स्टार्ट-अप इंडिया
स्टार्ट-अप इंडिया के अंतर्गत भारत सरकार स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित और पोषित करते हुए उद्यमशीलता को बढ़ावा देती है. इस पहल की शुरुआत जनवरी 2016 में की गई थी. तब से इसके माध्यम से अनेक उभरते हुए उद्यमियों ने अपनी सफल शुरुआत की है. यह कार्यक्रम एक समग्र दृष्टिकोण के साथ चार हफ्ते का मुफ्त और व्यापक ऑनलाइन शिक्षण कार्यक्रम प्रदान करता है. इसके तहत शिक्षाविदों और उद्योग संघों का एक मजबूत नेटवर्क तैयार किया गया है, साथ ही पूरे देश में रिसर्च पार्क, इनक्यूबेटर्स और स्टार्ट-अप सेंटर स्थापित किये हैं.
महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रमों को प्रोत्साहन (STEP)
विशेष रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में जिन महिलाओं को औपचारिक दक्षता प्रशिक्षण सुविधाएँ प्राप्त नहीं हैं, उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने स्टेप कार्यक्रम (Support to Training and Employment Programme) की शुरुआत की है. दक्षता विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय और नीति आयोग ने हाल ही में मौजूदा जरूरतों के मद्देनजर 30 वर्षीय पहल के दिशानिर्देशों का मसौदा दोबारा तैयार किया है. 16 वर्ष से अधिक आयु की सभी भारतीय महिलाएँ इस पहल से लाभान्वित होंगी. यह कार्यक्रम कृषि, बागवानी, खाद्य प्रसंस्करण, हैण्डलूम, परम्परागत कलाओं जैसे कशीदाकारी, यात्रा एवं पर्यटन, मेजबानी, कंप्यूटर और IT सेवाओं जैसे अनेक क्षेत्रों में दक्षताएँ प्रदान करता है.
स्टैंड-अप इंडिया
2015 में इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी. इसका उद्देश्य भारत के वंचित समूहों को संस्थागत ऋण प्रदान करना है, साथ ही महिला उद्यमियों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की आर्थिक भागीदारी बढ़ाना और उन तक भारत के विकास के लाभ पहुँचाना है.
इसके तहत कम से कम एक महिला और अजा या अजजा के एक सदस्य को मैन्यूफैक्चरिंग, सेवा या व्यापार क्षेत्र में ग्रीनफ़ील्ड उद्यम लगाने के लिए 10 लाख से 1 करोड़ रू. तक का ऋण दिया जाता है. स्टैंड-अप इंडिया पोर्टल छोटे उद्यमियों के लिए एक डिजिटल मंच के रूप में कार्य करता है और वित्त पोषण एवं ऋण गारंटी सूचना प्रदान करता है.
व्यापार संबंधी उद्यमिता सहायता और विकास (ट्रीड)
भारत में वंचित महिला समूहों को ऋण प्रदान करने के लिए ट्रीड कार्यक्रम (Trade Related Entrepreneurship Assistance and Development) की शुरुआत की गई. यह कार्यक्रम गैर सरकारी संगठनों (NGOs) के जरिये इच्छुक महिलाओं को ऋण उपलब्ध करता है. महिलाएँ पंजीकृत गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से ऋण प्राप्त कर सकती हैं और प्रस्तावित उद्यमों के लिए परामर्श और प्रशिक्षण भी हासिल कर सकती हैं ताकि उन्हें गैर कृषि कार्यों के लिए मार्गदर्शन प्राप्त हो.
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)
PMKVY दक्षता विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय का एक मुख्य कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को उद्योग आधारित प्रशिक्षण प्रदान करना है ताकि उनके लिए आजीविका सृजन किया जा सके एवं उनकी रोजगारपरकता बढ़ाई जा सके. पूर्ण शिक्षण या दक्षता प्राप्त व्यक्तियों का मूल्यांकन किया जाता है और उनके पूर्व शिक्षण को मान्यता दी जाती है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण और मंत्रालय शुल्क का वहन सरकार द्वारा किया जाता है.
निष्पक्ष सशक्तीकरण और विकास के लिए विज्ञान (सीड)
सीड (Science For Equity Empowerment and Development) का लक्ष्य विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में वैज्ञानिकों और जमीनी स्तर के कर्मचारियों, विशेषतः महिलाओं को सामाजिक-आर्थिक लाभ के लिए कार्योन्मुख, स्थान विशिष्ट परियोजनाओं के लिए अवसर प्रदान करना है. इस सम्बन्ध में प्रयास किये जा रहे हैं कि राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और अन्य विशिष्ट SnT संस्थानों को जमीनी स्तर के नवाचार से जोड़ा जाए ताकि उन्हें भी विशेषज्ञों, उत्तम संरचनाओं के लाभ मिल सकें. सीड विकास में इक्विटी पर जोर देता है, जिससे आबादी के एक विशाल वर्ग, विशेष रूप से वंचितों को प्रौद्योगिकी के लाभ मिल सकें.
महिला उद्यमिता मंच
नीति आयोग ने महिला उद्यमिता मंच की शुरुआत की. इस पहल का उद्देश्य भारत की महिला उद्यमियों के लिए एक ऐसी व्यवस्था तैयार करना है ताकि वे उद्यमशीलता की अपनी संभावनाओं को महसूस करें, नए कार्यक्रमों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकें, और अपने व्यवसायों के स्थायित्व और दीर्घकालीन रणनीतियों का आकलन कर सकें. यह मंच महिला उद्यमियों की संख्या में वृद्धि की आकांक्षा रखता है जो एक गतिशील नए भारत का सृजन करें और उसे सशक्त बनाएँ. ये आकांक्षाएँ उन तीन स्तम्भों में प्रदर्शित होती हैं जिन पर WEP (Women Entrepreneurship Platform) आधारित है –
- इच्छा शक्ति (उभरते हुए उद्यमियों को अपने उद्यम शुरू करने के लिए प्रेरित करना)
- ज्ञान शक्ति (महिला उद्यमियों की उद्यमशीलता को पोषित करने के लिए ज्ञान और इकोसिस्टम प्रदान करना)
- कर्म शक्ति (उद्यमियों को सक्रिय सहयोग प्रदान करना ताकि वे अपने व्यवसाय स्थापित कर सकें और उनका स्तर बरकरार रख सकें)
महिलाओं के लिए मुद्रा योजना
सरकार द्वारा शुरू की गई मुद्रा योजना उन महिलाओं को व्यक्तिगत स्तर पर मदद प्रदान करती है जो छोटे व्यवसाय जैसे ब्यूटी पार्लर, टेलरिंग इकाई, ट्यूशन सेंटर इत्यादि चलाना चाहती हैं. यह योजना महिला समूहों को भी मदद करती है. इस ऋण के लिए किसी प्रकार की जमानत राशि की जरूरत नहीं है और इसके तहत तीन योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है –
- शिशु :- इस ऋण की राशि 50,000 रू. तक सीमित है और प्रारम्भिक चरणों में व्यवसायियों द्वारा इसका लाभ उठाया जा सकता है.
- किशोर :- इसके अंतर्गत ऋण राशि 50,000 और 5 लाख रू. के बीच है और इसका लाभ वही लोग उठा सकते हैं जिनके उद्यमपूर्ण रूप से स्थापित हैं.
- तरुण :- इसकी ऋण राशि 10 लाख रू. है और उन व्यवसाइयों द्वारा इसका लाभ उठाया जा सकता है जो अच्छी तरह से स्थापित हैं लेकिन विस्तार के लिए उन्हें और धन की आवश्यकता है.
निष्कर्ष
महिला उद्यमियों को आर्थिक विकास का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत माना गया है. वे स्वयं और दूसरों के लिए रोजगार का सृजन करती हैं, साथ ही प्रबंधन, संगठन और व्यवसाय से जुड़ी समस्याओं के लिए समाज को समाधान प्रदान करती हैं. फिर भी भारतीय उद्योग क्षेत्र में उन्हें बहुत अधिक प्रतिनिधित्व नहीं मिलता.
महिलाओं की उद्यमशीलता परिवारों और समुदायों के आर्थिक कल्याण, गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तीकरण में योगदान दे सकती है. इस प्रकार वे सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. इसी कारण से विश्व-भर की सरकारें और विभिन्न विकास संगठन अपनी योजनाओं और प्रोत्साहनपरक उपायों के माध्यम से महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं.
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लेखिका का नाम एन.वी. माधुरी है, MA (Sociology), MA (Social Anthropology) PhD (Sociology) and 17 Years of experience in Training, Teaching and Research.