रिपोर्टर्स विदाउट बोर्डरस (RSF) नामक संस्था ने 2019 का विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (World Press Freedom Index 2019) प्रकाशित कर दिया है जिसमें दर्शाया गया है कि पत्रकारों के प्रति शत्रु भाव बढ़ता जा रहा है.
विभिन्न देशों का प्रदर्शन
- लगातार तीसरे वर्ष इस सूचकांक में नॉर्वे का स्थान सबसे ऊपर है और उसके पश्चात् क्रमशः फ़िनलैंड और स्वीडन का स्थान है.
- 180 देशों में मात्र 24% देश अच्छे अथवा ठीक-ठाक की श्रेणी (“good” or “fairly good”) में आये जबकि पिछले वर्ष ऐसे देशों की संख्या 26% थी.
- विश्व-भर में सबसे अधिक गिरावट (3.6%) उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में आई.
- पहले की भाँति मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका पत्रकारों के लिए सबसे कठिन और खतरनाक क्षेत्र रहे.
- जिन देशों में मीडियाकर्मियों को अत्यंत खतरा होता है, उनमें सीरिया (174वाँ) और यमन (168वाँ) के नाम आते हैं.
- एशिया प्रशांत क्षेत्र इस सूचकांक में अंतिम तीसरे स्थान पर है. अफगानिस्तान, भारत और पाकिस्तान में पत्रकारों की हत्या बहुत अधिक हुई.
भारत के सन्दर्भ में टिपण्णी
- भारत का स्थान 2018 में ऐसे सूचकांक में 138वाँ था जो घटकर अब 140वाँ हो गया है.
- सूचकांक से पता चलता है कि भारत में पत्रकारों को पुलिस, माओवादियों, अपराधियों और भ्रष्ट राजनेताओं से खतरा रहता है.
- कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में मीडिया को परेशानी होती है क्योंकि वहाँ विदेशी संवाददाताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है.
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक क्या है?
- यह सूचकांक 2002 से Reporters Without Borders (RSF) द्वारा जारी किया जाता रहा है.
- इस सूचकांक में 180 देशों को शामिल किया जाता है.
- विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक सम्बंधित देश में पत्रकारों को उपलब्ध स्वतंत्रता के आधार पर तैयार किया जाता है.
- इस सूचकांक का उद्देश्य है विभिन्न देशों के बीच प्रेस की स्वतंत्रता के लिए प्रतिस्पर्द्धा उत्पन्न करना है.
- यह सूचकांक जिन आधारों पर मीडिया की स्वतंत्रता का मूल्यांकन करता है, वे हैं – विविधतावाद, मीडिया स्वतंत्रता, कानूनी ढाँचे की गुणवत्ता तथा पत्रकारों की सुरक्षा.
- इस सूचकांक में प्रत्येक क्षेत्र में मीडिया की स्वतंत्रता के हनन का स्तर भी देखा जाता है.
- सूचकांक बनाने के लिए विश्व-भर के विशेषज्ञ 20 भाषाओं में एक प्रश्नावली बनाते हैं. इस प्रश्नावली के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण किया जाता है और पत्रकारों के प्रति हिंसा के मामलों का संख्यात्मक आँकड़ा संगृहीत किया जाता है.
- रैंकिंग को एक दृष्टि में समझने के लिए सूचकांक के साथ एक रंगीन नक्शा भी दिया जाता है जिसमें प्रेस स्वतंत्रता में कमी-बेशी के हिसाब से रंग दिखाए जाते हैं.
- इस रंगीन नक़्शे में विभिन्न देशों को अलग-अलग रंग में दिखाया जाता है जिनका तात्पर्य कुछ इस तरह से है — श्वेत (अच्छी स्थिति), पीला (संतोषजनक स्थिति), नारंगी (समस्याग्रस्त स्थिति), लाल (विकट स्थिति), काला (अत्यंत विकट स्थिति).