दो सदस्यों, हरिहर और बुक्का के नेतृत्व में की.
विजयनगर साम्राज्य
अनेक शिलालेखों के अनुसार हरिहर और बुक्का याद परिवार किए किसी चन्द्रवंशी संगम के पुत्र थे. ये दोनों भाई वारंगल राज्य (warangal rajya) के शासक प्रतापरूद्र द्वितीय की सेवा में थे. जब गयासुद्दीन तुगलक ने वारंगल को 1323 ई. में जीत लिया तो वे काम्पलि चले आये. मुहम्मद तुगलक के विरुद्ध उसके चहेरे भाई बहाउद्दीन गुर्शप ने 1325 ई. में कर्नाटक में सागर नामक स्थान पर विद्रोह कर दिया और सुलतान ने स्वयं जाकर उसके विद्रोह को दबाया. उसने (बहाउद्दीन गुर्शप) कर्नाटक में स्थित काम्पलि को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया. मुहम्मद तुगलक जिन छः अधिकारियों को काम्पलि से बंदी बनाकर दिल्ली ले गया था उनमें से ये दोनों भाई थे संभवतः उन्होंने इस्लाम स्वीकार कर लिया (या जबरदस्ती स्वीकार करा लिया गया) और वे सुलतान के कृपा पात्र बन गए. मुहम्मद तुगलक के विरुद्ध 1327-28 ई. में दक्षिण राज्यों में विद्रोह की एक शृंखला शुरू (बीदर, दौलताबाद, गुलबर्गा, मुदरा, तेलंगाना आर काम्पलि) हो गई. मुहम्मद तुगलक ने हरिहर और बुक्का को दक्षिण के काम्पलि प्रांत में भेजा ताकि वे विद्रोही हिंदुओं को कुचलकर वहाँ से सूबेदार मालिक मुहम्मद से शासन अपने हाथों में लेले. इन दोनों के दक्षिण जाने के बाद सचमुच वहाँ क्या हुआ, यह मुस्लिम इतिहासकारों और हिन्दू परम्परागत कथाओं के परस्पर विरोधी वर्णनों के कारण बिल्कुल स्पष्ट नहीं है. फिर भी एक बात पर दोनों स्रोत सहमत हैं कि इन दोनों भाइयों ने इस्लाम को शीघ्र ही तिलांजलि दे दी और स्वतंत्र विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की.
उन्होंने अपने पिता विजय के नाम को अमर करने के लिए काम्पलि (आधुनिक कर्नाटक राज्य में) के विद्यारण्य नामक संत के प्रभाव में आकर इस राज्य की नींव रखी थी और मुहम्मद तुगलक से स्वतंत्रता की घोषणा कर दी.
चार राजवंश
इस राज्य में 1336 ई. से लेकर 1565 ई. तक चार राजवंशों – संगम वंश (1336-1485), सालुव वंश/ Saluva dynasty (1485-1505), तुलुव वंश/Tuluva dynasty (1491-1570) और अरविडु वंश/Aravidu dynasty (1542-1646) ने शासन किया. इनमें से प्रथम दो राजवंश (अर्थात् संगम और सालुंव) संयुक्त बहमनी साम्राज्य के समकालीन थे जबकि तृतीय राजवंश (अर्थात् तुलुब) बहमनी राज्य के विघटन के बाद बनी पाँच मुस्लिम रियासतों (बीदर, बरार, बीजापुर, अहमदनगर और गोलकुंडा) का समकालीन था.
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