विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक स्वास्थ्य से सम्बंधित 13 सबसे बड़ी चुनौतियों की सूची निर्गत की है. ये चुनौतियाँ हैं – जलवायु संकट, संघर्ष और संकट के समय स्वास्थ्य की देखभाल, स्वास्थ्य सुविधा में समानता, औषधियों की उपलब्धता बढ़ाना, संक्रामक रोग, महामारियों के लिए तैयारी, खतरनाक उत्पाद, स्वास्थ्यकर्मियों में निवेश, 10 से 19 वर्ष के बच्चों को सुरक्षित रखना, लोगों का विश्वास अर्जित करना, नई तकनीकों का प्रयोग, सूक्ष्माणुरोधी प्रतिरोध, स्वच्छ जल, सार्वजनिक स्वच्छता एवं व्यक्तिगत स्वच्छता.
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्गत वैश्विक स्वास्थ्य से सम्बंधित 13 सबसे बड़ी चुनौतियों की सूची
जलवायु संकट
जलवायु संकट के कारण मौसम में अतिशय बदलाव आते हैं, कुपोषण बढ़ता है और मलेरिया जैसे संक्रामक रोगों के फैलाव को बढ़ावा मिलता है. वायु को प्रदूषित करने वाले और वैश्विक तापमान में वृद्धि करने वाले उत्सर्जन के कारण हृदयाघात, स्ट्रोक, फेफड़े का कैंसर और दीर्घकालिक स्वास रोग से होने वाली मृत्यु का एक-चौथाई अंश होता है.
संघर्ष और संकट के समय स्वास्थ्य की देखभाल
पिछले वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन को जिन रोगों के लिए सबसे अधिक तत्परता दिखानी पड़ी वे अधिकांशतः उन देशों में हुए जहाँ लम्बे समय से संघर्ष चला आ रहा है. ऐसे देशों में स्वास्थ्यकर्मियों और स्वास्थ्य केन्द्रों को निशाना बनाने की प्रवृत्ति देखी जाती है. संघर्ष के कारण अनेक लोग अपना घर-बार छोड़कर निकल जाते हैं और ऐसी जगहों पर रहने को विवश होते हैं जहाँ वर्षों तक स्वास्थ्य की देखभाल की कोई सुविधा नहीं मिलती है.
स्वास्थ्य सुविधा में समानता
सामाजिक-आर्थिक विषमता के कारण लोगों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता में भी विषमता देखी जाती है. सच्चाई यह है कि गरीब देशों की तुलना में अमीर देशों में रहने वालों के जीवन प्रत्याशा में 18 वर्ष का अंतर होता है. यहाँ तक कि किसी देश के अन्दर अलग-अलग नगरों में भी इस प्रकार का अंतर देखा जाता है.
औषधियों की उपलब्धता बढ़ाना
संसार-भर के एक-तिहाई लोगों के पास औषधियाँ, टीके, निदान की सुविधा और अन्य आवश्यक स्वास्थ्य उत्पाद उपलब्ध नहीं होते. इससे उनका स्वास्थ्य एवं जीवन संकटग्रस्त तो है ही, औषधि प्रतिरोध भी बढ़ता है.
संक्रामक रोग
अनुमान है कि 2020 में 40 लाख लोग (अधिकांशतः गरीब) इन रोगों के कारण प्राण गँवा बैठेंगे – HIV, यक्ष्मा, वायरल हेपटाइटिस, मलेरिया, अनुपचारित उष्णकटिबंधीय रोग तथा यौनाचार जनित संक्रमण. दूसरी ओर, खसरा जैसे टीके से बचाव के योग्य रोगों से लोगों का मरना चालू है. विदित हो कि 2019 में 1,40,000 लोग ऐसे रोगों से मृत्यु को प्राप्त हुए. पिछले वर्ष पोलियो के 156 मामले पाए गये जोकि 2014 के बाद सबसे अधिक थे.
महामारियों के लिए तैयारी
इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इन्फ्लुएंजा का कोई ऐसा महासंक्रामक वायरस आ सकता है जिसके प्रति लोगों में वर्तमान में प्रतिरोधकता का अभाव है. जलवायु परिवर्तन के कारण मच्छर अपनी बस्तियाँ इधर-उधर ले जा रहे हैं जिस कारण डेंगी, मलेरिया, जिका, चिकुनगुनिया और पीतज्वर जैसे रोगों का प्रसार संभावित है क्योंकि ये रोग मच्छरों से ही फैलते हैं.
खतरनाक उत्पाद
विश्व-भर में होने वाले रोगों का एक-तिहाई अंश भोजन के अभाव, भोजन की अनिरापदता और अस्वास्थ्यकर भोजन से होता है.
स्वास्थ्यकर्मियों में निवेश
2020 तक विश्व में, अधिकांशतः निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, 18 मिलियन स्वास्थ्यकर्मियों की आवश्यकता होगी. इस संख्या में 9 मिलियन परिचारिकाएँ और प्रसविकाएँ शामिल हैं.
10 से 19 वर्ष के बच्चों को सुरक्षित रखना
प्रत्येक वर्ष 10 से 19 वर्ष के 10 लाख से अधिक किशोर मृत्यु को प्राप्त होते हैं. जिन कारणों ये मृत्यु होती हैं, वे प्रमुखतः हैं – सड़क दुर्घटना, HIV, आत्महत्या, स्वास्थ्य संक्रमण और आपसी हिंसा. इसके अन्य कारण हैं – मदिरा सेवन, तम्बाकू और नशीली दवाओं का उपयोग, शारीरिक गतिविधि की कमी, असुरक्षित यौन संबंध, बाल कुपोषण.
लोगों का विश्वास अर्जित करना
आजकल सोशल मीडिया में स्वास्थ्य के विषय में गलत सूचनाएँ फैलाई जा रही हैं जिसका दुष्प्रभाव लोक-स्वास्थ्य पर पड़ता है. इसके अतिरिक्त सार्वजनिक संस्थानों से भी लोगों का विश्वास हट रहा है. ऐसा भी देखा गया है कि कुछ समुदाय टीकों के विरुद्ध हैं जिसके फलस्वरूप ऐसे रोगों से भी मृत्यु देखने को मिलती है जिनसे सरलता से बचा जा सकता था.
नई तकनीकों का प्रयोग
आजकल जीनोम सम्पादन और कृत्रिम बुद्धि जैसी तकनीकें आ रही हैं जिनसे किसी रोग को रोकने, पता लगाने और उसका उपचार करने में क्रान्ति आई है. परन्तु साथ ही इनका अनुश्रवण और नियमन करना भी एक चुनौती है.
सूक्ष्माणुरोधी प्रतिरोध
सूक्ष्माणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance – AMR) आज भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है जिससे आधुनिक चिकित्सा के दशकों पूर्व के एंटीबायटिक से पहले के युग में चले जाने का संकट आन खड़ा हुआ है.
स्वच्छ जल, सार्वजनिक स्वच्छता एवं व्यक्तिगत स्वच्छता
आज विश्व-भर में चार स्वास्थ्य केन्द्रों में से एक केंद्र पर स्वच्छ जल, सार्वजनिक स्वच्छता एवं व्यक्तिगत स्वच्छता (Water, Sanitation, and Hygiene – WASH) जैसी मूलभूत सेवाओं का अभाव है जबकि किसी भी स्वास्थ्य तंत्र के लिए ये आवश्यक होती हैं. इनकी कमी से रोगियों और स्वास्थ्यकर्मियों में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है और स्वास्थ्य की देखभाल अच्छे से नहीं हो पाती.
आगे की राह
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जिन चुनौतियों का चयन किया है उनका समाधान सरल तो नहीं है, परन्तु उनका समाधान असंभव है ऐसा नहीं कह सकते हैं. इन सभी चुनौतियों का सामना अकेले स्वास्थ्य प्रक्षेत्र नहीं कर सकता है. इसके लिए सरकारों, समुदायों और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों को आगे आने होगा और इसके लिए सम्मिलित प्रयास करना होगा. यदि विश्व को अधिक स्वास्थ्यपूर्ण बनाना है तो इसके लिए कोई छोटा रास्ता नहीं है, अपितु अतिशय परिश्रम की अपेक्षा है.
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