दादाभाई नौरोजी एक महान देशभक्त थे. उन्हें भारत का वयोवृद्ध सेनानी (Grand old man of India) कहा जाता है. कांग्रेस की स्थापना के पूर्व भी दादाभाई नौरोजी ने राष्ट्रीय कल्याण की भावना से प्रेरित होकर सरकार के सामने अनेक प्रश्नों को उठाया था. पट्टाभि सीतारमैया ने लिखा है कि “कांग्रेस के आरम्भ से लेकर जीवनपर्यन्त उसकी सेवा करते रहे, उन्होंने … Read More
सुरेन्द्रनाथ बनर्जी – आधुनिक बंगाल के निर्माता
आधुनिक बंगाल के निर्माता सुरेन्द्रनाथ बनर्जी कांग्रेस के संस्थापकों में एक प्रमुख व्यक्ति थे. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने सर्वप्रथम 1869 ई० में भारतीय लोकसेवा (आई० सी० एस०) की परीक्षा पास की थी. ब्रिटिश सरकार परीक्षा में सफल होने के बावजूद उन्हें उच्च पद देना नहीं चाहती थी. प्रिवी काउन्सिल में अपील करने के बाद उन्हें मैजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया … Read More
लॉर्ड लिटन की अफगान-नीति और गंडमक की संधि
आशा है कि आपने लॉर्ड लिटन की आंतरिक नीति (Domestic Policy) वाला पोस्ट पढ़ लिया होगा. नहीं पढ़ा तो यहाँ पढ़ लें > लॉर्ड लिटन. इस पोस्ट में हम लॉर्ड लिटन की अफगान नीति और गंडमक की संधि क्या थी, उस विषय में पढ़ेंगे. लॉर्ड लिटन की अफगान-नीति (Lord Lytton’s Afghan Policy) प्रथम अफगान युद्ध के बाद 1844 ई० में … Read More
लॉर्ड लिटन (1876-80 ई०) की आंतरिक नीतियाँ
अप्रैल, 1876 ई० में लॉर्ड नॉर्थव्रुक के स्थान पर लॉर्ड लिटन को भारत के गवर्नर-जनरल के पद पर नियुक्त किया गया. उस समय लॉर्ड लिटन के समक्ष दो मुख्य कठिनाइयाँ थीं और उन्हीं के कारण भारत में उसका शासन सफल नहीं हो सका. सर्वप्रथम, गवर्नर-जनरल का पद ग्रहण करने के पहले लिटन को भारत की परिस्थितियों को समझने का अवसर … Read More
लॉर्ड रिपन (1880-1884 ई०) की नीतियाँ एवं सुधार
कम्पनी के शासन समाप्त होने के बाद भारत में जितने भी वायसराय आये, उनमें लॉर्ड रिपन का विशिष्ट स्थान है. वह उदार विचारों का था. वह शान्ति, अहस्तक्षेप तथा स्वायत्त शासन के गुणों में विश्वास रखता था और ग्लैडस्टनयुग का सच्चा उदारपंथी थी. लॉर्ड विलियम बेन्टिंक की भाँति उसने राजनीतिक और सामाजिक सुधार करने में अधिक अभिरुचि दिखलाई. यद्यपि अंगरेज … Read More
कैबिनेट मिशन योजना – 16 May, 1946
द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हो गया था और इंगलैंड ने पहले आश्वासन दे रखा था कि युद्ध में विजयी होने के बाद वह भारत को स्वशासन का अधिकार दे देगा. इस युद्ध के फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार की स्थिति स्वयं दयनीय हो गयी थी और अब भारतीय साम्राज्य पर नियंत्रण रखना सरल नहीं रह गया था. बार-बार पुलिस, सेना, कर्मचारी और श्रमिकों … Read More
भारत छोड़ो आन्दोलन – Quit India Movement in Hindi
भारत छोड़ो आन्दोलन – भूमिका भारत के इतिहास में 1942 की अगस्त क्रान्ति (August Revolution) एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है. इस क्रांति का नारा था “अंग्रेजों भारत छोड़ो (Quit India)“ और सचमुच ही एक क्षण तो ऐसा लगने लगा कि अब अंग्रेजों को भारत से जाना ही पड़ेगा. द्वितीय विश्वयुद्ध (Second Word War) में जगह-जगह मित्रराष्ट्रों की पराजय से … Read More
क्रिप्स योजना – Cripps Mission, 30 March 1942 in Hindi
द्वितीय विश्वयुद्ध के प्रथम दो वर्ष ब्रिटिश साम्राज्य के लिए बहुत संकटपूर्ण थे. जर्मनी की निरंतर सफलता और इंग्लैंड पर आक्रमण की आशंका से इंग्लैंड अपनी रक्षा के लिए खुद प्रयत्नशील था. जापानी आक्रमण से भारतीय साम्राज्य पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे थे. इस प्रकार युद्ध की दोहरी मार से ब्रिटिश साम्राज्य की शांति और सुरक्षा खतरे में … Read More
[Quiz] अगस्त प्रस्ताव: भारत छोड़ो आन्दोलन Questions Answers
अगस्त प्रस्ताव इस समय तक युद्ध में जर्मनी की तेजी से विजय हो रही थी. डेनमार्क, नार्वे, हालैंड, फ़्रांस आदि उसके अधिकार में आ गये थे. फ्रांस में अंग्रेजी सेना को मुँह की खानी पड़ी थी और स्वयं ब्रिटेन पर खतरे के बादल मँडरा रहे थे. युद्ध के कारण ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई थी. ऐसी स्थिति … Read More
भारत सरकार अधिनियम – Government of India Act, 1935
ब्रिटिश शासन के द्वारा भारतीय जनता को संतुष्ट करने के लिए सन् 1861, 1892, 1909, 1919 और 1935 में कानून पास किये गए लेकिन ये सुधार भारतीय जनता को कभी संतुष्ट नहीं कर सके. 1935 का भारतीय सरकार/शासन अधिनियम (Government of India Act, 1935) भारतीय संविधान का एक प्रमुख स्रोत रहा है. भारत के वर्तमान संविधान की विषय-सामग्री और भाषा … Read More