संयुक्त राष्ट्र दक्षिणी सुडान अभियान (UN Mission in South Sudan – UNMISS) में अपनी सेवा देने वाले 150 शान्तिरक्षकों (peacekeepers) को उनकी समर्पित सेवा भावना और बलिदान के लिए मेडल दिए गये हैं.
संयुक्त राष्ट्र दक्षिणी सुडान अभियान (UNMISS) क्या है?
ज्ञातव्य है कि 9 जुलाई, 2011 को दक्षिणी सुडान विश्व के सबसे नए देश के रूप में अस्तित्व में आया. इसके पहले वहाँ 2005 में व्यापक शान्ति समझौता (Comprehensive Peace Agreement – CPA) हस्ताक्षरित हुआ था और तत्पश्चात् छह वर्षों तक शान्ति प्रक्रिया चालू रही.
परन्तु सुरक्षा परिषद् का मंतव्य था कि दक्षिणी सुडान में जो स्थिति है वह अंतर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा पर एक खतरा बनी हुई है. अतः सुरक्षा परिषद् ने एक संयुक्त राष्ट्र अभियान गठित किया जिससे कि वहाँ शान्ति और सुरक्षा सुदृढ़ हो सके और विकास के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ बन सकें.
दिसम्बर, 2013 में दक्षिणी सुडान में लोगों की सुरक्षा और मानवाधिकार पर खतरा उपस्थित हो गया और मानवीय सहायता मुहैया करने की आवश्यकता आन पड़ी. इसलिए सुरक्षा परिषद् ने UNMISS को फिर से आपसी लड़ाई बंद करने के विषय में किये गये समझौते को कार्यान्वित करने हेतु पुनः सक्रिय कर दिया.
UNMISS के उद्देश्य
- शान्ति को सुदृढ़ करना और इस प्रकार देश के निर्माण और आर्थिक विकास के लिए वातावरण तैयार करना.
- दक्षिणी सुडान गणतंत्र की सरकार को संघर्ष की रोकथाम करने और नागरिकों को सुरक्षा देने की जिम्मेवारी पूरी करने में सहायता देना.
- दक्षिणी गणतंत्र की सरकार को सहायता देकर उसे सुरक्षा देने, विधि व्यवस्था बनाने और न्याय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सक्षम बनाना.
शान्तिरक्षा क्या है?
- जिन देशों में अंदरूनी संघर्ष चल रहा है, वहाँ शान्ति बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षक सैन्य बल भेजा करता है. इस कार्य से बहुधा कई देशों में गृह युद्ध समाप्त हुए हैं और शान्ति स्थापित हुई है.
- शान्तिरक्षक सैन्य बल में कई देशों से सैनिक लिए जाते हैं और उसकी वैधानिक मान्यता होती है.
- संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षक (UN peacekeepers) अशांत देशों को संघर्ष से शान्ति तक पहुँचाने में सहयोग करते हैं.
- वर्तमान में 4 महादेशों में 14 संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षण की कार्रवाई चल रही है.
- शान्तिरक्षक का काम तीन मूलभूत सिद्धांतों से चलता है – सम्बंधित पक्षकारों की सहमति, निष्पक्षता और शक्ति का प्रयोग उसी समय करना जब सैन्य बल की जान पर खतरा हो.